अल्पविकसित देश का अर्थमोटे तौर पर विश्व के देशों को दो भागों में बांटा जाता है - विकसित तथा अल्पविकसित अथवा धनी तथा निर्धन राष्ट्र। निर्धन देशों को कई नामों से पुकारा जाता है जैस निर्धन, पिछड़े, अल्प विकसित, अविकसित और विकासशील देश। वैसे तो यह सभी शब्द पर्यायवाची है परन्तु इनके प्रयोग में मतभेद रहा है। उदाहरण के तौर पर मायर एवं बाल्डविन और बारबरा वार्ड ने ‘अल्प-विकसित’ के बजाय ‘निर्धन’ शब्द को वारीयता दी है क्योंकि उनके मतानुसार अल्प विकसित शब्द अल्प विकास के अत्यधिक असमान स्वरों (स्तरों) को एक साथ जोड़ देता है। अल्पविकसित देशों के लिए ‘पिछड़ा’ शब्द भी उपयुक्त नहीं है क्योंकि पिछड़ा और निर्धन, यह दोनों शब्द इन देशों के लोगों की भावना एवं आत्म गौरव को ठेस पहुंचाते हैं। Show
प्रो0 गुन्नार मिर्डल ने इसी कारण एक अधिक गतिशील एवं व्यापक शब्द ‘अल्प विकसित’ का समर्थन किया है हमारी राय में यह अधिक उपयुक्त हैं क्योंकि यह शब्द विकास की दो चरम सीमाओं-अविकसित और विकसित - के मध्य में स्थित होने के कारण इन देशों को अगले छोर पर पहुंचने के लिये प्रेरित करता है। यहॉ आपको यह बताना आवश्यक है कि हाल के वर्षों में ऐसे देशों के लिये तुलनात्मक रूप में एक अधिक सम्मानजनक शब्द ‘विकासशील देश’ का प्रयोग होने लगा है। भले ही यह शब्द कर्णप्रिय है परन्तु सही अर्थों में यह शब्द एक अवरूद्ध अर्थव्यवस्था के बजाय विकास की ओर पलायन करती हुई अर्थ व्यवस्था का प्रतीक है। उदाहरणार्थ, एक अल्प विकसित देश मे जन्म व मृत्युदर दोनों ऊंची होती हैं जबकि विकासशील देश में ऊचीं जन्म दर के बावजूद मृत्युदर घटने लगती है। हाल ही में इन देशों के लिये एक नया शब्द ‘तीसरा विश्व’ प्रयुक्त होने लगा है। बहरहाल इस विवाद को यहीं विराम देते हुए हम इन सभी शब्दों का प्रयोग पर्यायवाची के रूप में करेंगे। अल्पविकसित तथा विकासशील अर्थव्यवस्थाअल्प विकास या अल्प विकसित देश को परिभाषित करना काफी कठिन है। प्रो0 सिंगर का भी मत है कि ‘एक अल्प विकसित देश ‘जिराफ’ की भांति है जिसका वर्णन करना कठिन है। लेकिन जब हम इसे देखते हैं तो समझ जाते हैं।’ वैसे अल्प विकसित अर्थव्यवस्था के अनेक मापदण्ड प्रस्तुत किये गए हैं जैसे निर्धनता, अज्ञानता, निम्न प्रति व्यक्ति आय, राष्ट्रीय आय का असमान वितरण, जनसंख्या भूमि अनुपात, प्रशासनिक अयोग्यता, सामाजिक बाधायें इत्यादि। प्रो0 डब्ल्यू0 डब्ल्यू0 सिंगर - का मत है कि अल्प विकसित अर्थव्यवस्था को परिभाषित करने का कोई भी प्रयास, समय को बर्बाद करना है। फिर भी किसी एक निश्चित निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए यह आवश्यक होगा कि कुछ प्रचलित परिभाषाओं का अध्ययन कर लिया जाए। संयुक्त राष्ट्र संघ - की एक विज्ञप्ति के अनुसार ‘‘अल्प विकसित देश वह है जिसकी प्रति व्यक्ति वास्तविक आय अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया तथा पश्चिम यूरोपीय देशों की प्रति व्यक्ति वास्तविक आय की तुलना में कम है।’’ प्रो0 मेकलियोड - के मतानुसार ‘‘एक अल्प विकसित देश अथवा क्षेत्र वह है जिसमें उत्पत्ति के अन्य साधनों की तुलना में उद्यम एवं पूंजी का अपेक्षाकृत कम अनुपात है परन्तु जहां विकास सम्भाव्यतायें विद्यमान हैं और अतिरिक्त पूंजी को लाभजनक कार्यों में विनियोजित किया जा सकता है।’’ प्रो0 जे0 आर0 हिक्स - के शब्दों में ‘‘एक अल्प विकसित देश वह देश है जिसमें प्रौद्योगिकीय और मौद्रिक साधनों की मात्रा, उत्पादन एवं बचत की वास्तविक मात्रा की भांति कम होती है, जिसके फलस्वरूप प्रति श्रमिक को औसत पुरस्कार उस राशि से बहुत कम मिलता है जो प्राविधिक विकास की अवस्था में उसे प्राप्त हो पाता है।’’ यह परिभाषा केवल प्रावधिक घटक पर ध्यान देने के कारण एकांगी मानी जाती है। प्राविधिक घटक के अलावा कुछ अन्य महत्वपूर्ण आर्थिक, प्राकृतिक, सामाजिक घटकों को दृष्टि में नहीं रखा गया है। प्रो0 ऑस्कर लैंज - की दृष्टि में ‘एक अल्प-विकसित अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसमें पूंजीगत वस्तुओं की उपलब्ध मात्रा देश की कुल श्रम शक्ति को आधुनिक तकनीक के आधार पर उपयोग करने के लिये पर्याप्त नहीं है।’’ ऑस्कर लैंज एवं नर्कसे के विचार मेकलियोड की भांति ही त्रुटिपूर्ण है। आर्थिक विकास के लिए पूंजी एक आवश्यक शर्त है परन्तु एक मात्र नहीं। परिभाषा में अन्य आवश्यक तत्वों की ओर संकेत नहीं किया गया है। जैकब वाईनर - के अनुसार ‘अल्प विकसित देश वह देश है जिसमें अधिक पूंजी अथवा अधिक श्रम-शक्ति अथवा अधिक उपलब्ध साधनों अथवा इन सबको उपयोग करने की पर्याप्त संभावनायें हों, जिससे कि वर्तमान जनसंख्या के रहन सहन के स्तर को ऊंचा उठाया जा सके, और यदि प्रति व्यक्ति आय पहले से ही काफी अधिक है तो रहन सहन क स्तर को कम किये बिना, अधिक जनसंख्या का निर्वाह किया जा सके। यूजीन स्टैले - के विचारानुसार ‘अल्प विकसित देश वह देश है जहां जनसाधारण में दरिद्रता व्याप्त है जो अत्यन्त स्थायी व पुरातन है, जो किसी अस्थायी दुर्भाग्य का परिणाम नहीं है, बल्कि उत्पादन के घिसे पिटे परम्परागत तरीकों और अनुपयुक्त सामाजिक व्यवस्था के कारण हैं। जिसका अभिप्राय यह है कि दरिद्रता केवल प्राकृतिक साधनों की कमी के कारण नहीं होती है और इसे अन्य देशों में श्रेष्ठता के आधार पर परखे हुए तरीकोंं द्वारा सम्भवत: कम किया जा सकता है।’ भारतीय योजना आयोग - के अनुसार ‘एक अल्प विकसित देश वह देश है जहां पर एक ओर अप्रयुक्त मानवीय शक्ति और दूसरी ओर अवशोषित प्राकृतिक साधनों का कम या अधिक मात्रा में सह अस्तित्व का पाया जाना है।’ सामान्यतया एक अल्प विकसित देष वह है जहां जनसंख्या की वृद्धि की दर अपेक्षाकृत अधिक हो, पर्याप्त मात्रा में प्राकृतिक साधन उपलब्ध होंं, परन्तु उनका पूर्णरूपेण विदोहन न हो पाने के कारण उत्पादकता व आय का स्तर नीचा हो। सरल शब्दों में, वह देश अल्प विकसित देश माना जाएगा जिसका आर्थिक विकास सम्भव तो हो, किन्तु अपूर्ण हो। अल्पविकसित तथा विकासशील अर्थव्यवस्था की विशेषताएक विकासशील या अल्प विकसित अर्थव्यवस्था वाले देश में कौन सी आधार भूत विशेषताएं पायी जाती हैं, इस सम्बन्ध में सर्वमान्य विशेषताएं बताना कठिन है। इसका कारण यह है कि भिन्न भिन्न विकासशील या अल्प विकसित अर्थव्यवस्थाओं में भिन्न भिन्न विशेषताएं पायी जाती हैं। मानर एवं बाल्डबिन ने अपनी पुस्तक “Economic Development” में अल्प विकसित अर्थव्यवस्था के छ: आधारभूत लक्षण बताये हैं :-
हार्वे लिबिन्सटीन ने अल्प विकसित देशों की चार विशेषताएं बतायी हैं।
उपर्युक्त विवेचन के आधार पर हमने एक अल्प विकसित अर्थव्यवस्था की विशेषताओं को छ: भागों में बांटा है। 1. आर्थिक विशेषताएं, 2. जनसंख्या सम्बन्धी विशेषताएं, 3. तकनीकी विशेषताएं, 4. सामाजिक विशेषताएं, 5. राजनीतिक विशेषताएं एवं 6. अन्य विशेषताएं। आर्थिक विशेषताएं
तकनीकी विशेषताएं
सामाजिक विशेषताएं
राजनीतिक विशेषताएं
अन्य विशेषताएं
विकसित तथा अल्प विकसित देश में अंतरडॉ0 स्टीफैन ने इस दृष्टि से एक अल्प विकसित अर्थव्यवस्था को ‘अनार्थिक संस्कृति’ का नाम दिया है। उनका मत है कि ‘परम्परागत सामाजिक मनोवृत्ति मानवी साधनों के पूर्ण उपयोग को कुंठित करती है जिसके फलस्वरूप एक रूढ़िवादी मानव समाज भौतिक पर्यावरण में बदलाव लाने और उपभोग में अतिरिक्त वृद्धि के प्रति उदासीन हो जाता है।’
यद्यपि उपरोक्त विवरण से विकसित और अल्प विकसित या विकासशील अर्थव्यस्था में अंतर स्वत: स्पष्ट तथा विद्यार्थियों की सुविधा हेतु हमने विभिन्न विकास अंगों के रूप में इन दोनों प्रकार की अर्थ व्यवस्थाओं में अंतर का एक संक्षिप्त-सार प्रस्तुत किया है। अविकसित आर्थिक विकास से आप क्या समझते हैं?जिन अर्थव्यवस्थाओं की प्रति व्यक्ति आय अधिक होती है और उच्च जीवन स्तर का समर्थन करते हैं उन्हें विकसित अर्थव्यवस्था कहा जाता है और दूसरी ओर, जिन अर्थव्यवस्थाओं में प्रति व्यक्ति आय कम होती है, जिसके परिणामस्वरूप जीवन स्तर निम्न होता है, उन्हें अविकसित अर्थव्यवस्था कहा जाता है।
अविकसित से आप क्या समझते हैं?अविकसित की परिभाषा
1: सामान्य रूप से या पर्याप्त रूप से विकसित अविकसित मांसपेशियां अविकसित फिल्म नहीं । 2: अविकसित राष्ट्रों में औद्योगिक उत्पादन का अपेक्षाकृत कम आर्थिक स्तर और जीवन स्तर (पूंजी की कमी के कारण) होना।
अविकसित अर्थव्यवस्था क्या है और इसकी विशेषताएं क्या है?हालांकि, अविकसित अर्थव्यवस्थाओं की सामान्य विशेषताओं का एक समूह है जैसे निम्न प्रति व्यक्ति आय, निम्न जीवन स्तर, जनसंख्या वृद्धि की उच्च दर, निरक्षरता, तकनीकी पिछड़ापन, पूंजी की कमी, पिछड़ी कृषि पर निर्भरता, उच्च स्तर की बेरोजगारी, प्रतिकूल संस्थान और इसी तरह।
अर्ध विकसित अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं?संयुक्त राष्ट्र ने 1971 में राष्ट्रों की एक अलग श्रेणी के रूप में अल्प विकसित देशों का निर्धारण किया था। 1970 के दशक के लिए द्वितीय संयुक्त राष्ट्र विकास दशक की अंतर्राष्ट्रीय विकास रणनीति में अल्प विकसित देशों के लिए विशेष उपायों का समावेश किया गया था।
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