और देखते ही देखते दिल्ली का कायापलट होने लगा से क्या तात्पर्य है? - aur dekhate hee dekhate dillee ka kaayaapalat hone laga se kya taatpary hai?

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Class 10 Hindi – A George Pancham ki Naak Extra Questions. myCBSEguide has just released Chapter Wise Question Answers for class 10 Hindi – A. There chapter wise Test papers with complete solutions are available for download in myCBSEguide website and mobile app. These test papers with solution are prepared by our team of expert teachers who are teaching grade in CBSE schools for years. There are around 4-5 set of solved Hindi Extra questions from each and every chapter. The students will not miss any concept in these Chapter wise question that are specially designed to tackle Board Exam. We have taken care of every single concept given in CBSE Class 10 Hindi – A syllabus and questions are framed as per the latest marking scheme and blue print issued by CBSE.

CBSE Class 10 Hindi Ch – 2 Test Paper

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Latest CBSE Exam Questions for Class 10 Hindi

जॉर्ज पंचम के नाक

  1. “और देखते ही देखते नई दिल्ली की काया पलट होने लगा ” नई दिल्ली के काया पलट के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए|

  2. आज की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती है?

  3. जॉर्ज पंचम की नाक सम्बन्धी लम्बी दास्तान को अपने शब्दों में स्पष्ट लिखिए ।

  4. जॉर्ज पंचम की नाक पाठ में कोई भी नाक फिट होने काबिल नहीं निकली यह कह कर लेखक किस ओर संकेत करता है?

  5. जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ के आधार पर बताइए कि जॉर्ज पंचम की नाक हमारे देश के किन-किन नेताओं की नाक से माप में हर प्रकार छोटी निकली थी? इन नेताओं के अनुकरणीय जीवन मूल्यों का उल्लेख कीजिए।

  6. नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का घोतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभरकर आई हैं। लिखिए।

  7. जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता यहाँ तक कि भारतीय बच्चों की नाक फिट न बैठने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहता है?

  8. जॉर्ज पंचम की नाक पाठ के आधार पर सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालिए।

जॉर्ज पंचम के नाक

Answer

  1. नई दिल्ली का कायापलट करने के लिए निम्नलिखित प्रयास किए गए होंगे :-क) सभी मुख्य इमारतों की मरम्मत की गई होगी तथा उन्हें रँगा जा रहा होगा।ख ) सड़कों को पानी से धोया जा रहा होगा |ग ) वहाँ रोशनी की व्यवस्था की गई होगी ।घ ) रास्तों पर दोनों देशों के झंडे लगाए गए होंगे।च ) गरीबों को सड़कों के किनारे से हटाया गया होगा।

    छ) दर्शनीय स्थानों की सजावट की गई होगी।

    ज ) सभी सरकारी भवनों को रंगा गया होगा |

    झ ) कहीं कोई त्रुटि न रह जाए, इस पर विशेष ध्यान दिया गया होगा |

    ज ) रानी की सुरक्षा के कड़े प्रबन्ध किए गए होंगे।

    झ ) मुख्य मार्गों के किनारे के पेड़ों की कटाई-छंटाई की गई होगी। जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए गए होंगे। सरकारी भवनों पर दोनों देशों के ध्वज लगाए गए होंगे।

  2. आज की पत्रकारिता युवा पीढी पर निम्नलिखित प्रभाव डालती है |क ) आज की युवा पीढी नए चकाचौंध से तुरत प्रभावित होती है | यदि सामने वाला व्यक्ति पश्चिमी सभ्यता से ज्यादा प्रभावित है तो स्वाभाविक रूप से वह युवा उनके रहन- सहन का वर्णन करेगा जिसका प्रभाव उसके जीवन पर भी स्वाभाविक रूप से परेगा ही |ख ) इससे समाज का संतुलन बिगड़ने और आदर्शों को नुकसान पहुँचने का डर रहता है। इस तरह की पत्रकारिता युवा पीढ़ी को भ्रमित एवं कुंठित करती है। जैसा सर्विदित है कि युवा पीढ़ी देश की रीढ़ है, उसके कमज़ोर होने से देश का संतुलन बिगड़ जाएगा युवा पत्र-पत्रिकाओं को पढ़कर चर्चित हस्तियों के खान-पान एवं पहनावे को अपनाने पर मजबूर हो जायेंगे । वे अपनी इन इच्छाओं की पूर्ति के लिए उचित-अनुचित मार्ग अपनाने में भी संकोच नहीं करेंगे । इससे दिखावा, बनावटीपने और हिंसा आदि बढ़ेगी , क्योंकि पत्रकारिता दबंग और अपराधी छवि वाले व्यक्तियों को नायक की तरह प्रस्तुत करती है।
    1. इस पाठ में सरकारी तंत्र के खोखलेपन तथा अवसरवादिता को अत्यंत प्रतीकात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। यह लेख भारत के अधिकारियों की स्वाभिमान शून्यता पर करारा व्यंग्य है जो अभी भी गुलामी की मानसिकता से जकड़े हुए हैं |
    2. यह एक गंभीर समस्या थी कि इंडिया गेट के सामने वाली जॉर्ज पंचम की लाट से उसकी नाक गायब हो गई वह भी तब जब इंग्लैण्ड से महारानी एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप का भारत भ्रमण पर आने वाले थे ।
    3. इस मूर्ति पर नाक लगवाने के लिए गम्भीरतापूर्वक प्रयास किए गए, जिसके लिए मूर्तिकार को बुलाया गया, फाइलों में मूर्ति के पत्थर से सम्बन्धित जानकारी ढूँढे गए, मूर्तिकार द्वारा पहाड़ी क्षेत्रों और खानों का दौरा किया गया महापुरुषों तथा स्वाधीनता सेनानियों की मूर्तियों के साथ-साथ बिहार में शहीद हुए बच्चों की नाकों का नाप लिया गया और उपयुक्त नाक न मिलने पर ज़िंदा व्यक्ति का नाक लगाने का निर्णय लिया गया | इसकी परिणति एक जिंदा व्यक्ति की नाक लगाए जाने से होती है।
  3. जॉर्ज पंचम की लाट पर नाक को पुनः लगाने के लिए भारत देश के सभी नेताओं की नाकों का नाप लिया गया | उन सबकी नाक जॉर्ज पंचम की नाक से बड़ी निकली | इसके बाद सन बयालीस में बिहार के सेक्रेटरिएट के सामने शहीद हुए बच्चों की स्थापित मूर्तियों की नाकों को भी नापा गया, परंतु वे सभी बड़ी थीं। इस कथन का अभिप्राय यह है कि जॉर्ज पंचम-गांधी, पटेल, गुरुदेव रवींद्र नाथ, सुभाष चंद्र बोस, आज़ाद, बिस्मिल, नेहरू, लाला लाजपतराय, भगत सिंह की तुलना में नगण्य था। अर्थात् यह कहा जा सकता है कि जॉर्ज पंचम का सम्मान देश के महान नेताओं और शहीद हुए बच्चों के समक्ष कोई मायने नहीं रखता |
  4. जार्ज पंचम की नाक हमारे देश के नेता दादाभाई नौरोजी, गोखले, तिलक, शिवाजी, गाँधी, पटेल, महादेव देसाई, रवींद्रनाथ, सुभाष, राजाराममोहन,चन्द्रशेखर आजाद, बिस्मिल, मोतीलाल नेहरू, मदन मोहन मालवीय ,सत्यमूर्ति, लाला लाजपत राय तथा भगतसिंह की नाक से नाप में हर प्रकार से छोटी निकली |
    हमारे देश के देशभक्तों एवं शहीदों में देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी हुई थी। इनके जीवन के मूल्य अनुकरणीय हैं, जो निम्नलिखित है : –
    1. देशभक्ति की प्रबलता,
    2. स्वावलंबन,
    3. आत्मनिर्भरता,
    4. राष्ट्र के स्वाभिमान का ध्यान,
    5. गुलामी की मानसिकता का त्याग,
    6. राष्ट्र की पुकार में शामिल,
    7. दृढ़ निश्चय,
    8. राष्ट्रहित सर्वोपरि की समझ।

    ये समस्त मूल्य अनुकरण करने योग्य हैं। हमें अपने शहीदों का सदैव सम्मान करना चाहिए जिनके कारण हमें यह आजादी प्राप्त हुई है।

  5. नाक मान – सम्मान एवं प्रतिष्ठा का सदा से ही प्रतीक रही हैं। इसी नाक को विषय बनाकर लेखक ने देश की सरकारी व्यवस्था, मंत्रियों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों की गुलाम मानसिकता पर करारा प्रहार किया है। स्वतंत्रता प्राप्ति के संघर्ष में अंग्रेजों की करारी हार को उनकी नाक कटने का प्रतीक माना, तथापि स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भी भारत में स्थान-स्थान पर अंग्रेजी शासकों की मूर्तियाँ स्थापित हैं, जो स्वतंत्र भारत में हमारी गुलाम या परतंत्र मानसिकता को दिखाती हैं। हिंदुस्तान में जगह – जगह ऐसी ही नाकें खड़ी इन नाकों तह यहाँ के लोगों के हाथ पहुँच गए थे , तभी तो जार्ज पंचम की नाक गायब हो गयी थी |जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक एकाएक गायब होने की खबर ने सरकारी महकमों की रातों की नींद उड़ा दी। सरकारी महकमें रानी एलिजाबेथ के आगमन से पूर्व किसी भी तरह जार्ज पंचम की नाक लगवाने का हर संभव प्रयास करते हैं। इसी प्रयास में वह देश के महान देशभक्तों एवं शहीदों की नाक तक को उतार लाने का आदेश दे देते हैं किन्तु उन सभी की नाक जार्ज पंचम की नाक से बड़ी निकली, यहाँ तक कि बिहार में शहीद बच्चों तक की नाक जार्ज पंचम से बड़ी निकलती है।अर्थात यहाँ के नेता एवं बच्चों का सम्मान जार्ज पंचम से अधिक था |
  6. जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चों की नाक फिट न होने की बात से लेखक इस ओर संकेत करना चाहता है कि भारतीय नेता और शहीद हुए भारतीय बच्चों का सम्मान जॉर्ज पंचम के सम्मान से कई गुना बढ़ा है। जिस जॉर्ज पंचम की नाक के लिए सरकारी तंत्र के हुक्काम चिंतित थे, उसकी नाक तो अपने देश के लिए शहीद हुए बच्चों से भी छोटी थी अर्थात् जॉर्ज पंचम का सम्मान तो बलिदानी बच्चों के सामने कोई अहमियत ही नहीं रखता | हमारे देश में ऊँची नाक सम्मान के हकदार त्यागी और बलिदानी पूर्वजों के लिए है न कि जॉर्ज पंचम की मूर्ति के लिए | जॉर्ज पंचम की नाक तो उसका मुकाबला कैसे कर सकती है। एक निर्दयी शासक का सम्मान कैसा?
  7. ‘जार्ज पंचम की नाक’ पाठ में जिस सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली को दर्शाया गया है वह बड़ी ही संकीर्ण सोच को व्यक्त करती है | सरकारी तंत्र परतंत्रता की मानसिकता से ग्रस्त है। किसी भी कार्य के प्रति सरकारी तंत्र जागरूक नहीं है। अवसर आने पर ही उनकी निद्रा खुलती है। सरकारी कार्यप्रणाली में मीटिंगें प्रमुख हैं। हर छोटी-से-छोटी बात पर मीटिंग बुलाई जाती है जिसमें परामर्श होता है, विचार विमर्श होता है परंतु उसके अनुरूप कार्य नहीं होता | सभी विभाग एक-दूसरे पर कार्य थोपते रहते हैं। व्यर्थ का दिखावटीपन, चिंता, चापलूसी की प्रवृत्ति पूरी कार्यप्रणाली में कूट-कूट कर भरी हुई है। पाठ में रानी एलिजाबेथ के भारत आने पर सम्पूर्ण सरकारी तंत्र अपने सभी काम-काज छोड़कर उनकी तैयारी और स्वागत मे लग जाता है | जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता और बदहवासी दिखाई देती है संपूर्ण पाठ में दिखाई देती है वह सरकारी तंत्र की अयोग्यता, अदूरदर्शिता, चाटुकारिता और मूर्खता को दर्शाती है।


और देखते ही देखते दिल्ली का कायापलट होने लगा से क्या तात्पर्य है? - aur dekhate hee dekhate dillee ka kaayaapalat hone laga se kya taatpary hai?


और देखतेही देखतेनई दि ल्ली का कायापलट होनेलगा नई दि ल्ली केकायापलट केलि ए क्या क्या प्रयत्न कि ए गए होंग े?

'और देखते ही देखते नयी दिल्ली का काया पलट होने लगा'-नयी दिल्ली के काया पलट के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए होंगे? Solution : नई दिल्ली के कायापलट के लिए सबसे पहले गंदगी के ढेरों को हटाया गया होगा। सड़कों, सरकारी इमारतों और पर्यटन स्थलों को रंगा-पोता और सजाया-संवारा गया होगा। उन पर बिजलियों का प्रकाश किया गया होगा।

और देखते ी देखते नई हदल्ली का काया पलट ोने लगा नई हदल्ली के काया पलट के मलए क्या क्या प्रयत्न ककए गए ोंगे?

Solution : नई दिल्ली के काया पलट के लिए निम्नांकित प्रयत्न किए गए होंगें: <br> क. सड़कों को फिर से बनाया गया होगा तथा उन्हें चौड़ा किया गया होगा। <br>ख सड़कों के किनारे हरे भरे वृक्ष लगाए गऐ होंगें <br> ग. पार्कों में फूलदार पौधे लगाए गए होंगें।

नई दिल्ली की कायाकल्प क्यों होने लगी थी?

उन्होंने झील के कायाकल्प के लिए मई 2019 से नामित एजेंसी दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) द्वारा इसके रखरखाव की खराब और दयनीय स्थिति पर निराशा जताई।

रानी एलिजाबेथ के आने पर कौन से शहर की कायापलट होने लगी?

एलिज़ाबेथ प्रथम
पूर्वाधिकारी
मैरी I और फ़िलिप
उत्तरवर्ती
जेम्स I
जन्म
7 सितम्बर 1533 प्लैसेंटिया का महल, ग्रीनविच, इंग्लैंड
निधन
24 मार्च 1603 (उम्र 69) रिचमंड महल, सर्रे, इंग्लैंड
एलिज़ाबेथ प्रथम - विकिपीडियाhi.wikipedia.org › wiki › एलिज़ाबेथ_प्रथमnull