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भाषा व्यक्ति के भावों या विचारों को अभिव्यक्त करने की सशक्त माध्यम होती है। व्यक्ति अलग-अलग रूपों में भाषा का प्रयोग करते हुए विचारों का विनिमय करता है। आइए भाषा के विभिन्न रूपों का अवलोकन करें। 1. व्यक्ति बोली - प्रत्येक व्यक्ति के अपने भावों और विचारों को व्यक्त करने की अपनी एक अलग शैली होती है। वह अपने मुख से जिस तरह की वाणी का प्रयोग करते हुए अपने विचारों को दूसरों के सामने प्रकट करता है, वह है उसकी 'व्यक्ति बोली' होती है। व्यक्ति बोली को अंग्रेजी में Idiolect कहते हैं। भाषा के इस लघुत्तम रूप की इस भाषा को 'व्यक्ति बोली' कहा जाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जायें, तो मनुष्य के विचार प्रति-क्षण बदलते रहने से उसकी बोली में भी परिवर्तनशीलता देखी जा सकती है। जन्म से लेकर मृत्यु तक जिस ढंग से एक व्यक्ति अपने भावों को व्यक्त करता है वह उस व्यक्ति की 'व्यक्ति बोली' होती है। 2. मूल भाषा - भाषा का यह रुप इतिहास पर आधारित है। भाषा की उत्पत्ति मानव के आविर्भाव के साथ ही हुई। जहाँ बहुत से लोग अर्थात एक जन-समुदाय साथ-साथ रहते हैं तो ऐसे स्थानों में उस वक्त जन समुदाय के लिए किसी एक भाषा जो आरम्भ हुआ तथा आगे चलकर परिवेशीय या भौगोलिक कारणों से, अनेक भाषाएँ, बोलियाँ तथा उपबोलियाँ आदि का प्रस्फुटन हुआ, ये ही मूल भाषा कही गई। उदाहरण के लिए हमारी मूल भाषा भारत-हित्ती (Indo Hittite) थी जो बाद में भारोपीय-हित्ती परिवार की भाषा कहलाई। हिन्दी भाषा के इतिहास से संबंधित इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। 3. बोली - बोली शब्द अंग्रेजी के 'Dialect' कहा जाता है। भाषा विज्ञान की दृष्टि से इसे 'उप-भाषा' या प्रान्तीय-भाषा भी कहते हैं। एक भाषा के अन्तर्गत कई बोलियाँ होती हैं। बोली किसी भाषा के एक ऐसे सीमित क्षेत्रीय रुप को कहते हैं, जो ध्वनि, रुप, वाक्य-गठन, अर्थ, शब्द-समूह तथा मुहावरे आदि की दृष्टि से उस भाषा के 'परिनिष्ठित' तथा अन्य क्षेत्रीय रुपों से भिन्न होती है, इस तरह बोली "किसी सीमित क्षेत्र में बोली जाने वाली आंचलिक भाषा का एक रूप होती है, जो प्रायः साहित्य शिक्षा तथा शासन के कार्यों में भी व्यवहृत होती है।" बोली लोक साहित्य में प्रयुक्त होती है। यह भाषा का मानक रूप नहीं होता। अनौपचारिक स्थानों में बोली का प्रायः प्रयोग होता है। हमारी हिन्दी भाषा में अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी आदि बोलियाँ हैं। ब्रज, अवधी, राजस्थानी अब विभाषा के रुप में प्रयुक्त होती हैं, इसमें काफी व्यापक साहित्य भी मिलने लगा है। 4. उप-बोली (स्थानीय बोली) - अंग्रेजी में उप-बोली को Sub-Dialect एवं स्थानीय बोली को local Dialect कहते हैं। भाषा का यह रुप भूगोल पर आधारित है। एक छोटे से क्षेत्र में बहुत सी 'व्यक्ति बोलियों' का सामूहिक रुप स्थानीय-बोली या
उप-बोली कहलाती है। उप बोली की विशेषताएँ इस प्रकार हैं। 5. विभाषा - जब कोई बोली कुछ विशेष कारणों से धार्मिक श्रेष्ठता, भौगोलिक विस्तार अथवा उच्च साहित्यिक रचनाओं के आधार पर समग्र प्रान्त या उप-प्रान्त में प्रचलित होती हुई साहित्यिक आधार ग्रहण कर लेती है, तो वह विभाषा या उप-भाषा कहलाने लगती है। यह अपने उच्चारण, व्याकरण रूप एवं शब्द प्रयोग की दृष्टि से परिष्कृत एवं परिनिष्ठित होने लगती है। विभाषा साहित्यिक भाषाओं से भिन्नता लिए हुए होती है। जैसे- अवधी मैथिली, बंगला, उड़िया पंजाबी आदि विभाषाएँ हैं। हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। 6. राजभाषा - वह भाषा जो किसी देश के प्रशासनिक, वैधानिक कार्यों में प्रयुक्त होती है, अर्थात् जिसका प्रयोग राज्य के कार्यों में होता है। वह राजभाषा कहलाती है। अंग्रेजी में इसे Official Language (ऑफिशियल लैंग्वेज) कहा जाता है। उदाहरणार्थ हिन्दी भारत शासन के काम-काज की भाषा है अतः यह राजभाषा भी है। 7. राष्ट्रभाषा - राष्ट्रभाषा उस भाषा को कहा जाता है जो किसी देश के बहुसंख्यक समुदाय के द्वारा न केवल बोली जाती है, वरन् समझी भी जाती है। अंग्रेजी में इसे National Language कहते हैं। सम्पूर्ण राष्ट्र की धड़कन कही जाने वाली राष्ट्रभाषा में राष्ट्र का संपूर्ण जन-जीवन एवं संस्कृति की झलक दिखाई देती है। राष्ट्रभाषा राष्ट्र की संस्कृति एवं सभ्यता की पहचान होती है। 8. मानक (परिनिष्ठित) भाषा - वह व्याकरण-सम्मत भाषा जो व्याकरण के नियमों से निबद्ध हो और परिनिष्ठित हो मानक भाषा कहलाती है। इसे अंग्रेजी में Standard Language कहते हैं। यह टकसाली भाषा भी होती है। उच्चारण तथा व्याकरण की दृष्टि से यह स्थिर व निश्चित होती है। शिक्षित वर्ग के लोगों के लिए शिक्षा, व्यवहार, पत्र-व्यवहार, समाचार-पत्रादि की भाषा होती है। साहित्य सृजन में इसका ही प्रयोग प्रचलित होता है। 9. साहित्यिक भाषा - नाम से स्पष्ट है ऐसी भाषा जिसका प्रयोग साहित्य सृजन में हो साहित्यिक भाषा कहलाती है। अंग्रेजी में इसे Literary Language कहते हैं। बोलचाल की भाषा की तुलना में यह प्रायः कुछ कम विकसित होती है क्योंकि इसका प्रयोग जनमानस के लिए कुछ कठिन होता है। यह अलंकृत और सुनियोजित होने के कारण कुछ कठिन होती है। इसे काव्य भाषा भी कहलाती है। 10. विशिष्ट भाषा - किसी विशिष्ट वर्ग यथा- व्यापारी वर्ग, धार्मिक समुदाय वर्ग, विद्यार्थी वर्ग आदि के द्वारा एक विशेष प्रकार की विशेष शब्दावली से युक्त भाषा का प्रयोग किया जाता है जिसे कि विशिष्ट भाषा कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे Specific language कहते हैं। अलग-अलग समुदाय वर्ग के द्वारा जिस तरह की अलग-अलग भाषाओं का प्रयोग किया जाता है, वह उस वर्ग की विशिष्ट भाषा होती है। विशिष्ट भाषा भिन्न-भिन्न वर्गों की अलग-अलग भाषाएँ होती हैं। ऐसी भाषाओं पर विभिन्न भाषाओं शब्दों का काफी प्रभाव देखा जा सकता है। 11. अन्तर्राष्ट्रीय भाषा - अन्तर्राष्ट्रीय भाषा को विश्व भाषा भी कहा जाता है जो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार, पत्र व्यवहार, विचार-विनिमय, व्यवसाय आदि क्षेत्र में प्रचलित होती है। अंग्रेजी में इसे International Language कहते हैं। उदाहरणार्थ अंग्रेजी भाषा अन्तर्राष्ट्रीय भाषा है क्योंकि इसका प्रयोग प्रायः सभी देशों में व्यापार व्यवसाय एवं विचार-विनिमय के लिए किया जाता है। हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। 12. मातृभाषा - नाम से स्पष्ट है वह भाषा जो माँ के द्वारा एक शिशु ने सीखी हो, आगे चलकर वह उसकी मातृभाषा होती है। अंग्रेजी में इसे Mother Tongue कहते हैं। यह भाषा मनुष्य को जन्म के साथ ही अपनो माता से प्राप्त होती है, जिसे शिशु घर पर ही सीखता है। अर्थात् जिस भाषा को कोई बालक अपनी माता के दुग्ध-पान के साथ संस्कारों में प्राप्त करता है। वह मातृभाषा कहलाती है। प्रत्येक व्यक्ति की मातृभाषा अलग-अलग होती है। 13. आङ्गिक भाषा - भाषा का वह रुप जो किसी व्यक्ति के अंग-प्रत्यंगों, चेहरे आदि के हाव-भाव के द्वारा व्यक्त हो आङ्गिक भाषा कहलाती है। इसे अंग्रेजी में Body Language कहते हैं। जब व्यक्ति अपने विचारों या भावों की अभिव्यक्ति वाणी से व्यक्त न कर अपने हाथ पैर, मुख, आँख, नाक, आदि आङ्गिक अङ्गों की चेष्टाओं की सहायता से करता है तो इसे आङ्गिक भाषा कहा जाता है। 14. वाचिक भाषा - मनुष्य जब अपने मुख से वाणी के माध्यम से अपनी भावनाओं या विचारों को अभिव्यक्त करता है तो वह वाचिक भाषा कहलाती है। इसे अंग्रेजी में Spoken Language कहते हैं। वाचिक भाषा में भाव-सम्प्रेषण की असीमित संभावनाएँ होती हैं। आङ्गिक भाषाओं की सीमित अभिव्यक्ति के फलस्वरुप वाचिक भाषा की खोज मानव जगत की सबसे बड़ी क्रान्तिकारी उपलब्धि थी। 15. यान्त्रिक भाषा - नाम से यह स्पष्ट है यन्त्रों से सम्बंधित भाषा यान्त्रिक भाषा कहलाती है। इसे अंग्रेजी में Mechanical Language कहते हैं। यान्त्रिक भाषा यन्त्रों द्वारा संचित होती है। यन्त्रों के अविष्कार के कारण मनुष्य अब अपनी भाषा को यंत्रों में सुरक्षित रख सकता है और जब चाहे सुन सकता है। 16. लिखित भाषा - वह भाषा जो लिखित रूप में हो, लिखित भाषा कहलाती है। साहित्य रचना लिखित रूप में ही होता है। अंग्रेजी में इसे Written Language कहते हैं। लिपि के आविष्कार से अभिव्यक्ति के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए, जिसने मनुष्य को अपने विचारों एवं भावों को चिरकाल तक सुरक्षित रखने का सुगम पथ प्रशस्त किया। मानव अपने भावों एवं विचारों को लिपिबद्ध करके चिरस्थायी बनाने की कला अब जान चुका था। वास्तव में यदि लिपि का विकास न हुआ होता तो मनुष्य का सुसभ्य एवं सुसंस्कृत होना बड़ा ही कठिन था। वेद, पुराण, ब्राह्मण ग्रंथ, रामायण, महाभारत लिखित रूप में सदैव ज्ञान के प्रकाश से सभी को सराबोर कर रहे हैं। मनुष्य ने लिपि के आविष्कार से किसी भी ज्ञान को लिखित रूप में रखकर चिरकाल तक संचित रखें रखने का उपाय ढूँढ लिया है जो भावी पीढ़ियों को विकास और उन्नति की सीढ़ियों तक पहुँचाने का कार्य करता रहेगा। हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। I Hope the above information will be useful and important. other resources Click for related information Watch video for related information
भाषा के लिखित रूप में क्या कहते हैं?16. लिखित भाषा - वह भाषा जो लिखित रूप में हो, लिखित भाषा कहलाती है। साहित्य रचना लिखित रूप में ही होता है। अंग्रेजी में इसे Written Language कहते हैं।
भाषा के लिखित रूप को क्या कहते हैं MCQ?किसी भी भाषा के लिखने की विधि को लिपि कहा जाता है।
जैसे हिंदी व संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी है। इसी प्रकार अंग्रेजी भाषा की लिपि रोमन, पंजाबी भाषा की लिपि गुरुमुखी और उर्दू भाषा की लिपि फ़ारसी है।
बातचीत के लिखित रूप को क्या कहते हैं?लिखित भाषा। - आमने-सामने बैठे व्यक्ति परस्पर बातचीत करते हैं अथवा कोई व्यक्ति भाषण आदि द्वारा अपने विचार प्रकट करता है तो उसे भाषा का मौखिक रूप कहते हैं। - जब व्यक्ति किसी दूर बैठे व्यक्ति को पत्र द्वारा अथवा पुस्तकों एवं पत्र-पत्रिकाओं में लेख द्वारा अपने विचार प्रकट करता है तब उसे भाषा का लिखित रूप कहते हैं।
भाषा का मूल रूप क्या है मौखिक या लिखित?'भाषा' का मूल स्वरूप बोली होता है। क्योंकि सबसे पहले बोली ही अस्तित्व में आई। मौखिक भाषा ही बोली थी, जो सबसे पहले अस्तित्व में आई। भाषा का लिखित स्वरूप तो विकास के क्रम में बहुत बाद में अस्तित्व में आया।
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