मॉल में लोग खरीदारी में मोल भाव क्यों नहीं करते? - mol mein log khareedaaree mein mol bhaav kyon nahin karate?

Haryana State Board HBSE 7th Class Social Science Solutions Civics Chapter 8 हमारे आस-पास के बाज़ार Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Social Science Solutions Civics Chapter 8 हमारे आस-पास के बाज़ार

HBSE 7th Class Civics 8 हमारे आस-पास के बाज़ार Textbook Questions and Answers

हमारे आस-पास के बाज़ार HBSE 7th Class प्रश्न 1.
एक फेरीवाला किसी दुकानदार से कैसे भिन्न है?
उत्तर:
फेरी वाले रोजमर्रा की आवश्यकताओं का सामान सस्ते मूल्य पर घूम-घूमकर बेचते हैं। इनकी लागत कम होती है क्योंकि इन्हें दुकान का किराया, बिजली, पानी का बिल आदि नहीं देना पड़ता।
दुकानदार एक स्थान पर टिक कर अपना सामान बेचते हैं। दुकान आदि का अतिरिक्त व्यय करने के कारण ये फेरी वालों से अधिक मूल्य वसूल करते हैं। इन्हें व्यापार के लिए अधिक पूँजी लगानी पड़ती है।

Class 7th Civics Chapter 8 HBSE प्रश्न 2.
निम्न तालिका के आधार पर एक साप्ताहिक बाजार और एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की तुलना करते हुए उनका अंतर स्पष्ट करिए :

बाजारबेची जाने वाली वस्तुओं का प्रकारवस्तुओं के मूल्यविक्रेताग्राहक1. साप्ताहिक बाजार2. शॉपिंग कॉम्प्लेक्स

उत्तर:
1. साप्ताहिक बाज़ार:
वस्तुओं के प्रकार : प्रायः इसमें मिलने वाली वस्तुओं पर ब्रांड नहीं होते या यह वस्तुएँ पैकिंग के बाहर खुली होती हैं।
वस्तुओं का मूल्य : कम होता है। विक्रेता : एक ही वस्तु को बेचने वाले कई दुकानदार होते हैं।
ग्राहक : प्रायः ग्राहकों की भीड़ बहुत होती है। भीड़ के कारण वे ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे कि किसी मेले में आए हों।

2. शॉपिंग कॉम्प्लेक्स:
बेची जाने वाली वस्तुओं के प्रकार : बेची जाने वाली वस्तुओं का प्रकार प्रायः अच्छा होता है। दुकानदार या विक्रेता (Salesmen or sales girl) अच्छी तरह पैक की गई वस्तुएँ (branded) बेचते हैं।
वस्तुओं का मूल्य : निश्चित होता है।
विक्रेता : प्रायः पढ़े-लिखे कम्प्यूटर का इस्तेमाल करने वाले, अनेक भाषाएँ बोलने वाले, दुकान के स्थायी कर्मचारी या मालिक होता है।
ग्राहक : प्रायः ग्राहक पैसे वाले, अच्छे जीवनस्तर यापन करने वाले, कम भाव-ताव करने वाले और विज्ञापन ब्रांडिड सामानों तथा अच्छी पैकिंग से प्रभावित होने वाले होते हैं।

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Civics Chapter 8 Class 7 HBSE प्रश्न 3.
स्पष्ट करिए कि बाज़ारों की श्रृंखला कैसे बनती है ? इससे किन उद्देश्यों की पूर्ति होती है ?
उत्तर :
1. सर्वप्रथम उत्पादक अपनी वस्तुओं का उत्पादन करते हैं।
2. थोक व्यापारी उत्पादकों से थोक में सामान खरीदते हैं।
3. थोक व्यापारी स्थानीय व्यापारियों को अपना सामान बेचते हैं।
4. स्थानीय व्यापारियों से खुदरा व्यापारी सामान खरीदते हैं।
5. खुदरा व्यापारी उपभोक्ताओं को सामान बेचते हैं।
6. उत्पादकों से उपभोक्ताओं तक सामान एक श्रृंखला में पहुँचता है। इसे बाजार श्रृंखला कहते हैं।

उद्देश्यों की पूर्ति :
1. किसानों को विपणन (Marketing) की सुविधा उपलब्ध कराना।
2. छोटे-छोटे शिल्पकारों, कुटीर उद्योग धंधों एवं लघु पैमाने के उद्योगों के उत्पादों को थोक व्यापारियों या थोक बाजारों तक पहुँचाना।
3. फुटकर या खुदरा व्यापारियों को अपने इच्छित व्यापार की वस्तुएँ उचित दामों पर थोक व्यापारियों से खरीदने की सुविध एँ प्रदान करना।
4. व्यापार, रोजगार और वाणिज्य को बढ़ाना ताकि विकास में सहायक आंतरिक सुविधाओं का विस्तार और उन्हें नियमित रूप से बनाए रखा जा सके।

प्रश्न 4.
सब लोगों को बाज़ार में किसी भी दुकान पर जाने का समान अधिकार है। क्या आपके विचार से महँगे उत्पादों की दुकानों के बारे में यह बात सत्य है ? उदाहरण देकर स्पष्ट करिए।
उत्तर :
संविधान के द्वारा भारत के सभी नागरिकों को समानता का अधिकार दिया गया है। किसी भी नागरिक को जाति, धर्म, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर प्रवेश करने से मना नहीं किया जा सकता।

लेकिन हमारे विचार से महँगे उत्पादों की दुकानों के बारे में. समानता का यह सिद्धांत सत्य और व्यावहारिक नहीं है। उदाहरण के लिए एक निर्धन व्यक्ति किसी महंगे होटल या रेस्टोरेंट में लंच या डिनर करना चाहता है। वह पहले तो स्वयं ही बड़ी दुकान में जाने से हिचकिचाएगा। उसके कपड़े ऐसे स्तर के नहीं होते। वह जानता है कि उसकी जेब में कम पैसे हैं और वह अपने किसी होटल या रेस्टोरेंट पर सभी परिवारजनों को न तो भोजन खिला सकता है और न ही महँगा सामान खरीद सकता है। बिना आर्थिक न्याय और समानता के सभी राजनैतिक और सामाजिक अधिकार व्यर्थ हैं।

प्रश्न 5.
बाज़ार में जाए बिना खरीदना और बेचना हो सकता है, उदाहरण देकर इस कथन की व्याख्या करिए।
उत्तरः
शहरी क्षेत्रों के लोग इन्टरनेट के जरिए घर से बाहर कदम रखे बिना ही बाजारों में प्रवेश कर लेते हैं। वे अपने क्रेडिट कार्ड से ‘ऑन लाइन’ खरीददारी कर लेते हैं।

उदाहरणार्थ (Examples) :
आपने देखा होगा कि नर्सिंग होम और डॉक्टर के क्लीनिक में भी कुछ कंपनियों के प्रतिनिधि अपने सामान बेचने का कार्य कर रहे होते हैं। इस तरह हम देखते हैं कि बेचना-खरीदना कई तरीकों से चलता रहता है। यह बहुत जरूरी नहीं है कि वह केवल बाज़ार की दुकानों से ही होता हो।

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बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
उचित विकल्प चुनें :
(i) ऐसा बाजार जहाँ एक साथ कई प्रकार की दुकानें होती हैं, कहलाता है :
(क) साप्ताहिक बाजार
(ख) शॉपिंग कॉम्पलेक्स
(ग) बाजार श्रृंखला
उत्तर :
(ख) शॉपिंग कॉम्पलेक्स।

(ii) वातानुकूलित बहुमंजिला दुकानों से सुसज्जित बाजार हैं :
(क) मॉल
(ख) शॉपिंग कॉम्पलेक्स
(ग) ब्रांडेड कंपनी
उत्तर :
(क) मॉल।

(iii) उत्पादक व उपभोक्ता के मध्य स्थित व्यक्ति कहलाते हैं :
(क) दुकानदार
(ख) कर्मचारी
(ग) व्यापारी
उत्तर :
(ग) व्यापारी।

(iv) बाजार श्रृंखला का अंतिम व्यापारी जो उपभोक्ता को वस्तुएँ बेचता है, कहलाता है :
(क) थोक व्यापारी
(ख) खुदरा व्यापारी
(ग) स्थानीय थोक व्यापारी
उत्तर :
(ख) खुदरा व्यापारी।

(v) दिल्ली के प्रमुख थोक बाजारों में सम्मिलित है :
(क) आजाद पुर
(ख) विकासपुरी
(ग) कमला नगर
उत्तर :
(क) आजाद पुर।

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थान भरें:
(i) क्रेडिट कार्ड से …………….. खरीदारी करते हैं।
(ii) ओखला व दरियागंज …………….. बाजार हैं।
(iii) बाजारों की भी एक …………….. होती है।
(iv) साप्ताहिक बाजार सप्ताह के किसी एक …………….. दिन लगता है।
(v) …………….. द्वारा सामान खरीदने पर सामान हमें घर बैठे प्राप्त हो जाता है।
उत्तर :
(i) ऑनलाइन
(ii) थोक
(iii) शृंखला
(iv) निश्चित
(v) इंटरनेट।

प्रश्न 3.
सही अथवा गलत छाँटो :
(i) आप इंटरनेट के द्वारा बाजार में प्रवेश कर सकते हैं।
(ii) केशोपुर में सब्जी का थोक बाजार है।
(iii) थोक बाजार ऐसा क्षेत्र होता है। यहाँ वस्तुएँ सबसे पहले पहुँचती हैं।
(iv) शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बहुमंजिलें होते हैं।
(v) हम सामान कारखानों व घरों से सीधे खरीदते हैं।
उत्तर :
(i) आप इंटरनेट के द्वारा बाजार में प्रवेश कर सकते हैं। ✓
(ii) केशोपुर में सब्जी का थोक बाजार है। ✓
(iii) थोक बाजार ऐसा क्षेत्र होता है। यहाँ वस्तुएँ सबसे पहले पहुँचती हैं। ✓
(iv) शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बहुमंजिलें होते हैं। ✗
(v) हम सामान कारखानों व घरों से सीधे खरीदते हैं। ✓

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HBSE 7th Class Civics हमारे आस-पास के बाज़ार Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
साप्ताहिक बाज़ार से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
साप्ताहिक बाज़ार वह बाजार होता है जो सप्ताह में किसी निश्चित दिन (Fixed day) सजता और लगता है। साप्ताहिक बाजार में प्रतिदिन खुलने वाली पक्की दुकानें नहीं होती।

प्रश्न 2.
ऐसा क्यों होता है कि लोग मॉल में दुकानदारों से मोल-तोल नहीं करते जबकि साप्ताहिक बाज़ारों में ऐसा खूब किया जाता है?
उत्तर :
बड़े शॉपिंग काम्प्लेक्स और मालों के दुकानदार निर्धारित कीमतों पर ही वस्तुएँ बेचते हैं। साप्ताहिक व्यापारी प्रायः चीज़ों के दाम घटा-बढ़ा कर बताते हैं।

प्रश्न 3.
लोग साप्ताहिक बाज़ार में क्यों जाते हैं ? तीन कारण बताइए।
उत्तर :
साप्ताहिक बाज़ार में लोग निम्न कारणों से जाते हैं:

  • यह बाजार जिस स्थान पर लगता है वहाँ के लोगों को सप्ताह में सभी तरह की वस्तुएँ एक साथ ही उनकी दैनिक आवश्यकता के अनुरूप मिल जाती हैं।
  • साप्ताहिक बाजार सी बहुत में चीजें सस्ते दामों पर मिल जाती हैं।
  • साप्ताहिक बाज़ार में लोगों को न केवल अलग तरह के सामान एक ही स्थान पर मिलते हैं बल्कि सामानों के विविध विकल्प (different alternatives) उपलब्ध होते हैं।

प्रश्न 4.
इन साप्ताहिक बाजारों में दुकानदार कौन होते हैं ?
उत्तर :
साप्ताहिक बाजारों में छोटे या फेरी वाले दुकानदार दिखाई देते हैं।

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लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
साप्ताहिक बाज़ारों में सामान सस्ते दामों में क्यों मिल जाता है ? एक उदाहरण देकर समझाइए कि लोग बाजारों में कैसे मोल-तोल करते हैं ? क्या आप ऐसी स्थिति के बारे में सोच सकते हैं जहाँ मोल-तोल करना अन्यायपूर्ण हो जाए ?
उत्तर :
साप्ताहिक बाजारों में सामान सस्ते दामों पर निम्न कारणों से मिल जाते हैं :

(i) व्यापारियों के पास पक्की दुकानें नहीं होतीं। प्रायः उन्हें दुकान खरीदने के लिए बड़ी रकमें खर्च नहीं करनी पड़तीं या उन्हें प्रति माह मोटी रकम किराए के रूप में, बिजली और पानी के रूप में या सरकारी शुल्क आदि के रूप में नहीं देनी पड़ती।

(ii) साप्ताहिक बाजारों में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या नगण्य रहती है। दुकान का मालिक ही कर्मचारी होता है। प्रायः यह दुकानदार बाजार में बेचने वाली चीजें अपने घर में किसी एक कमरे या कोने में रख लेते हैं। प्रायः घर के लोग उन्हें काम में सहयोग देते हैं।

(iii) साप्ताहिक बाज़ार में प्रतियोगिता (Competition) भी होती है। इसलिए सभी सही दामों पर अपना-अपना माल बेचते हैं।

उदाहरण :
मोल-तोल :
साप्ताहिक बाजार में मान लीजिए एक महिला अपने बच्चे के लिए निकर और कमीज खरीदना चाहती है। वह दो या तीन दुकानदारों से उनका भाव पूछेगी और वह कहेंगे कि आप यह बाबा सूट महँगा दे रहे हैं। पिछले कोने वाला दुकानदार तो इससे दस रुपए कम दाम पर दे रहा है। दुकानदार कहता है बहनजी यदि आपको वास्तव में सूट लेना है तो कम दाम को मत देखिए मेरा सामान या कपड़ा बहुत बढ़िया है और इसकी सिलाई भी अच्छी है।

यदि वह दुकानदार कभी-कभी बाज़ार में उपस्थित दुकानदारों जैसी ही गुणवत्ता की वस्तु उनसे पाँच रुपए प्रति वस्तु कम दे रहा है तो ऐसी स्थिति में मोल-तोल करना अन्यायपूर्ण होगा।

प्रश्न 2.
आपके मोहल्ले में अलग-अलग प्रकार की कौन-सी दुकानें हैं ? आप उनसे क्या-क्या खरीदते हैं ?
उत्तर :
प्रायः अधिकतर मोहल्लों में ऐसी बहुत सी दुकानें होती हैं जो हमें कई तरह की सेवाएँ और सामान उपलब्ध करवाती हैं। हम पास की डेयरी से दूध, किराना व्यापारी से तेल-मसाले व अन्य खाद्य पदार्थ तथा स्टेशनरी के व्यापारी से कागज-कलम या फिर दवाइयों की दुकान से दवाई भी खरीद सकते हैं। इस तरह की दुकानें अक्सर पक्की और स्थायी होती हैं जबकि सड़क किनारे फुटपाथ पर सब्जियों के कुछ छोटे दुकानदार, फल विक्रेता और कुछ गाड़ी मैकेनिक आदि भी दिखाई देते हैं।

प्रश्न 3.
सड़क किनारे की दुकानों या साप्ताहिक बाज़ार में मिलने वाले सामानों की तुलना में पक्की दुकानों से मिलने वाला सामान कुछ अधिक महँगा क्यों होता है ?
उत्तर :
पक्की दुकानों से मिलने वाला सामान कुछ अधिक महँगा इसलिए होता है क्योंकि इनके दुकानदारों पर कई तरह के खर्चे पड़ते हैं। जैसे उन्हें दुकान का किराया, बिजली, पानी का बिल और शुल्क देना पड़ता है। इन दुकानों पर काम करने वाले कर्मचारियों की तनख्वाह भी इन्हीं खर्चों से जुड़ी होती है।

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प्रश्न 4.
आपको क्या लगता है आपके मोहल्ले की दुकान में सामान कैसे आता है? पता लगाइए और कुछ उदाहरणों से समझाइए।
उत्तर :
सभी दुकानदार अपनी दुकानों के लिए सामान कहाँ से लेकर आते हैं। सामानों का उत्पादन कारखानों में, खेतों में और घरों में होता है। लेकिन हम कारखानों और खेतों से सीधे सामान नहीं खरीदते। पहले थोक व्यापारी बड़ी मात्रा या संख्या में सामान खरीद लेता है। थोक व्यापारियों से खुदरा या फुटकर व्यापारी माल खरीदकर लाते हैं। ये दुकानदार मोहल्ले के दुकानदार या पड़ोस में चलाने वाले दुकानों के दुकानदार या साप्ताहिक बाजार में माल बेचते हैं।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
थोक व्यापारी की भूमिका जरूरी क्यों होती
उत्तर :
बाजारों की श्रृंखला में थोक व्यापारी की भूमिका महत्त्वपूर्ण है क्योंकि उसके पास पँजी या धन बहत होता है वह तुरन्त भुगतान करने की क्षमता रखता है। जैसे सब्जियों का थोक व्यापारी कुछ किलो सब्जी नहीं खरीदता बल्कि वह बड़ी मात्रा में 25 से 100 किलो तक सब्जियाँ खरीद लेता है। इन्हें वह दूसरे व्यापारियों को बेचता है। यहाँ खरीदने वाले और बेचने वाले दोनों व्यापारी होते हैं। व्यापारियों की लम्बी श्रृंखला का वह अंतिम व्यापारी जो वस्तु को उपभोक्ता को अंततः बेचता है वह खुदरा या फुटकर व्यापारी कहलाता है। यह वही दुकानदार होता है जो आपको पड़ोस की दुकानों में, साप्ताहिक बाजार में या फिर शॉपिंग काम्प्लेक्स में सामान बेचता मिलता है।

उदाहरण (Example) :
हर शहर में थोक बाजार का एक क्षेत्र होता है। यहाँ वस्तुएँ पहले पहुँचती हैं और यहीं से वे अन्य व्यापारियों तक पहुँचती हैं। सड़क किनारे की दुकान का छोटा व्यापारी, कुछ बड़ी संख्या में प्लास्टिक सामानों को शहर के थोक व्यापारी से खरीदता है। हो सकता है कि वह उससे भी बड़े थोक व्यापारी से स्वयं सामान खरीदता हो। शहर का बड़ा थोक व्यापारी ये प्लास्टिक के सामान फैक्ट्री से खरीदते हैं और उन्हें बड़े गोदामों में रखते हैं। इस तरह से बाज़ार की एक श्रृंखला बनती है। जब हम एक सामान खरीदते हैं तब हम यह ध्यान नहीं देते कि वह सामान किस-किस के पास से सफर करता हुआ हमारे तक पहुंचा है।

प्रश्न 2.
अदृश्य बाजारों का आशय उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
बाजार के अनेक रूप हैं जो सीधे तौर पर दिखाई देते हैं। उदाहरण के लिए मौहल्ले के बाजार, पड़ोस के बाजार, साप्ताहिक बाजार आदि। ऐसे भी कुछ बाज़ार होते हैं जिनके बारे में हमारी जानकारी कम ही होती है क्योंकि यहाँ बिकने और खरीदी जाने वाली चीजें हम सीधे प्रयोग नहीं करते। उदाहरणार्थ एक किसान अपनी फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए कुछ खाद और उर्वरकों का प्रयोग करता है। ये उर्वरक वह शहर की कुछ खास दुकानों से खरीदता है, जहाँ खाद के कारखानों से माल मंगाया जाता है।

ऐसे ही हम ध्यान नहीं देते कि एक कार फैक्ट्री के द्वारा इंजन, गियर्स, पेट्रोल टंकियाँ, एक्सेल, पहिये आदि अलग-अलग खरीदे जाते हैं परंतु इस सबसे बेखबर हम कार के शोरूम में अंतिम उत्पाद, कार को ही देखते हैं। सभी चीजों के बनाने और बेचने की ऐसी ही कहानी होती है।

हमारे आस-पास के बाज़ार Class 7 HBSE Notes in Hindi

1. साप्ताहिक हाट (Weekly Market) : ये बाजार नियमित बाजार नहीं होते वरन् एक नियत स्थान पर सप्ताह में एक या दो बार लगाए जाते हैं। इन बाजारों में घरेलू सामान की लगभग सभी चीजें बिकती हैं, सब्जी से लेकर कपड़े और बर्तन आदि सब। शुक्र बाजार, शनि बाजार, मंगल बाजार आदि इसके उदाहरण हैं।

2. मॉल (Mail) : यह चारों ओर से घिरा हुआ खरीददारी का स्थान होता है। इसकी इमारत बहुत बड़ी होती है जिसमें कई मंजिलें, दुकानें, रेस्तरां और कभी-कभी सिनेमाघर तक होते हैं। इन दुकानों में प्रायः ब्रांडों वाले उत्पाद बिकते हैं।

3. थोक बाजार (Wholesale) : इसका आशय बहुत बड़ी मात्रा में खरीदना और बेचना होता है। अधिकांश उत्पादों जिनमें सब्जी, फल और फूल आदि भी सम्मिलित हैं, के अपने-अपने विशेष थोक बाजार होते हैं।

4. बाजारों की श्रृंखला (Chain of Markets) : यह बाजारों की एक श्रृंखला है जो परस्पर एक दूसरे से कड़ियों की तरह जुड़ी होती है क्योंकि उत्पाद एक बाजार से होते हुए दूसरे बाज़ार में पहुंचते हैं।

ग्राहक सभी बाजारों में समान रूप से खरीदारी क्यों नहीं कर पाते?

ग्राहक सभी बाजार में समान रूप से खरीददारी नहीं पाते क्योंकि कछ बाजारों जैसे-साप्ताहिक बाजार में ग्राहकों को वस्तुओं के दाम के माल-भाव करने का मौका मिलता है और वे वस्तुओं के दाम कम करवा सकते हैं और दुकानदार वस्तुओं के दाम कम नहीं करता है तो वे दूसरी दुकान से सामान ले लेते हैं।

लोग साप्ताहिक बाजार में क्यों जाते हैं?

Solution : लोग साप्ताहिक बाजारों में जाते हैं क्योंकि <br> (1) उन्हें वहाँ रोजमर्रा की सब चीजें आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। <br> (2) यहाँ चीजें सस्ते दामों पर उपलब्ध हो जाती हैं। <br> (3) जरूरत का सभी सामान यहाँ एक ही जगह पर मिल जाता है।

अभ्यास एक फेरीवाला किसी दुकानदार से कैसे भिन्न है?

Solution : फेरीवाले और दुकानदार में अन्तर <br> (i) एक फेरीवाला वह व्यापारी है जो गली में घूमते हुए घर-घर सेवाएं प्रदान करता है, जबकि एक दुकानदार वह व्यापारी है जो दुकान से अपना माल बेचता है तथा घर-घर सेवाएँ प्रदान नहीं करता।

पटरी पर के दुकानदार एवं अन्य दुकानदारों की स्थिति में क्या अंतर है?

पटरी पर दुकानदार एवं अन्य दुकानदारों की स्थिति में क्या अंतर है? पटरी पर दुकानदारों की स्थिति दयनीय होती है। वह अपना दुकान रोज लगाते एवं उठाते हैं उनकी दुकानें अस्थायी होती हैं वे रोज योजना बनाते हैं। रोज समान खरीदते और बेचते है।