लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से भी क्यों प्रभावित थी - lekhika ne apanee naanee ko kabhee dekha bhee nahin phir bhee unake vyaktitv se bhee kyon prabhaavit thee

मेरे संग की औरतें

मृदुला गर्ग

NCERT Solution

प्रश्न 1: लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं?

उत्तर: लेखिका ने अपनी नानी के बारे में घर के अन्य लोगों से बहुत कुछ सुना था। लेखिका की नानी अपने पति के जीवन में किसी भी प्रकार का दखल नहीं देती थीं। लेकिन वह घर की चारदीवारी में भी रहकर अपने ढ़ंग से जीवन जीती थीं। जब लेखिका की माँ की शादी की बात आई तो उनकी नानी ने अपनी बात बड़े ही अधिकार से मनवा लीं। इसलिए लेखिका अपनी नानी के व्यक्तित्व से प्रभावित थीं।

प्रश्न 2: लेखिका की नानी की आजादी के आंदोलन में किस प्रकार भागीदारी रही?

उत्तर: लेखिका की नानी ने दामाद बनाने के लिए ऐसे व्यक्ति को ढ़ूँढ़ने की बात की जो आजादी का सिपाही हो। इस तरह से लेखिका की नानी परोक्ष रूप से आजादी के आंदोलन में भागीदारी रहीं।


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प्रश्न 3: लेखिका की माँ परंपरा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थीं। इस कथन के आलोक में:

  1. लेखिका की माँ की विशेषताएँ लिखिए।

    उत्तर: लेखिका की माँ की दो विशेषताएँ थीं। एक तो वे हमेशा सच बोलती थीं। इसलिए घर के सभी लोग उनका सम्मान करते थे। दूसरी कि वो कभी भी इधर की बात उधर नहीं करती थीं। इसलिए घर के बाहर के लोग भी उनपर पूरा भरोसा करते थे।

  2. लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द चित्र अंकित कीजिए।

    उत्तर: लेखिका की दादी के घर में कई लोग रहते थे; जैसा कि किसी भी संयुक्त परिवार में होता है। लेकिन हर व्यक्ति को अपने ढ़ंग से जीने की पूरी छूट थी। कोई भी अपनी इच्छा दूसरे पर नहीं थोपता था।

प्रश्न 4: आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी?

उत्तर: परदादी के मन में महिलाओं को समान अधिकार दिलवाने की उत्कट इच्छा रही होगी। इसलिए उन्होंने अपनी पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत माँगी।


प्रश्न 5: डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है – पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर: पाठ में एक चोर का रोचक जिक्र है। संयोग से चोर जिस कमरे में घुसा उसमें लेखिका की माँ सो रहीं थीं। लेखिका की माँ ने चोर से पानी मँगवाया। इस काम में जब चोर पकड़ा गया तो लेखिका की माँ ने उससे कहा कि पानी पिलाने के नाते वह उनका बेटा हो गया और अब उसकी मर्जी कि वह चोरी करे या खेती बाड़ी। उस बात का चोर पर इतना गहरा असर हुआ कि उसने चोरी छोड़ दी और खेती बाड़ी करने लगा। यह वाकया दर्शाता है कि डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही रास्ते पर लाया जा सकता है।

प्रश्न 6: ‘शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है’ – इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: जब लेखिका कर्णाटक के बागलकोट में थीं तो वहाँ कोई स्कूल नहीं था। उनके लाख समझाने के बावजूद क्रिश्चियन मिशनरी वाले स्कूल खोलने को राजी नहीं हुए। उसके बाद लेखिका ने स्वयं एक प्राइमरी स्कूल खोलने की ठानी। कई अन्य लोगों की मदद से उन्हें स्कूल खोलने में सफलता मिल गई।

प्रश्न 7: पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है?

उत्तर: हम अक्सर उस इंसान को नजरअंदाज कर देते हैं जो सामान्य तरीके से जीवन जीता है। लेकिन कुछ लोग सामान्य जीवन जीते हुए भी बहुत कुछ ऐसा कर जाते हैं जिससे उनके प्रति हमारी श्रद्धा जग जाती है। इस कहानी में लेखिका ने अपनी नानी, परदादी, माँ और बहनों के बारे में लिखा है। उन औरतों की कुछ खास आदतों की वजह से लेखिका के मन में उनके लिए श्रद्धा है। ऐसा ही हमारे जीवन में भी होता है जब हम किसी की सत्यवादिता, स्पष्टवादिता या किसी खास काम के प्रति धुन के लिए उसका सम्मान करने लगते हैं।

प्रश्न 8: ‘सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है’ – इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर: इस कहानी के आखिर में लेखिका ने लिखा है, “जगह-जगह पानी से लब-लब करते, सुनसान शहर में, निचाट अकेले, अपनी धुन में, मंजिल की तरफ चलते चले जाना। सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है।“

मनुष्य एक सामाजिक प्राणि है और इसलिए अकेले नहीं रहता है। लेकिन कुछ व्यक्ति भीड़भाड़ के कोलाहल में इतना अकेलापन ढ़ूँढ़ लेते हैं कि अपने मन की कर सकें। लेखिका की बहन वही करती थीं, जो उन्हें सही लगता था। ऐसा करने में वे अन्य लोगों की बातों को भी अनसुनी कर जाती थीं। स्कूल की बस स्टॉप से उनका अकेले पैदल आना या फिर बारिश के बाद पैदल ही स्कूल चले जाना; इसका उदाहरण है। वह एक ऐसी महिला हैं जो स्वयं पर यकीन रखती हैं। लेखिका ने शादी के बाद अपना सरनेम बदल दिया और ऐसा करने में उन्हें तनिक भी परेशानी नहीं हुई। शादी के बाद उनके पति के साथ संबंध ताउम्र चला क्योंकि उन्हें लगता था कि पति बदलने से कुछ भी नहीं बदलता। उन्हें लगता था कि मनुष्य को इन सबसे ऊपर उठकर सोचना चाहिए और अपनी पसंद के काम पर ध्यान लगाना चाहिए।


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लेखिका ने अपनी को कभी देखा नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थी?

लेखिका की नानी की मृत्यु उनकी माँ की शादी से पहले हो गई थी परन्तु उनकी माँ के द्वारा उन्होंने नानी के विषय में बहुत कुछ सुन रखा था। बेशक उनकी नानी शिक्षित स्त्री नहीं थीं, न ही कभी पर्दा व घर से बाहर ही गई थीं। परन्तु वे एक स्वतंत्र व्यक्तित्व की स्वामिनी थीं। उनके मन में आज़ादी की लड़ाई करने वालों के लिए विशेष आदर था।

लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थी 4 points Add File?

उत्तर: लेखिका की नानी अनपढ़ महिला थीं और परदा करती थीं। वह किसी की भी जिन्दगी में हस्तक्षेप नहीं करती थीं। वे समाजवादी और सशक्त व्यक्तित्व की महिला थीं। देश की आजादी के लिए उनके मन में प्रबल जुनून था।

लेखिका की मां का सभी आदर सम्मान क्यों करते थे?

वे अपनी बहुओं व बेटियों पर ताना या उलाहना नहीं देती थीं। उनका घर परिवार की दृष्टि से काफी बड़ा था। उनकी एक परदादी भी थीं। उनके घर में सबको समान अधिकार प्राप्त था।

लेखिका के भाई का नाम क्या था?

लेखिका मृदुला गर्ग के भाई का नाम 'राजीव' था​। लेखिका कुल पांच बहन और एक भाई थे। लेखिका का भाई राजीव पांच बहनों में सबसे छोटा थालेखिका 'मृदुला गर्ग' पाँच बहनों में दूसरे नंबर की थी।