MRI कराने से क्या फायदा होता है? - mri karaane se kya phaayada hota hai?

MRI कराने से क्या फायदा होता है? - mri karaane se kya phaayada hota hai?

एमआरआई के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर.

क्या सचमुच एमआरआई (MRI Scan) सेहत के लिए खतरनाक है? क्या इस टेस्ट (Diagnosis) से सेहत पर बुरा असर पड़ता है? इस टेस्ट के दौरान चक्कर (Dizziness) क्यों आते हैं? एमआरआई के बारे में ज़रूरी बातें जानें.

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 24, 2019, 04:38 IST

    क्या एमआरआई टेस्ट (MRI Test) में जान का खतरा हो सकता है? ये सवाल इसलिए प्रासंगिक हो गया है क्योंकि हरियाणा (Haryana) के पंचकूला (Panchkula) से खबर है कि एक बुज़ुर्ग एमआरआई टेस्ट के दौरान सांस अटकने की तकलीफ के चलते अपने बेल्ट तोड़कर मशीन (Body Scan Machine) से बाहर निकला और उसका दावा है कि वह कुछ सेकंड और मशीन में रहता तो उसका दम घुट सकता था. इस खबर से पहले भी इस तरह की एकाध खबर आ चुकी है कि एमआरआई टेस्ट के दौरान मरीज़ की जान पर बन आई हो.

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    पहले तो ये जानें कि ये एक टेस्ट है जो शरीर के भीतर की संरचना की तस्वीरों (Images) के ज़रिए रोग को पहचानने में मदद करता है. इसे आप एक्स-रे (X-Ray) के अगले वर्जन के तौर पर समझ सकते हैं लेकिन चूंकि यह तकनीकी तौर पर ज़्यादा उपयोगी और बहुत कम नुकसानदायक है. ये सीटी स्कैन (CT Scan) से भी बेहतर तकनीक है और इसे बॉडी स्कैन (Body Scan) के नाम से भी जाना जाता है. एमआरआई जांच किसी एक अंग से लेकर पूरे शरीर तक की हो सकती है. इस टेस्ट को लेकर मेडिकल साइंस (Medical Science) क्या कहता है, इसके साथ ही ये भी जानें कि इसके खतरे क्या हो सकते हैं और सावधानियां क्या हैं.

    क्या इस टेस्ट के दुष्परिणाम हैं?
    इस टेस्ट के बाद ऐसा कुछ नहीं होता है जिससे आपकी सेहत या रोज़मर्रा के जीवन पर कोई खराब असर पड़े. रेडियोलॉजी से जुड़े एक पोर्टल के मुताबिक एमआरआई के दौरान ज़रूरत होने पर निर्देशानुसार निश्चेतना की अवस्था आपको दी जा सकती है लेकिन ऐसे में पूरी सावधानियां बरती जाती हैं. मरीज़ की हालत पर निर्भर करता है कि उसे एमआरआई के दौरान किस तरह की दवाएं दी जा सकती हैं और हर केस में इस तरह की कोई लापरवाही हो तो कोई खराब असर हो सकता है.

    क्या एमआरआई के कुछ जोखिम हैं?
    अस्ल में, एमआरआई का पूरा मतलब है मैगनेटिक रेज़नैन्स इमेजिंग (magnetic resonance imaging), यानी मरीज़ एक ऐसी स्कैनिंग मशीन के भीतर जाता है, जो चुंबकीय क्षेत्र बनाकर शरीर के भीतर की संरचना को समझकर तस्वीरें कंप्यूटर के ज़रिए जारी करती है.

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    MRI कराने से क्या फायदा होता है? - mri karaane se kya phaayada hota hai?

    मेडिकल साइंस का अब तक का दावा है कि सामान्य स्थिति में MRI टेस्ट के कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होते.

    ऐसे में स्कैनर के भीतर जाने से पहले अगर आप किसी किस्म की धातु पहनकर या कपड़ों में रखकर मशीन में प्रवेश करते हैं, तो उसके खतरे हो सकते हैं. मैगनेटिक फील्ड पैदा करने वाली इस मशीन में अगर कोई धातु संपर्क में आकर गर्म होती है, करंट पैदा करती है या खिंचाव पैदा करती है, तो ऐसी ​किसी स्थिति में मरीज़ को जानलेवा खतरे हो सकते हैं. इसलिए हिदायत दी जाती है कि आप मशीन में जाने से पहले कोई भी धातु या चुंबकीय क्षेत्र से प्रभावित होने वाली चीज़ न पहनें.

    साइड इफेक्ट्स और समय
    मरीज़ और जांच पर निर्भर करता है कि एमआरआई टेस्ट में कितना वक्त लगेगा. 10 मिनट से लेकर एक घंटे तक का समय इस टेस्ट में लग सकता है. रेडियोग्राफर इस टेस्ट से पहले एक अनुमानित समय मरीज़ को बता सकता है. मेडिकल साइंस का अब तक का दावा है कि सामान्य स्थिति में इस तरह के टेस्ट के कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होते.

    चक्कर क्यों आते हैं?
    एमआरआई करवाने वाले कुछ लोगों ने लगातार ऐसी शिकायतें की थीं कि उन्हें नर्वस जैसी या एक अजीब से डर जैसी फीलिंग होती है. इस पर जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी में हुए शोध में पाया गया कि एमआरआई मशीन में जो मैगनेट होती है वो कान के भीतर जो शरीर का संतुलन केंद्र होता है, उसे एक तरह से उकसाने का काम करती है. इसी वजह से कुछ मरीज़ मशीन के भीतर होने के दौरान या मशीन से निकलने के कुछ मिनट तक चक्कर जैसा महसूस करते हैं.

    ये सावधानियां ज़रूर बरतें
    एमआरआई टेस्ट के वक्त धातु, खासकर लोहे की कोई चीज़ और ऐसी कोई चीज़ न पहनें या न साथ रखें जो तापमान के साथ पिघलने, गर्म होने जैसी तासीर रखती हो. रेडियोग्राफर या विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह मानें और उसके अनुसार ही मशीन में प्रवेश करें. इस टेस्ट से पहले अपनी सेहत संबंधी तमाम ज़रूरी बातें विशेषज्ञ डॉक्टर को बता दें ताकि उसके हिसाब से टेस्ट और दवाएं तय की जा सकें. आम तौर से टेस्ट के फौरन बाद कुछ देर के लिए एक बेहोशी या कमज़ोरी महसूस होती है इसलिए सलाह दी जाती है कि टेस्ट के बाद कुछ देर आराम करें. पर्याप्त समय, आराम और डाइट के बाद ही ड्राइविंग जैसे काम करें.

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    Tags: Health, Health Explainer, Medical, Medical testing, Science

    FIRST PUBLISHED : September 23, 2019, 16:44 IST

    MRI में क्या पता चलता है?

    एमआरआई टेक्नोलॉजी में ताकतवर चुंबकीय और रेडियो तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है ताकि शरीर में प्राकृतिक रूप से मौजूद चुंबकीय तत्वों के सामंजस्य से अंदरूनी अंगों की तस्वीर ली जा सके। इस तकनीक से ली गई तस्वीरें अब तक इस्तेमाल की जा रही अन्य पद्धतियों से कहीं बेहतर नतीजे देती है।

    MRI में कितना खर्च आता है?

    ये रेडिएशन के बजाए मैग्नेटिक फील्ड पर काम करता है. इसलिए एक्स रे और सीटी स्कैन से अलग है.

    एम आर आई जांच कितने की होती है?

    चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग यानि मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग (magnetic resonance imaging) एक चिकित्सा इमेजिंग तकनीक है जो कि आपके शरीर में अंगों और ऊतकों की विस्तृत छवियां बनाने के लिए चुंबकीय क्षेत्र और कंप्यूटर से उत्पन्न रेडियो तरंगों का उपयोग करती है। यह एक्स-रे (विकिरण) का उपयोग नहीं करता है।

    MRI कितने प्रकार की होती है?

    मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) एक प्रकार का स्कैन है जो शरीर के अंदर की विस्तृत छवियों का उत्पादन करने के लिए मजबूत चुम्बकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगों का उपयोग करता है। एमआरआई स्कैनर एक बड़ी ट्यूब होती है जिसमें शक्तिशाली चुम्बक लगे होते हैं। आप स्कैन के दौरान इस ट्यूब के अंदर लेटते हैं।