लेखिका के अनुसार अचानक प्राय खतरनाक स्थिति कैसे बन जाया करती थी? - lekhika ke anusaar achaanak praay khataranaak sthiti kaise ban jaaya karatee thee?

NCERT Solution For Class 9 Hindi स्पर्श भाग १

एवेरेस्ट : मेरी शिखर की यात्रा - बचेंद्री पाल Here is the CBSE Hindi Chapter 3 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 Hindi एवेरेस्ट : मेरी शिखर की यात्रा - बचेंद्री पाल Chapter 3 NCERT Solutions for Class 9 Hindi एवेरेस्ट : मेरी शिखर की यात्रा - बचेंद्री पाल Chapter 3 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 Hindi.

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(क) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-डॉ. मीनू मेहता ने क्या जानकारियाँ दीं?

Solution

डॅा. मीनू मेहता ने उन्हें निम्न जानकारियाँ दीं?
- अल्युमिनियम की सीढ़ियों से अस्थायी पुलों का बनाना।
- लट्ठों और रस्सियों का उपयोग करना।
- बर्फ़ की आड़ी-तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधना।
- अग्रिम दल के अभियांत्रिकी कार्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
किसी भी अनजान पथ पर जाते हुए यह जानकारी महत्वपूर्ण थी।
पर्वतीय यात्रा से पूर्व तैयारी करनी पड़ती है। रोमांचक यात्रा खतरनाक मोड़ ले लेती है, यदि विस्तृत जानकारी न हो।

(क) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-लेखिका को किनके साथ चढ़ाई करनी थी?

Solution

लेखिका को तोपसांग, तशशिं, एनडी, शेरपा और आठ अन्य शरीर से मजबूत और ऊँचाइयों में रहने वाले शेरपाओं के साथ चढ़ाई करनी थी। जय और मीनू उससे बहुत पीछे रह गए थे जबकि वह साउथ पोल कैंप पहुँच गई थी। बाद में वे भी आ गए थे। अगले दिन सुबह 6.20 वह अंगदोरजी के साथ चढ़ाई के लिए निकल पड़ी जबकि अन्य कोई भी व्यक्ति उस समय उसके साथ चलने के लिए तैयार नहीं था। अन्य पर्वतारोहियों के साथ चढ़ते हुए खतरों से जूझना उनकी आदत हो गई थी।

(क) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-लोपसांग ने तंबू का रास्ता कैसे साफ़ किया?

Solution

जब लेखिका गहरी नींद में सो रही थी तभी सिर के पिछले हिस्से से कोई चीज टकराई और उसकी नींद खुल गई। कैंप के ठीक ऊपर लहोत्से ग्लेशियर से बर्फ का पिण्ड गिरा था जिसने कैंप तो तहस-नहस कर दिया था। लोपसांग ने अपनी स्विस धुरी से तंबू का रास्ता साफ किया और लेखिका के पास से बड़े-बड़े हिमखण्डों को हटाया और चारों तरफ फैली हुई कठोर बर्फ की खुदाई की। तब जाकर बाहर निकलने का रास्ता साफ हो सका। यदि थोड़ी-सी भी देर हो जाती तो उसका सीधा अर्थ था मृत्यु।

(ख) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-उपनेता प्रेमचंद ने किन स्थितियों से अवगत कराया?

Solution

उपनेता प्रेमचंद ने अग्रिम दल का नेतृत्व करते हुए पहली बड़ी बाधा खुंभु हिमपात की स्थिति से पर्वतारोहियों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि उनके दल ने कैंप-एक जो हिमपात के ठीक ऊपर है, वहाँ तक का रास्ता साफ कर दिया है। उन्होंने यह बताया कि पुल बनाकर, हरस्तियाँ बाँधकर तथा झंडियों से रास्ता चिन्हित कर सभी बड़ी कठिनाइयों का जायजा ले लिया गया है। उन्होंने इस पर भी ध्यान दिलाया कि ग्लेशियर बर्फ की नदी है और बर्फ का गिरना अभी जारी है। हिमपात में अनियमित और अनिश्चित बदलाव के कारण अभी तक के लिए गए सभी बदलाव व्यर्थ हो सकते हैं और हमें रास्ता खोलने का काम दोबारा करना पड़ सकता है।

(ख) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-लेखिका के तंबू में गिरे बर्फ़ पिंड का वर्णन किस तरह किया गया है?

Solution

लेखिका गहरी नींद में सोई थी कि रात में 12.30 बजे के लगभग सिर के पिछले हिस्से से किसी सख्त चीज के टकराने से नींद खुल गई। साथ ही एक जोरदार धमाका भी हुआ। सीसे लेने में कठिनाई होने लगी। एक लंबा बर्फ का पिंड कैंप के ठीक ऊपर ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर नीचे आ गिरा था। उसका विशाल हिमपुंज बन गया था। हिमखंडों, बर्फ के टुकड़ों तथा जमी हुई बर्फ के इस विशालकाय पुंज ने, एक एक्सप्रैस रेलगाड़ी की तेज गति और भीषण गर्जना को भी पीछे छोड़ दिया कैंप नष्ट हो गया था। वास्तव में हर व्यक्ति को चोट लगी। यह एक आश्चर्य था कि किसी की मृत्यु नहीं हुई थी।

(ख) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-जय लेखिका को देखकर हक्का-बक्का क्यों रह गया?

Solution

जय लेखिका का पर्वतारोही साथी था। उसको भी लेखिका के साथ पर्वत-शिखर पर जाना था। शिखर कैंप पर पहुँचने में उसे देरी हो गई थी। वह सामान ढ़ोने के कारण पीछे रह गया था। इसलिए बचेन्द्री उसके लिए चाय-जूस आदि लेकर उसे रास्ते में लिवाने पहुँची। तब बर्फीली हवायें चल रहीं थीं और नीचे जाना खतरनाक था। लेखिका को जय जेनेवा स्पर की चोटी के ठीक नीचे मिला। उसने कृतज्ञतापूर्वक चाय बगैरह पी और लेखिका को आगे जाने से रोका। लेखिका कोकी से मिलना था। थोड़ा सा आगे नीचे उतरने पर लेखिका ने की को देखा। वह उसे देखकर हक्का-बक्का रह गया।

(ख) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल कितने कैंप बनाए गए? उनका वर्णन कीजिए

Solution

एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल सात कैंप लगाए गए थे।
1. बेसकैंप यह कैंप काठमांडू के शेरपालैंड में लगाया गया। पर्वतीय दल के नेता कर्नल खुल्लर यहीं रहकर एक-एक गतिविधि का संचालन कर रहे थे। उपनेता प्रेमचंद ने भी हिमपात संबंधी सभी कठिनाईयों का परिचय यही दिया।
2. कैंप एक: यह हिमपात से 6000 मीटर की ऊँचाई पर था। यहाँ हिमपात से सामान उठाकर कैंप तक लाये जाने का अभ्यास किया गया।
3. कैंप दो: 16 मई प्रात: सभी लोग इस कैंप पर पहुँचे। जिस शेरपा की टाँग टूट गई उसे स्ट्रेचर पर लिटाया गया।
4. कैंप तीन: यह ल्होत्से पहाड़ियों के गन में स्थित था। यहाँ नाइलॉन के बने तंबू में लेखिका और उसके सभी साथी सोए हुए थे। इसमें 10 व्यक्ति थे रात 12.50 बजे एक हिमखंड उन पर आ गिरा।
5. कैंप चार: यह समुंदर के 7900 मीटर ऊपर था। यहीं से साउथ कैंप और शिखर कैंप के लिए चढ़ाई की गई। यह 29 अप्रैल 1984 को अंगदोरजी, लोपसांग और गगन बिस्सा ने लगाया था।
6. साउथ पोल कैंप: यहीं से अंतिम दिन की चढ़ाई शुरू हुई।
7. शिखर कैंप: यह पर्वत की सर्वोत्तम चोटी से ठीक नीचे स्थित है। इस कैंप में लेखिका और अंगदोरजी केवल दो घंटे में पहुँच गया। चोटी पर पहुँचने से पहले यहीं आराम करके चाय पी ली।

(ख) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-चढ़ाई के समय ऐवरेस्ट की चोटी की स्थिति कैसी थी?

Solution

चढ़ाई के समय ऐवरेस्ट पर जमी बर्फ़ सीधी और ढलाऊ थी। चट्‌टानें इतनी भुरभुरी थी मानो शीशे की चादरें बिछी हों। बर्फ काटने के लिए फावड़े का प्रयोग करना पड़ा। दक्षिण शिखर के ऊपर हवा की गति बढ़ गई थी। उस ऊँचाई पर तेज हवा के झोंके झुरझुरी बर्फ के कणों को चारों ओर उड़ा रहे थे। बर्फ़ इतनी अधिक थी कि सामने कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। पर्वत की शंकु चोटी इतनी तंग थी कि दो आदमी वहां खड़े नहीं हो सकते थे। ढलान सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक थी वहाँ अपने-आप को स्थिर खड़ा करना बहुत कठिन है। इसलिए उन्होंने फावड़े से बर्फ को तोड़कर अपने टिकने योग्य स्थान बनाया।

इस पाठ में प्रयुक्त निम्नलिखित शब्दों की व्याख्या पाठ का सदंर्भ देकर कीजिए:निहारा है, धसकना, खिसकना, सागरमाथा, जायज़ा लेना, नौसिखिया

Solution

निहारा है-प्रसन्नतापूर्वक देखा है।
लेखिका ने नमचे बाज़ार में पहुँचकर सबसे पहले एवरेस्ट को देखा था वह उसे देखते ही उसके सौंदर्य पर मुग्ध हो गई। इसलिए लेखिका इसे मात्र देखा न कहकर ‘निहारा’ करती है।
धसकना-नीचे को धँसना।
जब धरती का कुछ हिस्सा नीचे की ओर दब जाता है उसे धसकना कहते हैं।
खिसकना-अपनी जगह से हटकर परे चले जाना।
हिमपात से बर्फ की बड़ी-बड़ी चट्‌टानें खिसक जाती हैं।
सागरमाथा-संसार का सबसे ऊँचा स्थान।
जिस स्थान ने बचेंद्री पाल ने हिमालय की चढ़ाई आरंभ की, वह स्थान समुद्र तल का सर्वोच्च स्थान है। इसलिए उसे सागरमाथा ठीक ही कहा गया है।
नौसिखिया-अनजान।
तेनजिंग के सामने बचेंद्री पाल ने स्वयं को नौसिखिया पर्वतारोही कहा।

पर्वतारोहियों को हिमपात के कारण क्या-क्या परेशानियाँ उठानी पड़ती?

Solution

हिमालय के पर्वतारोहियों को हिमपात के कारण पग-पग पर परेशानियाँ उठानी पड़ती है। हिमपात के कारण भूस्खलन हो सकता है। चट्‌टानें खिसककर नीचे गिर सकती है। यात्री बर्फ़ के नीचे दबकर मर सकते है। वातावरण में बर्फ़ की आंधी चलने लगती है। उसके कारण कुछ भी दिखना बंद हो जाता है। हिमपात के रास्ते में लगाए गए निशान, इंडियों तथा रास्ते तक नष्ट हो जाते हैं। कभी-कभी यात्रियों के तंबू तक नष्ट हो जाते है।

बेस कैंप से लेखिका ने किसे निहारा?

Solution

एवरेस्ट शिखर को लेखिका ने पहले दो बार देखा था, लेकिन एक दूरी से। बेस कैंप पहुंचने पर दूसरे दिन उसने एवरेस्ट पर्वत तथा इसकी अन्य श्रेणियों को देखा। वह भौंचक्की होकर खड़ी रह गई और एवरेस्ट, होत्से और नुत्से की ऊंचाइयों से घिरी, बर्फीली, टेढ़ी-मेढ़ी नदी को निहारती रही।

ल्हादू कौन था? उसकी भूमिका क्या थी?

Solution

ल्हादू पर्वतारोही दल का महत्त्वपूर्ण सहायक था। वह नाइलॉन की रस्सी लेकर साथ साथ चला। उसी ने रस्सी के सहारे चलने का प्रबन्ध किया। इसलिए लंबे समय तक बर्फ में रहने के कारण उस के पांव ठंडे पड़ जाते थे। फिर भी वह ऑक्सीजन लगाकर यात्रा नहीं करता था। वह दिन-ही-दिन में यात्रा करके वापस आना ठीक समझता था। वह कर्मठ और विश्वस्त पर्वतारोही था।