मैक्समूलर ने वेदों के बारे में क्या कहा है? - maiksamoolar ne vedon ke baare mein kya kaha hai?

विषयसूची

  • 1 मैक्समूलर ने ऋग्वेद के बारे में क्या कहा है?
  • 2 भारत से हम क्या सीखें का सारांश?
  • 3 झ मैक्स मूलर की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन कहाँ हो सकते हैं और क्यों?
  • 4 भारत से हम क्या सीखें का प्रश्न उत्तर?
  • 5 2 लेखक की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन कहाँ हो सकते हैं और क्यों?`?

मैक्समूलर ने ऋग्वेद के बारे में क्या कहा है?

इसे सुनेंरोकें29/01/1882 की बैराम मालबारी को लिखे पत्र में मैक्समूलर लिखते हैं – “तुम वेद को एक प्राचीन ऐतिहासिक ग्रंथ के रूप में स्वीकारो, जिसमें कि एक प्राचीन और सीधे-सादे चरित्र वाली जाति के लोगों के विचारों का वर्णन है तब तुम इसकी प्रशंसा कर सकोगे और इसमे से कुछ को स्वीकार करने के योग्य हो सकोगे विशेषकर आज के युग में भी उपनिषदों …

भारत से हम क्या सीखें का सारांश?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर:- भारत से हम क्या शीर्षक कहानी उस भाषण का अनुवाद है जिसे लेखक ने भारतीय सिविल सेवा हेतु चयनित युवा अंग्रेज अधिकारियों के आगमन के अवसर पर संबोधन के लिए लिखा था। इसमें उन्होंने बताया है कि विश्व की सभ्यता भारत से बहुत कुछ सीखती और ग्रहण करती आई है। उन्होंने भारत को हर तरह से परिपूर्ण देश कहा है।

संस्कृत और दूसरी भारतीय भाषाओं के अध्ययन से पाश्चात्य जगत् को प्रमुख लाभ क्या क्या हुए?

इसे सुनेंरोकेंसंस्कृत तथा दूसरी भारतीय भाषाओं के अध्ययन से पाश्चात्य जगत् को प्रमुख लाभ क्या-क्या हुए? उत्तर-संस्कृत तथा दूसरी भारतीय भाषाओं की विशेषता के संबंध में लेखक ने कहा है कि संस्कृत भाषा तथा इसका साहित्य तीन हजार वर्षों से भी अधिक लम्बे काल से विद्यमान है तथा यूनान तथा रोम के सम्पूर्ण साहित्य से कहीं अधिक विशाल है।

झ मैक्स मूलर की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन कहाँ हो सकते हैं और क्यों?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर-लेखक की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन गाँवों में हो सकते हैं, क्योंकि गाँवों में ही भारत की आत्मा निवास करती है, जहाँ कलकत्ता, बम्बई, मद्रास तथा अन्य शहरों जैसी बनावटी चमक-दमक नहीं मिलती, बल्कि वहाँ जीवन की सादगी, त्याग, प्रेम, उत्कृष्टतम पारस्परिक संबंध आदि देखने को मिलते है।

भारत से हम क्या सीखें का प्रश्न उत्तर?

भारत से हम क्या सीखें ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर

  • [ 1 ] मैक्समूलर को ‘विदांतियों का वेंदाती’ किसने कहा?
  • [ 2 ] दारिस नामक सोने के सिक्कों से भरा घड़ा किसे मिला था?
  • [ 3 ] मेघदूत नामक पुस्तक का अनुवाद मैक्समूलर में किस भाषा में किया?
  • [ 4 ] संस्कृत भाषा और यूरोपियन भाषा का तुलनात्मक व्याख्यान किसने दिया?

भारत से हमने क्या सीखा?

2 लेखक की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन कहाँ हो सकते हैं और क्यों?`?

मैक्समूलर ने वेदों के बारे में क्या कहा है? - maiksamoolar ne vedon ke baare mein kya kaha hai?

देहरादून। मैक्समूलर ने वेदों के संबंध में वेदों का ज्ञान भारत से बाहर पहुंचाया। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। सच तो यह है कि भारत जैसे विशाल देश को समझ पाना हम भारतीयों के बस का नहीं है लेकिन संस्कृत के ज्ञान के माध्यम से जर्मन मैक्समूलर ने वेदों का ज्ञान भारत से बाहर पहुंचाकर भारतीयता का डंका उस समय बजाया जब भारत गुलाम था। यह विचार प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ‘भारत हमें क्या सिखा सकता है’ मैक्समूलर की कृति जिसे डॉ प्रकाश ने अनुदित किया है, के लोकार्पण समारोह में व्यक्त किए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकाश थपलियाल ने मैक्समूलर के इस कृति का अनुवाद किया है, जो अपने आप में विलक्षण है। प्रकाश थपलियाल ने अनुवाद कर हमें समझने के लिए एक साहित्य दिया है, जो उनकी विशिष्टता है। मुख्यमंत्री डॉ प्रकाश थपलियाल को बधाई देते हुए इस कृति को अच्छी कृति बताया। मुख्यमंत्री आवास में स्थित सभाकक्ष में रमाकांत बैंजोल के संचालन में संपन्न इस कार्यक्रम में मंचासीन अतिथियों में मुख्य अतिथि त्रिवेंद्र सिंह रावत, विशिष्ट अतिथि भाषा मंत्री प्रकाश पंत, वीरेन्द्रानंद गिरि, साहित्यकार चारूचंद चन्दोला उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में प्रकाशक सुरेश चन्द्र भट्ट ने मुख्यमंत्री का माल्यार्पण कर स्वागत किया, जबकि सुलोचना थपलियाल ने प्रकाश थपलियाल ने विशिष्ट अतिथि प्रकाश पंत का स्वागत किया। इससे पहले, इंजीनियर एस.ए. अंसारी ने काव्य पाठ किया। अपने विचारों में डॉ प्रकाश थपलियाल ने मैक्समूलर की कृतियों की चर्चा की तथा कहा कि लेखक मैक्समूलर दो पाटों के बीच में फंसे थे। उनके लिए भारत का श्रेष्ठ साहित्य एक महत्वपूर्ण अंग था, जबकि दूसरा अंग उनके विदेशी मित्र थे जो गुलाम भारत के विरोधी थे और भारत को ऊंचा नहीं देखना चाहते थे। उन्होंने कहा कि इसका कारण भारत की तत्कालीन छवि थी। मैक्समूलर ही वह व्यक्ति हैं, जिसने भारत का साहित्यिक स्वरूप और ऊंचाई विदेश तक पहुंचाई। उन्होंने कहा कि अनुवाद विशिष्ट विधा है। योग पर भारत के ज्ञान को भारत से बाहर पहुंचाने का काम इन्हीं विदेशी लेखकों ने किया। यह सच है कि मूल्यांकन करते समय मैक्समूलर ने तत्कालीन परिस्थितियों को ध्यान में रखा था।
पूर्व मुख्य सचिव इन्द्र कुमार पाण्डेय ने वेद के दार्शनिक पहलू तथा वेद के समस्त अंगों के कर्मकांड संबंधी स्थितियों की चर्चा की तथा कहा कि वेदांत दर्शन उपनिषद् में है। उन्होंने कहा कि मैक्समूलर को लोगों ने अलग-अलग समझा है। उन्होंने कहा कि अनुवादों में शब्दों की बहुलता के कारण यह कार्य महत्वपूर्ण है। वैदिक साहित्य में ऊषा की चर्चा करते हुए पूर्व मुख्य सचिव ने कहा कि ऊषा का कई बार प्रयोग किया गया है लेकिन इसका अलग-अलग अर्थ है। उन्होंने स्वामी कृष्णानंद के ईश्वर सत्ता पर एक लेख की चर्चा करते हुए कहा कि इस लेख में आचार्य शंकर के अद्वैतवाद को भी जोड़ा गया है। पाण्डेय ने अपने वैदिक ज्ञान और विशिष्टताओं की चर्चा करते हुए अनुवादक डॉ प्रकाश थपलियाल को बधाई दी तथा कहा कि यह कृति साहित्य क्षेत्र में अपना विशिष्ट स्थान रखेगी। इस अवसर पर अपर सचिव विनोद प्रसाद रतूड़ी, मुनिराम सकलानी समेत तमाम विभूतियां उपस्थित रहीं।