मार्शल योजना के तहत पश्चिमी यूरोप के देशों को क्या लाभ हुआ? - maarshal yojana ke tahat pashchimee yoorop ke deshon ko kya laabh hua?

किस तरह यूरोपीय देशों ने युद्ध के बाद की अपनी परेशानियाँ सुलझाई? संक्षेप में उन कदमों की चर्चा करें जिनसे होते हुए यूरोपीय संघ की स्थापना हुई।


यूरोपीय संघ की स्थापना दूसरे विश्व युद्ध का परिणाम कही जा सकती हैं। 1945 तक यूरोपीय देशों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं की बर्बादी तो झेली ही, उन मान्यताओं और व्यवस्थाओं को ध्वस्त होते भी देख लिया जिन पर यूरोप खड़ा हुआ था। अत: यूरोप के नेताओं ने निम्न तरीकों से अपनी परेशानियों को सुलझाया:

  1. नाटो और यूरोपीय आर्थिक संगठनों की स्थापना: 1945 केबाद यूरोप के देशों में मेल-मिलाप को शीतयुद्ध से भी मदद मिली। अमरीका ने यूरोप की अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन के लिए जबरदस्त मदद की। इसे मार्शल योजना के नाम से जाना जाता है। अमेरिका ने 'नाटो' के तहत एक सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था को जन्म दिया। मार्शल योजना के तहत ही 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना की गई जिसके माध्यम से पश्चिमी यूरोप के देशों को आर्थिक मदद दी गई।
  2. यूरोपीय परिषद और आर्थिक समुदाय: 1949 में गठित यूरोपीय परषिद राजनैतिक सहयोग के मामले में एक अगला कदम साबित हुई। यूरोप के पूँजीवादी देशों की अर्थव्यवस्था के आपसी एकीकरण की प्रक्रिया चरणबद्ध ढंग से आगे बढ़ी जिसके परिणामस्वरूप 1957 में यूरोपीयन इकॉनामिक कम्युनिटी का गठन हुआ।
  3. यूरोपीय पार्लियामेंट का गठन: यूरोपीयन पार्लियामेंट के गठन के बाद इस प्रक्रिया ने राजनीतिक स्वरूप प्राप्त कर लिया। सोवियत गुट के पतन के बाद इस प्रक्रिया में तेजी आयी और 1992 में इस प्रक्रिया की परिणति यूरोपीय संघ की स्थापना के रूप में हुई। यूरोपीय संघ के रूप में समान विदेश और सुरक्षा नीति, अतिरिक मामलों तथा न्याय से जुड़े मुद्दों पर सहयोग और एकसमान मुद्रा के चलन के लिए रास्ता तैयार हो गया।
  4. यूरोपीय संघ का बनना: एक लम्बे समय में बना यूरोपीय संघ आर्थिक सहयोग वाली व्यवस्था से बदलकर ज्यादा से ज्यादा राजनैतिक रूप लेता गया है। अब यूरोपीय संघ स्वयं काफी हद तक एक विशाल राष्ट्र-राज्य की तरह ही काम करने लगा है। हाँलाकि यूरोपीय संघ का एक संविधान बनानेकी कोशिश तो असफल हो गई लेकिन इसका अपना झंडा, गान, स्थापना-दिवस और अपनी मुद्रा है।


खाली स्थान भरें:
1962 में भारत और चीन के बीच................ और ................ को लेकर सीमावर्ती लड़ाई हुई थी।


अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों

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लद्दाख के अक्साई चीन क्षेत्र


'ASEAN way' या आसियान शैली क्या है?

  • आसियान के सदस्य देशों की जीवन शैली है।

  • आसियान सदस्यों के अनौपचारिक और सहयोगपूर्ण कामकाज की शैली को कहा जाता है।

  • आसियान सदस्यों की रक्षानीति है।

  • सभी आसियान सदस्य देशों को जोड़ने वाली सड़क है।


B.

आसियान सदस्यों के अनौपचारिक और सहयोगपूर्ण कामकाज की शैली को कहा जाता है।


खाली स्थान भरें:

आसियान क्षेत्रीय मंच के कामों में .............  और................ करना शामिल है।


सामाजिक, आर्थिक उन्नति

,

शांति व्यवस्था कायम


तिथि के हिसाब से इन सबको क्रम दें :

(क) विश्व व्यापार संगठन में चीन का प्रवेश
(ख) यूरोपीय आर्थिक समुदाय की स्थापना
(ग) यूरोपीय संघ की स्थापना
(घ) आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना


(ख) यूरोपीय आर्थिक समुदाय की स्थापना
(घ) आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना
(ग) यूरोपीय संघ की स्थापना
(क) विश्व व्यापार संगठन में चीन का प्रवेश


इनमें से किसने 'खुले द्वार' की नीति अपनाई?

  • चीन

  • यूरोपीय संघ

  • जापान

  • अमेरिका


मार्शल योजना के तहत पश्चिम यूरोप के देशों को क्या लाभ हुआ?

इस योजना के अंतर्गत, जिसे मार्शल योजना के रूप में अधिक जाना जाता है, यूरोप में राष्ट्रीय विकास के प्रयासों का समर्थन करने के लिए अमेरिकी सहायता भारी मात्रा में दी गई थी, और इसे अभी भी बहुत-से यूरोपीय लोगों द्वारा अमेरिका के सबसे अच्छे समय के रूप में देखा जाता है।

मार्शल योजना से क्या लाभ है?

मार्शल योजना के कार्यान्वयन को संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध की शुरुआत के रूप में उद्धृत किया गया है, जिसने प्रभावी रूप से मध्य और पूर्वी यूरोप के अधिकांश हिस्सों पर नियंत्रण कर लिया था और कम्युनिस्ट राष्ट्रों के रूप में अपने उपग्रह गणराज्यों की स्थापना की थी.

मार्शल योजना का मुख्य उद्देश्य क्या था?

मार्शल योजना में अंतरराष्ट्रीय बाधाओं को कम करना, कई नियमों को समाप्त कर उत्पादकता, श्रमिक संघ सदस्यता में वृद्धि के साथ-साथ आधुनिक व्यावसायिक प्रक्रियाओं को अपनाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया था

मार्शल योजना क्या है in Hindi?

मार्शल प्लान एक यू.एस. प्रायोजित कार्यक्रम था जिसे 17 पश्चिमी और दक्षिणी यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्थाओं के पुनर्वास के लिये डिज़ाइन किया गया था ताकि स्थिर परिस्थितियों का निर्माण किया जा सके जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध के बाद लोकतांत्रिक संस्थान जीवित रह सकें।