मप्र के सागर जिले का नाम सागर क्यों पड़ा? - mapr ke saagar jile ka naam saagar kyon pada?

सागर
Sagar
मप्र के सागर जिले का नाम सागर क्यों पड़ा? - mapr ke saagar jile ka naam saagar kyon pada?

लाखा बंजारा झील के किनारे बसा सागर शहर

मप्र के सागर जिले का नाम सागर क्यों पड़ा? - mapr ke saagar jile ka naam saagar kyon pada?

मप्र के सागर जिले का नाम सागर क्यों पड़ा? - mapr ke saagar jile ka naam saagar kyon pada?

सागर

मध्य प्रदेश में स्थिति

निर्देशांक: 23°56′49″N 78°52′01″E / 23.947°N 78.867°Eनिर्देशांक: 23°56′49″N 78°52′01″E / 23.947°N 78.867°E
देश
मप्र के सागर जिले का नाम सागर क्यों पड़ा? - mapr ke saagar jile ka naam saagar kyon pada?
 
भारत
प्रान्तमध्य प्रदेश
ज़िलासागर ज़िला
क्षेत्रफल
 • महानगर49.763 किमी2 (19.214 वर्गमील)
ऊँचाई427 मी (1,401 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • शहर2,74,556
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड470001 - 470004
दूरभाष कोड07582
वाहन पंजीकरणMP-15
वेबसाइटwww.sagar.nic.in

सागर (Sagar) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के सागर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2]

इतिहास[संपादित करें]

सागर का इतिहास सन् १६६० से आरंभ होता है, जब निहालशाह के वंशज ऊदनशाह ने तालाब के किनारे स्थित वर्तमान किले के स्थान पर एक छोटे किले का निर्माण करवा कर उस के पास परकोटा नाम का गांव बसाया था। वही छोटा सा गांव आज सागर के नाम से जाना जाता है। परकोटा अब शहर के बीचों-बीच स्थित एक मोहल्ला है। वर्तमान किला और उसके अंदर एक बस्ती का निर्माण पेशवा के एक अधिकारी गोविंदराव पंडित ने कराया था। सन् १७३५ के बाद जब सागर पेशवा के आधिपत्य में आ गया, तब गोविंदराव पंडित सागर और आसपास के क्षेत्र का प्रभारी था। समझा जाता है कि इसका नाम ‘सागर’ उस विशाल सागर झील (लाखा बंजारा झील) के कारण पड़ा, जिसके किनारे नगर स्थित है।

विवरण[संपादित करें]

सागर को स्मार्ट सिटी योजना मे शामिल किया गया है। वर्तमान में सागर जिले में 11 जनपद पंचायतें हैं। जिनके अंतर्गत 755 ग्राम पंचायतें आती हैं। 10 नगरीय निकाय हैं। सागर शहर नगर निगम की सीमा में आता है। सागर संभागीय मुख्यालय भी है। जिसके अंतर्गत 6 जिले सागर, दमोह, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़ और निवाड़ी आते हैं। सागर जिले की स्थापना सन 1860 में हुई, सागर के प्रथम डिप्टी कमिश्नर केप्टिन जी एफ एस ब्राउन दिनांक 1-8-1860 से 19-9-1861 तक पदस्थ रहे,

[सागर विश्वविध्यालय] मध्यप्रदेश का पहला और देश का 16वां विश्वविध्यालय था। इसकी स्थापना 18 जुलाई 1946 को डॉ. हरीसिंह गौर ने अपनी जीवन की अर्जित सारी कमाई दान कर की थी। यह दुनिया में इस प्रकार के दान का अनूठा मामला है। इस विश्वविद्यालय को हम हम डॉ॰ हरीसिह गौर विश्वविध्यालय के नाम से जानते है। वर्ष 2009 में इसे केन्द्रीय विश्वविध्यालय का दर्जा मिल गया।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • सागर ज़िला
  • डॉ॰ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय
  • स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • सागर, भारत का हृदयस्थल

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Inde du Nord: Madhya Pradesh et Chhattisgarh Archived 2019-07-03 at the Wayback Machine," Lonely Planet, 2016, ISBN 9782816159172
  2. "Tourism in the Economy of Madhya Pradesh," Rajiv Dube, Daya Publishing House, 1987, ISBN 9788170350293

सागर का पुराना नाम क्या है?

इतिहास सागर का इतिहास सन् १६६० से आरंभ होता है, जब निहालशाह के वंशज ऊदनशाह ने तालाब के किनारे स्थित वर्तमान किले के स्थान पर एक छोटे किले का निर्माण करवा कर उस के पास परकोटा नाम का गांव बसाया था। वही छोटा सा गांव आज सागर के नाम से जाना जाता है। परकोटा अब शहर के बीचों-बीच स्थित एक मोहल्ला है।

सागर का नाम सागर क्यों पड़ा?

सन् 1735 के बाद जब सागर पेशवा के आधिपत्य में आ गया, तब गोविंदराव पंडित सागर और आसपास के क्षेत्र का प्रभारी था। समझा जाता है कि इसका नाम सागर उस विशाल सरोवर के कारण पड़ाए जिसके किनारे नगर स्थित है।

सागर जिले में कौन सा किला है?

सागर जिले में स्थित राहतगढ़ में बीना नदी के किनारे पहाड़ी पर यह एक विशाल व भव्य किला है। सागर से अतुल तिवारी। बुंदेलखंड में कई किले भारत के स्वाधीनता संग्राम के साक्षी रहे हैं। इसमें से एक है राहतगढ़ का किला

सागर जिले में कौन सी भाषा बोली जाती है?

बुन्देली– ग्वालियर, डबरा, सागर, बीना, दमोह, दतिया, नौगाँव, नरसिंहपुर, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, होशंगाबाद आदि स्थानों पर बोली जाती है।