शत्रु का नाम सुनते ही एक आम व्यक्ति अपने शत्रुओं के विषय में सोचने लगता है | आम तौर पर यह एक मानवीय प्रवृति भी है कि व्यक्ति अपने शत्रु को समय-समय पर नीचा दिखाने में निरंतर प्रयत्नशील रहता है | किन्तु वह इस बात से अनभिग्य रहता है कि शत्रु के विषय में बार-बार सोचकर वह अपने शत्रु को ही शक्तिशाली बना रहा है व स्वयं की उर्जा का ह्रास कर रहा है | कभी-कभी कुछ विद्वानों के विषय में प्रश्न उठता है की मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु/(Manushya ka Sabse Bada Shatru)कौन है ? Show ऐसा ही प्रश्न एक बार एक राजा के मन में भी उठा |राजा ने अपने इस प्रश्न का उत्तर पाने हेतु सम्पूर्ण राज्य में यह सूचना जारी कर दी कि जो विद्वान् हमें यह बतायेगा कि मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु कौन है(Manushya ka Sabse Bada Shatru) वह भी प्रमाण के साथ, तो उसे सोने-चांदी के इतने उपहार दिए जायेंगे जिसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकता | किन्तु यदि उसने इस प्रश्न का सही उत्तर प्रमाण के साथ नहीं दिया तो मृत्युदंड दिया जायेगा | राजा द्वारा इस प्रकार की घोषणा सुनने के बाद राज्य के बड़े-बड़े विद्वान् इस प्रश्न का उत्तर खोजने में लग गये, किन्तु मृत्यु के भय से राजा के समक्ष जाने की किसी की भी हिम्मत न हुई | राज्य के राजपुरोहित विद्वान् भी राजा के इस प्रश्न का उत्तर देकर उपहार पाना चाहते थे किन्तु मृत्यु का भय उन्हें भी राजा के समक्ष जाने से रोक रहा था | राजपुरोहित अपने मन में राजा के प्रश्न का उत्तर सोचते सोचते राज्य में विचरण कर रहे थे कि एक गाय चराने वाले ग्वाले ने पूछ लिया, राजपुरोहित जी किस सोच में खोये हुए है आप ? तब राजपुरोहित ने ग्वाले को सारी बात बता दी | Manushya ka Sabse Bada Shatru ग्वाले ने कहा यह तो बहुत ही साधारण सा प्रश्न है इसमें इतना व्याकुल होने की क्या आवश्यकता है ? राजपुरोहित ने कहा यदि तुम जानते हो कि मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु कौन है तो मुझे बताओ मैं राजा को बताकर उपहार की राशि प्राप्त कर लूँगा | इस पर ग्वाले ने कहा नहीं राजपुरोहित जी इस प्रश्न का उत्तर तो मैं ही राजा के समक्ष जाकर दे सकता है क्योंकि इसको प्रमाणित करने के लिए मेरा वहाँ होना जरुरी है | उपहार की राशि की मुझे कोई जरुरत नहीं है वह तो तुम ही रख लेना | राजपुरोहित जी उस ग्वाले की बात से सहमत हो गये और उसे अपने साथ राजमहल चलने को कहा | ग्वाले ने राजपुरोहित जी से कहा किन्तु आपको मेरा एक काम करना होगा | मेरे साथ यह सूअर का बच्चा जो मुझे अपनी जान से भी अधिक प्रिय है आप इसे अपने कंधे पर लेकर चलेंगे | इस पर राजपुरोहित थोड़े विचलित हुए और बोले आप होश में तो है मेरे द्वारा इस सूअर के बच्चे को कंधे पर उठाने से मेरा अपमान होगा मैं इस राज्य का राजपुरोहित हूं | ग्वाले ने कहा आप मेरी इस शर्त को मानते है तो मैं आपके साथ राजमहल चलने को तैयार हूं, यदि आपको लगता है कि इस सूअर के बच्चे को कंधे पर उठाने से आपका अपमान होगा तो आप ऐसा कर सकते है कि ऊपर से एक बड़ा कपड़ा ढककर ले चलना इससे आपका अपमान भी नहीं होगा और मेरा भी कार्य हो जायेगा | कुछ समय के लिए राजपुरोहित ने सोचा फिर बोले चलो ऐसा ही करते है और सूअर के बच्चे को राजपुरोहित ने अपने कंधे पर उठाया उसके ऊपर एक बड़ा कपडा ढका व ग्वाले के साथ राजमहल में राजा के समक्ष आ पहुंचे | राजपुरोहित ने राजा से कहा हे राजन, मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु कौन है इसका उत्तर मेरी तरफ से यह ग्वाला देगा | राजा ने अनुमति दे दी | अब ग्वाले ने कहा : हे राजन मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु कौन है व इसका प्रमाण दोनों ही आपके सामने खड़े है | राजा ने कहा साफ़-साफ़ बताएं में कुछ समझा नहीं | अन्य जानकारियाँ :-
तब ग्वाले ने झटके से राजपुरोहित के ऊपर से कपड़ा हटा दिया, सूअर के बच्चे को राजपुरोहित के कंधे पर देख राजा और सभी राजदरबार के सदस्य अचंभित रह गये | ग्वाले ने कहा -हे राजन, मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु ” लोभ ” है | इससे बड़ा शत्रु(Manushya ka Sabse Bada Shatru) ना आज तक कुछ और हुआ है और न ही होगा | दौलत के लोभ में आकर राजपुरोहित अपने धर्म को भी भूल गया और जिस सूअर के हाथ भी लग जाने से वह 2 बार नहाता था आज वही राजपुरोहित सूअर के बच्चे को अपने कंधे पर ले आया | राजा को ग्वाले की बात समझ में आ गयी और कहा तुमने सही कहा ” लोभ ” ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और फिर राजा ने ग्वाले व राजपुरोहित दोनों को पुरुस्कृत किया | चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। मानव का सबसे बड़ा शत्रु कौन होता है मानो कि अपनी अहंकार की भावना जिसके अंदर अहंकार और घमंड आ जाता है वहीं इसका सबसे बड़ा शत्रु अगर यह भावना उसके अंदर से चली जाए तो सबसे अच्छा Romanized Version दुर्गा मंत्र: वे कैसे मदद करते हैं?मां दुर्गा ब्रह्मांड की मां हैं, जो सबका ख्याल रखती हैं और सभी को अपने बच्चे की तरह बेहद प्यार करती हैं। संस्कृत में, दुर्गा शब्द का शाब्दिक अर्थ है "एक किला" या "एक ऐसी जगह जिस पर आसानी से चढ़ा नहीं जा सकता है या जिसकी चढ़ाई नहीं की जा सकती।" यह देवी दुर्गा की सुरक्षात्मक प्रकृति का प्रतिनिधित्व करता है और वह मां की तरह अपने सभी बच्चों की विपत्तियों से रक्षा के लिए सदैव खड़ी रहती हैं। मां दुर्गा तीन भागों में विभाजित हैं, जहाँ 'दु' चार बुराइयों यानी गरीबी, अकाल, पीड़ा और बुरी आदतों की ओर इशारा करता है। 'र' रोगों का प्रतिनिधित्व करता है और 'ग' का अर्थ है पाप, अन्याय, क्रूरता और आलस्य जैसी सभी नकारात्मक चीजों का नाश करने वाला। दुर्गा माँ हिंदू धर्म की सबसे अधिक पूजी जाने वाली देवी में से एक हैं क्योंकि वह रक्षक हैं। मां दुर्गा की सेवा करने से सुरक्षा मिलेगी और समृद्धि आएगी। नवरात्रि के समय पूरे देश में मां दुर्गा की पूजा की जाती है। इस समय को बहुत ही शुभ माना जाता है। ये मंत्र देवी दुर्गा को प्रसन्न करने का शानदार तरीका है, क्योंकि वह अच्छाई की दूत हैं। दुर्गा मंत्र का जाप कैसे करें
महत्वपूर्ण दुर्गा मंत्र1. माँ दुर्गा ध्यान मंत्रदुर्गा मंत्र अत्यंत शक्तिशाली होते हैं इसलिए हमारे जीवन में विशेष स्थान रखते हैं। इस मंत्र की बदौलत जीवन में बेहतर और सकारात्मक बदलाव आते हैं। मंत्रों का जाप करने से श्रद्धालु का मन शांत होता है। बाकी अलग-अलग जरूरतों के लिए अलग-अलग मंत्रों का उपयोग किया जाता है। मंत्र जाप शुरू करने से पहले प्रत्येक के बारे में जरूरी बातों को सीखना और उनके लिए दिए गए निर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण है क्योंकि तभी ये मंत्र उपासक को लाभ पहुंचाते हैं। मां दुर्गा ध्यान मंत्र हैॐ जटा जूट समायुक्तमर्धेंन्दु कृत लक्षणाम| लोचनत्रय संयुक्तां पद्मेन्दुसद्यशाननाम॥ अर्थ- मैं सर्वोच्च शक्ति को नमन करता हूं और आपसे आग्रह करता हूं कि लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने में और उन्हें प्राप्त करने में मेरी मदद करें। मां दुर्गा ध्यान मंत्र के जाप के लाभ
2. दुर्गा मंत्रमाँ दुर्गा में ब्रह्मांड के स्वामी की शक्ति है। वह अपनी संयुक्त शक्ति से बुराई को जड़ से समाप्त करती हैं और दुनिया को शांतिपूर्ण स्थान बनाती हैं। दुर्गा पूजा एक उत्सव है, जो कई भारतीय क्षेत्रों में दस दिनों तक मनाया जाता है। हालांकि इस पर्व को मुख्य रूप से पूर्वी और पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, ओडिशा, बिहार और झारखंड में मनाया जाता है। लेकिन यह पश्चिम बंगाल का मुख्य वार्षिक पर्व है। इन दिनों वहां अलग-अलग थीम के साथ पूजा पंडालों को सजाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने और मां दुर्गा के रूप में स्त्री ऊर्जा का जश्न मनाने का अवसर होता है। दुर्गा मंत्र है:सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते॥ अर्थ- मैं नारायणी को नमन करता हूं, जो सब कुछ शुभ बनाती हैं क्योंकि वह सबसे शुभ हैं। जो भी त्रिनेत्र गौरी की शरण में आता है, मां उसकी सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं। दुर्गा मंत्र जाप के लाभ
3. देवी स्तुति मंत्रनवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा विशेष फलदायी होती है। नवरात्रि ही एकमात्र ऐसा पर्व है, जिसमें मां दुर्गा, महाकाली, महालक्ष्मी और सरस्वती की पूजा कर जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है। यदि आप जीवन में भय और बाधाओं से परेशान हैं तो यह मंत्र आपको इनसे मुक्ति दिलाएगा। नवरात्रि हिंदू धर्म का एक द्विवार्षिक त्योहार है जो नौ रातों के लिए होता है। पहली नवरात्रि चैत्र के महीने में आती है और दूसरी नवरात्रि शरद के महीने में होती है। हर संस्कृति में देवी दुर्गा की पूजा करने का अपना-अपना तरीका होता है। हालांकि मंत्र वही है। देवी स्तुति मंत्र है:या देवी सर्वभुतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता । या देवी सर्वभुतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता । या देवी सर्वभुतेषु मातृरूपेण संस्थिता । या देवी सर्वभुतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥ अर्थ- मैं उस देवी की आराधना करता हूं, जो बार-बार सभी जीवों में मां के रूप में प्रकट होती हैं, उस देवी की पूजा करता हूं, जो बार-बार सभी जीवों में ऊर्जा के रूप में सर्वव्यापी हैं और सभी जीवों में बुद्धि, सौंदर्य के रूप में हर जगह वास करती हैं। मैं उस देवी की पूजा करता हूं, जो सभी जीवों में शांति के रूप में प्रकट होती हैं। मैं बारंबार उसी देवी को नमन करता हूं। देवी स्तुति मंत्र के जाप के लाभ
4. शक्ति मंत्रमां दुर्गा का शक्ति मंत्र सबसे शक्तिशाली मंत्रों में से एक है। इस मंत्र को नियमित रूप से जप करने से उपासक को अपने जीवन में आई कठिनाई से लड़ने की क्षमता बेहतर होती है। चूंकि शक्ति, जो शिव का आधा हिस्सा है, के कई रूप हैं। उनमें से एक रूप है, मां दुर्गा। जैसा कि नाम से पता चलता है, इस मंत्र को गहरी भक्ति के साथ पढ़ने से जातक खुद में मां दुर्गा की शक्ति का आभास कर सकता है। इसके बाद जीवन में आई मुश्किलों का सामना करना बेहद आसान हो जाता है। इस मंत्र में ऐसे शब्द हैं, जो हमारी अंतरात्मा से बोले जाते हैं। इसलिए जो इस मंत्र का जप करता है और जो इस मंत्र के जप को सुनता है, यह मंत्र दोनों को ही शांति और संतुष्टि प्रदान करता है। शक्ति मंत्र है:शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे। सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायण नमोऽस्तु ते सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते । भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते रोगनशेषानपहंसि तुष्टा। रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां। त्वमाश्रिता हृयश्रयतां प्रयान्ति सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। एवमेव त्वया कार्यमस्मद्दैरिविनाशनम् सर्वाबाधा विर्निर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित:। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी । दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते अर्थ- आप जो निर्बलों और गरीबों की रक्षा करने और उनके दुखों को दूर करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। हे देवी नारायणी, मैं आपसे प्रार्थना करता हूं। हे देवी दुर्गा, कृपया हमें सभी प्रकार के भय से बचाएं। हे सर्वशक्तिमान दुर्गा, मैं आपसे प्रार्थना करता हूं। हे देवी, जब आप प्रसन्न होती हैं, तब सभी बीमारियों को दूर कर देती हैं और जब आप क्रोधित होती हैं, तब वह सब नष्ट कर देती हैं जिसकी एक व्यक्ति कामना करता है। हालांकि, जो लोग आपके पास शरण लेने के लिए आते हैं, उन्हें आप सब कष्टों से दूर करती हैं। बल्कि ऐसे लोग इतने सक्षम हो जाते हैं कि दूसरों को आश्रय दे पाते हैं। जो कोई भी सर्दियों में आयोजित होने वाली महान पूजा के दौरान देवी की कहानी को सुनता है, वह सभी बाधाओं को दूर करने में सफल होता है और धन और संतान का आशीर्वाद प्राप्त करता है। हे देवी, मुझे अच्छे भाग्य, अच्छे स्वास्थ्य, अच्छे रूप, सफलता और प्रसिद्धि का आशीर्वाद दें। हे वैष्णवी, आप ही जगत का आधार हो। आपने दुनिया को मंत्रमुग्ध कर दिया है। जब आप किसी से प्रसन्न होते हैं तो उसे जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्त कर देते हो। हे देवी, आपको मंगला, काली, भद्र काली, कपालिनी, दुर्ग, क्षमा, शिव, धात्री, स्वाहा, स्वाधा के नाम से भी जाना जाता है, मैं आपसे प्रार्थना करता हूं। शक्ति मंत्र के जाप के लाभ
अन्य शक्तिशाली दुर्गा मंत्र1. माँ दुर्गा-दुः-स्वप्न-निवारण मंत्रमां दुर्गा स्वस्थ जीवन के रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं का नाश करती हैं। मां-दुर्गा-स्वप्न-निवारण मंत्र का यदि नियमित रूप से शांतिपूर्ण वातावरण में जप किया जाए तो वह उन सभी बुरे विचारों या नकारात्मकताओं को दूर कर देगा जो जातक की स्थिति को खराब कर रहे हैं। यह मंत्र मन को शांत रखता है और किसी भी तरह की बेचैनी को दूर करता है। यदि किसी को नींद न आने की समस्या या उन्मत्त मन की समस्या हो रही है, तो इस मंत्र का जाप करना बहुत फायदेमंद होगा। मां दुर्गा-दुह-स्वप्न-निवारण मंत्र है:शान्तिकर्मणि सर्वत्र तथा दु:स्वप्नदर्शने। ग्रहपीडासु चोग्रासु माहात्म्यं श्रृणुयान्मम॥
2. दुर्गा शत्रु शांति मंत्रदेवी दुर्गा, पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवों की माता हैं। एक माँ की तरह, वह अपने बच्चे को दुनिया की सभी तकलीफों से बचाने के लिए तत्पर रहती हैं। दशहरे के समय उपयोग किया जाने वाला दुर्गा शत्रु शांति मंत्र वास्तव में बुराई को नष्ट करने और राक्षसों को मार्ग से हटाने के लिए होता है। मूल रूप से इस मंत्र के मायने हैं कि व्यक्ति की राह में अड़चन बन जो शत्रु खड़ा है, जातक को उससे छुटकारा मिलेगा और उसका जीवन सफलता की ओर बढ़ेगा। यही नहीं, जीवन से सभी नकारात्मकता और शत्रुओं को दूर करने के लिए यह मंत्र बहुत ही कारगर है। दशहरा का त्योहार मृत्यु पर जीवन और बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव है। मां दुर्गा दुखों को दूर कर सभी बुराइयों को समाप्त करती हैं ताकि भक्त समृद्धि का जीवन व्यतीत करे। दुर्गा शत्रु शांति मंत्र है:रिपव: संक्षयम् यान्ति कल्याणम चोपपद्यते। नन्दते च कुलम पुंसाम माहात्म्यम मम श्रृणुयान्मम॥ दुर्गा शत्रु शांति मंत्र के जाप के लाभ
3. माँ दुर्गा-सर्व-बाधा-मुक्ति मंत्रमाँ दुर्गा नारी शक्ति का अवतार हैं और त्रिमूर्ति की शक्ति की संरचना हैं। उन्हें दुर्गति नाशिनी भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि जो लोग शुद्ध इरादे से उनकी पूजा करते हैं, मां दुर्गा उनके दुख और कष्ट दूर कर देती हैं। चूंकि वह सर्वोच्च देवताओं की संयुक्त शक्ति से प्रकट हुई हैं, इसलिए उन्हें शाश्वत माना जाता है, जिसका कोई आदि या अंत नहीं है। जैसा कि नाम से पता चलता है, जब कोई अपने जीवन से किसी भी बाधा को दूर करने की कोशिश कर रहा हो, उनके लिए मां दुर्गा-सर्व-बाधा-मुक्ति मंत्र बहुत फायदेमंद होता है। इस मंत्र के नियमित जाप से सफलता के रास्ते में जो भी बाधा आती है, वह दूर हो जाती है। माँ दुर्गा-सर्व-बाधा-मुक्ति मंत्र है:सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धन धान्य: सुतान्वित: | मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यती न संशय: || माँ दुर्गा-सर्व-बधा-मुक्ति मंत्र के जाप के लाभ
4. दुर्गा अशांत शिशु शांति प्रदायक मंत्रदेवी दुर्गा समूचे ब्रह्मांड की मां हैं। वह अपने सभी बच्चों की तमाम बुराईयों और बुरी नजर वालों से रक्षा करती है। इसी तरह अगर उनके किसी संतान को खुद को शांत करने में परेशानी महसूस हो या मन अस्थिर हो, तब उन्हें इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। यह जातक के लिए काफी फायदेमंद होगा। इस मंत्र की विशेषता यह है कि यह संतान की अंतरात्मा को शांत करता है और उसके आसपास मौजूद सभी नकारात्मकता को समाप्त करता है। दुर्गा अशांत शिशु शांति प्रदायक मंत्र है:बालग्रहभिभूतानां बालानां शांतिकारकं सङ्घातभेदे च नृणाम मैत्रीकरणमुतमम दुर्गा अशांत शिशु शांति प्रदायक मंत्र के जाप के लाभ
5. बाधा मुक्ति मंत्रमां दुर्गा का सर्व-बाधा-मुक्ति मंत्र की तरह ही सफलता के सामने कोई बहुत बड़ी बाधा खड़ी होने पर बाधा मुक्ति मंत्र अत्यंत लाभकारी होता है। देवी दुर्गा के आदेश पर पूरी दुनिया चलती है। वह शक्ति स्वरूपा है। वह निर्माण, पालन-पोषण और विनाश कर सकती है। वह ब्रह्मांड के लिए उपयुक्त निर्णय लेने वाली है। व्यक्ति विशेष चाहे कितनी ही बड़ी बाधा से क्यों न गुजर रहा हो, बाधा मुक्ति मंत्र का जाप करने से उसकी राह आसान हो जाती है। उसकी सभी समसयाओं का निवारण हो जाता है। साथ ही उन्हें मन वांछित परिणाम मिलता है। बाधा मुक्ति मंत्र है:सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धन धान्य: सुतान्वित: | मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यती न संशय: || बाधा मुक्ति मंत्र के जाप के लाभ
माँ दुर्गा मंत्र के जाप के समग्र लाभ
मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु कौन हैं?भय मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। विश्वास और विकास दोनों ही इससे कुंठित हो जाते हैं। भय मानसिक कमजोरी है। मन दुर्बल हो जाए तो शरीर भी दुर्बल हो जाता है।
मनुष्य का दुर्गा शत्रु कौन है?मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु मनुष्य खुद है। मेरे हिसाब से मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अहंकार है। जो आदमी के उत्तरोत्तर आध्यात्मिक एवं भौतिक विकास के मार्ग में सबसे बड़ा बाधक है।
इंसान का शत्रु कौन है?मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु मोह है, ऐसा आचार्य चाणक्य का कहना है। क्योंकि मोह ही सभी दुखों की मूल जड़ है। जब व्यक्ति किसी के मोह में फंस जाता है तो उसके दुखों से वह स्वयं भी दुखी होने लगता है।
सबसे बड़ा मित्र कौन सा है?मनुष्य का सबसे सच्चा मित्र और सबसे बड़ा शत्रु कौन है?. आचार्य का मानना था कि ज्ञान से बड़ा व्यक्ति का कोई मित्र नहीं है. ... . वहीं मोह इंसान का सबसे बड़ा शत्रु है. ... . इंसान का सबसे बड़ा रोग काम वासना है. ... . क्रोध से भयंकर कोई आग नहीं है.. |