लहसुनिया कौन सी उंगली में पहने? - lahasuniya kaun see ungalee mein pahane?

लहसुनिया कौन सी उंगली में पहने? - lahasuniya kaun see ungalee mein pahane?
lahsunia stone kise pahnna chahiye or kise nahi

Highlights

  • लहसुनिया केतु ग्रह का रत्न है
  • जानिए किन लोगों के लिए फायदेमंद है लहसुनिया धारण करना

लहसुनिया रत्न केतु का रत्‍न होता है। यह रत्न बेहद चमकीला होता है। इसकी अपनी विशेष बनावट के कारण इसे अंग्रेजी में 'कैट्स आई (Cats Eyes) कहा जाता है। ज्योतिषों के अनुसार, जब कुंडली में मौजूद केतु आपके लिए परेशानी का कारण बने तो लहसुनिया रत्न धारण करना शुभ माना जाता है। इसे धारण करने से आपको हर तरह की समस्याओं से छुटकारा मिलने के साथ-साथ मानसिक रूप से भी शांति मिलती है। जानिए किन लोगों को लहसुनिया रत्न पहनना चाहिए और किन्हें नहीं। 

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किन लोगों को धारण करना चाहिए लहसुनिया रत्न

  1. अगर आपकी कुंडली में केतु कमजोर है तो उसे बलशाली बनाने के लिए लहसुनिया रत्न पहनना चाहिए। इससे आपको अनचाहे डर से भी मुक्ति मिलेगी। 
  2. केतु के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए लहसुनिया रत्न धारण करना चाहिए। 
  3. जिन लोगों की कुंडली में केतु प्रथम, तीसरे, चौथे, पांचवे, नवें और दसवें भाव पर हो। उन लोगों को लहसुनिया पहनना लाभकारी होगा। 
  4. अगर कुंडली में केतु सूर्य के साथ हो या फिर सूर्य से दृष्ट होतो इस रत्न को पहनना चाहिए। 
  5. अगर आपकी जन्मपत्रिका में केतु मंगल, ब्रहस्पति और शुक्र के साथ हो तो आप लहसुनिया रत्न पहन सकते हैं। 
  6. केतु की अंतरदशा और महादशा चल रही हो तो इस रत्न को धारण करना लाभकारी होगा। 
  7. अगर किसी बच्चे को बार-बार नजर लग जा रही हैं तो चांदी के लॉकेट में लहसुनिया डालकर पहना दें। इससे लाभ मिलेगा। 
  8. अगर कुंडली में केतु पांचवे भाव के स्वामी के साथ हो या फिर भाग्येश के साथ हो तो लहसुनिया पहनना शुभ होगा। 
  9. अगर किसी बिजनेसमैन को अपने अपने व्यापार पर लगातार हानि हो रही हैं तो वह ज्योतिष से सलाह लेकर लहसुनिया पहन सकता है। इससे उसके रुके हुए सभी काम भी पूरे होंगे।
  10. अगर आपको मानसिक तनाव में रहते हैं तो लहसुनिया धारण कर सकते हैं। इससे आपके मन को शांति मिलेगी।

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लहसुनिया कौन सी उंगली में पहने? - lahasuniya kaun see ungalee mein pahane?

Image Source : INSTAGRAM/R.S_SILVER_HOUSE/

lahsunia stone kise pahnna chahiye or kise nahi

किन लोगों को धारण नहीं करना चाहिए लहसुनिया रत्न

  1. जिन लोगों की जन्मकुंडली में केतु द्वितीय, सप्तम, अष्टम या फिर द्वादश भाव में स्थित हो तो वह लोग इस रत्न को धारण न करें। इससे उन्हें किसी न किसी तरह की हानि का सामना करना पड़ सकता है। 
  2. लहसुनिया रत्न को कभी भी पुखराज, मोती या फिर माणिक्य के साथ नहीं पहनना चाहिए।  
  3. लहसुनिया रत्न को हीरा के साथ भी कभी भी नहीं पहनना चाहिए। इससे आपको धनहानि हो सकती है। 
  4. अगर लहसुनिया रत्न में चार या इससे अधिक धारियां हो तो इसे बिल्कुल न पहनें। इससे आपको लाभ की जगह हानि होगी।
  5. व्यक्ति को बिना ज्योतिष की सलाह के लहसुनिया नहीं धारण करना चाहिए। अगर वह ऐसा करता हैं तो उसे दिल और दिमाग से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं।

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डिस्क्लेमर- ये आर्टिकल जन सामान्य सूचनाओं और लोकोक्तियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता, किसी रत्न को धारण करने से पहले संबंधित क्षेत्र से विशेषज्ञ से सलाह लें।

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लहसुनिया केतु का रत्न है, अर्थात इसका स्वामी केतु ग्रह है। संस्कृत में इसे वैदुर्य, विदुर रत्न, बाल सूर्य, उर्दू-फारसी में लहसुनिया और अंग्रेजी में कैट्स आई कहते हैं।  जब भी बने बनाए काम में अड़चन पड़ जाए, आपको चोट लग जाए , मन में दुर्घटना का भय बना रहे और जीवन में उन्नति के सभी मार्ग बंद हों तो समझ लें कि केतु के कारण परेशानी चल रही है। रत्न ज्योतिष के अनुसार जन्मकुण्डली के अन्दर जब भी केतु आपकी परेशानी का कारण बने तो लहसुनिया रत्न धारण करना लाभप्रद होता है। केतु का रत्न लहसुनिया अचानक  आने वाली समस्याओं से निजात दिलाता है एवं त्वरित फायदा भी कराता है। यह रत्न केतु के दुष्प्रभाव को शीघ्र ही समाप्त करने में सक्षम है। इस रत्न की वजह से व्यक्ति के जीवन को परेशाानियों से मुक्ति मिल जाती है। 

लहसुनिया की पहचान
इस रत्न में सफेद धारियां पाई जाती हैं, जिनकी संख्या आमतौर पर दो, तीन या फिर चार होती है। वहीं, जिस लहसुनिया में ढाई धारी पाई जाती हैं, वह उत्तम कोटि का माना जाता है। यह सफेद, काला, पीला सूखे पत्ते सा और हरे चार प्रकार के रंगों मिलता है। इन सभी पर सफेद धारियां अवश्य होती हैं, ये धारियां कभी-कभी धुएं के रंग की भी होती हैं। यह श्रीलंका व काबुल के 
अलावा भारत के विंध्याचल, हिमालय और महानदी क्षेत्रों में पाया जाता है।

लहसुनिया का प्रयोग 
रत्नों के जानकार से पूछने के बाद शनिवार को चांदी की अंगूठी में लहसुनिया जड़वाकर विधिपूर्वक, उपासना, जप आदि करें। फिर श्रद्धा के साथ इसको अर्द्धरात्रि के समय मध्यमा या कनिष्ठा अंगुली में धारण करें। इस बात का ध्यान रहे कि लहसुनिया रत्न का वजन सवा चार रत्ती से कम नहीं होना चाहिए, अन्यथा पूरा फल प्राप्त नहीं होता है। इस रत्न को धारण करने से पहले ओम कें केतवे नम: मंत्र का जाप कम से कम 108 बार और अतिउत्तम परिणाम के लिए 17 हजार बार जाप करना चाहिए। ऐसा करने से सकारात्मक फल  मिलता है। 

लोगों में नई धारणा
कुछ लब्धप्रतिष्ठ ज्योतिषियों की धारणा है कि केतु एक छाया ग्रह है। उसकी अपनी कोई राशि नहीं है, अत: जब केतु लग्न त्रिकोण अथवा तृतीय, षष्ठ या एकादश भाव में स्थित हो तो उसकी महादशा, में लहसुनिया धारण करने से लाभ होता है। यदि जन्मकुंडली में केतु द्वितीय, सप्तम, अष्टम, या द्वादश भाव में स्थित हो तो इसे धारण नहीं करना चाहिए।  

इतिहास में लहसुनिया
लहसुनिया की जानकारी अति प्राचीनकाल से ही लोगों को थी। इसकी कुछ विशेषताओं ने हमारे पूर्वजों को आकर्षित किया था, जो आज भी लोगों को आकृष्ट करती हैं। इसके विलक्षण गुण हैं-विडालाक्षी आंखें और इससे निकलने वाली दूधिया-सफेद, नीली, हरी या सोने जैसी किरणें। इसको हिलाने-डुलाने पर ये किरणें निकलती। यह पेग्मेटाइट, नाइस तथा अभ्रकमय परतदार पत्थरों में पाया जाता है और कभी-कभी नालों की तलछटों में भी मिल जाता है। यह भारत, चीन, श्रीलंका, ब्राजील और म्यांमार में मिलता है, लेकिन म्यांमार के मोगोव स्थान में पाया जाने वाला लहसुनिया श्रेष्ठ माना जाता है। 
 

लहसुनिया रत्न कौन से उंगली में पहने?

लहसुनिया धारण करने की विधि रत्न शास्त्र के अनुसार सवा रत्ती लहसुनिया, चांदी की अंगूठी या लॉकेट में शनिवार के दिन धारण किया जा सकता है. लहसुनिया को हमेशा मध्यमा उंगली में धारण करना चाहिए.

लहसुनिया कब और कैसे धारण करें?

लहसुनिया धारण विधि सवा रत्ती का लहसुनिया चांदी की अंगूठी अथवा लाकेट में शनिवार को पहनना चाहिए। लहसुनिया मध्यमा अंगुली में धारण किया जाता है। दूसरे मत के अनुसार विशाखा नक्षत्र में मंगलवार के दिन 7, 8 या 12 रत्ती का लहसुनिया मध्यमा अंगुली में धारण किया जाता है। धारण करने से पहले इसे गंगाजल से धोकर शुद्ध कर लें।

लहसुनिया कौन पहन सकता है?

किन लोगों को धारण करना चाहिए अगर कुंडली में केतु पांचवे भाव के स्वामी के साथ हो या फिर भाग्येश के साथ हो तो लहसुनिया पहनना शुभ होता है. किसी की जन्मपत्री में केतु मंगल, ब्रहस्पति और शुक्र के साथ हो तो वो लोग भी लहसुनिया रत्न पहन सकते हैं.

लहसुनिया कितने दिनों में असर दिखाता है?

रत्नों के परिणाम कितने दिन में दिखाई पड़ते हैं इसका विवरण इस प्रकार है। मोती 3 दिन माणिक्य 30 दिन मूंगा 21 दिन पन्ना 7 दिन पुखराज 15 दिन नीलम 2 दिन हीरा 22 दिन गोमेद 30 दिन लहसुनिया 30 दिन ज्योतिष में रत्न को किन उंगलियों में धारण करना चाहिए इस पर भी विवरण मिलता है।