नए उत्पाद के विकास की अवस्थाओं का वर्णन कीजिए - nae utpaad ke vikaas kee avasthaon ka varnan keejie

विषयसूची

  • 1 उत्पाद विकास से आप क्या समझते हैं उत्पाद विकास की प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए?
  • 2 उत्पाद मूल्यांकन क्या है?
  • 3 नव उत्पाद शोध क्या है इसकी प्रक्रिया को समझाइए?
  • 4 नया उत्पाद अनुसंधान क्या है?
  • 5 नवीन उत्पाद विकास के सिद्धांत कितने हैं?
  • 6 नियोजन क्या है इसके उद्देश्य?

उत्पाद विकास से आप क्या समझते हैं उत्पाद विकास की प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंउत्पाद विकास का अर्थ उत्पाद-विचार को वास्तविक उत्पाद मे परिवर्तित करने से लिया जाता है। यह वह प्रक्रिया है जो तकनीकी एवं विपणन क्षमताओं को संयोजित करती है और पतनोन्मुख उत्पादों के पुनस्र्थापनों के रूप में नये उत्पाद अथवा संशोधित उत्पाद बाजार में प्रस्तुत करती है।

उत्पाद सरलीकरण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसरलीकरण का संबंध उत्पाद रेंज, असेंबलियों, भागों, सामग्रियों और डिजाइन की कमी से है। एक निर्माता अपनी सीमा को सरल बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के रेडियो सेटों की संख्या को एक दर्जन से तीन या चार तक कम कर सकता है। सरलीकरण एक उत्पाद, विधानसभा या डिजाइन, सरल, कम जटिल या कम कठिन बनाता है। सरलीकरण अतिरेक को दूर करता है।

उत्पाद मूल्यांकन क्या है?

इसे सुनेंरोकें(डी) उत्पाद मूल्यांकन योजना: प्रदर्शन और प्रभावशीलता (उदाहरण के लिए, सीमा, सटीकता, क्षमता, शक्ति, उपलब्धता, विश्वसनीयता, स्थिरता, समर्थन-क्षमता) के संदर्भ में उत्पाद के लिए आवश्यकताओं का मूल्यांकन यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाना चाहिए कि ये पर्याप्त रूप से संपन्न हो चुके हैं।

नए उत्पाद से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंक्षेत्र में नया- कई संगठनों के पास कई उत्पाद हैं जो केवल विशेष क्षेत्रों में चुनिंदा रूप से बेचे जा रहे हैं। जब इन उत्पादों को उन क्षेत्रों में बेचा जाता है जहां वे पहले नहीं बेचे गए थे, तो इसे ‘क्षेत्र के लिए नया’ उत्पाद कहा जाता है।

नव उत्पाद शोध क्या है इसकी प्रक्रिया को समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंनवाचार प्रक्रिया का प्रारंभिक चरण चरण 1: पर्यावरण स्क्रीनिंग या अवसर पहचान चरण जिसमें बाहरी परिवर्तनों का विश्लेषण किया जाएगा और संभावित व्यावसायिक अवसरों में अनुवाद किया जाएगा। चरण 2: किसी विचार या अवधारणा की प्रारंभिक परिभाषा। चरण 3: विस्तृत उत्पाद, परियोजना या सेवा परिभाषा, और व्यवसाय योजना।

नवीन उत्पाद विकास क्या है?

इसे सुनेंरोकेंस्टेन्टन के शब्दों मे,” उत्पाद के संबंध मे अनुसंधान इंजीनियरिंग एवं डिजाइन से संबंधित क्रियाओं को करना ही उत्पाद विकास कहलाता है।”

नया उत्पाद अनुसंधान क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमें व्यापार और इंजीनियरिंग , नए उत्पाद के विकास ( NPD ) एक नया लाने की पूरी प्रक्रिया को शामिल किया गया उत्पाद , बाजार के लिए एक मौजूदा उत्पाद के नवीकरण या एक नया बाजार में एक उत्पाद को शुरू करने। एनपीडी का एक केंद्रीय पहलू विभिन्न व्यावसायिक विचारों के साथ-साथ उत्पाद डिजाइन है ।

उत्पाद नियोजन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंविपणनकर्ता किन उत्पादों का निर्माण या वितरण करें, उत्पादों का स्वरूप कैसा हो, उत्पाद रेखा के उद्देश्य क्या हों, फर्म स्वयं अग्रणी बनकर नेतृत्व करें या अन्य फर्मो का अनुसरण करें, आदि अनेक प्रश्नों के समाधान के कार्य क्षेत्र को उत्पाद नियोजन कहा जाता है।

नवीन उत्पाद विकास के सिद्धांत कितने हैं?

इसे सुनेंरोकें(i) नये उत्पाद के बाजार परिचय का उचित समय का निर्धारण । (ii) नये उत्पाद के बाजार में उतारने के विक्रय क्षेत्र का निर्धारण । (iii) नये उत्पाद के सम्वर्द्धन वितरण नीतियों का निर्धारण । (iv) विपणन सम्मिश्र हेतु उचित बजट प्रावधानों का निर्धारण ।

नए उत्पाद प्रक्षेपण में शामिल कदम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंनए उत्पाद लॉन्च में शामिल सबसे महत्वपूर्ण कदम इस प्रकार हैं: – 1. आइडिया जनरेशन 2. आइडिया स्क्रीनिंग 3. बिजनेस एनालिसिस 4.

इसे सुनेंरोकेंनए उत्पाद विकास को मोटे तौर पर बिक्री के लिए उपलब्ध उत्पाद में बाजार के अवसर के परिवर्तन के रूप में वर्णित किया गया है । किसी संगठन द्वारा विकसित उत्पाद उसे आय उत्पन्न करने के साधन प्रदान करते हैं। कई प्रौद्योगिकी-गहन फर्मों के लिए उनका दृष्टिकोण तेजी से बदलते बाजार में तकनीकी नवाचार के दोहन पर आधारित है।

नियोजन क्या है इसके उद्देश्य?

इसे सुनेंरोकेंनियोजन का उद्देश्य संस्था के भौतिक एवं मानवीय संसाधनों में समन्वय स्थापित कर मानवीय संसाधनों द्वारा संस्था के समस्त संसाध् ानों को सामूहिक हितों की ओर निर्देशित करता है। नियोजन में भविष्य की कल्पना की जाती है। परिणामों का पूर्वानुमान लगाया जाता है एवं संस्था की जोखिमों एवं सम्भावनाओं को जॉचा परखा जाता है।

नियोजन का अर्थ क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंवर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखकर किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भविष्य की रुपरेखा तैयार करने के लिए आवश्यक क्रियाकलापों के बारे में चिन्तन करना आयोजन या नियोजन (Planning) कहलाता है। यह प्रबन्धन का प्रमुख घटक है।

विपणन क्षेत्र में उत्पाद जीवन चक्र का अध्ययन विशेष महत्त्व रखता है । इसके अध्ययन से फर्म अपनी प्रतियोगी स्थिति को बनाये रख सकती है, नये उत्पाद प्रस्तुतिकरण के समय को निर्धारित कर सकती है तथा विपणन कार्यक्रमों को प्रभावपूर्ण रूप प्रदान कर सकती है ।

मनुष्यों की भाँति उत्पादों का भी जीवन-चक्र होता है । वे जन्म लेते हैं, युवावस्था में प्रवेश करते हैं, वृद्ध होते हैं तथा अन्ततः मृत्यु को प्राप्त होते हैं । उत्पाद के जीवन-चक्र की अवस्थाओं को परिचय, प्रगति, परिपक्वता, पतनावस्था के नामों से जानी जाती है । इस प्रकार उत्पाद प्रस्तुतिकरण से लेकर बाजार पतनावस्था तक उत्पाद विक्रय उत्पाद जीवन-चक्र कहलाता है ।

फिलिप कोटलर के अनुसार, "उत्पाद के विक्रय इतिहास में विशिष्ट अवस्थाओं को पहचानने का एक प्रयास है । ऐसा विक्रय इतिहास चार अवस्थाओं से होकर गुजरता है जिन्हें प्रस्तुतिकरण, विकास, परिपक्वता एवं पतन के नाम से जाना जाता है ।"

लिपसन एवं डारलिंग के अनुसार, "उत्पाद जीवन-चक्र से आशय बाजार स्वीकरण की उन अवस्थाओं से है जिनमें एक उत्पाद की अपने बाजार में प्रस्तुतिकरण से लेकर बाजार विकास, बाजार संतृप्ति, बाजार पतन एवं बाजार मृत्यु की अवस्थायें सम्मिलित होती हैं ।"

परिभाषाओं से स्पष्ट है कि उत्पाद जीवन-चक्र से आशय उन अवस्थाओं से है जिनसे एक उत्पाद अपने परिचय अवस्था से बाजार मृत्यु अवस्था के बीच गुजरता है । यह उत्पाद के बाजार में जीवन अवधि को प्रदर्शित करता है । उत्पाद जीवन-चक्र विचार यह सिद्ध करता है कि एक उत्पाद जब जन्म लेता है तो उसे बाजार में प्रस्तुत किया जाता है; विकसित होता, परिपक्वता की अवस्था में आता है और संतृप्ति की अवस्था से होकर पतनावस्था में प्रवेश करता है । इन विभिन्न अवस्थाओं का विवेचन निम्नांकित है -

उत्पाद जीवन-चक्र की अवस्थाएँ ( Stages of Product Life-Cycle )

[ 1 ] बाजार प्रस्तुतिकरण अवस्था ( Market Introduction Stage ) :- यह उत्पाद जीवन की प्रथम अवस्था है । इस अवस्था में उत्पाद को बाजार में प्रथम पर प्रस्तुत किया जाता है । इसे परिचयावस्था भी कहते हैं । इस अवस्था में उत्पाद बिल्कुल नया होता है । अतः बाजार स्वीकृति न होने से विक्रय की मात्रा एवं लाभ का परिमाण धीरे-धीरे बढ़ता है । इस अवस्था की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं -

(a) ग्राहकों को उत्पाद की व्यापक जानकारी नहीं होती और निर्णय में संकोच होता है ।

(b) कम्पनी सीमित क्षेत्र में विक्रय एवं वितरण कर पाती है । अतः विक्रय मात्रा सीमित होती है ।

(c) विपणन लागतें अत्यधिक होती है, क्योंकि फर्म को विस्तृत संवर्द्धनात्मक प्रयास करने होते हैं ।

(d) अत्यधिक लागतों एवं कम विक्रय के कारण लाभ की मात्रा एवं सम्भावना अत्यन्त क्षीण होती है ।

प्रबन्धकीय दृष्टिकोण :- इस अवस्था में विपणन प्रबन्धकों को विशेष कार्यकुशलता एवं दक्षता दर्शानी पड़ती है, क्योंकि इसी अवस्था में निश्चित होता है कि उत्पाद बाजार में सफल होगा या नहीं । इस दृष्टि से प्रबन्धकों को चाहिए कि वे विपणन सम्बन्धी प्रभावी निर्णयन द्वारा उत्पाद के स्वीकरण को सुनिचित करे । एक कम्पनी इस अवस्था में प्रत्येक विपणन घटक, यथा - मूल्य, संवर्द्धन, वितरण के लिए उच्च अथवा निम्न स्तर निर्धारित कर सकती है । प्रारम्भिक अवस्था में कम मूल्य पर अधिक विक्रय की नीति इसका प्रमुख उदाहरण है । अत्यधिक संवर्द्धन प्रयास भी इस अवस्था का लक्षण है ।

[ 2 ] विकास अवस्था ( Growth Stage ) :- यह अवस्था ग्राहक-स्वीकरण की स्थिति को दर्शाती है । इस अवस्था में विक्रय तेजी से बढ़ता है, क्योंकि उपभोक्ता उत्पाद को स्वीकार करने लगते हैं । इस अवस्था में प्रभावी वितरण, विज्ञापन तथा विक्रय संवर्द्धन सफलता के लिए महत्त्वपूर्ण घटक माने जाते हैं । इस अवस्था की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं -

(i) उत्पाद को बेहतर उपभोक्ता स्वीकृति प्राप्त होती है ।

(ii) उत्पाद के क्रय-विक्रय सम्बन्धी लेन-देन तीव्र गति से बढ़ती हैं ।

(iii) लाभों की वृद्धि एवं सम्भावनाओं से प्रेरित होकर प्रतिस्पर्धी बाजार में प्रवेश करते हैं ।

(iv) प्रतिस्पर्धा के बावजूद लाभों के परिमाण बढ़ता है; तथा 

(v) विशेष विपणन निर्णयों, जैसे - वितरण माध्यम का चयन, विपणन अनुसन्धान, विज्ञापन नीति सम्बन्धी निर्णय पर बल दिया जाता है ।

प्रबन्धकीय दृष्टिकोण :-इस अवस्था में प्रबन्धकों को उत्पाद को किस्म एवं उसमें नये गुणों का समावेश करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए । भविष्य की माँग को बनाये रखने के लिए ऐसा करना अनिवार्य हो जाता है । साथ ही ब्राण्ड की स्थापना भी प्रमुख प्रयास होना चाहिए । ग्राहक सन्तुष्टि पर विशेष ध्यान देते हुए ग्राहक आधार ( Consumer Base ) में वृद्धि करनी होती है ।

[ 3 ] बाजार परिपक्वता अवस्था ( Market Maturity Stage ) :- उत्पाद जीवन-चक्र की तीसरी अवस्था परिपक्वता अवस्था कहलाती है । एक किसी बिन्दु पर उत्पाद का विक्रय कम हो जाता है तथा उत्पाद की माँग एकदम कम हो जाती है । इस अवस्था में ऐसा इसलिए होता है कि नये उत्पाद बाजार में आ जाते हैं और प्रतिस्पर्धा तीव्र हो जाती है । लाभ स्तर में कमी आने लगती है । अतिरिक्त संवर्द्धनात्मक प्रयासों की आवश्यकता महसूस की जाने लगती है । परिपक्वता अवस्था की अन्तिम अवस्था में संतृप्ति की अवस्था उत्पन्न हो जाती है । इस अवस्था की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं -

(i) प्रतिस्पर्धा बढ़ने लगती है ।

(ii) लाभ अर्जन की संभावनाएँ क्षीण होने लगती हैं ।

(iii) विक्रय की मात्रा बढ़ती है किन्तु घटती डर से ।

(iv) पूर्ति माँग की तुलना में पहली बार अधिक होने लगती है; तथा 

(v) विक्रय को सुनिश्चित करने के लिए व्यापारिक समर्थन आवश्यक हो जाता है ।

प्रबन्धकीय दृष्टिकोण :- इस अवस्था में प्रबन्धकों को विपणन प्रयास पुनर्गठित करने होते हैं तथा उपभोक्ताओं से व्यक्तिगत सम्पर्क करने की आवश्यकता होती है । प्रबन्धक इस अवस्था को पतन अवस्था में परिवर्तित होने से रोक सकते हैं । इसके लिए उन्हें उत्पाद संशोधन, उत्पाद के वैकल्पिक उपयोगों की खोज एवं रचनात्मक विक्रय विकास सम्बन्धी कार्य करने चाहिए ।

[ 4 ] पतनावस्था ( Decline Stage ) :-यह उत्पाद जीवन-चक्र की अन्तिम अवस्था होती है । इस अवस्था में उत्पाद या तो अप्रचलित हो जाता है या उसके स्थान पर नया उत्पाद जगह ले लेता है । इस अवस्था में पारस्परिक प्रतिस्पर्धा अनेक उत्पादों को बाजार से बाहर कर देती है । इस अवस्था के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं -

(i) उत्पाद अप्रचलित होने लगता है ।

(ii) उत्पाद किसी विशिष्ट बाजार तक ही सीमित हो जाता है । 

(iii) कीमत प्रतिस्पर्धा मुख्य प्रतिस्पर्धी अस्त्र हो जाता है । 

(iv) विज्ञापन एवं संवर्द्धनात्मक लागतों में वृद्धि हो जाती है; तथा 

(v) अधिकांश उत्पादक नव-उत्पाद विकास की ओर प्रेरित होने लगते हैं ।

प्रबन्धकीय दृष्टिकोण :- इस अवस्था में प्रबन्धकों को चाहिए कि वे समय पर नया उत्पाद प्रस्तुत करें ताकि बाजार से ब्राण्ड नाम हटे नहीं । साथ ही पुराने उत्पाद को तब तक बाजार में बनाये रखें जब तक कि नया उत्पाद बाजार में प्रस्तुत न कर दिया जाये । 

इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि अधिकांश उत्पादों को जीवन-चक्र की अवस्थाओं का सामना करना पड़ता है तथा ऐसे जीवन-चक्र की अवस्थाओं के समयानुकूल ज्ञान से उचित प्रयासों से लाभों को सुनिश्चित किया जा सकता है तथा विपणन कार्यक्रमों को प्रभावी बनाये रखा जा सकता है ।

नवीन उत्पाद विकास क्या है?

व्यापार और इंजीनियरिंग में, नवीन उत्पाद विकास से आशय किसी नए उत्पाद को बाजार में लाने, या मौजूदा उत्पाद को नवीनीकृत करने या नए बाजार में उत्पाद पेश करने की पूरी प्रक्रिया से है। नवीन उत्पाद विकास के अन्तर्गत अन्य बातों के अलावा उत्पाद की डिजाइन सबसे महत्वपूर्ण है।

नया उत्पाद विकास कैसे शुरू होता है?

यह उत्पाद, बाजार का विश्लेषण करने और एक योजना तैयार करने के बारे में है। यह एक अवधारणा को एक विपणन उत्पाद में बदलने की प्रक्रिया हैउत्पाद विकास प्रक्रिया एक विचार से शुरू होता है, लेकिन मूल्य निर्धारण की रणनीति, स्थिति और विपणन और वितरण पहलुओं जैसे विकास के तकनीकी पहलुओं के साथ समाप्त होता है

नए उत्पाद से आप क्या समझते हैं?

क्षेत्र में नया- कई संगठनों के पास कई उत्पाद हैं जो केवल विशेष क्षेत्रों में चुनिंदा रूप से बेचे जा रहे हैं। जब इन उत्पादों को उन क्षेत्रों में बेचा जाता है जहां वे पहले नहीं बेचे गए थे, तो इसे 'क्षेत्र के लिए नया' उत्पाद कहा जाता है।

उत्पाद विकास क्या है उत्पाद विकास में विभिन्न चरणों पर चर्चा करें?

उत्पाद विकास की प्रक्रिया क्या है उत्पाद विकास का अर्थ उत्पाद-विचार को वास्तविक उत्पाद मे परिवर्तित करने से लिया जाता है। यह वह प्रक्रिया है जो तकनीकी एवं विपणन क्षमताओं को संयोजित करती है और पतनोन्मुख उत्पादों के पुनस्र्थापनों के रूप में नये उत्पाद अथवा संशोधित उत्पाद बाजार में प्रस्तुत करती है।