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नमस्कार दोस्तों ! हिंदी साहित्य के छायावादी युग के चार स्तंभों में एक माने जाने वाले प्रमुख कवि है : Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला। आज हम निरालाजी और उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में ही विस्तार से अध्ययन करने जा रहे है। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म 1899 ईस्वी में तथा मृत्यु 1961 ईस्वी में हुई। इनका जन्म बंगाल के महिषादल में हुआ था। उनका पैतृक गांव गढ़ाकोला (उत्तर प्रदेश) है। निराला हिंदी साहित्य में अपनी प्रगतिशील चेतना के लिए विख्यात है। इन्होने अपने जीवनकाल में कई उपन्यास, कहानियों और निबंधों का लेखन किया है।
निराला छायावाद के शलाका पुरुष माने जाते हैं। ये अपने जीवन में सबसे पहले “समन्वय “ – 1922 पत्रिका से जुड़े। इसके बाद द्वितीय स्थान पर “मतवाला” – 1923 पत्रिका से जुड़े। मतवाला मंडल के सदस्य है :
निराला की पहली और अंतिम रचना निम्न है :
Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के काव्य संग्रहसूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के काव्य संग्रह की सूची नीचे दी गयी तालिका से समझे :
परिमल : 1929 ई.
परिमल में संकलित रचनाएं :
गीतिका : 1936 ई.
तुलसीदास : 1938 ई.
अनामिका : 1937-38 ई. (भाग द्वितीय)
कुकुरमुत्ता :1942 ई.
अणिमा : 1942-43 ई.
अपरा : 1956 ई.
Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की प्रमुख कविताएंसूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की प्रमुख कविताएं निम्नानुसार है :
राम की शक्ति पूजा :बांग्ला के कृतिवास रामायण से प्रभावित यह कृति निराला के आत्मसाक्षात्कार की कविता है। इस कविता में राष्ट्रीय चेतना की प्रखर अभिव्यक्ति मिलती है। यह महान बिम्ब विधानो की कविता है तथा ये भाव गाम्भीर्य की कविता भी है। सरोज स्मृति और तुलसीदास मिलकर राम की शक्ति पूजा का निर्माण करती है। सरोज स्मृति और राम की शक्ति पूजा निराला के आत्मसाक्षात्कार की कविता है। निराला के छंदों पर रबड़ छंद और केंचुआ छंद का आरोप लगाया जाता है। शुक्लजी के अनुसार, —
Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के चर्चित वाक्यसूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के चर्चित वाक्य निम्न प्रकार से है :
Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के आलोचना ग्रंथसूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के आलोचना ग्रंथ इस प्रकार है :
Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के प्रमुख उपन्याससूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के उपन्यास इस प्रकार है :
इसप्रकार दोस्तों ! आज आपने Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला और उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में जाना। आपको निरालाजी के प्रमुख काव्य संग्रह, कविताएं, उपन्यास एवं आलोचना ग्रंथ के बारे में भी विस्तृत जानकारी हो गयी होगी। उम्मीद करते है कि आज के नोट्स आपको अवश्य ही पसंद आये होंगे। धन्यवाद ! यह भी जरूर पढ़े :
एक गुजारिश :दोस्तों ! आशा करते है कि आपको “Suryakant Tripathi Nirala | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला और रचनाएँ“ के बारे में हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी I यदि आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके अवश्य बतायें I हम आपकी सहायता करने की पूरी कोशिश करेंगे I नोट्स अच्छे लगे हो तो अपने दोस्तों को सोशल मीडिया पर शेयर करना न भूले I नोट्स पढ़ने और HindiShri पर बने रहने के लिए आपका धन्यवाद..! कुकुरमुत्ता किसका प्रतीक है?इस कविता में कुकुरमुत्ता-श्रमिक, सर्वहारा, शोषित वर्ग का प्रतीक या प्रतिनिधि है, तो गुलाब, सामंती, पूंजीपति वर्ग का प्र्रतीक या प्रतिनिधि है। 'कुकुरमुत्ता' यह निराला की सामाजिक चेतना, प्रगतिवादी, प्रयोगशील प्रवृत्ति को निरुपित करनेवाली कविता है।
अबे सुन बे गुलाब में गुलाब किसका प्रतीक है?उत्तर - अबे सुनबे गुलाब में गुलाब पूंजीपति का प्रतीक है।
कुकुरमुत्ता कविता में कवि ने किसका वर्णन किया है?कुकुरमुत्ता, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की एक प्रसिद्ध लंबी कविता है जिसमें कवि ने पूंजीवादी सभ्यता पर कुकुरमुत्ता के बयान के बहाने करारा व्यंग्य किया गया है। कुकुरमुत्ता गुलाब को सीधा भदेश अंदाज में संबोधित करता हुआ उसके सभ्यता की कलई उधेड़ता चला जाता है।
कुकुरमुत्ता कविता का मूल स्वर क्या है?'कुकुरमुत्ता' सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' जी की एक लंबी और प्रसिद्ध कविता है। इस कविता में कवि ने पूंजीवादी सभ्यता पर कुकुरमुत्ता के बहाने करारा व्यंग्य किया है। यह कविता स्वतंत्रता पूर्व सनˎ 1941 में लिखी गई निराला जी की बहुचर्चित, सामाजिक, व्यंग्यात्मक कविता है। इस कविता का मूल स्वर प्रगतिवादी है।
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