नमक का दारोगा कहानी के अंत में अलोपीन वंशीधर को कौन सा पद स्वीकारने को कहते हैं? - namak ka daaroga kahaanee ke ant mein alopeen vansheedhar ko kaun sa pad sveekaarane ko kahate hain?

NCERT Solution for Class 11 Hindi आरोह भाग 1 नमक का दरोगा MCQ Question Answer. Here we Provides Class 1st to 12th all Subjects Solution With Notes, Question Answer, Summary and Important Questions for CBSE, HBSE, Up Board, RBSE, MP Board and some other State Boards.

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NCERT Solution of Class 11th Hindi Aroh Bhag 1 /  आरोह भाग 1 नमक का दरोगा / Namak ka Daroga MCQ Question Answer / Objective Question Answer Solution.

बहुविकल्पी प्रश्न उत्तर


1. ‘नमक का दारोगा’ कहानी के अंत में अलोपीन वंशीधर को कौन-सा पद स्वीकारने को कहते हैं ?
(i) दारोगा
(ii) मैनेजर
(iii) क्लर्क
(iv) मुंशी।

Answer

उत्तर :- (ii) मैनेजर


2. अलोपीदीन ने वंशीधर के सामने किस प्रकार का पत्र रखा ?
(क) कुशलता का
(ख) स्टांप लगा हुआ
(ग) धमकी भरा
(घ) घूसखोरी का

Answer

उत्तर :- (ख) स्टांप लगा हुआ


3. विनयशील अलोपीदीन के सामने वंशीधर की आँखें कैसी हो गई ?
(क) डबडबाई हुई
(ख) क्रोधपूर्ण
(ग) घृणामयी
(घ) द्वेषपूर्ण

Answer

उत्तर :- (क) डबडबाई हुई


4. अंग्रेज अफसर अलोपीदीन के इलाके में क्यों आते थे ?
(क) व्यापार करने
(ख) दावत खाने
(ग) शिकार खेलने
(घ) जुआ खेलने।

Answer

उत्तर :- (ग) शिकार खेलने


5. पंडित अलोपीदीन के इष्ट देवी का नाम लिखिए:
(क) दुर्गा
(ख) लक्ष्मी
(ग) शारदा
(घ) भवानी।

Answer

उत्तर :- (ख) लक्ष्मी


6. अलोपीदीन को दारोगा को किस के बल पर खरीद लेने का विश्वास था-
(A) बल
(B) छल
(C) रिश्वत
(D) संबंध।

Answer

उत्तर-रिश्वत।


नमक का दारोगा कहानी के अंत में अलोपीदीन वंशीधर को कौन सा पद स्वीकारने को कहते हैं *?

ईमानदारी का फल – दरोगा बंशीधर की ईमानदारी के कारण ही उसे अंत में पंडित अलोपीदीन अपना मैनेजर नियुक्त करता हैं। प्रश्न 6. कहानी के अंत में अलोपीदीन के वंशीधर को अपना मैनेजर नियुक्त करने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं ? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

नमक का दरोगा पाठ के अंत में किसकी विजय किस पर बताई गई है?

'नमक का दारोगा' कहानी के कोई दो अन्य शीर्षक बताते हुए उसके आधार को भी स्पष्ट कीजिए। (क) सत्य की जीत-इस कहानी में सत्य शुरू में भी प्रभावी रहा और अंत में भी वंशीधर के सत्य के सामने अलोपीदीन को हार माननी पड़ी है। (ख) ईमानदारी-वंशीधर ईमानदार था।

पंडित अलोपीदीन ने वंशीधर को नौकरी पर क्यों रखा?

''नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मज़ार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए। ऐसा काम ढूँढना जहाँ कुछ ऊपरी आय हो। मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है।

अलोपीदीन ने वंशीधर को कितने रू रिश्वत देने को तैयार हो गए थे?

उत्तर:- कहानी का नायक मुंशी वंशीधर हमें सर्वाधिक प्रभावित करता है। मुंशी वंशीधर एक ईमानदार और कर्तव्यपरायण व्यक्ति है, जो समाज में ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल कायम करता है। उसने अलोपीदीन दातागंज जैसे सबसे अमीर और विख्यात व्यक्ति को गिरफ्तार करने का साहस दिखाया।