माँ ने केशव को क्या समझाया? - maan ne keshav ko kya samajhaaya?

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Question 1:

केशव और श्यामा के मन में अंडों को देखकर तरह-तरह के सवाल क्यों उठते थे?

Answer:

केशव और श्यामा छोटे बच्चे थे; इसलिए अंडों को देखकर उनके मन में अनेक प्रश्न उठते थे, वे अंडों के बारे में जानना चाहते थे और उनका अनुमान लगाते थे।

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Question 2:

अंडों के बारे में दोनों आपस ही में सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली क्यों दे दिया करते थे?

Answer:

केशव और श्यामा की माता जी घर के कामों में बहुत व्यस्त रहती थीं और उनके पिता के पास पढ़ाई-लिखाई का कार्य हुआ करता थाउन दोनों के सवालों का जवाब देने के लिए कोई नहीं रहा था इसलिए वे स्वयं ही एक दूसरे के सवालों का जवाब देकर तसल्ली दे दिया करते थे।

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Question 3:

अंडों के टूट जाने के बाद माँ के यह पूछने पर कि-'तुम लोगों ने अंडों को छुआ होगा।' के जवाब में श्यामा ने क्या कहा और उसने ऐसा क्यों किया?

Answer:

श्यामा ने अपनी माँ को सच बता दिया कि भईया ने अंडों को छुआ था। उसने डर के मारे माँ को सब कुछ सच-सच बता दिया।

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Question 4:

पाठ के आधार पर बताओ कि अंडे गंदे क्यों हुए और उन अंडों का क्या हुआ?

Answer:

केशव और श्यामा ने चिड़िया के अंडों की रक्षा करने के लिए उनके नीचे चिथड़े लगा दिए थे। परन्तु कहा जाता है कि यदि चिड़िया के अंडों को छू लिया जाए तो वो अंडे गंदे हो जाते हैं। जिसे चिड़िया दुबारा सेती नहीं है। उनकी इसी नादानी के परिणामस्वरूप चिड़िया ने उन अंडों को घोंसले से गिरा दिया अब वो अंडे बेकार हो चुके थे, उनकी नादानी की वजह से अंडे बर्बाद हो गए।

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Question 5:

सही उत्तर क्या है?

अंडों की देखभाल के लिए केशव और श्यामा धीरे से बाहर निकले क्योंकि-

() वे माँ की नींद नहीं तोड़ना चाहते थे।

() माँ नहीं चाहती थीं कि वे चिड़ियों की देखभाल करें।

() माँ नहीं चाहती थीं कि वे बाहर धूप में घूमें।

Answer:

अंडों की देखभाल के लिए केशव और श्यामा धीरे से बाहर निकले क्योंकि-

() माँ नहीं चाहती थीं कि वे बाहर धूप में घूमें।

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Question 6:

केशव और श्यामा ने चिड़िया और अंडों की देखभाल के लिए किन तीन बातों का ध्यान रखा?

Answer:

केशव और श्यामा ने चिड़िया और अंडों की देखभाल के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा:-

  1. सर्वप्रथम उन्होंने उनके आराम का ध्यान रखा। इसके लिए कपड़े का चिथड़ा बिछाया, जिससे उन्हें आरामदायक घोंसला दिया जा सके।

  2. उन्होंने अंडों के सिर पर एक टोकरी लगा दी जो उन्हें धूप से बचा सके।

  3. उन्होंने उनके दाना-पानी के लिए चावल के दाने प्याली का इंतजाम किया जिससे माता-पिता(चिड़ा और चिड़िया) को घोंसला छोड़कर बार-बार अपने बच्चों से दूर बाहर जाना पड़े।

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Question 7:

कार्निस पर अंडों को देखकर केशव और श्यामा के मन में जो कल्पनाएँ आईऔर उन्होंने चोरी-चुपके जो कुछ कार्य किए, क्या वे उचित थे? तर्क सहित उत्तर लिखो।

Answer:

बच्चों ने अंडों की रक्षा करने के लिए जो कार्य किए वे नादानी में हुए। क्योंकि वे अपने बालपन के कारण उन जानकारियों से अनजान थे। उन्हें इस बात का ज्ञान नहीं था कि चिड़िया छुए अंडों को दुबारा नहीं सेती। यदि उन्हें इस बात का ज्ञान होता तो वो इस तरह की गलती कभी नहीं करते। क्योंकि जब उन्होंने अंडों को ज़मीन पर टूटा हुआ देखा तो माँ के बताने पर कि अंडे छूने से खराब हो जाते हैं, उन्हें अपने किए पर बहुत पछतावा हुआहम उन्हें गलत नहीं ठहरा सकते। इसलिए तो लेखक ने इसका नाम नादान दोस्त रखा है जो इस तथ्य को साबित करता है।

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Question 8:

पाठ से मालूम करो कि माँ को हँसी क्यों आई? तुम्हारी समझ से माँ को क्या करना चाहिए था?

Answer:

माँ की हँसी का कारण बच्चों की नादानी अज्ञानता थी। जब उन्होंने बच्चों से अंडों के टूटने का कारण पूछा तो बच्चों ने बड़ी मासूमयित से कहा कि उन्हें गद्दी देने के लिए अर्थात आरामदायक घोंसला देने के लिए उन्होंने उन्हें चिथड़ों के ऊपर रख दिया था, तो माँ का गुस्सा हँसी में बदल गया।

माँ को चाहिए था कि वो बच्चों की उस अज्ञानता को दूर करती जिसके कारणवश उनसे अंडो को छूने की गलती हुई थी; परन्तु वे उनकी अज्ञानता पर ही हँस पड़ी। बच्चें स्वयं ही पछता रहे थे। माँ को उन्हें समझाना चाहिए था यही सही था।

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Question 3:

माँ के सोते ही केशव और श्यामा दोपहर में बाहर क्यों निकल आए? माँ के पूछने पर भी दोनों में से किसी ने किवाड़ खोलकर दोपहर में बाहर निकलने का कारण क्यों नहीं बताया?

Answer:

माँ के सोते ही केशव और श्यामा अंडो की रक्षा के लिए टोकरी दाना-पानी रखने के लिए बाहर निकल आए। परन्तु जब उन दोनों को बिस्तर पर ना पाकर माँ बाहर गई तो दोनों चुप हो गए क्योंकि अगर माँ को पता चला कि वो क्या कर रहें हैं तो उनकी पिटाई हो जाएगी।

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Question 4:

प्रेमचंद ने इस कहानी का नाम'नादान दोस्त' रखा। तुम इसे क्या शीर्षक देना चाहोगे?

Answer:

मेरे अनुसार इस कहानी का नाम''नादान बचपन'' होना चाहिए क्योंकि ये कहानी उन बच्चों की है; जो अपने बल से एक ऐसी नादानी कर देते हैं। जिससे चिड़िया को अपने अंडो से हाथ धोना पड़ता क्योंकि यदि वे परिपक्व(समझदार) होते तो वे ऐसी नादानी नहीं करते।

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Question 1:

श्यामा माँ से बोली मैंने आपकी बातचीत सुन ली है। ऊपर दिए उदाहरण में मैंने का प्रयोग'श्यामा' के लिए और आपकी का प्रयोग'माँ' के लिए हो रहा है। जब सर्वनाम का प्रयोग कहने वाले, सुनने वाले या किसी तीसरे के लिए हो, तो उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। नीचे दिए गए वाक्यों में तीनों प्रकार के पुरुषवाचक सर्वनामों के नीचे रेखा खींचो-

एक दिन दीपू और नीलू यमुना तट पर बैठे शाम की ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक लंबा आदमी लड़खड़ाता हुआ उनकी ओर चला रहा है। पास आकर उसने बड़े दयनीय स्वर में कहा,''मैं भूख से मरा जा रहा हूँ। क्या आप मुझे कुछ खाने को दे सकते हैं?''

Answer:

एक दिन दीपू और नीलू यमुना तट पर बैठे शाम की ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे। तभी उन्होंनेदेखा कि एक लंबा आदमी लड़खड़ाता हुआउनकी ओर चला रहा है। पास आकर उसनेबड़े दयनीय स्वर में कहा,''मैंभूख से मरा जा रहा हूँ। क्याआप मुझेकुछ खाने को दे सकते हैं?''

उत्तम पुरूषवाचक सर्वनाम मैं, मुझे

मध्यम पुरूषवाचक सर्वनाम आप

अन्य पुरूषवाचक सर्वनामउन्होंने, उनकी, उसने

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Question 2:

तगड़े बच्चे

मसालेदार सब्जी

बड़ा अंडा

 

इसमें रेखांकित शब्द क्रमशः बच्चे, सब्जी और अंडा की विशेषता यानी गुण बता रहे हैं इसलिए ऐसे विशेषणों को गुणवाचक विशेषण कहते हैं। इसमें व्यक्ति या वस्तु के अच्छे-बुरे हर तरह के गुण आते हैं। तुम चार गुणवाचक विशेषण लिखो और उनसे वाक्य बनाओ।

Answer:

गुण वाचक विशेषण :-

(i)

काला आदमी

वह काला आदमी काफी भयानक लगता है।

(ii)

सुन्दर लड़की

वह सुन्दर लड़की खिड़की पर खड़ी थी।

(iii)

छोटा बच्चा

छोटे बच्चे नटखट होते हैं।

(iv)

जंगली बिल्ली

जंगली बिल्ली बहुत खतरनाक होती है।

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Question 3:

नीचे कुछ प्रश्नवाचक वाक्य दिए गए हैं, उन्हें बिना प्रश्नवाचक वाक्य के रूप में बदलो-

अंडे कितने बड़े होंगे? किस रंग के होंगे? कितने होगें? क्या खाते होंगे? उनमें से बच्चे किस तरह निकल आएँगे? बच्चों के पर कैसे निकलेंगे? घोंसला कैसा है?

Answer:

(i) अंडे बड़े होंगे।

(ii) उनका रंग बताओ।

(iii) अंडो की संख्या बताओ।

(iv) उनका खाना बताओ।

(v) उनमें से बच्चे निकलेंगे।

(vi) बच्चों के पर निकलेंगे।

(vii) घोंसले के विषय में बताओ।

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Question 4:

() केशव ने झुँझलाकर कहा...

() केशव रोनी सूरत बनाकर बोला...

() केशव घबराकर उठा...

() केशव ने टोकरी को एक टहनी से टिकाकर कहा...

() श्यामा ने गिड़गिड़ाकर कहा...

ऊपर लिखे वाक्यों में रेखांकित शब्दों को ध्यान से देखो। ये शब्द रीतिवाचक क्रियाविशेषण का काम कर रहे हैं क्योंकि ये बताते हैं कि कहने, बोलने और उठने की क्रिया कैसे हुई।'कर' वाले शब्दों के क्रियाविशेषण होने की एक पहचान यह भी है कि ये अकसर क्रिया से ठीक पहले आते हैं। अब तुम भी इन पाँच क्रियाविशेषणों का वाक्यों में प्रयोग करो।

Answer:

()

झुँझलाकर -

मोहन ने गुस्से में खाना झुँझलाकर फेंक दिया।

()

बनाकर -

राघव ने रीना को मोतियों की माला बनाकर दी।

()

घबराकर -

सुमन ने माँ से घबराकर झूठ बोल दिया।

()

टिकाकर -

सुमित ने डंडे को एक दीवार से टिकाकर रख दिया।

()

गिड़ागिड़ाकर-

कल मंदिर के बाहर एक भिखारी गिड़गिड़ाकर भीख माँग रहा था।

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Question 5:

नीचे प्रेमचंद की कहानी'सत्याग्रह' का एक अंश दिया गया है। तुम इसे पढ़ोगे तो पाओगे कि विराम चिह्नों के बिना यह अंश अधूरा-सा है। तुम आवश्यकता के अनुसार उचित जगहों पर विराम चिह्न लगाओ-

उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखाई दिया11 बज चुके थे चारों तरफ़ सन्नाटा छा गया था पंडित जी ने बुलाया खोमचेवाले खोमचेवाला कहिए क्या दूँ भूख लग आई अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है हमारा आपका नहीं। मोटेराम! अबे क्या कहता है यहाँ क्या किसी साधु से कम हैं? चाहें तो महीने पड़े रहें और भूख लगे तुझे तो केवल इसलिए बुलाया है कि ज़रा अपनी कुप्पी मुझे दे देखूँ तो वहा क्या रेंग रहा है मुझे भय होता है

Answer:

उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखाई दिया।11 बज चुके थे, चारों तरफ़ सन्नाटा छा गया था। पंडित ने बुलाया- खोमचेवाले! खोमचेवाला- कहिए क्या दूँ? भूख लग आई न। अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है; हमारा आपका नहीं। मोटेराम! अबे क्या कहता है? यहाँ क्या किसी साधु से कम हैं। चाहें तो महीने पड़े रहे और भूख लगे। तुझे केवल इसलिए बुलाया है कि जऱा अपनी कुप्पी मुझे दे। देखूँ तो वहाँ क्या रेंग रहा है? मुझे भय होता है।

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मां ने केशव को क्या समझाया?

13. माँ ने केशव को क्या समझाया? उत्तर: माँ ने केशव को समझाया कि यदि चिड़िया के अंडे कोई अन्य व्यक्ति या जानवर छू ले तो वह उसको सेती नहीं हैं।

माँ ने केशव की नादानी पर क्या कहा?

केशव रोनी सूरत बनाकर बोला- मैंने तो सिर्फ़ अंडों को गद्दी पर रख दिया था अम्माँ जी ! माँ को हँसी आ गई। मगर केशव को कई दिनों तक अपनी गलती पर अफ़सोस होता रहा। अंडों की हिफ़ाज़त करने के जोग में उसने उनका सत्यानाश कर डाला।

केशव और श्यामा की माँ ने क्या किया?

केशव और श्यामा की माता जी घर के कामों में बहुत व्यस्त रहती थीं और उनके पिता के पास पढ़ाई-लिखाई का कार्य हुआ करता था। उन दोनों के सवालों का जवाब देने के लिए कोई नहीं रहा था इसलिए वे स्वयं ही एक दूसरे के सवालों का जवाब देकर तसल्ली दे दिया करते थे।

केशव की मां का क्या नाम था?

इनकी माता का नाम रेवतीबाई था। माता-पिता ने पुत्र का नाम केशव रखा। केशव का बड़े लाड़-प्यार से लालन-पालन होता रहा। उनके दो बड़े भाई भी थे, जिनका नाम महादेव और सीताराम था