मानसून कितने प्रकार का निकलता है? - maanasoon kitane prakaar ka nikalata hai?

मानसून कितने प्रकार का निकलता है? - maanasoon kitane prakaar ka nikalata hai?

मानसून कितने प्रकार का निकलता है? - maanasoon kitane prakaar ka nikalata hai?

तमिलनाडु के नागरकायल (कन्याकुमारी के पास) में मानसून के बादल

मानसून या पावस, मूलतः हिन्द महासागर एवं अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली हवाओं को कहते हैं जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी वर्षा करातीं हैं। ये ऐसी मौसमी पवन होती हैं, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक, प्रायः चार माह सक्रिय रहती है। इस शब्द का प्रथम प्रयोग ब्रिटिश भारत में (वर्तमान भारत, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश) एवं पड़ोसी देशों के संदर्भ में किया गया था। ये बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से चलने वाली बड़ी मौसमी हवाओं के लिये प्रयोग हुआ था, जो दक्षिण-पश्चिम से चलकर इस क्षेत्र में भारी वर्षाएं लाती थीं।[1] हाइड्रोलोजी में मानसून का व्यापक अर्थ है- कोई भी ऐसी पवन जो किसी क्षेत्र में किसी ऋतु-विशेष में ही अधिकांश वर्षा कराती है। [2][3] यहां ये उल्लेखनीय है, कि मानसून हवाओं का अर्थ अधिकांश समय वर्षा कराने से नहीं लिया जाना चाहिये। इस परिभाषा की दृष्टि से संसार के अन्य क्षेत्र, जैसे- उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, उप-सहारा अफ़्रीका, आस्ट्रेलिया एवं पूर्वी एशिया को भी मानसून क्षेत्र की श्रेणी में रखा जा सकता है। ये शब्द हिन्दी व उर्दु के मौसम शब्द का अपभ्रंश है। मानसून पूरी तरह से हवाओं के बहाव पर निर्भर करता है। आम हवाएं जब अपनी दिशा बदल लेती हैं तब मानसून आता है।.[4] जब ये ठंडे से गर्म क्षेत्रों की तरफ बहती हैं तो उनमें नमी की मात्र बढ़ जाती है जिसके कारण वर्षा होती है।

नामकरण एवं परिभाषा[संपादित करें]

हिन्दी में प्रयुक्त मानसून, अंग्रेज़ी शब्द मॉनसून से आया है, और जिसको अंग्रेजी ने पुर्तगाली शब्द monção (मॉन्साओ) से लिया है, जिसका मूल उद्गम अरबी शब्द मौसिम (موسم "मौसम") है। यह शब्द हिन्दी एवं उर्दु के अतिरिक्त विभिन्न उत्तर भारतीय भाषाओं में भी प्रयोग किया जाता है[5], जिसकी एक कड़ी आरंभिक आधुनिक डच शब्द मॉनसन से भी मिलती है।.[6] इस परिभाषा के अनुसार विश्व की प्रधान वायु प्रणालियां सम्मिलित की जाती हैं, जिनकी दिशाएं ऋतुनिष्ठ बदलती रहती हैं।

अधिकांश ग्रीष्मकालीन मानसूनों में प्रबल पश्चिमी घटक होते हैं और साथ ही विपुल मात्रा में प्रबल वर्षा की प्रवृत्ति भी होती है। इसका कारण ऊपर उठने वाली वायु में जल-वाष्प की प्रचुर मात्रा होती है। हालांकि इनकी तीव्रता और अवधि प्रत्येक वर्ष में समान नहीं होती है। इसके विपरीत शीतकालीन मानसूनों में प्रबल पूर्वी घटक होते हैं, साथ ही फैलने और उतर जाने तथा सूखा करने की प्रवृत्ति होती है।[7]

विश्व के मानसून[संपादित करें]

विश्व की प्रमुख मानसून प्रणालियों में पश्चिमी अफ़्रीका एवं एशिया-ऑस्ट्रेलियाई मानसून आते हैं। इस श्रेणी में उत्तरी अमरीका और दक्षिण अमरीकाई मॉनसूनों को सम्मिलित करने में कुछ मतभेद अभी भी जारी हैं।

दक्षिण एशियाई[संपादित करें]

भारतीय मानसून[संपादित करें]

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भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून की आरंभ की तिथियां एवं चलने वाली हवाएं

भारत में मानसून हिन्द महासागर व अरब सागर की ओर से हिमालय की ओर आने वाली हवाओं पर निर्भर करता है। जब ये हवाएं भारत के दक्षिण पश्चिम तट पर पश्चिमी घाट से टकराती हैं तो भारत तथा आसपास के देशों में भारी वर्षा होती है। ये हवाएं दक्षिण एशिया में जून से सितंबर तक सक्रिय रहती हैं। वैसे किसी भी क्षेत्र का मानसून उसकी जलवायु पर निर्भर करता है। भारत के संबंध में यहां की जलवायु ऊष्णकटिबंधीय है और ये मुख्यतः दो प्रकार की हवाओं से प्रभावित होती है - उत्तर-पूर्वी मानसून व दक्षिणी-पश्चिमी मानसून। उत्तर-पूर्वी मानसून को प्रायः शीत मानसून कहा जाता है। यह हवाएं मैदान से सागर की ओर चलती हैं, जो हिन्द महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी को पार करके आती हैं। यहां अधिकांश वर्षा दक्षिण पश्चिम मानसून से होती है। भारत में पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर से कर्क रेखा निकलती है। इसका देश की जलवायु पर सीधा प्रभाव पड़ता है। ग्रीष्म, शीत और वर्षा ऋतुओं में से वर्षा ऋतु को प्रायः मानसून भी कह दिया जाता है।

सामान्यत: मानसून की अवधि में तापमान में तो कमी आती है, लेकिन आर्द्रता (नमी) में अच्छी वृद्धि होती है। आद्रता की जलवायु विज्ञान में महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। यह वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प की मात्र से बनती है और यह पृथ्वी से वाष्पीकरण के विभिन्न रूपों द्वारा वायुमंडल में पहुंचती है।

पूर्व एशियाई[संपादित करें]

पूर्व एशियाई मानसून इंडो-चीन, फिलिपींस, चीन, कोरिया एवं जापान के बड़े क्षेत्रों में प्रभाव डालता है। इसकी मुख्य प्रकृति गर्म, बरसाती ग्रीष्मकाल एवं शीत-शुष्क शीतकाल होते हैं। इसमें अधिकतर वर्षा एक पूर्व-पश्चिम में फैले निश्चित क्षेत्र में सीमित रहती है, सिवाय पूर्वी चीन के जहां वर्षा पूर्व-पूर्वोत्तर में कोरिया व जापान में होती है। मौसमी वर्षा को चीन में मेइयु, कोरिया में चांग्मा और जापान में बाई-यु कहते हैं। ग्रीष्मकालीन वर्षा का आगमन दक्षिण चीन एवं ताईवान में मई माह के आरंभ में एक मानसून-पूर्व वर्षा से होता है। इसके बाद मई से अगस्त पर्यन्त ग्रीष्मकालीन मानसून अनेक शुष्क एवं आर्द्र शृंखलाओं से उत्तरवर्ती होता जाता है। ये इंडोचाइना एवं दक्षिण चीनी सागर (मई में) से आरंभ होक्र यांग्तज़े नदी एवं जापान में (जून तक) और अन्ततः उत्तरी चीन एवं कोरिया में जुलाई तक पहुंचता है। अगस्त में मानसून काल का अन्त होते हुए ये दक्षिण चीन की ओर लौटता है।

अफ़्रीका[संपादित करें]

पश्चिमी उप-सहारा अफ़्रीका का मानसून को पहले अन्तर्कटिबन्धीय संसृप्ति ज़ोन के मौसमी बदलावों और सहारा तथा विषुवतीय अंध महासागर के बीच तापमान एवं आर्द्रता के अंतरों के परिणामस्वरूप समझा जाता था।[8] ये विषुवतीय अंध महासागर से फरवरी में उत्तरावर्ती होता है और फिर लगभग २२ जून तक पश्चिमी अफ़्रीका पहुंचता है और अक्टूबर तक दक्षिणावर्ती होते हुए पीछे हटता है।[9] शुष्क उत्तर-पश्चिमी व्यापारिक पवन और उनके चरम स्वरूप हारमट्टन, ITCZ में उत्तरी बदलाव से प्रभावित होते हैं और परिणामित दक्षिणावर्ती पवन ग्रीष्मकाल में वर्षाएं लेकर आती हैं। सहेल और सूडान के अर्ध-शुष्क क्षेत्र अपने मरुस्थलीय क्षेत्र में होने वाली अधिकांश वर्षा के लिये इस शैली पर ही निर्भर रहते हैं।

उत्तरी अमेरिका[संपादित करें]

मानसून कितने प्रकार का निकलता है? - maanasoon kitane prakaar ka nikalata hai?

उत्तर अमेरिकी मानसून (जिसे लघुरूप में NAM भी कहते हैं) जून के अंत या जुलाई के आरंभ से सितंबर तक आता है। इसका उद्गम मेक्सिको से होता है और संयुक्त राज्य में मध्य जुलाई तक वर्षा उपलब्ध कराता है। इसके प्रभाव से मेक्सिको में सियेरा मैड्र ऑक्सीडेन्टल के साथ-साथ और एरिज़ोना, न्यू मेक्सिको, नेवाडा, यूटाह, कोलोरैडो, पश्चिमी टेक्सास तथा कैलीफोर्निया में वर्षा और आर्द्रता होती है। ये पश्चिम में प्रायद्वीपीय क्षेत्रों तथा दक्षिणी कैलीफोर्निया के तिर्यक शृंखलाओं तक फैलते हैं, किन्तु तटवर्ती रेखा तक कदाचित ही पहुंचते हैं। उत्तरी अमरीकी मानसून को समर, साउथवेस्ट, मेक्सिकन या एरिज़ोना मानसून के नाम से भी जाना जाता है।[10][11] इसे कई बार डेज़र्ट मानसून भी कह दिया जाता है, क्योंकि इसके प्रभावित क्षेत्रों में अधिकांश भाग मोजेव और सोनोरैन मरुस्थलों के हैं।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. ग्लोसरी ऑफ मीटियरोलॉजी (जून, २०००). "Monsoon". अमरीकी मौसम विभाग. मूल से 22 जून 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 मार्च 2008.
  2. रैमेज, सी., मानसून मीटियरोलॉजी। इंटरनेशनल जियोफ़िज़िक्स सीरीज़, खण्ड १५, पृ. २९६। एकैडेमिक प्रेस, सैन डियागो, कैलिफ़। १९७१
  3. इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द थर्ड वर्कशॉप ऑन मानसून्स। द ग्लोबल मानसून सिस्टम: रिसर्च एण्ड फ़ोरकास्ट Archived 2008-04-08 at the Wayback Machine। अभिगमन तिथि: १६ मार्च २००८
  4. ट्रेनबर्थ, के.ई., स्तेपेनियैक, डी.पी., कैरन, जे.एम.। २०००। द ग्लोबल मानसून ऍज़ सीन थ्रु द डायवर्जेंट एटमॉस्फेरिक सर्कुलेशन। जर्नल ऑफ क्लाइमेट, १३, ३९६९-३९९३
  5. रिचर्ड डिलेसी, परवेज़ दीवान (१९९८). हिन्दी & उर्दु फ़्रेज़बुक. लोनली प्लानेट. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0864424256. मूल से 30 मई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जुलाई 2010. ... What's the weather like? Mausam kaisa hai? ...
  6. OED ऑनलाइन
  7. "Monsoon". ब्रिटैनिका. मूल से 13 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १५ मई २००७.
  8. अफ़्रीकन मानसून मल्टीडिसिप्लिनरी एनालाइज़ेज़ (AMMA). "कैरेक्टरिस्टिक्स ऑफ द वेस्ट अफ़्रीकन मानसून". AMMA. मूल से 12 जुलाई 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १५ अक्टूबर २००९.
  9. इन्नोवेशन्स रिपोर्ट: मानसून इन वेस्ट अफ़्रिका: क्लासिक कम्टिन्युइटी हाइड्स ए ड्युअल साइकिल रेनफ़ॉल रेजीम Archived 2011-09-19 at the Wayback Machine। अभिगमन तिथि: २५ मई २००८
  10. एरिज़ोना राजकीय विश्वविद्यालय, भूगोल विभाग। बेसिक्स ऑफ एरिज़ोना मानसून Archived 2009-05-31 at the Wayback Machine। अभिगमन तिथि: २९ फ़रवरी २००८
  11. न्यू मेक्सिको टेक। व्याख्यान १७: १. नॉर्थ अमेरिकन मानसून सिस्टम Archived 2008-10-30 at the Wayback Machine अभिगमन २९ फ़रवरी २००८

बहिर्गामी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • मानसून उत्पत्ति सम्बन्धी जेट-स्ट्रीम संकल्पना (जागरण जोश)
  • वर्षा के उपर एक शिक्षण केन्द्रित्त निबंध (मृत कडी गूगल कॅश देखें)

मानसून के कितने प्रकार है?

ये हैं, शीत ऋतु, ऋतु, कुछ क्षेत्रीय विविधताओं के साथ मानसून के आगमन तथा वापसी का काल। प्रवाहित होती हैं। ये स्थल से समुद्र की ओर बहती हैं तथा इसलिए देश के अधिकतर भाग में शुष्क मौसम होता है। इन पवनों के कारण कुछ मात्रा में वर्षा तमिलनाडु के तट पर होती है, क्योंकि वहाँ ये पवनें समुद्र से स्थल की ओर बहती हैं।

भारत में मौसम कितने प्रकार के हैं?

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने भारत की जलवायु को निम्नलिखित चार ऋतुओं में बाँटा है– शीत, ग्रीष्म, वर्षा और शरद ऋतु ।

मानसून हवा क्या है?

मानसून मूलत : हिन्द महासागर एवं अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली हवाओं को कहते हैं जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी वर्षा करातीं हैं। ये ऐसी मौसमी पवन होती हैं, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक, प्रायः चार माह सक्रिय रहती है।

मानसून की उत्पत्ति कैसे हुई?

मानसून की उत्पत्ति की तापीय संकल्पना का सर्वप्रथम प्रतिपादन हैले ने 1686 ई. में किया था। मानसून की उत्पत्ति से संबंधित तापीय संकल्पना के अनुसार, मानसून की उत्पत्ति पृथ्वी पर स्थल तथा जल के असमान वितरण और उनके गर्म एवं ठंडा होने के विरोधी स्वभाव के कारण होती है।