नाखून क्यों बढ़ते हैं यह प्रश्न लेखक के आगे कैसे बढ़ते हुआ? - naakhoon kyon badhate hain yah prashn lekhak ke aage kaise badhate hua?

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Bihar Board Class 10th Hindi Chapter 4 Nakhun Kyo Badhte Hai – नाख़ून क्यों बढ़ते है

chapter – 4 नाख़ून क्यों बढ़ते है Naakhun kyo badhte hai notes

पाठ – 4
शीर्षक – नाख़ून क्यों बढ़ते है |
लेखक – हजारी प्रसाद द्रिवेदी
जन्म – 1907 में
मृत्यु – 1979 में

लेखक परिचय :- नाख़ून क्यों बढ़ते है पाठ के लेखक हजारी प्रसाद द्रिवेदी जी है | इनका जन्म सन 1907 में बलिया ( उत्तर प्रदेश ) में हुआ था | इन्हें पद्ध्मभूषण पुरस्कार से नवाजा गया है | इनका निधन 1979 ईस्वी में दिल्ली में हुआ था |

इनकी प्रमुख रचनाएँ :- अशोल के फुल, पृथ्वीराज रासो, विचार और वितर्क, आलोक पर्व, बाण भट्ट की आत्मकथा, हिंदी साहित्य का आदिकाल , हिंदी साहित्य की भूमिका, विश्व भारती ( शांति निकेतन ) आदि है |

कुछ प्रमुख तथ्य कालिदास ने कहा :- सब पुराने अच्छे नहीं होते एवं सब नए खराब नहीं होते है |

  • लेखक की एक बेटी थी |
  • इंद्र का व्रज दधिजी मुनि के हड्डी से बना था |
  • आर्यों ले लोहा का आविष्कार किया था |
1. नाख़ून क्यों बढ़ते है’ यह प्रश्न लेखक के आगे कैसे उपस्थित हुआ ?

उत्तर – नाख़ून क्यों बढ़ते है’ यह प्रश्न लेखक के सामने तब उपस्थित हुआ ‘’ जब लेखक की छोटी सी पुत्री ने लेखक से पूछा की पिताजी – पिताजी नाख़ून नाख़ून क्यों बढ़ते है |

2. बढ़ते नाख़ून द्वारा प्राकृति मनुष्य को क्या याद दिलाती है ?

उत्तर – बढ़ते नाख़ून द्वारा प्रकृति मनुष्य को उसके पाशर्व वृति की याद दिलाती है |

3. लेखक द्वारा नाखुनो को अस्त्र के रूप में देखना कहाँ तक संगत है ?

उत्तर – लेखक द्वारा नाखुनो को अस्त्र के रूप में देखना काफी हद तक संगत है ! क्योकि अस्त्र से हम अपनी सुरक्षा करते है ! क्योकि लाखो वर्ष पहले हम आदिमानव थे ! और अपनी सुरक्षा के लिए नकाहुनो का प्रयोग करते थे ! इसलिए नकाहुनो को अस्त्र के रूप में देखना काफी हद तक संगत है |

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4. मनुष्य बार – बार नाख़ून क्यों काटता है ?

उत्तर – मनुष्य बार – बार नाखुनो को इसलिए काटता है ! क्योकि वह अपने पाशर्व वृति यानी पुरानी चिन्हों को भुला देना चाहता है |

5. हजारी प्रसाद द्रिवेदी का जीवनी लिखे ?

उत्तर – आचार्य हजारी प्रसाद द्रिवेदी का जन्म 1907 में आरत दुबे का छपरा बलिया उतर प्रदेश में हुआ था | इनकी प्रारंभिक पढाई गाँव से ही शुरू हुई | परन्तु वह आगे जाकर संस्कृत , बंगाली , इतिहास ज्ञान विज्ञान में अच्छी शिक्षा प्रपात किए इन की कुछ प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार से है –
अशोक का फुल
वन भट्ट की आत्मा
सुर साहित्य
कबीर पृथ्वीराज रासो आदि इनकी रचना है | आगे चलकर काशी हिन्दू विश्व विद्यालय शांति निकेतन विश्व विद्यालय चंडीगढ़ विश्व विद्यालय आदि में प्रोफ़ेसर एवं प्रसासनिक पद पर रहे | इनकी म्रत्यु दिल्ली में 1979 में हो गई |

6. सुकुमार विनोदो के लिए नाख़ून को उपयोग में लाना मनुष्य नए कैसे शुरू किया ? लेखक नए इस सम्बन्ध में क्या बताया है |

उत्तर – लेखक का कहना है | की कुछ हजार वर्ष पूर्व मनुष्य नए नाख़ून को सुकुमार विनोद के लिए उपयोग में लाना शुरू किया था | भारतवासी नाख़ून को खूब सवार तथा उनकी काटने की कला काफी मनोरंजक थी | नाख़ून को विशेष प्रकार से सजाकर काटते थे |

7. नख बढ़ाना और उन्हें काटना कैसे  मनुष्य की सहजात वृतियाँ है ? इनका क्या अभिप्राय है |

उत्तर – नाख़ून बढ़ाना और उन्हें काटना मनुष्य की अभ्यास जननी सहज वृतियाँ है | मनुष्य अपने शरीर के भीतर एक ऐसा गुण पैदा कर लिया जो अन्यास ही काम करता है |

8. लेखक क्यों पूछता है ? की मनुष्य किस ओर बढ़ रहा है | पशुता की ओर या मनुष्यता की ओर ? स्पष्ट करे |

उत्तर – लेखक मानव की प्रवृति देखकर यह प्रश्न पूछता है | की मनुष्य किस ओर बढ़ रहा है | मनुष्यता की ओर या पशुता की ओर ऐसा इसलिए पूछता है | क्योकि मनुष्य पशुता की ओर बढ़ रहा है | आज मनुष्य जिसको आधुनिकता मानता है | वह एक विनाशकारी है | वह अपनी मनुष्यता से पशुता की ओर प्रगति कर रहा है | मानव परमाणु बम बना कर पाने आप में गर्व महसूस कर रहा है | लेकिन यह सम्पूर्ण मनुष्य की विनाश के लिए तालिक तैयार कर रहा है |

9. देश की आजादी के लिए प्रयुक्त किन शब्दों की अर्थ मीमांसा लेखक करता है ? और लेखक के निष्कर्ष क्या है ?

उत्तर – आजादी के लिए विभिन्न शब्दों का लेखक मीमांसा करता है | लेखक का कहना है | की इंडिपेंडेस का अर्थ होता है | किसी का अधीनता का अभाव तथा सेल्फ डिफेंस का अर्थ होता है | अपने में ही अधिन रहना | जिसे सेल्फ डिपेंडेस भी कहते है | लेखक का यह निष्कर्ष है | की लड़ाई के समय मनुष्य अभियान स्वयं स्वतन्त्रता तथा स्वराज को कायम बना रखा है | इसको तोडना आसान नहीं है | इसलिए अधीनता के साथ पर स्वधीनता को महत्व दिया है |

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10. लेखक नए किस प्रसंग में कहा है ? की बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती ? लेखक का अभिप्राय स्पष्ट करे |

उत्तर – लेखक का कहना है की मरे हुए बच्चे को लेकर बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती है | ऐसा मोह माया विचित्र नहीं है | लेखक का अभिप्राय है | की नई – नई खोजो में डूबकर आपना सर्वस्व खो देना भी उचित नहीं है | पुराने जमाने में कहा जाता था | की सभी पुराने अच्छे नहीं होते है | तथा सभी नया खराब नहीं होता है | यही लेखक का अभिप्राय है |

11. स्वधीनता शब्द की सार्थकता लेखक क्या बताया है ?

उत्तर – स्वाधीनता शब्द का अर्थ लेखक यह बताना चाहता है | की यह स्वधीनता शब्द सभ्यता की परिचय देता है | जिसका अर्थ होता है | मनुष्य को किसी दुसरे के अधिन न रह कर स्वयं अपने पर निर्भर होना चाहिए |

12. निबन्ध में लेखक नए किस बूढ़े का जिक्र किया है ? लेखक की दृष्टि में बूढ़े के कथनों की सार्थकता क्या है |

उत्तर – निबन्ध में लेखक नए महात्मा गाँधी जी का जिक्र किया है | उन्होंने कहा था की बाहर नहीं अंदर देखो हिंसा को मन से दूर करो देश के लिए काम करो आराम की बात मत सोचो क्योकि आराम हराम है | प्रेम की बात सोचो बूढ़े नए यह भी कहा था | की प्रेम सबसे बड़ी चीज है | क्योकि यह हमारे दिल के जिगर में होता है | इसलिए सार्थकता के लेखक प्रेम जीवन को मूल्यवान मानता है |

13. मनुष्य की पूंछ की तरह उसके नाख़ून भी एक दिन झड़ जाएँगे ? प्राणीशास्त्रियो के इस अनुमान से लेखक के मन ,में कैसी आशा जगती है |

उत्तर – प्राचीन काल में आदिमानव पूंछ वाले बंदर के समान थे | उनके कार्य के अनुसार उनका पूंछ भी समाप्त होता गया | इसलिए लेखक का मानना है | की यह नाख़ून भी समाप्त हो जाएँगे | अर्थात मनुष्य के अंदर की दृश्य प्रवृतियाँ भी समाप्त हो जाएगी |

14. सफलता और चरितार्थता शब्दों में लेखक अर्थ की भिन्नता किस प्रकार प्रतिपादित करता है ?

उत्तर – सफलता व चरितार्थता शब्द के बिच भेदभाव के बारे में लेखक यह बताना चाहते है | की सफलता जब प्राप्त होती है | तो चरितार्थता समाप्त हो जाती है | किन्तु चरितार्थता के साथ सफलता अवश्य ही आता है | मनुष्य अपनी चरितार्थता से ही सफलता को प्राप्त करता है |

15. लेखक की दृष्टि में हमारी संस्कृति की बड़ी भारी विशेषताएँ क्या है ? स्पष्ट करे |

उत्तर – लेखक की दृष्टि में हमारी संस्कृति की बड़ी भरी विशेषताएँ यह है |” की हमारे समाज में लोग संस्कारिक होते है | रहन – सहन स्वभाव विचार सभी प्रकार की संस्कार पाई जाती है | यहाँ  संस्कृति की प्रवृतियाँ का खजाना है |

व्याख्या करे

16. काट दीजिए वे चुपचाप दंड स्वीकार कर लेंगे ? पर निर्लज्ज अपराधी की भांति फिर छूटते ही सेंध पर हाजिर ?

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक में हजारी प्रसाद द्रिवेदी द्वारा लिखित नाख़ून क्यों बढ़ते है | शीर्षक से लिया गया है | इस पंक्ति के माध्यम से लेखक यहं बताना चाहते है | की मनुष्य के अंदर इस प्रकार की प्रवृतियाँ आती रहती है | उसे मनुष्य हमेशा के लिए समाप्त कर देना चाहता है | परन्तु वे फिर भी मनुष्य के अंदर उपस्थित हो जताई है | अतः मनुष्य ऐसा नहीं चाहता है |

नाख़ून क्यों बढ़ते है का प्रश्न उत्तर 

17. मै मनुष्य के नाख़ून की ओर देखता हूँ !! तो कभी – कभी निराश हो जाता हूँ ?

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक में हजारी प्रसाद द्रिवेदी द्वारा लिखित नाख़ून क्यों बढ़ते है ! शीर्षक से लिया गया है ! इस पंक्ति के माध्यम से लेखक यहं बताना चाहते है ! की जब मै मनुष्य की नाख़ून को देखता हूँ | तो मुझे पशु की याद आ जाती है ! क्योकि बढ़ते नाख़ून पशुता के प्रतीक है ! इसलिए लेखक जब मनुष्य के नाख़ून को देखता है | तो कभी – कभी निराश हो जाता है |

18. कमबख्त नकहूँ बढ़ते है !! तो बढ़े मनुष्य उन्हें बढने नहीं देगा ?

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक में हजारी प्रसाद द्रिवेदी द्वारा लिखित नाख़ून क्यों बढ़ते है ! शीर्षक से लिया गया है | इस पंक्ति के माध्यम से लेखक यहं बताना चाहते है ! की मनुष्य के अंदर अगर बुराइयाँ आ जाती है ! तो उसे रोकना चाहिए इसलिए लेखक कहते है ! की तुम कितना भी बढ़ लो मनुष्य तुम्हे काट कर फेंक ही देगा तुम को आगे बढने नहीं देगा |

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नाखून बढ़ने का प्रश्न लेखक के सामने कैसे उपस्थित हुआ?

नाख़ून क्यों बढ़ते है Subjective Question Answer 2023.
उत्तर ⇒ नाखून क्यों बढ़ते हैं यह प्रश्न लेखक के सामने तब हुआ जब उसकी छोटी पुत्री ने यह प्रश्न किया।.
उत्तर ⇒ बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को याद दिलाती है कि तुम वही लाखों वर्ष पहले के नख-दंतावलंबी जीव हो।.

नाखून क्यों बढ़ते हैं ?' इस पाठ के लेखक कौन हैं?

प्रस्तुत पाठ 'नाखून क्यों बढ़ते हैं' हजारी प्रसाद द्विवेदी के द्वारा लिखा गया है। इसमें लेखक ने नाखूनों के माध्यम से मनुष्य के आदिम बर्बर प्रवृति का वर्णन करते हुए उसे बर्बरता त्यागकर मानवीय गुणों को अपनाने का संदेश दिया है।