मालकिन ने माटी वाली को भाग्यवान क्यों कहा है? - maalakin ne maatee vaalee ko bhaagyavaan kyon kaha hai?

मालकिन ने माटी वाली को भाग्यवान क्यों कहा है? - maalakin ne maatee vaalee ko bhaagyavaan kyon kaha hai?


प्रश्न 1. 'माटीवाली' कहानीकेआधारपरमुख्यपात्रकीचरित्रगतविशेषताएँलिखिए।

उत्तर-'माटीवाली' कहानीकीमुख्य पात्रहै-एकबुढ़िया।कहानीकारनेपूरीकहानीमेंकहींभीउसकानामनहींलिया।मुख्य पात्रहोकरभीवहनामरहितहै।उसकीचरित्रगतप्रमुखविशेषताएँनिम्नलिखितहैं

(i) बाह्य व्यक्तित्व-बुढ़ियामैली-कुचैलीछोटेकदकीमहिलाथीजोअतिसाधारणव्यक्तित्वकीस्वामिनीथी। सारेनगर-वासियोंकोउसकीअच्छीपहचानहैक्योंकिवहटिहरीनगरकेहरघरमें जातीथी।उसकाजन्महरिजनपरिवारमेंहुआथा।

(ii) परिश्रमी-माटीवालीबहुतपरिश्रमीऔरत थी।वृद्धावस्थामेंभीवहदिनभरकठोरपरिश्रमकरतीथी।माटाखानसेमिट्टीखोदनाऔर सिरपरकनस्तररखशहरमेंजगह-जगहजानाउसकाकार्यथा।उसकागाँवशहरसेएक घंटेकीदूरीपरथा।

(ii) अभावग्रस्तऔरअसहाय-माटीवालीपूर्णरूपसेअभावग्रस्तथी। उसकेपासधनकेनामपरकुछनहींथा।वहजिसझोंपड़ीमेंरहतीथीवह ठाकुरकीज़मीनपरबनीथी।उसकेलिएभीउसेबेगारकरनीपड़तीथी।अपनीअसहायावस्था केकारणहीवहकहतीहै - "गरीब, आदमीकाश्मशाननहींउजड़नाचाहिए।"

(iv) डरपोक-माटी वालीस्वभावसेडरपोकथी।जबवहठकुराइनकेघरमिट्टीदेनेकेलिएगईतोउसे वहाँदोरोटियाँदीगईंऔरठकुराइनउसकेलिएचायलेनेगई।माटीवालीनेएक रोटीझटसेछिपाकरअपनेडिल्लेमेंबाँधलीऔरझूठ-मूठहीमुँहहिलानेलगी जैसेवहरोटीकोचबा-चबाकरखारहीहो।जबगृहस्वामिनीनेस्वयंउसेरोटीदी तोउसेरोटीछिपानेऔरडरनेकीकोईबातनहींथी।

(v) पतिकेप्रतिलगाव-बुढ़िया काबुड्ढापतिबहुतकमज़ोरथा।वहअपनीझोंपड़ीमेंपड़ारहताथापरबुढ़ियाका मनउसकेआस-पासमंडरातारहताथा।वहस्वयंरोटीखाउसकेलिएरोटीलानेका प्रयत्नकरतीथी।उसकेप्रतिउसकेहृदयमेंअगाधलगावथा।तभीतोवहउसकेलिए एकपावप्याज़खरीदतीहैताकिवहकोरीरोटीखाए।उसकीबात 'भूखमीठीकि भोजनमीठा?' उसकेकानोंमेंगूंजतारहताहै।वास्तवमेंबुढ़ियागरीबी, असहायावस्थाऔरपीड़ाकी प्रतीकमात्रहैजिसकेजीवनमेंदुःखहीदुःखहै।

प्रश्न 2. कहानीकेआधारपरबुड्ढे कीविशेषताएँलिखिए।

उत्तर-

(i) बीमारऔरअशक्त-माटीवालीकापतिबहुतअशक्तऔरबीमार था।वहचलने-फिरनेकेयोग्यनहींथाइसलिएठाकुरकीज़मीनपरबनीझोंपड़ीमें दिन-रातपड़ारहताथा।

(ii) सचेत-बुड्ढाचाहेकमज़ोरऔरविवशथापरसचेतथा।जब माटीवालीबुढ़ियावापिसझोंपड़ीमेंपहुँचतीतोआहटहोतेहीवहचौंकजायाकरताथा औरनज़रेंउठाकरउसकीतरफदेखाकरताथा।

(ii) भूखसेत्रस्त-बुड्ढाभूखसेत्रस्त रहताथा।जबबुढ़ियाउसकेलिएरोटीलेकरपहुँचतीथीतोवहखिलउठताथा।सब्जी मिलनेपरभीवहसंतुष्टरहताथाऔरपूछताथा - "भूखमीठीकिभोजनमीठा?"

प्रश्न 3. टिहरीशहरकेपासगाँवमेंरहनेवालीबुढ़ियाकोविस्थापितक्योंहोनापड़ा?

उत्तर-भागीरथी औरभीलांगनानदियोंकेतटोंपरटिहरीशहरबसाहुआथा।बिजलीउत्पादनकेलिएजब वहाँ  बांधबनायागयातोटिहरीशहरकोझीलमेंसमाजानाथा।जिनलोगोंके ज़मीनथीउन्हेंतोउनकीसंपत्तिकेआधारपरसरकारनेपुनर्वासदेदियापरबुढ़िया केपासतोकुछभीनहींथाइसलिएउसेविस्थापितहोनापड़ा।

प्रश्न 4. ठकुराइननेबुढ़िया कोभाग्यवानक्योंकहाथा?

उत्तर-जबठकुराइनकेघर 'माटीवाली' मिट्टीकाकनस्तर लेकरपहुंचीतबचायकासमयहोचुकाथा।भारतीयसंस्कृतिमेंमेहमानकोभगवानका हीरूपमानतेहैंइसलिएउसनेकहाथा, "तूबहुतभाग्यवानहै।चायकेटैमपर आईहैहमारेघर।भाग्यवानआएखातेवक्त।"

प्रश्न 5. शहरवालोंकोलालमिट्टीकी ज़रूरतक्योंहोतीथी?

उत्तर-दोनदियोंकेबीचबसेटिहरीशहरकीज़मीनरेतीलीथी। वेलोगखानापकानेकेलिएचूल्हाजलातेथे औरहरबारउन्हेंचूल्होंकीलालमिट्टी सेपुताईकरनीपड़तीथीक्योंकिरेतीलीमिट्टीसेपुताईनहींहोसकती।साथहीवे कमरों, दीवारोंकीगोबरी-लिपाईकरनेकेलिएभीलालमिट्टीकाप्रयोगकरतेथे।

प्रश्न 6. टिहरीशहरमेंआपाधापीकबमचीथी?

उत्तर-जबटिहरीबाँधकीदोसुरंगोंकोबंद करदियागयातोशहरमेंपानीभरनेलगाथा।शहरवासीअपनेघरोंकोछोड़करवहाँ  सेभागनेलगेइसकारणसारेशहरमेंआपाधापीमचगईथी।

प्रश्न 7. नगरवालोंके लिएमाटीवालीक्यामहत्त्वरखतीथी?

उत्तर-नगरवालोंकेलिएमाटीवालीबहुतमहत्त्व रखतीथी।मिट्टीवालीकीमिट्टीसेनगरवालोंकेचूल्हेजलतेथे।लोगोंकोरसोई केचूल्हे-चौकोंकीलिपाईकेलिएमिट्टीकीआवश्यकताहोतीथी।इसलिएघरमेंसाफ़ लालमिट्टीकाहोनाज़रूरीथा।सालदोसालमेंमकानकीदीवारोंकीगोबरी-लिपाई करनेकेलिएमिट्टीकीआवश्यकताहोतीथी।इसलिएनगरवालोंकेलिएमाटीवालीउनके जीवनमेंबहुतमहत्त्वरखतीथी।

प्रश्न 8. माटीवालीनेमालकिनद्वारादीगईदोरोटियों काक्याकिया?

उत्तर-माटीवालीजिसघरमेंमिट्टीडालनेगईथी, उसघरकी मालकिननेउसेरोटीखानेकेलिएदी।मालकिनकेघरअंदरजातेहीउसनेअपनेसिर पररखनेवालाकपड़ानिकाला, उसमेंसेएकरोटीमोड़करअपनेपतिकेलिएउस कपड़ेमेंरखलीमालकिननेआनेपरवहऐसेमुँहचलानेलगीजैसेउसनेएक रोटीसमाप्तकरलीहै।दूसरीरोटीउसनेचायकेसाथखाई।

प्रश्न 9. आजकलघरोंमें सेकौनबरतनदिखाईनहींदेतेहैंऔरउनकीजगहकिसधातुकेबरतनगए हैं?

उत्तर-आजकलघरोंमेंपीतल, कांसेऔरतांबेकेबरतनदिखाईनहींदेतेहैं। किसी-किसीकेघरमेंसजावट केमेंयहबरतनदिखाईदेतेहैं।आजकलअधिकतरघरोंमें स्टील, कांचऔरएल्यूमीनियमकेबरतनदिखाईदेतेहैं।

प्रश्न 10. घरकीमालकिननेयहक्यों कहाकिअपनीचीज़कामोहबहुतबुराहोताहै?

उत्तर-घरकीमालकिनदूरकी बातसोचनेवालीथी।उसकेघरमेंपीतलकेबरतनथे।वहसोचतीथीकिउसके पूर्वजोंनेयहबरतनपतानहींकिसप्रकारपेट-काट-काटकरइकट्ठेकिएहोंगे।उसे इनबरतनोंसेबहुतलगावथा।वहउसकेपुरखोंकीगाढ़ीकमाईकेथे।अबटिहरीपर बांधबनरहाथाजिसकारणउसेमकानछोड़नापड़ेगा।वहइसउम्रमेंदूसरीनई जगहजानेकोतैयारनहींहैंइसलिएवहमाटीवालीसेकहतीहैकिअपनीचीज़का मोहबहुतबुराहोताहै।

प्रश्न 11. माटीवालीचायकिसढंगसेपीरहीथी?

उत्तर-घर कीमालकिनमाटीवालीकेलिएपीतलकेगिलासमेंचायलेकरलाईथी।माटीवाली नेखुलेकपड़ेसेपूरीगोलाईमेंगरमचायकागिलासपकड़लिया।गरमचायपीने सेपहले, वहगिलासकेअंदररखीचायकोठंडाकरनेकेलिएसू-सूकरके, उस परलंबी-लंबीफूंकेंमारनेलगी।फिरधीरे-धीरेरोटीकेसाथचायसुड़कनेलगी।

प्रश्न 12. माटीवालीनेयहक्योंकहाकिचायकीबहुतअच्छासागहोतीहै?

उत्तर-घर कीमालकिनमाटीवालीकोदोरोटीदेतीहै।उसकेपासरोटीकेसाथदेनेकेलिए साग-सब्जीनहींथी।वहउसकेलिएचायबनाकरलातीहै।माटीवालीचायसाथरोटी खातीहै।घरकीमालकिनसाग-सब्जीहोनेकीबातकरतीहैतबमाटीवालीकहती हैकिउनकेलिएतोरोटीकेसाथचायबहुतअच्छासागहोतीहै। 

प्रश्न 13. माटी वालीचायसमाप्तकरकहाँगईऔरउसेवहाँ  सेक्यामिला?

उत्तर-माटीवालीचाय समाप्तकरअपनासमानलेकरसामनेवालेघरमेंचलीगईउसघरसेउसेकल मिट्टीलेकरआनेकाकाममिलाथा।उसघरकीमालकिनभीउसेदोरोटीखानेदे देतीहै।

प्रश्न 14. माटीवालीघर-घरसेमिलीरोटियोंकाक्याकरतीहै?

उत्तर-माटी वालीघर-घरसेमिलीरोटियोंकोअपनेकपड़ेमेंबांधकरघरलेजातीहै।घर उसकाबीमारपतिउसकाइंतज़ारकररहाहोताहै, माटीवालीसारादिनमाटीढ़ो-ढोकर थकजातीहैउससेशायकीरसोईबनानेमेंमुश्किलआतीहै।उससमयदिनकीइकट्ठी कीगईरोटियोंदोनोंपति-पत्नीकेकामआतीहै।

प्रश्न 15. माटीवालीकीदिनचर्चाकैसी थी?

उत्तर-माटीवालीकीदिनचर्चाबहुतव्यस्तमयथी।पतिकेअस्वस्थहोनेकेकारणसभी कामवहस्वयंकरतीथी।उसकागाँवशहरसेदूरथा।वहरोज़सुबहघरसेमिट्टी केलिएनिकलजातीहै।पहलेवहमाटाखानमेंमिट्टीखोदतीहैफिरउन्हेंविभिन्न स्थानोंपरफैलेघरोंतकपहुँचातीहै।वहयहसाराकामअकेलेकरतीहै।उसेअपना कामसमाप्तकरते-करतेरातघिरनेलगतीहै।वहजल्दी-जल्दीपैरउठाकरघरके लिएचलतीहै।घरपहुँचकरवहरसोईकाकामनिपटातीहैऔरघरकेअन्यकामपूरे करतीहै।

प्रश्न 16. माटीवालीकीआर्थिकस्थितिकैसीथी?

उत्तर-माटीवालीकीआर्थिक स्थितिअच्छीनहींथी।उसकापतिबीमारतथाकमज़ोरथा।उससेकोईकामनहींहोताथा। माटीवालीमिट्टीठोकरघरकागुजाराचलातीथी।उसकेपासअपनाकोईखेतनहींथा। जिसज़मीनपरउसकीझोपड़ीथीवहगाँवकेठाकुरकीथी।ठाकुरज़मीनकेएवजमें उससेकईतरहकेकामकरवालेताथा।उसकेपैसेभीनहींदेताथा।इसप्रकारमाटी वालीबड़ीतंगीसेअपनेघरकानिर्वाहकरतीथी।

प्रश्न 17. माटीवालीकेबुड्ढेको अबरोटीकीज़रूरतक्योंनहींथी?

उत्तर-माटीवालीरोटियोंकाहिसाबलगातेहुएघर पहुँचीउसनेसोचाथाकिआजवहबुड्ढेकोसूखीरोटीनहींदेगीउसनेएकपाव प्याजखरीदलिए।वहप्याजकीसब्जीबनाकरअपनेपतिकोरोटीकेसाथदेगी।परंतु घरपहुंचकरप्रतिदिनकीतरहबुड्ढेनेउसकीआहटसुनकरअपनीकोईप्रतिक्रियानहींदिखाई। माटीवालीनेउसकाशरीरछूकरदेखातोउसकापतिअपनीमिट्टीछोड़करजाचुका था-वहमरगयाथा।अबउसकेबुड्ढेकोरोटीकीज़रूरतनहींथी।

प्रश्न 18. टिहरी बाँधपुनर्वासवालेसाहबकिनलोगोंकोमुआवजादेरहेथे?

उत्तर-टिहरीबाँधबननेसे नीचेकेशहरोंमेंपानीभरगयाथा। इसलिएवहाँ  केलोगोंकोदूसरीजगहविस्थापित कियागया।टिहरीबाँधवालेसाहबउनलोगोंकामुआवजादेरहेथेजिनकेपासज़मीन, घरऔरदुकानसंबंधीकागज़थे।जिनलोगोंकेपासकुछनहींथाउनकेलिएसरकार कुछनहींकररहीथी।माटीवालीकेपासभीकिसीप्रकारकीसंपत्तिनहींथी इसलिएबाँधबननेकेबादवहअपनागुज़ाराकैसेकरे, उसेइसबातकीचिंतासतानेलगी।

माटी वाली को घर की मालकिन ने भाग्यवान क्यों कहा?

घर-घर जाकर माटी बेचने वाली नाटे कद की एक हरिजन बुढ़िया - माटी वाली। शहरवासी सिर्फ़ माटी वाली को नहीं, उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं। रद्दी कपड़े को मोड़कर बनाए गए एक गोल डिल्ले' के ऊपर लाल, चिकनी मिट्टी से छुलबुल भरा कनस्तर टिका रहता है। उसके ऊपर किसी ने कभी कोई ढक्कन लगा हुआ नहीं देखा।

माटी वाली को घर की मालकिन खाने को क्या देती है?

वहाँ पूरा दिन माटीखान से माटी खोदती व शहर में विभिन्न स्थानों में फैले घरों तक माटी को पहुँचाती थी। माटी ढोते-ढोते उसे रात हो जाती थी। इसी कारण उसके पास समय नहीं था कि अपने अच्छे या बुरे भाग्य के विषय में सोच पाती अर्थात् उसके पास समय की कमी थी जो उसे सोचने का भी वक्त नहीं देती थी।

तू बहुत भाग्यवान है कहानी में ठकुराइन ने माटी वाली को भाग्यवान क्यों कहा?

प्रश्न :- ठकुराइन ने बुढ़िया को भाग्यवान क्यों कहा था? उत्तर- जब ठकुराइन के घर 'माटी वाली' मिट्टी का कनस्तर लेकर पहुंची तब चाय का समय हो चुका था। भारतीय संस्कृति में मेहमान को भगवान् का ही रूप मानते हैं इसलिए उसने कहा था, “तू बहुत भाग्यवान है

माटी वाली का पति क्या करता था?

उत्तर: माटी वाली की वृद्धावस्था तथा गरीबी पर तरस खाकर घर की मालकिनें बची हुई एक-दों रोटियाँ, ताजा-बासी साग, तथा बची-खुची चाय दे दिया करती थीं, वह उनमें से एकाध रोटी अपने पेट के हवाले कर लेती थी तथा बाकी बची रोटियाँ कपड़े में बाँधकर रख लेती थी, ताकि वह इसे ले जाकर अपने वृद्ध, बीमार एवं अशक्त पति को खिला सके।