रजब का महीना कब आता है? - rajab ka maheena kab aata hai?

🌾रजब की बहारे🌾
♻Part~01

☝🏽रजब का एहतिराम और इसका इनआम✔

👉🏽हज़रते ईसा रूहल्लाह के दौर का वाक़ीआ है कि एक शख्स मुद्दत से किसी औरत पर आशिक़ था। एक बार उस ने अपनी माशुका पर क़ाबू पा लिया।

👉🏽लोगो की हल चल से उस ने अंदाज़ा लगाया की लोग चाँद देख रहे है, उसने उस औरत से पूछा : लोग किस माह का चाँद देख रहे है ?
👉🏽उस ने कहा : रजब का। वो शख्स हालांकि गैर मुस्लिम था मगर रजब शरीफ का नाम सुनते ही ताज़िमन फौरन अलग हो गया और गुनाह के काम से बाज़ रहा।

👉🏽हज़रते ईसा रूहल्लाह को हुक्म हुवा की हमारे फुला बन्दे की मुलाक़ात को जाओ। आप तशरीफ़ ले गए और अल्लाह का हुक्म और अपनी तशरीफ़ आवरी का सबब इरशाद फरमाया।
👆🏽ये सुनते ही उसका दिल नूरे इस्लाम से जग मगा उठा और उसने फौरन इस्लाम क़बूल कर लिया।

💐मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो देखा आपने रजब की बहारे ! रजबुल मुरज्जब की ताज़ीम करके जब एक गैर मुस्लिम को ईमान की दौलत नसीब हो गई तो ज़रा सोचिये की जो मुसलमान हो कर इस माह की ताज़ीम करते हुवे इस में गुनाह न करे, झूट, गीबत, चुगली, फरेब, वादा खिलाफी वग़ैरा गुनाहो से हत्तल इमकान बचने की कोशिश करे

👉🏽नीज़ पूरा महीना इबादत व रियाज़त में गुज़ारे, नमाज़ों की पाबंदी करे, इशराक़ व चाश्त के नवाफ़िल पढ़े, नमाज़े तहज्जुद अदा करे, इस माह के नफ्लि रोज़े भी रखे, शब् में क़याम व तिलावते कुरआन भी करे तो ऐसा शख्स अल्लाह की तरफ से कैसे कैसे इनआम व इकरामात का मुस्तहिक़ होगा ?
👉🏽बहार हाल ! हमें चाहिये की जब भी ये बा बरकत महीना तशरीफ़ लाए तो इस में खूब खूब इबादत व रियाज़त करे, ताकि अल्लाह की रहमतो और बरकतों से माला माल हो।

🖊हवाला
📚रजब की बहारे, सफा 2-3

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🌾रजब की बहारे🌾
♻Part~02

👉🏽मकाशफतुल कुलूब में है कि रजब दर असल तरजिब से मुश्तक़ (यानि निकला) है, इसके माना है : ताज़ीम करना।
👉🏽इसको अल असब (यानि सब से तेज़ बहाव) भी कहते है, इस लिये इस माहे मुबारक में तौबा करने वालो पर रहमत वालो पर रहमत का बहाव तेज़ हो जाता है और इबादत करने वालो पर क़बूलिय्यत के अन्वार का फैजान होता है।
👉🏽इस अल असम्म (यानि खूब बहरा) भी कहते है क्यू की इसमें जंगो बदल की आवाज़ बिलकुल सुनाई नहीं देती और इसे रजब भी कहा जाता है कि जन्नत की एक नहर का नाम "रजब" है जिस का पानी दूध से ज्यादा सफेद, शहद से ज्यादा मीठा और बर्फ से ज्यादा ठंडा है, इस नहर से वोही शख्स पानी पियेगा जो रजब के महीने में रोज़े रखेगा।

👉🏽गुन्यतूत्तालिबिन में है कि इस माह को "शहरे रजम" भी कहते है क्यू की इस में शैतानो को रजम यानी संग सार किया जाता है ताकि वो मुसलमानो को इज़ा न दे।
इस माह को असम्मा (खूब बहरा) भी कहते है क्यू की इस माह में किसी क़ौम पर अल्लाह तआला के अज़ाब के नाज़िल होने के बारे में नहीं सुना गया,
☝🏽अल्लाह عزوجل ने गुज़श्ता उम्मतों को हर महीने में अज़ाब दिया और इस माह में किसी क़ौम को अज़ाब न दिया।

🖊हवाला
📚रजब की बहारे, सफा 3
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💐मुज़े अपनी और सारी दुनिया के लोगो की इस्लाह की कोशिश करनी है. إن شاء الله  عزوجل
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🌾रजब की बहारे🌾
♻Part~03

✔हुरमत वाले 4 महीने✔
♻Part~01

👉🏽रजबुल मुरज्जब भी उन चार महीनो में से एक है, जिन की हुरमत व अज़मत का जिक्र क़ुरआने पाक में किया गया है। जैसा की सुरतुतौबा की आयत 36 में इन महीनो की हुरमत के मुतअल्लिक़ इरशाद होता है :
☝🏽बेशक महीनो की गिनती अल्लाह के नज़्दीक बारह महीने है अल्लाह की किताब में जब से उस ने आसमान व ज़मीन बनाए, उन में से चार हुरमत वाले है ये सीधा दीन है।

👉🏽मुफ़्ती अहमद यार खान अलैरहमा इस आयते करीमा के तहत इरशाद फरमाते है :
👉🏽(हुरमत वाले महीने चार है) तिन तो मिले हुवे यानि ज़ुल क़ादा, ज़ुल हिज्जा, मुहर्रम और एक अलाहिदा यानी रजब। ये चारो महीने इस्लाम से पहले ही मोहतरम माने जाते थे, इन का एहतिराम अब भी बाक़ी है कि इनमे इबादत की जावे, गुनाहो से बचा जावे।

👉🏽इससे मालुम हुआ की जब तमाम महीने, तमाम दिन, तमाम जमाअते, दर्जे में बराबर नहीं तो इंसान आपस में बराबर कैसे हो सकते है ?
📒नुरुल इरफ़ान, पारह 10

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🖊हवाला
📚रजब की बहारे, सफा 4
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🌾रजब की बहरे🌾
♻Part~05

⁉गुनाहो पर गुनाह...आखिर क्यू⁉

👉🏽जरा सोचिये ! ऐसा क्यू है ? हम गुनाहो के दल दल में ग़र्क़ होते चले जा रहे है, लेकिन हमारे कान पे जूं तक नहीं रेंगती ? हम दिन रात गुनाहो में धुत रहते है, लेकिन हमे घबराहट तक नहीं होती।
👉🏽आखिर ऐसा क्यू है ? कही ऐसा तो नहीं है कि गुनाह करते करते हम गुनाहो के इतने आदि हो गए है कि हमें गुनाह करने का एहसास तक नहीं रहा। याद रखिये ! बाज़ सालिहिन ने फ़रमाया है :
👉🏽बेशक गुनाह करने से दिल सियाह हो जाता है और दिल की सियाही की अलामत ये होती है कि गुनाहो से घबराहट नहीं होती, इबादत के लिये मौक़ा नहीं मिलता, नसीहत से कोई फायदा नहीं होता (यानि नसीहत व बयान सुन कर दिल पर असर नहीं होता)
🌴रसूले अकरम ﷺ का फरमान है :
जब कोई बन्दा गुनाह कर लेता है, तो उस के क़ल्ब पर एक सियाह नुक़्ता लग जाता है, लेकिन जब वो अल्लाह तआला से मग्फिरत तलब करता है और तौबा कर लेता है तो उस का क़ल्ब साफ़ कर दिया जाता है और अगर वो तौबा के बजाए दो बारां गुनाह कर ले तो ये सियाही मजीद बढ़ जाती है, यहाँ तक कि उस का दिल सियाह हो जाता है।

🖊हवाला
📚रजब की बहारे, सफा 6
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🌾रजब की बहारे🌾
♻Part~06

☝🏽रजब अल्लाह का महीना है☝🏽

🌱हज़रते अनस رضي الله تعالي عنه से मरवी है की हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया :
☝🏽अल्लाह के पसंदीदा महीनो में रजब का महीना है, ये अल्लाह का महीना है। जिसने अल्लाह के महीने रजबुल मुरज्जब की ताज़ीम की , उसने अल्लाह के हुक्म की ताज़ीम की।
👉🏽और जिसने खुदा के हुक्म की ताज़ीम की अल्लाह उस को नेमतों वाले बागात में दाखिल करेगा और उस के लिये अपनी बड़ी रिज़ा वाजिब करेगा।
📘शोएबुल ईमान, 3/374 हदिष:3813
💐मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो ! यक़ीनन इस हदीशे पाक से माहे रजबुल मुरज्जब को जबरदस्त शानो अज़मत का पता चलता है और इस तरह कि यू तो तमाम ही महीने अल्लाह عزوجل के है और सब को उसी ने पैदा फरमाया है, लेकिन खुसुसिय्यत के साथ रजब के बारे में फ़रमाया गया कि रजबुल मुरज्जब अल्लाह عزوجل का महीना है।
👉🏽नीज़ हदीशे पाक में ये भी बयान किया गया है कि जिस ने इस महीने की ताज़ीम की, अल्लाह عزوجل उसे नेमतों वाले बागात अता फ़रमाएगा और उस से राज़ी हो जाएगा।
👉🏽यक़ीनन हम में से हर एक की ख्वाहिश है कि अल्लाह عزوجل हम से राज़ी रहे और हर कोई ये चाहता है कि वो अज़ाबे जहन्नम से नजात पा कर जन्नत में चला जाए।
तो इस ख्वाहिश की तकमील के अस्बाब में से एक सबब माहे रजब की ताज़ीम करना भी है। हमे चाहिये कि इस महीने की ताज़ीम करे, इस तरह कि इसे इबादत व रियाज़त में गुज़ारे और इस में अपने आप को गुनाहो से बचाए और नेकियों की खूब कसरत कर के इस महीने में इबादत के बिज बोन की कोशिश करे।
👉🏽मगर अफ़सोस ! लोगो की एक क़ासिर तादाद ईएसआई भी है जिसे इस माहे मुक़द्दस की अज़मत की कोई परवा नहीं होती। इस मुबारक महीने में इबादत व रियाज़त करना तो दर किनार, उन्हें तो ये भी मालुम नहीं होता कि ये माहे मुबारक कब आया और कब गया, उन्हें अंदाजा ही नहीं कि ये भी कोई क़ाबिले एहतिराम महीना है, यही वजह है की वो लोग अपनी ज़िन्दगी के दीगर अय्याम की तरह इस मुबारक महीने को भी गफलत और सुस्ती में गुज़ार देते है और शायद इस की एक अहम वजह ये भी है कि उमुमन लोगो का ऐसा अच्छा माहोल मयस्सर ही नहीं होता कि जहा गुनाहो से बचने के साथ नेकिया करने और इन मुबारक महीनो के इस्तिक़बाल और इन की ताज़ीम करने का जेहन दिया जाता है।

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🖊हवाला
📚रजब की बहारे, सफा 6-7
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🌾रजब की बहारे🌾
♻part~07

☝🏽अहादिसे मुबारका और रजब के फ़ज़ाइल
♻Part~01

💐मीठे और प्यारे इस्लिमी भाइयो !
🌴प्यारे आक़ा ﷺ ने एक बार साहबए किराम से इरशाद फ़रमाया :
👉🏽तुम पर लाज़िम है कि माहे रजब की रीते क़याम में गुज़रो और इस के दिन रोज़े की हालत में गुज़रो।  और जो शख्स इस महीने के किसी दिन में 50 रकअत नमाज़ पढ़े, इस तर कि हर रकअत में ब क़दर इस्तिताअत क़ुरआने पाक की तिलावत करे, तो अल्लाह عزوجل उस शख्स को उस के बालो और रुओ की तादाद के बराबर नेकिया आता फरमाएगा।
👉🏽एक बार प्यारे आक़ा ﷺ ने रजब के महीने में जुमुआ का ख़ुत्बा देते हुवे इरशाद फ़रमाया :
👉🏽ऐ लोगो ! बेशक तुम पर एक अज़ीम महीना साया फ़िगन है, इस महीने में नेकियों का अज्र दुगना दिया जाता है, इस में दुआए क़बूल होती है, इस में मुश्किलात हल होती है, और इस महीने में मोमिन की दुआ रद्द नही होती, पस जो शख्स इस महीने में कोई भलाई का काम करे तो उस को कई गुना अज्र दिया जाता है।

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📚रजब की बहरे, सफा 8
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🌾रजब की बहारे🌾
♻part~08

🌴नबिय्ये करीम ﷺ ने फ़रमाया :
👉🏽ऐ लोगो ! अल्लाह से तौबा करो और उस से बख्शीश चाहो बेशक में रोज़ाना 100 मर्तबा अल्लाह के हुज़ूर तौबा करता हु।

👉🏽हज़रत मुफ़्ती अहमद यार खान अलैरहमा फरमाते है :
👉🏽तौबा व इस्तिग़फ़ार भी नमाज़, रोज़े की तरह इबादत है. इस लिये हुज़ूरे अन्वर ﷺ ब कसरत तौबा व इसतिगफार किया करते थे. वरना हुज़ूरे अनवर ﷺ मासूम है, गुनाह आप के क़रीब भी नही आता,
🔹सूफिया फरमाते है की हम लोग गुनाह करके तौबा करते है और वो हज़रात इबादत करके तौबा करते है.

👉🏽इस्तिग़फ़ार करने के बे शुमार फ़ज़ाएलो वरकात है. याद् रखिये ! इस्तिग़फ़ार का मतलब है  "मगफिरत तलब करना, गुनाहो की मुआफ़ी मांगना, बख्शीश चाहना" अल्लाह कुरआन में इस्तिग़फ़ार के बारे में इरशाद फ़रमाता है :
👉🏽और वो की जब कोई बे हयाई या अपनी जीनो पर ज़ुल्म करे अल्लाह को याद कर के अपने गुनाहो की मुआफ़ी चाहे और गुनाह कौन बख्शे सिवा अल्लाह के.
📗पारह 4

👉🏽तफ़सीरे दुर्रे मन्सूर में है कि जब ये आयते मुबारक नाज़िल हुई तो इब्लीस ने चीख चीख कर अपने लश्कर को पुकारा, अपने सर पर खाक डाली और खूब आहो ज़ारी की, हत्ता कि तमाम कायनात से उस के चेले जमा हो गए और बोले :
ऐ हमारे सरदार तुजे क्या हो गया ?
👹इब्लीस ने उन्हें इस आयत की खबर दी तो उस के चलो ने कहा : हम उन पर ख्वाहिशात के दरवाज़े खोल देंगे कि वो तौबा व इस्तिग़फ़ार न कर पाएगे और वो इसी ख़याल में होंगे कि हम हक़ पर है ये सुन कर शैतान खुश हो गया.

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📚रजब की बहरे, सफा 9,10
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🌾रजब की बहारे🌾
♻Part~09

👹तौबा की राह में रुकावट👹

📝कल की पोस्ट में शैतान के चेलो का ये कहना इंतिहाई क़ाबिले तशविश् है कि हम उन पर ख्वाहिशात के दरवाज़े खोल देंगे कि वो तौबा व इस्तग़फ़ार न कर पाएंगे और वो इसी ख़याल में होंगे कि वो हक़ पर है।

👉🏽गोया शयातीन की ये बात हमारे लिये एक चेलेंज की हेसिय्यत रखती है, लिहाज़ा हमें चेलेंज को क़ुबूल करते हुवे मैदाने अमल में उतर जाना चाहिये
और खुद से ये अहद करना चाहिए कि हम हर बुरे काम से न सिर्फ खुद बचते रहेंगे बल्कि दुसरो को भी नेकी का हुक्म देते और बुराई से मना करते रहेंगे नीज़ अगर ब तक़ाज़ाए बशरिययत हम से कोई गुनाह सरज़द हो जाए तो इज़्ज़ो नदामत (आजिज़ी व शर्मिंदगी) के साथ फौरन अपने रब से मुआफ़ी मागेंगे।

🖊हवाला
📚रजब की बहारे, सफा 10
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🌾रजब की बहारे🌾
♻Part~10

✔आओ गुनाहगारो ! मगफिरत मांग लो✔

🌱हज़रते अबू सईद رضي الله تعالي عنه बयान करते है कि रसूलल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया :
👹शैतान ने अल्लाह की बारगाह में कहा : ऐ मेरे रब ! मुझे तेरी इज्ज़तों जलाल की क़सम !  जब तक बन्दों के जिस्मो में रूह बाक़ी है, में उन्हें बहकाता तहुंग.
☝🏽अल्लाह तआला ने इरशाद फ़रमाया :
👉🏽मुझे अपनी इज्ज़तों जलाल की क़सम ! जब तक वो मुझसे मगफिरत मांगते रहेंगे में उन को मगफिरत करता रहूंगा.

✔याद रखिये ! इस्तिग़फ़ार जहा गुनाहो से आलूदा दिल का मेल साफ़ करने का सबब है, वही एक बेहतरीन दुआ भी है और आसानी से नेकिया कमाने का ज़रीआ भी.
हदीश पाक में है की जो शख्स मुसलमान मर्दों और औरतो के लिए इस्तिग़फ़ार [मगफिरत की दुआ] करता है अल्लाह उसे हर मोमिन मर्द व औरत के बदले में एक नेकी अता फरमाता है.

👉🏽लिहाज़ा हमे चाहिये किजब भी अपने लिये मगफिरत कि दुआ करे तो अपने इस्लामी भाइयो और इस्लामी बहनो को भी इस में ज़रूर शामिल करे.
🌱हज़रते अब्दुल्लाह बिन अब्बास رضي الله تعالي عنه से रिवायत है की हुज़ूर ﷺ का फरमान है :
👉🏽जिसने इस्तिग़फ़ार को अपने ऊपर लाज़िम कर लिया अल्लाह उस की हर परेशानी दूर फरमाएगा और हर तंगी से उसे राहत अता फरमाएगा और उसे ऐसी जगह से रिज़्क़ अता फरमाएगा जहा से उसे गुमान भी न होगा.

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📚रजब की बहरे, स. 10-11
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🌾रजब की बहारे🌾
♻Part~11

🌅रजब के ख़ास दिन और राते🌌
♻Part~01

👉🏽अमीरुल मुआमिनीन हज़रते अलिय्युल मुर्तज़ा करम-अल्लाहु-तआला-वजहुल-करीम इस माह की पहली शब् को ख़ास एहतिमाम के साथ इबादत किया करते थे। मनकुल है की आप का दस्तूर था कि आप साल की 4 राते हर कम से खली करके इबादत के लिये मख़्सूस फरमाया करते थे।
माहे रजब की पहली रात, ईदुल फ़ित्र की रात, ईदुल अज़हा की रात और शाबान की 15वी रात।

👉🏽हज़रते खालिद बिन मादान रहमतुल्लाह अलैह फरमाते है :
साल में 5 राते ऐसी है जो इन की तस्दीक़ करते हुवे ब निय्यते षवाब इन को इबादत में गुज़ारेगा तो अल्लाह उसे दाखिले जन्नत फरमाएगा इनमे एक रात रजब की पहली रात भी है।
गुन्यातूल तालिबिन स.236

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📚रजब की बहारे, स.11-12
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♻part~12

🌅रजब के ख़ास दिन और राते🌌
♻part~02

👉🏽जिस तरह रजब की पहली शब निहायत अहम है, इसी तरह इस की 27वी तारीख भी बहुत फ़ज़ीलत वाली है, क्योंकि ये वो अज़ीम रात है, जिस में प्यारे आक़ा की तरफ पहली वही भेजी गई और इसी रात में सरकार दो आलम मेराज के लिए तशरीफ़ ले गए. एहि वजह है की 27वी शब् में इबादत करने और इस के दिन में रोज़ रखने वाले खुश नसीबो को ढेरो अज्रो षवाब अता किया जाता है.

👉🏽आइये इस जिम्न में 3 फरमाने मुस्तफा देखते है :
1⃣27 रजब को मुझे नबुव्वत अता हुई जो इस दिन का रोज़ रखे और इफ्तार के वक़्त दुआ करे, 10 बरस के गुनाहो का कफ़्फ़ारा हो.
📒फतावा रजविय्या, जी. 10 स.648
2⃣27 रजबुल मुरज्जब में नेक अमल करने वाले को 100 बरस का षवाब मिलता है.
📒शोएबुल ईमान, जी. 3 स. 374 हदिष : 3812
3⃣रजब में एक दिन और एक रात है, जो उस दिन का रोज़ रखे और वो रात नवाफ़िल में गुज़ारे, ये 100 बरस के रोज़ो के बराबर हो. और वो 27वी रजब है. इसी तारीख को अल्लाह ने मुहम्मद को मबऊस फरमाया.
📒शोएबुल ईमान, जी. 3 स. 373 हदिष : 3811

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♻part~13

🌅रजब के ख़ास दिन और राते🌌
♻part~03

💐मीठे और प्यारे इस्लामी भइयो ! देखा आपने कि हम जेसे गुनाहगारो के लिए रजबुल मुरज्जब की 27वी तारीख अल्लाह का अता करदा कैसा अज़ीमुश्शान तोहफा है कि जो शख्स इखलास के साथ इस का रोज़ रखे, उस के दस साल के गुनाह मुआफ़ हो जाते है निज जिस खुश नसीब को इस रात में नवाफ़िल पढने और इबादत करने की सआदत हासिल हो जाए, उसे 100 साल के रोज़ो के बराबर षवाब अता किया जाता है. अगर हम भी 27वी शब् इबादत में गुज़ारे और दिन का रोज़ रखे तो अल्लाह की रहमत से क़वी उम्मीद है कि ये तमाम फ़ज़ाइल हमे भी हासिल हो सकते है.

💐मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो ! सांसो का कोई भरोसा नही, न जाने कब ये सांसे रुक जाए और इस के साथ साथ हमारे आमाल का सिलसिला मौक़ूफ़ हो जाए. लिहाज़ा नेकियों का कोई मौक़ा हाथ से न जाने दे, अगर अल्लाह के फ़ज़लो कर्म से ज़िन्दगी में एक बार फिर रजब का मुबारक महीना नसीब हुवा तो हमे चाहिये कि इसे अपनी खुश किस्मती समझते हुवे सिर्फ पहली और सत्ताइसवी का रोज़ रकने के बजाए जितना बन पीडीए, इस माह के अक्सर अय्याम रोज़े के साथ गुज़ार दे, क्या खबर एहि हमारी ज़िन्दगी का आखिरी रजब हो.

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📚रजब की बहारे, स. 12-13
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♻part~14

✔नफ्ली रोज़ो के अज़ीमुश्शान फ़ज़ाइल✔
♻part~01

🌱हज़रते अबू क़ीलाबा رضي الله تعالي عنه फरमाते है : रजब के रोज़ादारो के लिए जन्नत में एक महल है.
📘शोएबुल ईमान, जी.3 स.368 हदिष : 3802

🌱हज़रते अनस बिन मिलिक رضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि रसूले अकरम ﷺ ने इरशाद फ़रमाया : जन्नत में एक नहर है जिसे "रजब" कहा जाता है जो दूध से ज्यादा सफेद और शहद से ज्यादा मीठी है तो जो कोई रजब का एक रोज़ रखे तो अल्लाह उसे उस नहर से सैराब करेगा.
📘शोएबुल ईमान, जी.3 स.367 हदिष : 3800

🌴फरमाने मुस्तफा ﷺ है : रजब के पहले दिन का रोज़ा तिन साल का कफ़्फ़ारा है और दूसरे  दिन का रोज़ दो सालो का और तीसरे दिन का एक साल का कफ़्फ़ारा है, फिर हर दिन का रोज़ एक माह का कफ़्फ़ारा है.
📒अलजामी अलसगीर, स. 311 हदिष : 5051

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🖊हवाला
📚आक़ा का महीना, स. 13
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💐मुज़े अपनी और सारी दुनिया के लोगो की इस्लाह की कोशिश करनी है. إن شاء الله  عزوجل
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🌾रजब की बहारे🌾
♻part~15

✔नफ्ली रोज़ो के अज़ीमुश्शान फ़ज़ाइल
♻part~02

🌴हुज़ूर ﷺ ने इरशाद फ़रमाया : जिस ने रजब का एक रोज़ रखा तो वो एक साल के रोज़ो की तरह होगा, जिस ने सात रोज़े रखे, उस पर जहन्नम के सातो दरवाज़े बंद कर दिए जाएंगे, जिस ने आठ रोज़े रखे उस के लिए जन्नत के आठो दरवाज़े खोल दिए जाचेंगे, जिसने दस रोज़े रखे, वो अल्लाह से जो कुछ मांगेगा अल्लाह उसे अता फमैग और जिसने  15 रोज़े रखे तो आसमान से एक मुनादी निदा करता है की तेरे पिछले गुनाह बख्श दिए गए, पास तू अज़ सरे नौ अमल शुरू कर की तेरी बुराइया नेकियों से बदल दी गई और जो जाएद करे तो अल्लाह उसे और ज्यादा अज्र देगा.
📕शोएबुल ईमान, जी.3 स.368 हदिष:3801

🌱हज़रते अनस رضي الله تعالي عنه से मरवी है : क़यामत के दिन रोज़े दार क़ब्रो से निकालेंगे तो वो रोज़े की बू से पहचाने जाएंगे, उन के लिए दस्तर ख्वान और पानी के कुंजे रखे जाएंगे, जिन पर मुश्क से मोहर होगी, उन्हें कहा जाएगा की खाओ कल तुम भूके थे, पियो कल तुम प्यासे थे, आराम करो कल तुम थके हुवे थे, पस वो खाएंगे, पियेंगे और आराम करेंगे हालांकि लोग हिसब की मशक़्क़त और प्यास में मुब्तला होंगे.
📒कन्जुल आमाल, जी.8 स.313 हदिष:23639

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📚रजब की बहारे, स. 13
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🌾रजब की बहारे🌾
♻part~16

☪नफ्ली रोज़े के अज़ीमुश्शान फ़ज़ाइल☪
♻part~03

💐मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो ! पिछली 2 पोस्टो में आपने देखा कि रजबुल मुरज्जब के रोज़े रखने वालो के तो वारे ही न्यारे है. रजबुल मुरज्जब के रोज़े रखने वालो के लिये अल्लाह ने जन्नत में खास महल तैयार फरमाया है, उन खुश नसीबो की अल्लाह 'रजब' नामी नहर से सैराब फरमाएगा, उन के लिए जहन्नम के दरवाज़े बंद और जन्नती दरवाज़े खोल दिये जाएंगे, उन के रोज़े गुनाहो का कफ़्फ़ारा बन जाएंगे और रोज़े महशर की न क़ाबिले बर्दाश्त गर्मी और भूक प्यास में उन के खाने पिने और आराम करने का बंदोबस्त किया जाएगा.

👉🏽नफ्ली रोज़ो के इस क़दर ज़बरदस्त व वरकात मुन्ने के बाद तो हम में से हर एक को चाहिये की फ़र्ज़ रोज़ो के साथ साथ नफ्ली रोज़ो का भी ब कसरत एहतिमाम किया करे, माहे रजबुल मुरज्जब के आने से तो वैसे ही रोज़े रखने का गोया मौसम शुरू हो जाता है. पहले रजबुल मुरज्जब के रोज़र फिर इस के बाद माह शाबान के रोज़े. हमारे प्यारे आक़ा शाबान के ब कसरत रोज़े रखा करते थे.

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📚रजब की बहारे, स. 14
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रजब का महीना कब से शुरू है?

मरकजी चांद कमेटी और शिया चांद कमेटी ने रजब के चांद का ऐलान करते हुए कहा कि गुरुवार को रजब की पहली तारीख होगी। मरकजी चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि पहली रजब गुरुवार तीन फरवरी को होगी और शबे-मेराज 28 फरवरी को होगी।

रजब का महीना कौन सा है?

रज्जब (अरबी: رجب) इस्लामी कैलेण्डर का सातवां मास है। रज्जब की शब्दकोषीय या शाब्दिक परिभाषा है "आदर करना", जिससे कि रज्जब शब्द निकला है। रज्जब बतलाता है 'सम्मनित मास'। इस मास को अति आदर सूचक माना जाता था, पागान अरबों द्वारा, रमजाज्ञ की तरह ही इसमें भी युद्ध वर्जित था।

रजब कौन था?

आमेर नरेश मानसिंह प्रथम के गुरु संत दादूदयालजी के शागिर्द बने रजब अली खां अंतिम समय तक दूल्हे की पोशाक पहने ही भक्ति करते रहे। सांगानेर निवासी रजब की सगाई आमेर के पठान खानदान में हुई थी। विवाह के लिए रजब बारात सजाकर आमेर आए थे।