कल्याणकारी राज्य (welfare state) शासन की वह संकल्पना है जिसमें राज्य नागरिकों के आर्थिक एवं सामाजिक उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कल्याणकारी राज्य अवसर की समानता, धन-सम्पत्ति के समान वितरण, तथा जो लोग अच्छे जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं को स्वयं जुटा पाने में असमर्थ है उनकी सहायता करने जैसे सिद्धान्तों पर आधारित है। यह एक सामान्य शब्द है जिसके अन्तर्गत अनेकानेक प्रकार के आर्थिक एवं सामाजिक संगठन आ जाते हैं।कल्याणकारी राज्य सरकार का एक रूप है जिसमें राज्य समान अवसर के सिद्धांतों, धन के समान वितरण और नागरिकों के लिए सार्वजनिक जिम्मेदारी के आधार पर नागरिकों की आर्थिक और सामाजिक भलाई की रक्षा करता है और उन्हें बढ़ावा देता है, जो स्वयं का लाभ उठाने में असमर्थ हैं। एक अच्छे जीवन के लिए न्यूनतम प्रावधान। [१] यह शब्द १ ९ ४ Great में ग्रेट ब्रिटेन द्वारा अपनाए गए सामाजिक बीमा के व्यापक उपायों से जुड़ा है, [१] समाजशास्त्री टीएच मार्शल ने आधुनिक कल्याणकारी राज्य को लोकतंत्र , कल्याण और पूंजीवाद के विशिष्ट संयोजन के रूप में वर्णित किया है। [2] Show मिश्रित अर्थव्यवस्था के एक प्रकार के रूप में, कल्याणकारी राज्य, सरकारी संस्थाओं को स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए धन देते हैं, साथ ही व्यक्तिगत नागरिकों को प्रत्यक्ष लाभ देते हैं। [३] आधुनिक कल्याणकारी राज्यों में जर्मनी और फ्रांस, बेल्जियम और नीदरलैंड शामिल हैं, [४] साथ ही नॉर्डिक देश , [५] जो नॉर्डिक मॉडल के रूप में जानी जाने वाली प्रणाली को रोजगार देते हैं। कल्याणकारी राज्य के विभिन्न कार्यान्वयन तीन श्रेणियों में आते हैं: (i) सामाजिक लोकतांत्रिक, (ii) उदारवादी, और (iii) रूढ़िवादी आधुनिक कल्याणकारी राज्य को दो भागों में बांटा गया है १) राज्य के आवश्यक एवं अनिवार्य कार्य २) राज्य के ऐच्छिक कार्य 3) प्रमुख रूप से भारतीय संविधान के भाग 4(ए)में उल्लेखित "नीति निर्देशक लोककल्याणकारी राज्य की अवधारणा अत्यन्त प्राचीनकाल से ही भारत में रही है । प्राचीन युग में राज्य को नैतिक कल्याण का साधन माना जाता था । रामायण काल में तो रामराज्य की अवधारणा इसी लोककल्याणकारी राज्य के सिद्धान्त पर आधारित थी। हिन्दुओं के धार्मिक ग्रन्थों में यहां तक लिखा है कि राजा अपनी प्रजा का हित नहीं चाहता और अपने कर्तव्य का पालन नहीं करता, वह नरक का अधिकारी होता है । चाणक्य हो या फिर अरस्तु या प्लेटो, इन्होंने भी लोक कल्याण कारी राज्य की अवधारणा को महत्त्व दिया है । लोक कल्याणकारी राज्य से तात्पर्य किसी विशेष वर्ग का कल्याण न होकर सम्पूर्ण जनता का कल्याण होता है । इस तरह सम्पूर्ण जनता को केन्द्र मानकर जो राज्य कार्य करता है, वह लोक कल्याणकारी राज्य है । लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के सम्बन्ध में इंसाइक्लोपीडिया ऑफ सोशल साइंसेस के विचार हैं: “लोककल्याणकारी राज्य से तात्पर्य ऐसे राज्य से है, जो अपने सभी नागरिकों को न्यूनतम जीवन रत्तर प्रदान करना अपना अनिवार्य उत्तरदायित्व समझता है ।” प्रो॰ एच॰जे॰ लास्की के अनुसार: “लोककल्याणकारी राज्य लोगों का ऐसा संगठन है, जिसमें सबका सामूहिक रूप से अधिकाधिक हित निहित है ।” सन्दर्भ[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
लोक कल्याणकारी राज्य का क्या अभिप्राय है?लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के सम्बन्ध में इंसाइक्लोपीडिया ऑफ सोशल साइंसेस के विचार हैं: “लोककल्याणकारी राज्य से तात्पर्य ऐसे राज्य से है, जो अपने सभी नागरिकों को न्यूनतम जीवन रत्तर प्रदान करना अपना अनिवार्य उत्तरदायित्व समझता है ।” प्रो॰ एच॰जे॰ लास्की के अनुसार: “लोककल्याणकारी राज्य लोगों का ऐसा संगठन है, जिसमें ...
लोक कल्याणकारी राज्य से क्या समझते हैं इसकी विशेषताओं का वर्णन करें?“लोक-कल्याणकारी राज्य वह राज्य है जो अपने नागरिकों के लिए व्यापक सामाजिक सेवाओं की व्यवस्था करता है। इन समाजसेवाओं के अनेक रूप होते हैं। इनके अन्तर्गत शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार तथा विद्धावस्था में पेंशन आदि की व्यवस्था होती है। इनका मुख्य उद्देश्य नागरिकों को सभी प्रकार की सुरक्षा प्रदान करना होता है।" ..
कल्याणकारी राज्य का क्या महत्व है?कल्याणकारी राज्य शासन व्यवस्था की एक ऐसी संकल्पना है जिसमें राज्य नागरिकों के आर्थिक तथा सामाजिक कल्याण को बढ़ावा तथा सुरक्षा देने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है । एक कल्याणकारी राज्य अवसर की समानता तथा सम्पत्ति के उचित वितरण के सिद्धान्तों पर आधारित होता है ।
आधुनिक लोक कल्याणकारी राज्य का समर्थक कौन है?Answer. Explanation: जर्मनी के शक्तिशाली चांसलर (कार्यालय 1871-90 में) ओटो वॉन बिस्मार्क ने 1840 के दशक की शुरुआत में प्रशिया और सैक्सोनी में कल्याणकारी कार्यक्रमों की परंपरा पर निर्माण करके पहला आधुनिक कल्याणकारी राज्य विकसित किया।
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