इस लेख में अज्ञेय जी का संक्षिप्त जीवन परिचय , यह दीप अकेला पाठ का सार तथा महत्वपूर्ण प्रश्न अभ्यास। सप्रसंग व्याख्या और काव्य सौंदर्य आदि का अभ्यास है। Show
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ प्रगतिवाद के प्रमुख कवि है। माना जाता है कि प्रगतिवाद का आरंभ इनके द्वारा ही हुआ है। अज्ञेय द्वारा तार सप्तक की शुरुआत किए जाने पर उसमें प्रमुख कविताओं को जगह मिल पाई। महत्वपूर्ण कवियों की पहचान संभव हो सके। यह दीप अकेला ( पाठ का सार, सप्रसंग व्याख्या और काव्य सौंदर्य )अज्ञेय किसी परिचय के मोहताज नहीं है उन्होंने प्रयोगवाद की मजबूत आधार शिला रखी। तार सप्तक मैं रघुवीर सहाय जैसे महत्वपूर्ण लेखकों की पहचान हो सकी , उनके व्यक्तित्व और समाज के प्रति दृष्टिकोण को पाठक जान सका। अज्ञेय जी ने सदैव अपने समाज और राष्ट्र को सर्वोपरि मानते हुए अपनी लेखनी जारी रखी। एक व्यक्ति को समाज से जोड़ने का उनका आजीवन संघर्ष रहा। सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेयजीवन परिचयजन्म – सन 1911 में कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) शिक्षा – पंजाब विश्वविद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा , मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से विज्ञान की पढ़ाई , लाहौर कॉलेज से बीएससी व अंग्रेजी विषय से एम.ए। कार्य – अध्यापन कार्य –
संपादन कार्य – 1936 में सैनिक पत्रिका , विशाल भारत , प्रतीक दिनमान , नवभारत टाइम्स का सफल संपादन किया। लेखन कार्य – अज्ञेय ने तार सप्तक , दूसरा सप्तक , तीसरा सप्तक , प्रत्येक सप्तक में उन्होंने सात-सात कवियों की रचनाओं को शामिल किया। जेल में उन्होंने ‘चिंता’ तथा ‘शेखर एक जीवनी’ को लिखा। रचनाएं – काव्य – भग्नदूत , चिंता , बावरा अहेरी , हरी घास पर क्षण भर। नाटक – उत्तर प्रियदर्शी कहानियां – विपथगा , परंपरा , यह तेरे प्रतिरूप , जिज्ञासा। उपन्यास – शेखर एक जीवनी , नदी के द्वीप , अपने अपने अजनबी। यात्रा वृतांत – अरे यायावर रहेगा याद , एक बूंद सहसा उछली। निबंध – त्रिशंकु , सबरंग , आत्मनेपद। पुरस्कार –
साहित्यिक विशेषताएं –
भाषा शैली –
मृत्यु – सन् 1987 में इनका देहांत दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में हुआ। यह दीप अकेला कविता का सार‘ यह दीप अकेला ‘ में अज्ञेय जी ने दीपक को मनुष्य के प्रतीक के रूप में लिया है। जिस प्रकार पंक्ति में शामिल हो जाने पर एक जगमगाते दीपक का सौंदर्य और महत्व बढ़ जाता है , उसी प्रकार एक व्यक्ति जो अपने आप में स्वतंत्र है प्रेम व करुणा से भरा हुआ है उसकी सार्थकता भी समाज के साथ जुड़कर रहने में है। अतः अज्ञेय जी व्यक्तिगत सत्ता को सामाजिक सत्ता से जोड़ने पर बल देते हैं , ताकि विश्व का कल्याण हो सके इसी में दीप की सार्थकता है और व्यक्ति की भी। सप्रसंग व्याख्या ( यह दीप अकेला )यह दीप अकेला …………………… पंक्ति को दे दो। प्रसंग – कवि – अज्ञेय कविता – यह दीप अकेला संदर्भ – इसमें अज्ञेय जी दीपक के माध्यम से मनुष्य की बात करते हैं। व्याख्या – कवि कहते हैं कि यह जो दीपक है वह स्नेह , प्यार व अपनेपन से भरा हुआ है परंतु अकेला है। अर्थात जो मनुष्य है उसमें गर्व , घमंड और अनेक शक्तियां भरी हुई है। जिससे कि वह इठलाता और इतराता रहता है। इसलिए अनेक शक्तियां होते हुए भी यह अकेला है हमें इसे समाज में शामिल कर लेना चाहिए ताकि इसकी शक्तियों से राष्ट्र का कल्याण हो सके। यह वह व्यक्ति है जो देश कल्याण का गीत गाता है , यदि इसे समाज में शामिल नहीं किया गया तो फिर ऐसे मधुर गीत कौन गायेगा। यह वह गोताखोर है जो भावनाएं रूपी समुद्र के अतल गहराई में जाकर सुंदर रचनाएं रूपी मोती खोज कर लाता है और फिर उन्हें कौन खोज कर लाएगा। यह वह यज्ञ की हवन सामग्री है अर्थात ऐसी प्रज्वलित अग्नि कोई बिरला हटीला बहुत में एक हर सुलगा पाएगा। यह अद्वितीय है इसके जैसा कोई दूसरा नहीं है यह मेरा है अर्थात इसमें स्व की भावना है। यह दीप अकेला अर्थात मनुष्य अकेला है पर प्रेम व स्नेह से भरा हुआ है , साथ में अपनी शक्तियों पर इठलात , इतराता है। हमें इसे जन समूह में शामिल कर लेना चाहिए , इसी में देश की भलाई है। विशेष – इन पंक्तियों में कवि ने मनुष्य की व्यक्तिगत सत्ता को सामाजिक सत्ता में शामिल करने का संदेश दिया है। काव्य सौंदर्य –
काव्य सौंदर्ययह सदा द्रवित ………………श्रद्धामाय इसको भी पंक्ति को दे दो। । भाव सौंदर्य – कवि दीपक को प्रतीक बनाकर मनुष्य के गुणों का वर्णन कर रहे हैं , जो सदा दयालु जागरूक तथा सबके प्रति प्रेम भाव से युक्त रहता है। इसी प्रकार से कभी भी समस्त कष्ट स्वयं सहन कर सबको अपनाने के लिए तैयार रहता है। शिल्प सौंदर्य –
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मैंने देखा एक बूंद कविता का मूल भाव क्या है?उत्तर : इस कविता में अज्ञेय ने समुन्द्र से अलग होती एक बूंद की क्षणभंगुरता की व्याख्या की है । इस कविता द्वारा कवि ने एक क्षण के महत्व को दर्शाया है।
मैंने देखा एक बूंद कविता में क्या व्याख्या किया गया है?उत्तर: इस कविता में कवि सच्चिदानंद हीरानंद जी दीप तथा मनुष्य की तुलना करते हुए मनुष्य को समाज का हिस्सा बनाने के लिए कहते है । कवि कहते है कि दीप अकेला रहता है तो वह पुर्रे संसार में प्रकाश नहीं दे पता है परन्तु जब वह दीपों के पंक्ति में शामिल कर दिया जाता है तो उसके प्रकाश की तरिद्रता बढ़ जाती है ।
बूंद किसका प्रतीक है?'बूँद और समुद्र' में 'बूँद' व्यक्ति का और 'समुद्र' समाज का प्रतीक है। एक और रूप में इस नाम की प्रतीकात्मकता सार्थक सिद्ध होती है।
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