हम अपने दैनिक जीवन में मौखिक भाषा के द्वारा बातचीत करते हैं. समाज द्वारा स्वीकृत जिन ध्वनि संकेतों के माध्यम से मानव अपने ह्रदय के भावों को प्रकट करता है, उसे मौखिक भाषा कहते हैं. मौखिक भाषा का प्रयोग दैनिक जीवन में आदेश, बातचीत करने तथा भाषण देने में किया जाता हैं. तो आज हम आपसे इसी के बारे में बात करेंगे कि Maukhik Bhasha Kise Kahte Hai? मौखिक भाषा का महत्त्व क्या है? Show
प्रारंभ में मनुष्य मौखिक भाषा के द्वारा ही अपने भावों एवं विचारों को व्यक्त करता है. हम सभी मुँह की सहायता से अपनी मन की बातों को मौखिक रूप से बोलकर दुसरे के सामने व्यक्त करते हैं. .
मौखिक भाषा किसे कहते हैं?मौखिक भाषा वह भाषा है, जिसमें मनुष्य अपने मन के भावों-विचारों को मुँह के द्वारा बोलकर व्यक्त करता है. जो कुछ भी बात मुँह के द्वारा बोला जाता है, उसे मौखिक भाषा कहते हैं. मौखिक भाषा की परिभाषा देते हुए प्रो.रमण बिहारीलाल कहते हैं, “मानव अपने ह्रदय के भावों को प्रकट करने के लिए जिस ध्वन्यात्मक संकेत साधन का प्रयोग करता है, उसे उसकी मौखिक भाषा कहते हैं.” ये ध्वनि संकेत समाज द्वारा स्वीकृत होते हैं. लिखित ध्वनियों का जन्म मौखिक भाषा के पश्चात् ही होता है. प्रारंभ में मनुष्य मौखिक भाषा का ही प्रयोग करता है. मौखिक भाषा का महत्त्वमौखिक के माध्यम से मनुष्य अपने मन के भावों को व्यक्त करता है, इसके बिना मनुष्य पशु के समान होता है. हिंदी शिक्षण में मौखिक भाषा का अत्यधिक महत्त्व है,
Maukhik Bhasha ka Mahatv
मौखिक शिक्षण के उद्देश्य
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हम सभी अपनी मन की बातों, विचारों और भावों को व्यक्त करने के लिए मौखिक और लिखित भाषा का प्रयोग करते हैं. अधिकांशत अपनी मन की बातों को दूसरों तक पहुंचाने के लिए हम सभी मौखिक भाषा का प्रयोग करते हैं. लेकिन कुछके स्थितियों में विचारों, भावों को व्यक्त करने के लिए लिखित भाषा का भी प्रयोग करते हैं. तो आज मैं आपसे इसी के बारे में बात करेंगे कि मौखिक भाषा और लिखित भाषा में अंतर क्या है? मौखिक भाषा किसे कहते हैं?जब मनुष्य अपनी मन की बातों, विचारों, भावों को मुहं की सहायता से बोलकर व्यक्त करता है, तो वह मौखिक भाषा कहलाती है. इस भाषा में दो या दो से अधिक व्यक्ति आमने-सामने बैठकर बात करते हैं. वक्ता अपनी बात मुख की सहायता से बोलता है और श्रोता उनके द्वारा बोली जा रही बातों को सुनकर समझता है. जो कुछ भी बात मुँह के द्वारा बोला जाता है, उसे मौखिक भाषा कहते हैं. मौखिक भाषा का उदहारण- वार्तालाप (बातचीत), टेलीफोन पर बातचीत, भाषण, रेडियो पर बोली जानी वाली बात आदि. मौखिक भाषा की परिभाषा देते हुए प्रो.रमण बिहारीलाल कहते हैं, “मानव अपने ह्रदय के भावों को प्रकट करने के लिए जिस ध्वन्यात्मक संकेत साधन का प्रयोग करता है, उसे उसकी मौखिक भाषा कहते हैं.”ये ध्वनि संकेत समाज द्वारा स्वीकृत होते हैं. लिखित ध्वनियों का जन्म मौखिक भाषा के पश्चात् ही होता है. प्रारंभ में मनुष्य मौखिक भाषा का ही प्रयोग करता है. लिखित भाषा किसे कहते हैं?जब हम अपनी मन की बातों, विचारों और भावों को लिखकर प्रकट करते हैं, तो वह लिखित भाषा कहलाती हैं. लिखित भाषा में लिखकर और पढ़कर मन की बातों, विचारों और भावों को समझा जाता है. इसमें वक्ता मन की बात को लिखता है और श्रोता लिखी हुई बातों पढ़ता है. जो कुछ भी बात लिखकर व्यक्त किया जाता है, उसे लिखित भाषा कहते हैं. लिखित भाषा का उदहारण- पत्र, अखबार, पुस्तक आदि. मौखिक भाषा और लिखित भाषा में अंतर
मौखिक भाषा और लिखित भाषा का उदहारणमौखिक भाषा का उदहारण-
लिखित भाषा का उदहारण-
इसे भी पढ़ें: मानक भाषा क्या है? error: Content is protected !! मौखिक भाषा में किसका प्रयोग किया जाता है?जिसमे वक्ताओं ने बोलकर तथा श्रोताओं ने सुनकर आनंद उठाया। उपर्युक्त उदाहरण में वक्ता के बोलने पर जब श्रोता उसे समझता है, तो इन दोनों के बीच अपनी भावनाओं को समझने का जो माध्यम है, वह मौखिक भाषा है। मौखिक भाषा में वक्ता अपनी बातें बोलकर कहता है।
मौखिक भाषा की इकाई क्या है?मौखिक भाषा की आधारभूत इकाई ध्वनि है । हम बातचीत करते समय जिन शब्दों का प्रयोग करते हैं, उनका कोई आकार नहीं होता, वे तो केवल ध्वनि को ही प्रकट करते हैं ।
मौखिक भाषा के उद्देश्य क्या है?मौखिक भाषा द्वारा बोलकर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बात दूसरों को बताई जा सकती है। इसके प्रयोग के बिना हम किसी मूक और बधिर व्यक्ति के ही समान हैं, जो बोल-सुन नहीं सकता। मौखिक भाषा की महत्ता इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि हर बात लिखकर नहीं बताई जा सकती।
मौखिक भाषा की क्या विशेषता है?मौखिक भाषा की विशेषताएँ –
(1) यह भाषा का अस्थायी रूप है। (2) उच्चरित होने के साथ ही यह समाप्त हो जाती है। (3) वक्ता और श्रोता एक-दूसरे के आमने-सामने हों प्रायः तभी मौखिक भाषा का प्रयोग किया जा सकता है। (4) इस रूप की आधारभूत इकाई 'ध्वनि' है।
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