Saraswati patrika ke sampadak kaun hai | Saraswati patrika ke pratham sampadak kaun hai |सरस्वती पत्रिका के प्रथम संपादक कौन हैं | सरस्वती पत्रिका के प्रसिद्ध संपादक कौन है – सरस्वती का समाज और साहित्य में योगदान – विभिन्न कालखंडो में अनेक पत्रिका और संपादन ने समाज के बिच चेतना और उत्साह जगाया हैं. साथ ही भाषओं को भी मजबूती दी हैं. वर्तमान में हिंदी भाषा में अनेक पत्रिका प्रकाशित होती हैं. लेकिन आजादी के पहले हिंदी भाषा में प्रकाशन बहुत मुश्किल होता था. क्योंकि अंग्रेज भाषा की ताकत हो जानते थे. और वह कभी नही चाहते थे. की हिंदी भाषा भारतीयों की ताकत बने. इसी बिच सन 1900 से सरस्वती पत्रिका का प्रकाशन शुरू हुआ. Show
इस आर्टिकल में हम जानेगे की सरस्वती का प्रकाशन कौनसे युग में हुआ था. तथा इसके सबसे प्रथम और प्रसिद्ध संपादक कौन थे. साथ ही सरस्वती का भारतीय समाज और हिंदी साहित्य में महत्त्व को भी विस्तार से समझेगे.
सरस्वती पत्रिका किस युग में प्रकाशित हुई हैसरस्वती हिंदी की खड़ी बोली भाषा की पहली पत्रिका थी. आज के समय हिंदी भाषा में अनेक पत्रिका प्रकाशित होती हैं. लेकिन उस समय में सिर्फ सरस्वती ही हिंदी भाषा की सरस्वती थी. हिंदी भाषा को प्रबल और संपन्न बनाने के लिए सरस्वती पत्रिका का योगदान कभी भी भुलाया नहीं जा सकता हैं. इस पत्रिका का प्रकाशन सन 1900 में जनवरी मास में प्रारंभ हुआ था. Kalam ka sipahi kise kaha jata hai | कलम का सिपाही सरस्वती पत्रिका के प्रथम संपादक का नाम क्या था – सरस्वती पत्रिका के प्रथम संपादक कौन हैं | Saraswati patrika ke pratham sampadak kaun haiसरस्वती पत्रिका इंडियन प्रेस के इलाहबाद प्रेस में छपती थी. इस पत्रिका का मूल्य उस जमाने में मात्र 4 आना होता था. सरस्वती सिर्फ पत्रिका नहीं होकर साहित्य थी. सरस्वती पत्रिका के प्रथम संपादक बाबु श्यामसुन्दर दास थे. चूँकि श्यामसुन्दर दास अपने कार्य व्यस्तता के कारन सरस्वती को ज्यादा समय नहीं दे पाते थे. अंत श्यामसुंदर दास की सहायता के लिए इडियन प्रेस के मालिक चिंतामणी घोष ने चार अन्य संपादक भी नियुक्त लिए थे. पृथ्वीराज चौहान की तलवार का वजन कितना था इस चार सहायक संपादको के नाम किशोरी लाल गोस्वामी, कार्तिक प्रसाद खत्री, बाबु राधाकृष्ण दास और जगन्ननाथ रत्नाकर था. सरस्वती पत्रिका के प्रसिद्ध संपादक कौन है – सरस्वती का समाज और साहित्य में योगदानसन 1903 में सरस्वती के संपादक का कार्यभाल महावीर प्रसार द्विवेदी ने संभाला और 1920 तक इसके संपादक रहे. इसी काल को सरस्वती का स्वर्ण काल भी कहा जाता हैं. क्योंकि महावीर प्रसाद द्विवेदी ने सरस्वती के माध्यम से नए रचनाकारों को भाषा के महत्त्व को समझाया. कही बड़े साहित्यकारों के निर्माण में इस पत्रिका की भूमिका रही हैं. जिसमे हरिऔध, मैथिलीशरण से लेकर निराला तक शामिल हैं. सरस्वती पत्रिका के प्रसिद्ध संपादक महावीर प्रसाद द्विवेदी हैं. महावीर प्रसाद द्विवेदी ने सरस्वती के संपादक के तौर पर राष्ट्रीयता और देशप्रेम का प्रसार किया. सरस्वती के प्रकाशन से हिंदी भाषा और खडी बोली को बहुत पोत्साहन मिला. जिससे साहित्य की समृध्दी बढ़ी थी. अकबर का वित्त मंत्री कौन था | Akbar ka vitt mantri kaun tha महावीर प्रसाद द्विवेदी की सरस्वती के संपादक बनने की कहानी भी बहुत रोचक हैं. प्रसाद जी सरस्वती से पहले रेलवे में अधिकारी के रूप में कार्यरत थे. चूँकि श्यामसुन्दर दास अपने कार्य व्यस्तता के कारन सरस्वती को ज्यादा समय नहीं दे पा रहे थे. अंत इंडियन प्रेस के मालिक चिंतामणी घोष को एक नए संपादक की तलाश थी. अपनी रेलवे की नौकरी पर रहते हुए. महावीर प्रसाद द्विवेदी ने सरस्वती की गलतियों पर आलोचनात्मक प्रतिक्रिया देते हुए पत्र लिखा. फिर क्या था चिंतामणी घोष की संपादक की ख़ोज महावीर प्रसाद द्विवेदी पर समाप्त हुई. उन्होंने प्रसाद जी को संपादक का कर्यभाल संभालने का अनुरोध किया. Karo ya maro ka nara kisne diya tha | करो या मरो इसी समय प्रसाद जी का भी अपने रेलवे की नौकरी में अधिकारी से विवाद हो गया था. अंत उन्होंने संपादक के कार्यभाल को संभालने का निर्णय ले लिया. इस प्रकार से प्रसाद जी ने 150 रूपये और 50 रूपसे भत्ता की नौकरी से इस्तीफा दे कर 20 रूपये तनख्खा और तीन रूपये डाक खर्च में सरस्वती के संपादक का कार्यभाल संभाला था. सरस्वती के संपादक की सुंचीनिचे सरस्वती पत्रिका के संपादको की सुंची उनके कार्यकाल के अनुसार दी गई हैं.
Bhugol ka janak kise kahate hain – भूगोल का जनक सरस्वती का अंतिम प्रकाशन और पुन प्रकाशनअस्सी वर्ष तक लगातार ये पत्रिका निकली और 1980 में इसका प्रकाशन बंद हो गया. जब सरस्वती पत्रिका का प्रकाशन बंद हुआ. तब इसके संपादक निशीथ राय थे. और वर्तमान में फिर से 40 साल के बाद 17 अक्टूबर, 2020 को उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हदृय नारायण दीक्षित के द्वारा सरस्वती के पुन प्रकाशन का लोकार्पण किया गया. सरस्वती पत्रिका के वर्तमान में संपादक कौन हैं |Saraswati patrika ke sampadak kaun haiइंडियन प्रेस के वर्तमान निर्देशक सुप्रीतक घोष ने देवेन्द्र शुक्ल और सह संपादक अनुपम परिहार को संपादक के रूप में नियुक्त किया हैं. अब फिर से हिंदी भाषा की सरस्वती का प्रकाशन चालू होगा. और हम उम्मीद करते हैं की सरस्वती पहले की तरह ही फिर से हिंदी साहित्यकारों के लिए मार्गदर्शन का कार्य करेगी. Gehun aur gulab kiski rachna hai | गेहूँ और गुलाब किसकी रचना हैं निष्कर्षइस आर्टिकल (Saraswati patrika ke sampadak kaun hai | Saraswati patrika ke pratham sampadak kaun hai) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको सरस्वती पत्रिका के बारे में विस्तार से बताना हैं. इस आर्टिकल में हमने बताया की सरस्वती का युग सन 1900 से 1980 तक रहा हैं. तथा इसके प्रथम संपादक का नाम श्यामसुन्दर दास हैं. वही सबसे प्रसिध्द संपादक का नाम महावीर प्रसाद द्विवेदी हैं. सरस्वती ने हिंदी साहित्य के कही बड़े साहित्यकारों का निर्माण किया हैं. सरस्वती का समाज और साहित्य में योगदान अग्रणीय हैं. सबसे पुराना वेद कौन सा हैं – सबसे प्राचीन वेद कौन सा हैं महाभारत किसने लिखा था – महाभारत के लेखक और रचियता श्री रामायण से जुड़े प्रश्न और उत्तर की शृंखला – रामायण की जानकारी आपको यह आर्टिकल (सरस्वती पत्रिका के प्रथम संपादक कौन हैं | सरस्वती पत्रिका के प्रसिद्ध संपादक कौन है – सरस्वती का समाज और साहित्य में योगदान ) कैसा लगा हैं. यह हमे तभी पता चलेगा जब आप हमे निचे कमेंट करके बताएगे. यह आर्टिकल विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओ की दृष्टी से भी महत्वपूर्ण हैं. इसलिए इस आर्टिकल को उन लोगो और दोस्तों तक पहुचाए जो प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. क्योंकि ज्ञान बाटने से बढ़ता हैं. धन्यवाद. महावीर प्रसाद द्विवेदी जी सरस्वती पत्रिका के संपादक कब बनी?आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने जनवरी 1903 से दिसंबर 1920 तक इसका संपादन किया। यह पत्रिका का स्वर्णिम काल था।
सरस्वती पत्रिका का संपादन कब और किसने किया?पं. महावीर प्रसाद ने इस पत्रिका का सम्पादन किया। वे 1903 से वर्ष 1920 तक इसके सम्पादक रहे। द्विवेदी जी ने इस पत्रिका के माध्यम से ज्ञानवर्धन करने के साथ-साथ हिन्दी लेखकों को हिन्दी भाषा का महत्त्व समझाते हुए, हिन्दी साहित्य की राह का निर्माण किया।
सरस्वती पत्रिका के संपादन का कार्यभार आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने कब संभाला?इस पत्रिका का प्रकाशन इलाहाबाद से सन 1900 ई0 के जनवरी मास में प्रारम्भ हुआ था। 32 पृष्ठ की क्राउन आकार की इस पत्रिका का मूल्य 4 आना मात्र था। 1903 ई0 में महावीर प्रसाद द्विवेदी इसके संपादक हुए और 1920 ई0 तक रहे।
सरस्वती पत्रिका का प्रकाशन वर्ष क्या है?Saraswati magazine 120 वर्ष पहले 1900 में सरस्वती पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया गया था। जून 1980 में प्रकाशन बंद हो गया था। जल्द ही सरस्वती पत्रिका फिर से हमारे बीच होगी। इसी पखवाड़े अक्टूबर नवंबर व दिसंबर के अंक का विधिवत लोकार्पण कराए जाने की योजना है।
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