इसे सुनेंरोकेंबाढ़ के निरंतर बढ़ते हुए जल-स्तर को ‘मृत्यु का तरल दूत’ कहा गया है। बाढ़ के इस आगे बढ़ते हुए जल ने न जाने कितने प्राणियों को उजाड़ दिया था, बहा दिया था और बेघर करके मौत की नींद सुला दिया था। इस तरल जल के कारण लोगों को मरना पड़ा, इसलिए इसे मृत्यु का तरल दूत कहना बिल्कुल सही है। Show
बाढ़ की खबर सुनकर लोग क्या तैयारी करने लगे? इसे सुनेंरोकें1. बाढ़ की ख़बर सुनकर लोग किस तरह की तैयारी करने लगे? उत्तर:- बाढ़ की ख़बर सुनकर लोग अपनी सुरक्षा के प्रबंध और अत्यावश्यक सामानों को जुटाने में लग गए। उन्होंने आवश्यक ईंधन, आलू, मोमबत्ती, दियासलाई, पीने का पानी और कम्पोज की गोलियाँ इकट्ठा करना शुरू कर दिया ताकि बाढ़ से घिर जाने पर कुछ दिनों तक गुजारा चल सके। बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में कौन कौन सी बीमारियां के फैलने की आशंका रहती है? पढ़ना: शिक्षक बनने के लिए क्या आवश्यक है? इसे सुनेंरोकेंबाढ़ पीड़ित क्षेत्र में हैजा, मलेरिया, टाइफाइड, उल्टी-दस्त, पेचिश, बुखार, डायरिया, कालरा आदि बीमारियों के फैलने की संभावना रहती है। क्योंकि बाढ़ के उतरे पानी में मच्छर अत्यधिक मात्रा में पनपते हैं जिसके कारण मलेरिया जैसी बीमारी हो जाती है। साथ ही पानी के बार-बार पैर में लगने के कारण पकने वाले घाव भी हो जाते हैं। इस जल प्रलय में पाठ के लेखक कौन हैं *?इसे सुनेंरोकें’इस जल प्रलय में’ फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित रिपोर्ताज है, जिसमें उन्होंने सन 1975 ई० में पटना में आई प्रलयंकारी बाढ़ का आँखों देखे हाल का वर्णन किया है। लेखक ने बाढ़ में सबसे मार्मिक दृश्य कौन सा देखा? इसे सुनेंरोकेंलेखक ने पहले बाढ़ के बारे में सुना जरूर था पर कभी देखा नही था। उसने अपनी कई रचनाओ में बाढ़ की विनाशलीला का उल्लेख किया था। वह स्वयं अपनी आँखों से बाढ़ के पानी को शहर में घुसते और उसकी विनाशलीला के बारे में जानने को उत्सुक था। 3. पढ़ना: छोटे बच्चों को स्कूल कैसे भेजे? कॉफी हाउस देखने लेखक कैसे पहुँचे? इसे सुनेंरोकेंउत्तर: कॉफ़ी हाउस के पास पहुँचने पर लेखक ने देखा कि कॉफ़ी हाउस बंद कर दिया गया था। सड़क के एक किनारे पर एक मोटी डोरी के आकार वाला गेरुए-झाग फेन में उलझा पानी तेज़ी से सरकता आ रहा है। लेखक को यह पानी ‘मृत्यु के तरल दूत’ जैसा लगा जिसे देखकर वह आतंकित हो गया। इस आतंक के कारण उसने इस ‘दूत’ को हाथ जोड़कर सभय प्रणाम किया। इस जल प्रलय के लेखक कौन है?इसे सुनेंरोकेंप्रस्तुत रिपोर्ताज ‘इस जल प्रलय में” में लेखक फणीश्वर नाथ रेणु ने 1967 में आई विनाशकारी बाढ़ का वर्णन किया है। उस बाढ़ के साक्षी खुद लेखक भी रह चुके हैं। वे गांव में जहां रहते थे वहां बाढ़ से ग्रस्त लोग शरण लेने आते थे। आपदा किसी भी देश के लिए एक अभिशाप है, मोजुदा सरकारे प्राक्रतिक आपदाओ से बचने के लिए अनेको प्रयास करती है परन्तु पूर्ण रूप से सफल नही हो पाती है। लाखो लोग हर साल इन आपदाओ की वजह से अपने प्राण गवा देते है और इन आपदाओ का मुख्य कारण इंसानों द्वारा प्रकृति के साथ छेड़छाड़ और उसका ध्यान नही रखाना है। आइये जानते है मृत्यु का तरल दूत किसे कहा गया है? (Mrityu Ka Taral Dut Kise Kaha Gaya Hai) और इससे क्या क्या नुकसान होता है। Table of Contents
मृत्यु का तरल दूत किसे कहा गया है – Mrityu Ka Taral Dut Kise Kaha Gaya Hai?बाढ़ के लगातार बढ़ते हुए जल-स्तर को ‘मृत्यु का तरल दूत’ कहा गया है। बाढ़ के बढ़ते हुए जल-स्तर ने जाने कितने लोगों को बेघर कर दिया है और कुछ लोगों व उनके परिवार को मौत की नींद सुला दिया है। जाने कितने लोगों ने बाढ़ के कारण अपने परिवार के सदस्य खोये और न जाने कितने बेघर हुवे इसलिए बाढ़ के बढ़ते जल-स्तर को ‘मृत्यु का टर्न दूत’ भी कहा गया है। मृत्यु का दूत कहने के कारण
बाढ़ के खौफ से लोगों की तैयारियांबाढ़ की खबर सुनकर लोग अपने जरूरी सामान और सुरक्षा के प्रबंध में जूट जाते हैं। वे बाढ़ के आने के बाद आने वाली विपदाओं से लड़ने की तयारियाँ करने लगते है जिनमे निम्नलिखिन चीज़ें आती हैं :-
बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में बीमारियों की आशंकाबाढ़ पीड़ित क्षेत्र में हैजा, मलेरिया, टाइफाइड, उल्टी-दस्त, पेचिश, बुखार, डायरिया, कालरा आदि बीमारियों के फैलने की संभावना होती है। इसका कारण यह है की बाढ़ के उतरे पानी में अत्यधिक मच्छर पनपते हैं जो की मलेरिया जसे बीमारिया फैलाते हैं। इसके अलावा बाढ़ के दौरान किसी कारण घाव होने से उस घाव के पकने का डर होता है क्योंकि उस पर बाढ़ का गंदा पानी बार-बार लगता है। The National Council of Educational Research and Training (NCERT) is an autonomous body of the Indian government that formulates the curricula for schools in India that are governed by the Central Board of Secondary Education (CBSE) and certain state boards. Therefore, students who will be taking the Class 10 tests administered by various boards should consult this NCERT Syllabus in order to prepare for those examinations, which in turn will assist those students get a passing score. When working through the exercises in the NCERT textbook, if you run into any type of difficulty or uncertainty, you may use the swc NCERT Solutions for class 9 as a point of reference. While you are reading the theory form textbook, it is imperative that you always have notes prepared. You should make an effort to understand things from the very beginning so that you may create a solid foundation in the topic. Use the NCERT as your parent book to ensure that you have a strong foundation. After you have finished reading the theoretical section of the textbook, you should go to additional reference books. NCERT SOLUTIONS FOR CLASS-9 HINDI CHAPTER-1 ISS JAL PRALAY MEIN – ExercisesChapter-1 Iss Jal Pralay Mein1. बाढ़ की ख़बर सुनकर लोग किस तरह की तैयारी करने लगे? 2. बाढ़ की सही जानकारी लेने और बाढ़ का रूप देखने के लिए लेखक क्यों उत्सुक था? 3. सबकी जबान पर यही जिज्ञासा – ‘पानी कहाँ तक आ गया है ?’ इस कथन से जन समूह की कौन – सी भावनाएँ व्यक्त होती हैं ? 4. ‘मृत्यु का तरल दूत’ किसे कहा गया है और क्यों? 5. आपदाओं से निपटने के लिए अपनी तरफ़ से कुछ सुझाव दीजिए । 6. ‘ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए। अब बूझो!” – इस कथन द्वारा लोगों की किस मानसिकता पर चोट की गई है? 7. खरीद-बिक्री बंद हो चुकने पर भी पान की बिक्री अचानक क्यों बढ़ गई थी? 8. जब लेखक को यह अहसास हुआ कि उसके इलाके में भी पानी घुसने की संभावना है तो उसने क्या-क्या प्रबंध किए? 9. बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में कौन-कौन-सी बीमारियों के फैलने की संभावना रहती है ? 10. नौजवान के पानी में उतरते ही कुत्ता भी पानी में कूद गया। दोनों ने किन भावनाओं के वशीभूत होकर ऐसा किया? 11. ‘अच्छा है, कुछ भी नहीं। कलम थी, वह भी चोरी चली गई । अच्छा है, कुछ भी नहीं – मेरे पास ।’- मूवी कैमरा, टेप रिकार्डर आदि की तीव्र उत्कंठा होते हुए भी लेखक ने अंत में उपर्युक्त कथन क्यों कहा ? 12. आपने भी देखा होगा कि मिडिया द्वारा प्रस्तुत की गयी घटनाएँ कई बार समस्याएँ बन जाती है, ऐसी किसी घटना का उल्लेख कीजिए । 13. अपनी देखी -सुनी आपदा का वर्णन कीजिए । Conclusions for NCERT SOLUTIONS FOR CLASS-9 HINDI CHAPTER-1 ISS JAL PRALAY MEINSWC academic staff has developed NCERT answers for this chapter of the ninth grade Hindi curriculum. We have solutions prepared for all the ncert questions of this chapter. The answers, broken down into steps, to all of the questions included in the NCERT textbook’s chapter are provided here. Read this chapter on theory. Be certain that you have read the theory section of this chapter of the NCERT textbook. मृत्यु का तरल दूत किसे कहा गया और क्या?मोटी डोरी की शक्ल में गेरुआ-झाग-फेन में उलझे बाढ़ के पानी को लेखक ने तरल दूत कहा है। क्योंकि ये वो पानी था जिसका स्वरुप तरल था पर मौत का संदेश लेकर तेज़ी से बढ़ रहा था। जो अपने में शहरों, गाँवों को मृत्यु के विकराल दूत की भाँति निगल रहा था। इसलिए इसे मृत्यु का तरल दूत कहा गया है।
बाद की सही जानकारी लेने और बाढ़ का रूप देखने के लिए लेखक क्यों उत्सुक था?बाढ़ की सही जानकारी लेने और बाढ़ का रूप देखने के लिए लेखक क्यों उत्सुक था? उत्तर:- मनुष्य होने के नाते लेखक भी जिज्ञासु थे। उन्होंने बाढ़ के कहर को कभी भोगा नहीं था हाँ, वे बाढ़ पर लेख, कहानी, रिपोर्ताज आदि अवश्य लिख चूके थे परन्तु किसी नगर में,विशेषकर अपने नगर में पानी किस प्रकार घुसेगा यह जानना बिल्कुल नया अनुभव था ।
उसने क्या क्या प्रबंध किए 9 बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में कौन कौन सी बीमारियों के फैलने की आशंका रहती है?बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में हैजा, मलेरिया, टाइफाइड, उल्टी-दस्त, पेचिश, बुखार, डायरिया, कालरा आदि बीमारियों के फैलने की संभावना रहती है। क्योंकि बाढ़ के उतरे पानी में मच्छर अत्यधिक मात्रा में पनपते हैं जिसके कारण मलेरिया जैसी बीमारी हो जाती है।
खरीद बिक्री बंद हो जाने पर भी पान की बिक्री अचानक क्यों बढ़ गई थी?इसका मुख्य कारण बाढ़ था क्योंकि बाढ़ के कारण सारे लोग सामानों को दूसरे स्थान पर ले जाने लगे थे इसलिए खरीद-बिक्री बंद करनी पड़ी थी। बस अगर खुली थी तो पान की दुकानें, उनकी तो जैसे चाँदी हो रही थी। उनके द्वारा लगाए गए रेडियो व ट्रांजिस्टर लगातार बाढ़ का हाल-समाचार सुना रहे थे।
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