गरीबी मापने का आधार
संदर्भ:गरीबी को मापने का मापदंड क्या होना चाहिये? इस विषय को लेकर कई बार प्रश्न उठते रहें हैं, जैसे कि क्या गरीबी को मापने के लिये सिर्फ आय (Income) को देखा जाना चाहिये या इसमें जीवन के दूसरे महत्त्वपूर्ण पहलुओं जैसे- शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य मूलभूत ज़रूरतों को भी शामिल किया जाना चाहिये। समय-समय पर इसके पैमाने में बदलाव भी किये गए हैं हालाँकि विश्व के अधिकांश देशों में गरीबी को मापने का आधार किसी न किसी रूप में आय से ही संबंधित रहा है। भारत जैसे विकासशील और बड़ी आबादी वाले देश में बदलते समय के साथ देश के विभिन्न राज्यों की अलग-अलग परिस्थितियों को देखते हुए यह प्रश्न और भी प्रासंगिक हो जाता है। Show
गरीबी:
पृष्ठभूमि:
केंद्र सरकार द्वारा रंगराजन समिति की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई जिसके कारण देश में गरीबी में रह रहे लोगों की गणना तेंदुलकर समिति द्वारा निर्धारित गरीबी रेखा के आधार पर की जाती है।
गरीबी के पैमाने में परिवर्तन की आवश्यकता क्यों?
गरीबी के प्रमुख कारण:
वर्तमान चुनौतियाँ:
सरकार के प्रयास:
परिवर्तन के लाभ:
अन्य सुधारों की आवश्यकता:
निष्कर्ष:ब्रिटिश अर्थशास्त्री एडम स्मिथ के अनुसार, कोई भी ऐसा समाज कभी सुखी और संपन्न नहीं हो सकता जिसके अधिकांश सदस्य निर्धन तथा दयनीय हों। भारत के समग्र विकास के लिये गरीबी के अनुमान के आधार में विस्तार करना बहुत ही आवश्यक है, जिससे न सिर्फ शहरी-ग्रामीण असमता बल्कि वर्ग, जाति और सामाजिक बहिष्कार (Social Exclusion) के अन्य मामलों की भी पहचान की जा सके तथा समाज के सभी वर्गों के लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिये उपयुक्त योजनाओं का निर्माण किया जा सके। अभ्यास प्रश्न: हाल के वर्षों में सरकार द्वारा जारी अनुमानित आँकड़े देश में गरीबी के स्तर में गिरावट के संकेत देते हैं। भारत में गरीबी को मापने के मानकों की समीक्षा करते हुए इसमें आवश्यक परिवर्तन तथा इसके प्रभाव की चर्चा कीजिये। लकड़ावाला समिति के अनुसार गरीबी आकलन के लिए कुल कितनी रेखा थी?कैलोरी अन्तर्ग्रहण विधि को सबसे पहले लकड़ावाला समिति ने तय किया था। गांव में – 2400 कैलोरी/दिन तथा शहर में – 2100 कैलोरी/दिन से कम यदि किसी को प्राप्त होता है तो वह गरीब माना जाता था। इस कैलोरी के आधार पर पैसों का आकलन किया जाता था।]
भारत की गरीबी रेखा कितनी है?आजादी के 75 साल बाद करीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वील आबादी घटकर 22 फीसदी पर आ गई। हालांकि, अगर इसे संख्या के आधार पर देखा जाए तो कोई खास अंतर नहीं आया। देश की आजादी के वक्त 25 करोड़ जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे थी, अब 26.9 करोड़ जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे है।
भारत में गरीबी रेखा की गणना कैसे की जाती है?भारत में गरीबी रेखा का अनुमान पूरी तरह से सेवन किये जाने वाले भोजन की कैलोरी पर आधारित है। एक व्यक्ति को गरीबी रेखा से ऊपर तभी माना जाता है यदि उसके पास शहरी क्षेत्र में रहने पर प्रति दिन 2100 कैलोरी या ग्रामीण इलाके में रहने पर 2400 कैलोरी खरीदने के लिए पर्याप्त धन होता है। गरीबी रेखा की गणना हर 5 साल में की जाती है।
भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कौन करता है?भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण कौन करता है? योजना आयोग (अब नीति आयोग) हर वर्ष के लिए समय-समय पर गरीबी रेखा और गरीबी अनुपात का सर्वेक्षण करता है जिसके सांख्यिकी और कार्यक्रम मंत्रालय का राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) बड़े पैमाने पर घरेलू उपभोक्ता व्यय के सैंपल सर्वे लेकर कार्यान्वित करता है।
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