मानव जीवन में नैतिक मूल्यों का महत्व - maanav jeevan mein naitik moolyon ka mahatv

इसे सुनेंरोकेंनैतिकता का सम्बंध मानव जीवन की अभिव्यक्ति से हैं। मानव जीवन में नैतिक मूल्यों की आवश्यकता, महत्त्व अनिवार्यता व अपरिहार्यता जरुरी हैं, ताकि वह अपने परिवार के साथ -साथ सामाजिक दायित्व को निभा सके। नैतिकता सामाजिक जीवन को सुगम एवं विस्तृत बनाती हैं । वैदिक मन्त्रों में नैतिकता को विशेष महत्व दिया जाता हैं ।

नैतिकता से आपका क्या अभिप्राय है?

इसे सुनेंरोकेंनैतिकता मानव समाज का एक अभिन्न अंग है। हमारे द्वारा किए गए किसी भी निर्णय में नैतिक आधार होता है। मानव समाज में नैतिकता की भूमिका वांछित या अवांछित क्या है यह निर्धारित करने में निहित है। इस प्रकार, नैतिकता एक दार्शनिक अवधारणा है जिसमें सही और गलत की अवधारणाओं को व्यवस्थित करना, बचाव करना और अनुशंसा करना शामिल है।

नैतिकता क्या है Hindi?

इसे सुनेंरोकेंनैतिकता का अर्थ नैतिकता एक आंतरिक प्रश्न होता है, जिसका पालन अंतरात्मा की आवाज से स्वेच्छा से किया जाता है, नैतिकता कहलाती है। नैतिकता, शब्द लैटिन रूट शब्द Ethicus से लिया गया है जिसका अर्थ चरित्र, आदत, रीति-रिवाज आदि है।

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इसे सुनेंरोकेंनैतिकता ही वह खूबी है जो हमारे सामाजिक होने की पहचान कराती है और जीवन को बेहतर ढंग से जीना सिखाती है। बच्चों को नैतिक मूल्यों की जानकारी देना इसलिए जरूरी है ताकि वे अच्छे-बुरे, सही-गलत का फर्क समझ सकें और जान सकें कि क्या करने से समाज में आदर, सराहना और प्यार मिलता है और क्या करने से नहीं।

नैतिक मूल्य की विशेषता क्या है?

इसे सुनेंरोकेंनैतिक मूल्य को सामान्यतः आदर्श संस्कारो के रूप में देखा जाता हैं अर्थात अपने से बड़ो का सम्मान करना,अपने माँ-बाप की सेवा करना,गुरुजी की आज्ञा का पालन करना,पूजा-पाठ करना,अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करना आदि। इन सभी को नैतिक मूल्यों के रूप में ही देखा जाता रहा हैं।

नैतिक मूल्य का क्या अभिप्राय है वर्तमान में इसकी आवश्यकता समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंनैतिकता/नैतिक मूल्य वास्तव में ऐसी सामाजिक अवधारणा है जिसका मूल्यांकन किया जा सकता है. यह कर्तव्य की आंतरिक भावना है और उन आचरण के प्रतिमानों का समन्वित रूप है जिसके आधार पर सत्य असत्य, अच्छा-बुरा, उचित-अनुचित का निर्णय किया जा सकता है और यह विवेक के बल से संचालित होती है.

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मूल्य की विशेषता क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमूल्यों की विशेषताएं (Characteristics of human values in hindi) – (1) मूल्यों को सीखा जाता है! मूल्य जन्मजात नहीं होते है, बल्कि समाजीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से सिखाए जाते हैं! (2) मूल्य सामान्यतः स्थाई प्रकृति के होते हैं!

मूल्यों की प्रमुख विशेषताएं क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमूल्य उसके व्यवहार को नियन्त्रित एवं उसका मार्गदर्शन करते है। इस प्रकार से मूल्य समाज में व्यवहार निर्धारक होते है। आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक एवं राजनैतिक इत्यादि विभिन्न क्रियाओं मे व्यक्ति सक्रिय रूप से सम्मिलित होता है। इस सम्मिलित सहभागिता से मूल्यों का विकास होता है।

नैतिक का पर्यायवाची क्या है?

इसे सुनेंरोकेंनैतिक वि० [सं०] नीति संबंधी । नीतियुक्त ।

नैतिक मूल्य से क्या आशय है किन्हीं दस नैतिक मूल्यों को स्पष्ट कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंExplanation: नैतिकता/नैतिक मूल्य वास्तव में ऐसी सामाजिक अवधारणा है जिसका मूल्यांकन किया जा सकता है. यह कर्तव्य की आंतरिक भावना है और उन आचरण के प्रतिमानों का समन्वित रूप है जिसके आधार पर सत्य असत्य, अच्छा-बुरा, उचित-अनुचित का निर्णय किया जा सकता है और यह विवेक के बल से संचालित होती है.

हमारा संपूर्ण जीवन इस धरती पर ईश्वर का दिया हुआ तपस्वीक वरदान है। अगर हमनें इस पवित्र धरती पर पैर रखा है, तो हमे संपूर्ण जीवन जीने का पूरा-पूरा हक है।

अब इस जीवन काल -चक्र मे हमें बिना उलझे हुए यह सुनिश्चित करना होगा की अपनी जिंदगी किस तरह निर्वाहन करना है। इस धर्म संकट से निपटने के लिए सर्वप्रथम अपने दिल -दिमाग एवं आतंरिक विवेक से एक कठिन एवं सफल निर्णय लेना है, ऐसा निर्णय जो अपनी अंतरात्मा, स्वाभिमान, गुणवत्ता, सहिष्णुता, नैतिकता एवं अमूल्य गुणों को अपने अंदर निहित करता है । हमें अपनी जीवन-सीमा सुनिश्चित करना है की इस काल-चक्र संसार में अपनी जन्म से मृत्यु तक का दायित्व को सही एवं कर्मठ तरीकों से निर्वहन किया जाए।

हमें इस सांसारिक सुखों के लिए ईश्वर ने इस दुनिया में नही भेज है, इसी पराकाष्ठा पे अपनी व्यक्तित्व विशेष का सही एवं उपयुक्ता को अपनाते हुए, नैतिक, समाजिक, पारिवारिक एवं उपयोगित पहलूओ को ध्यान मे रखते हुए जीवन को वैकल्पिक विन्दुओ में केंद्रित करना चाहिए ।

हमें अब असल विन्दुओ पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ..

 

नैतिक दायित्व का सही मूल्यांकन हम अकेले कर सकते है या नहीं,म यह आपके अंतरात्मा की परिभाषित शब्द है ।

हमें हमेशा ऐसा नही सोचना चाहिए की हम अकेले इस मूल्यों को सत्यापित कर पाते है या साथ लेकर जनता विशेष से .. उदहारण सरल है …

 

एक -एक बूंद से घड़ा भरता है, यह कहावत पूर्णतः सत्य है। सत्यापित तथ्यों को अपने मूल्यों में एकत्रित करते हमें हर मोड़ पर अपनी जिमेवारी निभाना चाहिए। हम मे से ऐसा कितने है, जो हमेशा अपने नैतिकता पे खरे उतरे हैं। इसका जवाब आपको ख़ुद अपनी अन्तरात्मा की ध्वनि से प्राप्त हो जाएगी । हम नही कहते की हम पूर्णतया अपनी नैतिकता को निर्वहन करते हैं, पर जब आप सफल निर्वहन करना अपना लेंगें तो यह सत्यापित खुद आप की अन्तरात्मा को सांकेतिक परिभाषा देगी।

कुछ ऐसे महापुरुष हुए जो नैतिक मूल्यों को जीवन भर महत्व दिया, किन्तु आज अन्तरात्मा की आवाज न सुनकर केवल भौतिक सुविधाओं की ओर ध्यान दिया जा रहा है। आज नैतिक मूल्यों के अभाव में परिवार बिखर रहे हैं, भाई -बंधू एक दूसरे के लिए लड़ाई – झगड़े कर रहे हैं, नैतिक मूल्यों के अभाव में व्यक्तियों के चरित्र में गिरावट आ रही हैं ।

कन्फ्यूशियस के अनुसार – “यदि आपका चरित्र अच्छा है तो आपके परिवार में शांति रहेगी, यदि आपके परिवार में शांति रहेगी तो समाज में शांति रहेगी, यदि समाज में शांति रहेगी तो राष्ट्र में शांति रहेगी” ।

मनुष्य की अन्तर्निहित पूर्णता को अभिव्यक्त करना ही शिक्षा है।- (स्वामी विवेकानन्द)

 

आध्यात्मिकता  का अर्थ है अपनी अन्तरात्मा की आवाज के अनुरूप अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना हैं। नैतिकता का सम्बंध मानव जीवन की अभिव्यक्ति से हैं। मानव जीवन में नैतिक मूल्यों की आवश्यकता, महत्त्व अनिवार्यता व अपरिहार्यता जरुरी हैं, ताकि वह अपने परिवार के साथ -साथ सामाजिक दायित्व को निभा सके।नैतिकता सामाजिक जीवन को सुगम एवं विस्तृत बनाती हैं ।वैदिक मन्त्रों में नैतिकता को विशेष महत्व दिया जाता हैं ।

हेनरी थोरू के शब्दों में- Men have become the tools of their tools.

आचार संहिता ही नैतिकता की परिभाषा हैं, शिक्षा व्यक्ति की अंतर्निहित क्षमता एवं  व्यक्तित्त्व को  विकसित करने वाली विधि हैं, जनता का आशिर्वाद, प्रेम, स्नेह आपको प्रफ़ुलित करेगा, यही आपकी सही मूल्यांकन होगा ।

उद्दाहरण स्वरुप बताना चाहूंगा …

 

हर रोज जन्दगी कुछ पुरानी, नयी उम्मीदें एवं नया रूप दिखाती हैं,  कुछ चीजों को हम ध्यानित करते हैं, एवं कुछ चीजों को भूल जाते हैं। कुछ अच्छाईयां, बुराईया हमें एक नया रास्ता बताती हैं। अब हम इस मोड़ पर क्या नया कदम चुनेगे, यह आपका दिल और दिमाग ही बता पायेगा । हमें हमेशा लगनपूर्वक सामाजिक, सांसारिक जिमेवारी निभाते हुए कुछ अलग करने की साहस रखना होगा । यह तभी सम्भव हैं, जब हर इंसान अपनी नैतिक मूल्यों का सही मूल्यांकन अपने सहासिक कदमो से इस धरती पर गौरवान्वित करें।

हम एक श्रेष्ठ राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी सम्पन का पाएंगे । एक पहलू हमेशा हमें आध्यात्मिक  चीजों से जोड़ता हैं, जो हमें चेतना एवं स्फ्रूति प्रदान करता हैं।

 

हमारी स्वक्छ्ता एवं निर्मलता जो एक श्रेष्ठ राष्ट्र में महत्पूर्ण हैं । जो निम्नांकित कविता में अन्तर्निहित हैं ।

नैतिक मूल्य में मानव जीवन का क्या महत्व है?

नैतिकता व्यक्ति के विकास में एक सीढ़ी के समान है, जिसके सहारे हम अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं। नैतिक मूल्यों के अभाव में मनुष्य मानव जीवन को निर्थक बना देता है। प्रख्यात विचारक अल्बेयर कामू ने भी कहा है कि नैतिकता के बिना एक व्यक्ति इस दुनिया में किसी पशु के समान है।

मूल्यों का मानव जीवन में क्या महत्व है?

मूल्यों का महत्व: मूल्य निर्णय लेने में सहायता करते हैं: एक व्यक्ति न्याय करने में सक्षम है कि वह क्या सही है और वह गलत है जो वह मानता है। यह जीवन में विभिन्न चरणों में मदद करता है क्योंकि यह निर्णय लेने की प्रक्रिया को आसान बनाता है। अच्छे मूल्यों वाले व्यक्ति बेहतर निर्णय लेने की संभावना रखते हैं।

जीवन के नैतिक मूल्य से आप क्या समझते हैं?

नैतिक मूल्य क्या है ? (What is Moral value?) सच्चाई, ईमानदारी, प्रेम, दयालुता, मैत्री आदि को नैतिक मूल्य कहा जाता है। सच्चाई को स्वतः साध्य मूल्य कहा जाता है यह अपने आप में ही मूल्यपूर्ण है। इसका प्रयोग साधन की भांति नहीं किया जाता, बल्कि यह स्वतः साध्य है। सभी विवादों में भी सत्य के अन्वेषण का प्रयास किया जाता है।

नैतिक मूल्य क्या है in Hindi?

नैतिकता/नैतिक मूल्य वास्तव में ऐसी सामाजिक अवधारणा है जिसका मूल्यांकन किया जा सकता है. यह कर्तव्य की आंतरिक भावना है और उन आचरण के प्रतिमानों का समन्वित रूप है जिसके आधार पर सत्य असत्य, अच्छा-बुरा, उचित-अनुचित का निर्णय किया जा सकता है और यह विवेक के बल से संचालित होती है.