Show हिमालय पर्वत श्रृंखलाभौतिक बनावट की दृष्टि से भारत को चार या पांच भागों में बांटा जाता है –
यहां पर हम हिमालय पर्वत श्रृंखला एवं उत्तर और उत्तर-पूर्वी विशाल पर्वत श्रृंखलाओं के बारे में जानकारी हासिल करेंगे। इसके अंतर्गत भारत की उत्तरी सीमा पर स्थित लद्दाख और कश्मीर की पर्वत श्रृंखलाएं तथा पठार, खास हिमालय पर्वत तथा उत्तर-पूर्व भाग में स्थित अन्य श्रेणियां जैसे; लद्दाख और जास्कर श्रेणी, पूर्वी राज्यों में स्थित पटकई, लुशाई, गारो, खासी, जयंतिया, मिजो आदि आते हैं। इन सभी को तीन वर्गों में रखा जा सकता है।
हिमालय पर्वतहिमालय का शाब्दिक अर्थ है हिम का आलय अर्थात् बर्फ का घर। हिमालय एक प्राकृतिक रोधक है। यह भारतीय उपमहाद्वीप को मध्य और पूर्वी एशिया के देशों से अलग करता है। हिमालय जलवायु, अपवाह और सांस्कृतिक विभाजक भी है। हिमालय संसार की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला है। यह पर्वत भारत की उत्तरी सीमा पर एक चाप के आकार में 2400 किलोमीटर की लंबाई में फैला है। जम्मू-कश्मीर में सिंधु नदी के महाखड्ड से लेकर अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र के महाखड्ड (गार्ज) तक हिमालय का विस्तार है। इसकी चौड़ाई पूर्व दिशा में (अरुणाचल प्रदेश में ) 150 किलोमीटर है जबकि पश्चिम में (कश्मीर में) 400 किलोमीटर तक है। हिमालय के पश्चिमी भाग की अपेक्षा पूर्वी भाग की ऊंचाई में अधिक विविधता पायी जाती है। हिमालय अपेक्षाकृत युवा पर्वत है। बनावट में हिमालय वलित पर्वत है। हिमालय पर्वत श्रृंखला में देशांतरीय विस्तार के साथ तीन समानांतर श्रेणियां हैं। उत्तर से दक्षिण की ओर हिमालय की निम्नलिखित तीन श्रृंखलाएं मिलती हैं।
(क) हिमाद्रि या महान हिमालययह हिमालय की सबसे ऊंची और उत्तरी पर्वत श्रेणी है। यही एक ऐसी श्रेणी है जो अपनी पूरी लंबाई में पश्चिम से पूर्व तक निरंतर है। यह कश्मीर में नंगा पर्वत से लेकर अरुणाचल प्रदेश में नामचा बरवा तक फैला है। इसकी औसत ऊंचाई 6000 मीटर है। इसमें 100 से अधिक चोटियां 6100 मीटर से भी ज्यादा ऊंची हैं। हिमालय की सभी ऊंची चोटियां इसी श्रेणी में हैं। जैसे:
माउन्ट एवरेस्ट दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है। इसे नेपाल में सागरमाथा कहा जाता है। कंचनजंगा (8598 मी) भारत में सबसे ऊंची चोटी है। कंचनजंगा सिक्किम में स्थित है। महान हिमालय या हिमाद्रि का क्रोड ग्रेनाइट से बना है। यह भाग हमेशा बर्फ से ढका रहता है तथा यहां बहुत सी हिमानियों (ग्लेशियर) का प्रवाह है। इनसे निकलने वाली नदियों में साल भर जल प्रवाह बना रहता है। गंगोत्री और यमुनोत्री ऐसे ही ग्लेशियर हैं। महान हिमालय में जोजी-ला, शिपकी-ला, नाथू-ला, नीति आदि दर्रे हैं। (ख) हिमाचल या लघु हिमालयहिमाद्रि या महान हिमालय के दक्षिण में हिमाचल या लघु हिमालय स्थित है। इन श्रृंखलाओं का निर्माण अत्यधिक संपीडन के कारण बने कायांतरित शैलों से हुआ है। इनकी ऊंचाई 3700 मी से 4500 मी के बीच है। यह हिमालय का सबसे अधिक असम भाग है। इसकी औसत चौड़ाई 50 मी है। पीर पंजाल श्रेणी लघु हिमालय की सबसे लंबी और महत्त्वपूर्ण श्रेणी है। धौलाधर और महाभारत श्रृंखलाएं भी महत्वपूर्ण हैं। इसी श्रृंखला में कश्मीर घाटी और हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा और कुल्लू घाटी भी हैं। इसी क्षेत्र में मसूरी, नैनीताल, रानीखेत आदि अनेक पहाड़ी नगर भी स्थित हैं। (ग) बाह्य हिमालय या शिवालिकयह हिमालय की सबसे बाहरी श्रृंखला है तथा उप हिमालय भी कहलाता है। यह 10 किमी से 50 किमी की चौड़ाई में है। यह 900 मी से 1100 मीटर ऊंची है। शिवालिक श्रृंखला का निर्माण असंपीडित अवसादों से हुआ है जो कि मुख्य हिमाचल से नदियों द्वारा लाए गए हैं। ये घाटियां बजरी तथा जलोढ़ की मोटी परत से ढकी हुई हैं। हिमाचल या लघु हिमालय और शिवालिक के बीच में स्थित लंबवत घाटियों को दून कहा जाता है। देहरादून,कोटलीदून एवं पाटलीदून इसके उदाहरण हैं। दून को ही असम में दुआर कहते हैं, जैसे, अलीपुर दुआर। हिमालय का क्षेत्रीय विभाजन हिमालय को पश्चिम पूर्व दिशाओं में भी बांटा जा सकता है। नदी घाटियों की सीमाओं के आधार पर इस तरह का क्षेत्रीय विभाजन किया गया है। जैसे, सतलुज और सिंध नदी के बीच स्थित हिमालय के भाग को पंजाब हिमालय के नाम से जाना जाता है। फिर इसी पंजाब हिमालय के पश्चिमी भाग को कश्मीर हिमालय तथा हिमाचल हिमालय कहते हैं। सतलुज तथा काली नदी के बीच के भाग को कुमायूं हिमालय भी कहा गया है। काली तथा तिस्ता नदियों के बीच नेपाल हिमालय है। असम हिमालय तिस्ता तथा दिहांग नदी की सीमाओं में है। पूर्वी पहाड़ियां या पूर्वाचलब्रह्मपुत्र हिमालय की सबसे पूर्वी सीमा बनाती है। दिहांग महाखड्ड के बाद हिमालय दक्षिण की ओर एक तीखा मोड़ बनाते हुए भारत की पूर्वी सीमा के साथ फैल जाता है। अर्थात् हिमालय पर्वत के इस भाग में पहाड़ियों की दिशा उत्तर दक्षिण है। इन्हें पूर्वाचल या पूर्वी पहाड़ियों के नाम से जाना जाता है। ये पहाड़ियां उत्तर-पूर्वी राज्यों से होकर गुजरती हैं तथा मजबूत बलुआ पत्थरों जो अवसादी चट्टान है से बनी है। ये घने जंगलों से ढॅऺकी हैं। ये पहाड़ियां दक्षिणी अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम, मेघालय और त्रिपुरा में स्थित है। पूर्वाचल में मिश्मी, पटकाई, नागा, मिजो तथा मणिपुर की पहाड़ियां शामिल हैं। मेघालय का पठार उत्तर-पूर्वी पहाड़ियों का ही हिस्सा है लेकिन संरचना की दृष्टि से प्रायद्वीपीय पठार का ही भाग माना जाता है। इसमें गारो, खासी और जयंतिया की पहाड़ियां हैं। हिमालय पार की पर्वत श्रेणियांजम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र में हिमाद्रि के उत्तर में कुछ पर्वत श्रेणियां फैली हैं। हिमाद्रि के ऊपर में उसके समानांतर जास्कर श्रेणी फैली हुई है और जास्कर के ऊपर लद्दाख पर्वत श्रेणी है। जास्कर और लद्दाख श्रेणियों के बीच में सिंधु नदी दक्षिण पूर्व से उत्तर पश्चिम की ओर बहती है। बहुत से भूगोलविद जास्कर और लद्दाख श्रेणियों को वृहत् हिमालय का ही हिस्सा मानते हैं और उन्हें कश्मीर हिमालय के अंतर्गत रखते हैं। लद्दाख श्रेणी के उत्तर में काराकोरम श्रेणी है। काराकोरम श्रेणी में ही संसार का दूसरा सबसे ऊंचा पर्वत शिखर K-2 (8611मी) है। अभी यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में है। लद्दाख का पठार जम्मू-कश्मीर के उत्तर पूर्व में स्थित है। यह पठार बहुत ऊंचा, शुष्क और दुर्गम क्षेत्र है। सार-संक्षेप
हिमालय की सबसे बड़ी श्रृंखला कौन सी है?Detailed Solution. सही उत्तर पीर पंजाल श्रेणी है। यह लघु हिमालय की सभी श्रेणियों में सबसे लंबी और सबसे महत्वपूर्ण है।
भारत में सबसे लंबी पर्वत श्रृंखला कौन सी है?हिमालय पर्वतमाला : भारत में सबसे मशहूर और देश की सबसे बड़ी पर्वतमाला हिमालय की कुल लंबाई 2,400 किलोमीटर है।
संसार की सबसे लंबी पर्वत श्रृंखला कौन सी है?दुनिया की सबसे लंबी पर्वतमालाएं. हिमालय (2,400 किलोमीटर). तियेन शान (1,300 किलोमीटर) ... . आल्प्स (1,200 किलोमीटर) ... . कॉकेसस (1,100 किलोमीटर) ... . हिंदुकुश (950 किलोमीटर) ... . अलास्का रेंज (650 किलोमीटर) अमेरिका ... . काराकोरम रेंज (500 किलोमीटर) पाकिस्तान, भारत, चीन, अफगानिस्तान ... . पामीर (लंबाई: 300 किलोमीटर) ताजिकिस्तान ... . हिमालय की सबसे लंबी और महत्वपूर्ण श्रृंखला कौन सी है?इनकी ऊँचाई 3,700 मीटर से 4,500 मीटर के बीच तथा औसत चौड़ाई 50 किलोमीटर है। जबकि पीर पंजाल श्रृंखला सबसे लंबी तथा सबसे महत्त्वपूर्ण श्रृंखला है, धौलाधर एवं महाभारत शृंखलाएँ भी महत्त्वपूर्ण हैं।
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