मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद में क्या अंतर होता है? - mantrimandal aur mantriparishad mein kya antar hota hai?

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मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल में मुख्य मुख्य अंतर इस प्रकार से है जो मंत्री परिषद होती है उसमें तीनों प्रकार के मंत्री शामिल होते हैं मतलब कैबिनेट रैंक के मंत्री मिनिस्टर ऑफ स्टेट रैंक के मंत्री और डिप्टी मिनिस्टर सारे मिनिस्टर मिलकर मंत्री परिषद कहलाती है लेकिन जो मंत्रिमंडल होता है इसमें केवल कैबिनेट रंग के मंत्री ही शामिल होते हैं अगला अंतर होता है कि जो मंत्री परिषद होती है वह कभी एक साथ बैठक नहीं करती सरकारी कार्यों के करने के लिए इनका कोई सा सामूहिक कार्य नहीं होता परंतु जो मंत्रिमंडल होता है वह नियमित रूप से बैठक है करता रहता है अगर संभव हो तो हफ्ते में एक बार ही लोग बैठक करते हैं जिसमें सरकारी कार्यों के निर्णय में सामूहिक निर्णय लिए जाते हैं और जो मंत्री परिषद होती है उसको सैद्धांतिक रूप से सभी शक्तियां प्राप्त होती है लेकिन जो मंत्रिमंडल होता है वह वास्तव में मंत्री परिषद की शक्तियों का ही इस्तेमाल करता है जो मंत्री परिषद होते हैं उनके कार्यों का निर्धारण जो होता है वह मंत्रिमंडल करता है और उनके निर्णयों को लागू करना है इनका काम होता है और जो मंत्रिमंडल होता है वह राजनीतिक निर्णय लेकर आदेश जारी करते हैं मंत्री परिषद को की क्या-क्या काम करने हैं और कैसे करने हैं जो मंत्री परिषद होती है वह संवैधानिक निकाय है अनुच्छेद 74 और 75 के अनुसार लेकिन जो मंत्रिमंडल है यह मूल संविधान में नहीं था मूल स्वरूप में इसको संविधान संशोधन द्वारा 1978 में 44 वें संशोधन के द्वारा इसको बनाया गया है जो मंत्री परिषद होता है या बड़ा निकाय होता है जैसे केंद्र में 60 से 70 होते हैं मंत्री परिषद में सदस्य और जो मंत्रिमंडल है एक छोटा निकाय होता है इसमें 15 से 20 लोग होते हैं धन्यवाद

mantriparishad aur mantrimandal me mukhya mukhya antar is prakar se hai jo mantri parishad hoti hai usme tatvo prakar ke mantri shaamil hote hain matlab cabinet rank ke mantri minister of state rank ke mantri aur deputy minister saare minister milkar mantri parishad kahalati hai lekin jo mantrimandal hota hai isme keval cabinet rang ke mantri hi shaamil hote hain agla antar hota hai ki jo mantri parishad hoti hai vaah kabhi ek saath baithak nahi karti sarkari karyo ke karne ke liye inka koi sa samuhik karya nahi hota parantu jo mantrimandal hota hai vaah niyamit roop se baithak hai karta rehta hai agar sambhav ho toh hafte me ek baar hi log baithak karte hain jisme sarkari karyo ke nirnay me samuhik nirnay liye jaate hain aur jo mantri parishad hoti hai usko saiddhaantik roop se sabhi shaktiyan prapt hoti hai lekin jo mantrimandal hota hai vaah vaastav me mantri parishad ki shaktiyon ka hi istemal karta hai jo mantri parishad hote hain unke karyo ka nirdharan jo hota hai vaah mantrimandal karta hai aur unke nirnayon ko laagu karna hai inka kaam hota hai aur jo mantrimandal hota hai vaah raajnitik nirnay lekar aadesh jaari karte hain mantri parishad ko ki kya kya kaam karne hain aur kaise karne hain jo mantri parishad hoti hai vaah samvaidhanik nikaay hai anuched 74 aur 75 ke anusaar lekin jo mantrimandal hai yah mul samvidhan me nahi tha mul swaroop me isko samvidhan sanshodhan dwara 1978 me 44 ve sanshodhan ke dwara isko banaya gaya hai jo mantri parishad hota hai ya bada nikaay hota hai jaise kendra me 60 se 70 hote hain mantri parishad me sadasya aur jo mantrimandal hai ek chota nikaay hota hai isme 15 se 20 log hote hain dhanyavad

मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल में मुख्य मुख्य अंतर इस प्रकार से है जो मंत्री परिषद होती है उसम

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भारत में संसदीय प्रणाली की व्यवस्था है। यह ब्रिटिश संविधान से प्रेरित है। मंत्रिपरिषद (Council of Ministers),भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली की वास्तविक कार्यकारी संस्था है जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री के हाथों में होता है।  केंद्रीय मंत्रिमंडल या कैबिनेट (Union Cabinet) एक छोटी कार्यकारी निकाय है और देश में सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है। केवल प्रधानमंत्री (Prime Minister) और कैबिनेट मंत्री ही कैबिनेट (Cabinet) के सदस्य होते हैं।

कैबिनेट भारतीय विधायिका और कार्यकारिणी को जोड़ने वाली कड़ी है। भारत में सबसे वरिष्ठ सिविल सेवक कैबिनेट सचिव होते हैं और वही कैबिनेट सचिवालय का नेतृत्व करते हैं तथा मंत्रियों की परिषद को प्रशासनिक सहायता प्रदान करते हैं। कैबिनेट मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और स्वतंत्र प्रभार के मंत्रियों को मिलाकर मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) बनता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74 में मंत्रिपरिषद और इसके गठन का उल्लेख है, जबकि अनुच्छेद 75 में मंत्रियों की नियुक्ति, उनके कार्यकाल, जिम्मेदारी, शपथ, योग्यता और वेतन एवं भत्ते आदि का जिक्र है।


मंत्रिमंडल या कैबिनेट की भूमिका

यह केंद्र सरकार की सर्वोच्च कार्यकारी संस्था है। यह केंद्र या संघ सरकार का मुख्य नीति निर्धारक अंग है। मतलब, देश की राजनैतिक-प्रशासनिक व्यवस्था में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है। मंत्रिमंडल राष्ट्रपति की सलाहकारी संस्था है और मंत्रिमंडल का परामर्श राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी होता है। सभी आपातकालीन परिस्थितियों में यह मुख्य आपदा प्रबंधक का काम करती है। देश के सभी बड़े विधायी और वित्तीय मामलों से कैबिनेट ही निपटती है। साथ ही, विदेश नीतियों और विदेशी मामलों को देखती है। उच्चतम स्तर पर संवैधानिक अधिकारियों और वरिष्ठ सचिवालय प्रशासकों की नियुक्ति को नियंत्रित करती है।

मंत्रिपरिषद में क्या आता है?

मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की तीन श्रेणियाँ होती हैं, अर्थात् कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और उप मंत्री। इन सभी मंत्रियों में शीर्ष स्थान पर प्रधानमंत्री होता है। कैबिनेट मंत्री: ये केंद्र सरकार के महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों जैसे-गृह, रक्षा, वित्त, विदेश मामलों आदि के प्रमुख होते हैं।

कैबिनेट का हिंदी में अर्थ क्या है?

किसी सरकार के उच्चस्तरीय नेताओं के समूह को कैबिनेट (cabinet) कहते हैं। प्रायः उन्हें 'मंत्री' (मिनिस्टर) कहा जाता है किन्तु कहीं-कहीं उन्हें 'सेक्रेटरी' भी कहा जाता है। कैबिनेट, इंग्लैंड की शासन व्यवस्था से विकसित शासन-व्यवस्था का प्रमुख एवं महत्वपूर्ण अंग है।

भारत में मंत्री कितने प्रकार के होते हैं?

वर्तमान केंद्रीय मंत्री परिषद.
केबिनेट मंत्री.
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार).
राज्य मंत्री.

कैबिनेट शब्द कब जोड़ा गया?

मूल संविधान में कैबिनेट शब्द का उल्लेख नहीं किया गया था, परन्तु बाद में 44वें संविधान संशोधन (1978 ई.) के द्वारा अनुच्छेद 352 के तहत कैबिनेट शब्द को सम्मिलित किया गया