महिलाओं के साइकिल चलाने के बारे में लेखक की क्या सोच थी? - mahilaon ke saikil chalaane ke baare mein lekhak kee kya soch thee?

निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
साइकिल प्रशिक्षण से महिलाओं के अंदर आत्मसम्मान की भावना पैदा हुई है यह बहुत महत्वपूर्ण है। फातिमा का कहना है-”बेशक, यह मामला केवल आर्थिक नहीं है।” फातिमा ने यह बात इस तरह कही जिससे मुझे लगा कि मैं कितनी मूर्खतापूर्ण ढंग से सोच रहा था। उसने आगे कहा-”साइकिल चलाने से मेरी कौन सी कमाई होती है। मैं तो पैसे ही गँवाती हूँ। मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि मैं साइकिल खरीद सकूँ। लेकिन हर शाम मैं किराए पर साइकिल लेती हूँ ताकि मैं आज़ादी और खुशहाली का अनुभव कर सकूँ।” पुडुकोट्टई पहुँचने से पहले मैंने इस विनम्र सवारी के बारे में कभी इस तरह सोचा ही नहीं था। मैंने कभी साइकिल को आज़ादी का प्रतीक नहीं समझता था। 
महिलाओं के साइकिल चलाने के बारे मैं लेखक की क्या सोच थी?

  • आर्थिक दृष्टि से सुदृढ़ व आत्मनिर्भर होना।
  • पुरुषों से अलग रहने में भी संकोच न करना।
  • प्रभुत्व जमाना
  • प्रभुत्व जमाना


A.

आर्थिक दृष्टि से सुदृढ़ व आत्मनिर्भर होना।

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'... उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते हैं ...'
आपके विचार से लेखक ‘जंजीरों’ द्वारा किन समस्याओं की ओर इशारा कर रहा है?


तमिलनाडु के जिला पुड़ुकोट्टई में महिलाओं में अधिक जागृति न थी। वे रूढ़िवादिता. पिछड़ेपन व बधनों से परिपूर्ण जीवन बिता रही थीं। इन्हीं बंधनों को लेखक न जंजीरें माना है।

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शुरूआत में पुरुषों ने इस आदोलन का विरोध किया परंतु आर साइकिल के मालिक ने इसका समर्थन किया, क्यों?


जब स्त्रियों ने बड़ी संख्या में साइकिल चलाना सीखना शुरू किया तो पुरुषों ने इसका विरोध किया क्यौंकि उन्हें डर था कि इससे नारी समाज में जागृति आ जाएगी। उन पर कई प्रकार के व्यंग्य भी किए जाते। लेकिन महिलाओं ने इनकी परवाह न करके साइकिल चलाना जारी रखा। धीरे-धीरे महिलाओं द्वारा साइकिल चलाने को सामाजिक स्वीकृति प्राप्त हो ही गई।

एक साइकिल विक्रेता ‘आर साइकिल्स’ के मालिक ने इसका समर्थन किया क्योंकि उसकी दुकान पर लेडिज साइकिल की बिक्री में 350 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। यहाँ तक कि जिन महिलाओं को लेडिज साइकिल नहीं मिल पाई थीं उन्होंने जेंटस साइकिलें ही खरीद लीं। दुकानदार द्वारा यह वक्तव्य बताना इस बात को प्रदर्शित करता है कि महिला साइकिल चालकों की संख्या दिन-प्रति-दिन बढ़ती ही जा रही है।

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‘साइकिल आंदोलन’ से पुड़ुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में कौन-कौन से बदलाव आए हैं?


साइकिल आंदोलन से पुडुकोट्टई की महिलाओं में निम्न बदलाव आए-
1. स्त्रियों में आत्मसम्मान की भावना जागृत हुई।
2. वे रूढ़िवादिता व पुरुषों द्वारा थोपे गए रोजमर्रा के घिसे-पिटे दायरे से बाहर निकल सकीं।
3. इससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने का मौका मिला अब उन्हें कहीं भी जाने हेतु किसी का मुँह नहीं ताकना पड़ता।
4. इससे महिलाओं की आय में वृद्धि हुई वे अगल-बगल के गाँवों में भी उत्पाद बेचने जा सकती हैं।
5. अब महिलाओं के समय की भी बचत हो जाती थी जिससे वे सामान बेचने पर ध्यान केंद्रित कर पाती हैं।
6. उन्हें आराम करने का भी समय मिल जाता है।
7. साइकिल से घरेलू कार्यो को भी सुचारू रूप से करने में महिलाएँ सक्षम हो गई हैं जैसे घरेलू सामान लाना। बच्चों की देखभाल व पानी भरना आदि।
8. सबसे बड़ी बात वे साइकिल को अपनी ‘आजादी का प्रतीक’ मानती हैं।

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इस पाठ के अंत में दी गयी ‘पिता के बाद’ कविता पढ़िए। क्या कविता में और फातिमा की बात में कोई संबंध हो सकता है? अपने विचार लिखिए।


पाठ के आधार पर फातिमा के यही विचार हैं कि साइकिल चलाना महिलाओं के आत्मसम्मान व आर्थिक संपन्नता को तो बढ़ावा देता ही है साथ ही साथ आजादी और खुशहाली का अनुभव भी करवाता है। जबकि इस कविता में इस बात को दर्शाया गया है कि दुख हो या सुख लड़कियाँ हर हाल में खुश रहती हैं। पिता के कंधों का भार अपने कंधों पर उठाने की हिम्मत रखती हैं। पिता की मृत्यु के पश्चात् माँ को संभालने की शक्ति भी उनमें होती है। वे अपने पूर्वजों का नाम ऊँचा उठाती हैं। उदास राहों पर भी खुशियाँ ढ़ुँढने की क्षमता रखती हैं। धूप, बारिश व हर मौसम अर्थात् हर परिस्थिति में खुश रहती हैं।

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उपसर्गों और प्रत्ययों के बारे में आप जान चुके हैं। इस पाठ में आए उपसर्गयुक्त शब्दों को छाँटिए। उनके मूल शब्द भी लिखिए। आपकी सहायता के लिए इस पाठ में प्रयुक्त कुछ ‘उपसर्ग’ और ‘प्रत्यय’ इस प्रकार हैं-अभि, प्र, परि, वि (उपसर्ग), इक वाला, ता, ना।


उपसर्ग
(1) शब्द - उपसर्ग मूलशब्द
अभिव्यक्त - अभि व्यक्त
प्रशिक्षण - प्र शिक्षण
प्रदर्शन - प्र दर्शन
अनुभव - अनु भव
परिवहन - परि वहन
विनम्र - वि नम्र
बेशक - बे शक

प्रत्यय 
(2) शब्द      प्रत्यय  मूलशब्द
सामाजिक      इक    समाज
गतिशीलता    ता     गतिशील
समझना       ना     समझ

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NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 13 जहाँ पहिया है are provided here with simple step-by-step explanations. These solutions for जहाँ पहिया है are extremely popular among Class 8 students for Hindi जहाँ पहिया है Solutions come handy for quickly completing your homework and preparing for exams. All questions and answers from the NCERT Book of Class 8 Hindi Chapter 13 are provided here for you for free. You will also love the ad-free experience on Meritnation’s NCERT Solutions. All NCERT Solutions for class Class 8 Hindi are prepared by experts and are 100% accurate.

Page No 79:

Question 1:

''...उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई--कोई तरीका लोग निकाल ही लेते हैं...''

आपके विचार से लेखक'जंजीरों' द्वारा किन समस्याओं की ओर इशारा कर रहा है?

Answer:

हमारे समाज में अनेकों ऐसी समस्याए हैं जैसे-

(i) पुरानी रूढ़ीवादी विचारधारा एक सबसे बड़ी समस्या है। हमारा समाज पुरुष प्रधान है।

(ii) निरक्षरता जो दूसरी सबसे बड़ी समस्या है जिसके कारण वे कोई स्वतंत्र निर्णय नहीं ले सकती हैं।

(iii) महिलाओं के प्रति भेदभाव आदि समस्याए हैं जिनके प्रति लेखक जनता को जागृत करना चाहता है। महिलाओं को कमज़ोर समझा जाता है।

Page No 80:

Question 2:

क्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।

Answer:

लेखक के इस कथन से हम सहमत हैं। समाज द्वारा बनाई गई रूढ़ियाँ अपनी सीमाओं को लाँघने लगे तो समाज में इसके विरूद्ध एक क्रांति अवश्य जन्म लेती है। जो इन रूढ़ियों के बंधनों को तोड़ डालती है। समय के साथ-साथ विचारधाराओं में भी परिवर्तन होता रहता है और ये परिवर्तन आवश्यक भी है। अन्यथा हम कभी प्रगति नहीं कर पाएँगे और हम और हमारा समाज दिशाहीन हो जाएगा। जब ये परिवर्तन होने प्रारम्भ होते हैं तो समाज में एक जबरदस्त बदलाव आता है जो उसकी सोचने-समझने की धारा को ही बदल देता है और यही बदलाव एक नए समाज को जन्म देता है। जब भी पुरानी विचारधारा में बदलाव हुआ है समाज के लिए यह असहनीय रहा है परन्तु धीरे-धीरे नया बदलाव स्वीकार कर लिया जाता है और समाज पुरानी जंजीरों को तोड़कर एक नए रूप में विद्यमान हो जाता है। जैसे तमिलनाडु के पुडुकोट्टई गाँव में हुआ है महिलाओं ने अपनी स्वाधीनता आज़ादी के लिए साइकिल चलाना आरम्भ किया और समाज में एक नई मिसाल रखी।

Page No 80:

Question 1:

'साइकिल आंदोलन' से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में कौन-कौन से बदलाव आए हैं?

Answer:

(i) 'साइकिल आंदोलन' से महिलाएँ अपनी स्वाधीनता आज़ादी के प्रति जागृत हुई हैं।

(ii) 'साइकिल आंदोलन' ने उन्हें नवसाक्षर किया है, आर्थिक स्थिति सुधरी है।

(iii) 'साइकिल आंदोलन' ने उन्हें अधिकारों के प्रति जागृत किया है।

(iv) 'साइकिल आंदोलन' ने उन्हें समाज में स्वयं के लिए बराबरी का दर्जा देने के लिए प्रेरित किया है, समय और श्रम की बचत हुई है।

(v) 'साइकिल आंदोलन' ने उन्हें आत्मनिर्भर स्वयं के लिए आत्मसम्मान की भावना पैदा की है, पुरुष वर्ग पर निर्भरता में कमी आई।

Page No 80:

Question 2:

शुरूआत में पुरुषों ने इस आंदोलन का विरोध किया परंतु आर. साइकिल्स के मालिक ने इसका समर्थन किया, क्यों?

Answer:

इसका प्रमुख कारण था उनका स्वार्थ वे इस गाँव के एकमात्र लेड़ीज साइकिल डीलर थे तो महिलाओं की इस जागृति में उनका साथ देना लाज़मी होता है। महिलाओं ने जब आज़ादी का सम्मान करते हुए साइकिल आंदोलन को अपना हथियार बनाया तो, आर. साइकिल्स के मालिक की आय में वृद्धि होना स्वभाविक था आज उनकी सालाना आय दुगुनी से तिगुनी हो चुकी है, तो वो इसका समर्थन अवश्य करेंगे।

Page No 80:

Question 3:

प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन सी बाधा आई?

Answer:

फातिमा ने जब इस आंदोलन की शुरूआत की तो उसको बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वो इस प्रकार है -

(i) सर्वप्रथम, फातिमा मुस्लिम परिवार से थी। जो बहुत ही रूढ़िवादी थे। उन्होंने उसके उत्साह को तोड़ने का प्रयास किया।

(ii) फातिमा के साइकिल चलाने पर उसे फ़ब्तियाँ(गंदी टिप्पणियाँ) सुननी पड़ी।

(iii) उनके पास साइकिल शिक्षक का अभाव था जिसके लिए उन्होंने स्वयं कमर कस ली और स्वयं साइकिल सिखाना आरम्भ किया।

Page No 80:

Question 1:

आपके विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम'जहाँ पहिया है' क्यों रखा होगा?

Answer:

''जहाँ पहिया है'' लेखक ने तमिलनाडु के पुडुकोट्टई गाँव के'साइकिल आंदोलन' के कारण ही इसका नाम रखा है। यह नाम इस आंदोलन को अपना समर्थन देने हेतु ही रखा गया है। वहाँ की महिलाओं द्वारा अपने अधिकारों स्वतंत्रता हेतु साइकिल आंदोलन का आरम्भ, पुडुकोट्ठई की औरतों को जागृत करने का प्रयास था वह बहुत उत्तम था बेशक साइकिल चलाना कोई बड़ी बात नहीं है पर एक रूढ़िवादी पृष्ठभूमि वाले गाँव के लिए तो, यह एक बहुत बड़ा प्रश्न था। क्या महिलाओं को साइकिल चलाना चाहिए? उनके विरूद्ध खड़े होकर'साइकिल' को अपनी जागृति के लिए चुनना बहुत बड़ा कदम था इसलिए यह नाम औरतों के इस साइकिल नवजागरण के प्रति रखा गया होगा।

Page No 80:

Question 2:

अपने मन से इस पाठ का कोई दूसरा शीर्षक सुझाइए। अपने दिए हुए शीर्षक के पक्ष में तर्क दीजिए।

Answer:

''औरतें विकास पथ की ओर'' इसका नाम रखा जा सकता था क्योंकि यहाँ औरतों ने अपने अधिकारों के प्रति जागृत होकर साइकिल को अपना हथियार चुना था। इसका मुख्य केंद्र तो स्वयं'औरतें' ही हैं। यदि वह साइकिल को चुनकर अन्य किसी और चीज़ को चुनती तो कहानी का शीर्षक बदल जाता परन्तु उस कारण को चुनने वाली औरतें हैं। अपने अधिकारों, आज़ादी गतिशीलता के लिए आवाजउठाने वाली औरतें हैं। उन्होंने स्वयं के विकास के लिए ये प्रयत्न किया, यानि वह जागरूक हो रही हैं, विकास पथ पर अग्रसर हो रही हैं। अगर आज वो साइकिल चलाना सीख कर अपने अधिकारों के लिय आवाज़ उठा रही हैतो कुछ और करना उनके लिए असाध्य नहीं है। इसलिए इसका शीर्षक''औरतें विकास पथ की ओर'' होना ज़्यादा उपयुक्त है।

Page No 80:

Question 1:

फातिमा ने कहा,''...मैं किराए पर साइकिल लेती हूँ ताकि मैं आज़ादी और खुशहाली का अनुभव कर सकूँ।'' साइकिल चलाने से फातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाओं को'आज़ादी' का अनुभव क्यों होता होगा?

Answer:

इसका सबसे बड़ा कारण फातिमा के गाँव की पुरानी रूढ़िवादी परम्पराएँ हैं जहाँ औरतों का साइकिल चलाना उचित नहीं माना जाता था। उनके विरोध में खड़े होकर अपने को पुरुषों की बराबरी का दर्जा देकर स्वयं को आत्मनिर्भर बनाकर फातिमा ने जो कदम उठाया उससे उसने स्वयं को, अपने जैसी अन्य महिलाओं को सम्मान दिया है। उससे आज़ादी का अनुभव करना लाज़मी है। वे कहीं आने-जाने के लिए किसी पर निर्भर नहीं रही।

Page No 81:

Question 1:

उपसर्गों और प्रत्ययों के बारे में आप जान चुके हैं। इस पाठ में आए उपसर्गयुक्त शब्दों को छाँटिए। उनके मूल शब्द भी लिखिए। आपकी सहायता के लिए इस पाठ में प्रयुक्त कुछ'उपसर्ग' और'प्रत्यय' इस प्रकार हैं-अभि, प्र, अनु, परि, वि(उपसर्ग), इक, वाला, ता, ना।

Answer:

उपसर्ग

अभि - अभिमान

प्र - प्रयत्न

अनु  - अनुसरण

परि - परिपक्व

वि  - विशेष

प्रत्यय

इक - धार्मिक(धर्म+ इक)

वाला - किस्मतवाला(किस्मत+ वाला)

ता- सजीवता(सजीव+ ता)

ना- चढ़ना(चढ़+ ना)

नव- नव + साक्षर (नवसाक्षर)

गतिशील- गतिशील + ता (गतिशीलता)

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साइकिल चलाने के बारे में लेखक की महिलाओं के बारे में क्या सोच थी?

लेखक कहता है कि साइकिल आंदोलन की शुरुआत करने वाली महिलाओं में से एक आगे चलने वाली महिला का कहना है कि इस आंदोलन की महत्वपूर्ण बात यह है की इसने महिलाओं को बहुत आत्मविश्वास प्रदान किया है। उनका यह स्वयं का मनाना है कि इस साइकिल आंदोलन ने महिलाओं की पुरुषों पर उनकी निर्भरता कम कर दी है।

लोग महिलाओं पर क्यों हँसते थे?

लोग महिलाओं पर क्यों हँसते थे? साइकिल चलाने पर उनका मजाक उड़ाते थे। उनकी स्वच्छंदता की चाह पर उनके पास साइकिलें न होने पर

साइकिल चलाने से महिलाओं में कौन सी भावना उत्पन्न हुई?

साइकिल प्रशिक्षण से महिलाओं के अंदर आत्मसम्मान की भावना पैदा हुई है यह बहुत महत्वपूर्ण है।

महिलाओं ने साइकिल चलाना क्यों सीखा?

Solution : ग्रामीण महिलाओं ने अपनी स्वाधीनता और गतिशीलता की अभिव्यक्ति के रूप में साइकिल चलाने को चुना जिससे वे अपनी जिन्दगी के परम्परागत ढर्रे को बदल सकीं।