मानसिक रूप से स्वस्थ शिक्षक की विशेषता - maanasik roop se svasth shikshak kee visheshata

  • मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति की विशेषताएँ-Mansik Swasthya Ki Visheshta
    • (i) सहनशीलता
    • (ii) आत्मविश्वास
    • (iii) जीवन-दर्शन
    • (iv) संवेगात्मक परिपक्वता
    • (v) वातावरण का ज्ञान
    • (vi) सामंजस्य की योग्यता
    • (vii) निर्णय करने की योग्यता
    • (viii) वास्तविक संसार में निवास
    • (ix) शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति ध्यान
    • (x) आत्म-सम्मान की भावना
    • (xi) व्यक्तिगत सुरक्षा की भावना
    • (xii) आत्म-मूल्यांकन की क्षमता
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मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति की विशेषताएँ-Mansik Swasthya Ki Visheshta

मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति की विशेषताएँ- मानसिक रूप से स्वस्थ या सुसमायोजित व्यक्ति में निम्नलिखित विशेषताएँ पाई जाती हैं-

(i) सहनशीलता

ऐसे व्यक्ति में सहनशीलता होती है। अतः उसे अपने जीवन की निराशाओं को सहन करने में किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता है।

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(ii) आत्मविश्वास

ऐसे व्यक्ति में आत्मविश्वास होता है। उसे यह विश्वास होता है कि वह अपनी योग्यता के कारण सफलता प्राप्त कर सकता है। उसे यह भी विश्वास होता है कि वह प्रत्येक कार्य को उचित विधि से कर सकता हैं वह अधिकतर अपने ही प्रयास से अपनी समस्याओं का समाधान करता है।

(iii) जीवन-दर्शन

ऐसे व्यक्ति का एक निश्चित जीवन दर्शन होता है, जो उसके दैनिक कार्यों को अर्थ और उद्देश्य प्रदान करता है। उसके जीवन दर्शन का सम्बन्ध इसी संसार से होता है। अतः उसमें इस संसार से दूर रहने की प्रवृत्ति नहीं होती है। इसी प्रवृत्ति के कारण वह अपनी समस्याओं का समाधान करने के लिए वास्तविक कार्य करता है। वह अपने कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों की कभी अवहेलना नहीं करता है।

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(iv) संवेगात्मक परिपक्वता

ऐसे व्यक्ति अपने व्यवहार में संवेगात्मक परिपक्वता का प्रमाण देता है। इसका अभिप्राय यह है कि उसमें भय, क्रोध, ईर्ष्या जैसे संवेगों को नियन्त्रण में रखने और उनको वांछनीय ढंग से व्यक्त करने की क्षमता होती है। वह भय, क्रोध और चिन्ताओं से अस्त-व्यस्त नहीं होता हैं।

(v) वातावरण का ज्ञान

ऐसे व्यक्ति को वातावरण और उसकी शक्तियों का ज्ञान होता है। इस ज्ञान के आधार पर वह निर्भय होकर भावी योजनायें बनाता है। उसमें जीवन की वास्तविकताओं का उचित ढंग से सामना करने की शक्ति होती है।

(vi) सामंजस्य की योग्यता

ऐसे व्यक्ति में सामंजस्य करने की योग्यता होती है। इसका अभिप्राय यह है कि वह दूसरों के विचारों और समस्याओं को एवं उनमें पाई जाने वाली विभिन्नताओं को स्वाभाविक बात समझता है। वह स्थायी रूप से प्रेम कर सकता है, प्रेम प्राप्त कर सकता है और मित्र बना सकता है।

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(vii) निर्णय करने की योग्यता

ऐसे व्यक्ति में निर्णय करने की योग्यता होती है। वह स्पष्ट रूप से विचार करके प्रत्येक कार्य के सम्बन्ध में उचित निर्णय कर सकता है।

(viii) वास्तविक संसार में निवास

ऐसा व्यक्ति वास्तविक संसार में, न कि काल्पनिक संसार में, निवास करता हैं उसका व्यवहार वास्तविक बातों से, न कि इच्छाओं और काल्पनिक भयों से निर्देशित होता है।

(ix) शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति ध्यान

ऐसा व्यक्ति अपने शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति पूर्ण ध्यान देता है। वह स्वस्थ रहने के लिए नियमित जीवन व्यतीत करता है। वह भोजन, नींद, आराम, शारीरिक कार्य, व्यक्तिगत स्वच्छता और रोगों से सुरक्षा के सम्बन्ध में स्वास्थ्य प्रदान करने वाली आदतों का निर्माण करता है।

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(x) आत्म-सम्मान की भावना

ऐसे व्यक्ति में आत्म-सम्मान की भावना होती है। वह अपनी योग्यता और महत्त्व को भली-भाँति समझता है एवं दूसरों से उनके सम्मान की आशा करता है।

(xi) व्यक्तिगत सुरक्षा की भावना

ऐसे व्यक्ति में व्यक्तिगत सुरक्षा की भावना होती है। वह अपने समूह में अपने को सुरक्षित समझता है। वह जानता है कि उसका समूह उससे प्रेम करता है और उसे उसकी आवश्यकता है।

(xii) आत्म-मूल्यांकन की क्षमता

ऐसे व्यक्ति में आत्म-मूल्यांकन की क्षमता होती है। उसे अपने गुणों, दोषों, विचारों और इच्छाओं का ज्ञान होता है। वह निष्पक्ष रूप से अपने व्यवहार के औचित्य और अनौचित्य का निर्णय कर सकता है। वह अपने दोषों को सहज ही स्वीकार कर लेता है।

मानसिक रूप से व्यक्ति का स्वस्थ होना अत्यन्त आवश्यक है। वह स्वस्थ तभी रह सकता है जब उचित वातावरण द्वारा वह उपर्युक्त सभी गुणों को अपने में सन्तुलित रूप से विकसित करे।

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मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति की विशेषताएं क्या होती है?

मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण वह व्यक्ति संतोषी और प्रसन्नचित्त रहता है और भय, क्रोध, प्रेम द्वेष, निराशा, अपराध, दुश्चिन्ता आदि आवेगों से व्यथित नहीं होता। वह अपनी योग्यता और क्षमता को न तो अत्यधिक उत्कृष्ट और न हीन समझता है। वह ममत्वशील होता है और दूसरों की भावनाओं का ध्यान रखता है।

शिक्षण शिक्षण में मानसिक स्वास्थ्य का क्या महत्व है?

शिक्षण अधिगम में समायोजन की प्रक्रिया का विशेष महत्व है। इसके अभाव में मानसिक संघर्ष होते हैं। मनुष्य अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए अपने वातावरण तथा परिस्थितियों के साथ समायोजन करता है। यह आवश्यक नहीं है कि वह समायोजन की प्रक्रिया में सफलता प्राप्त करे ही, इसलिए उसके मस्तिष्क में संघर्ष उत्पन्न होता ही है।

मानसिक रोगी की विशेषता क्या है?

स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में मनोरोगों से ग्रस्त व्यक्तियों का व्यवहार असामान्‍य अथवा दुरनुकूली (मैल एडेप्टिव) निर्धारित किया जाता है और जिसमें महत्‍वपूर्ण व्‍यथा अथवा असमर्थता अन्‍तर्ग्रस्‍त होती है। इन्हें मनोरोग, मानसिक रोग, मानसिक बीमारी अथवा मानसिक विकार भी कहते हैं।

अध्यापक के मानसिक स्वास्थ्य के लिए क्या आवश्यक है?

अध्यापक को चाहिए कि वह राष्ट्रीय सेवा तथा भावना का अपने से विकास करे। संकीर्ण भावना से बचे। राष्ट्रीय भावना के प्रसार का लक्ष्य होने से अध्यापक में आत्मविश्वास विकसित होता है और राष्ट्रहित व्यापक होता है।