पांडुलिपियों के उपयोग में इतिहास के सामने कौन कौन सी समस्याएं आती है? - paandulipiyon ke upayog mein itihaas ke saamane kaun kaun see samasyaen aatee hai?

पांडुलिपियों के उपयोग में इतिहासकारों के सामने कौन-कौन सी समस्याएँ आती हैं?

पांडुलिपियों के उपयोग में इतिहासकारों के सामने निम्न समस्याएँ आती हैं:

  1. कई बार पांडुलिपियों की लिखावट को समझने में दिक्कत आती है।
  2. आज हमें लेखक की मूल पांडुलिपि शायद ही कहीं मिलती है।
  3. मूल पांडुलिपि की नई प्रतिलिपि बनाते समय लिपिक छोटे-मोटे फेर-बदल करते चलते थे, कहीं कोई शब्द, कहीं कोई वाक्य। सदी-दर-सदी प्रतिलिपियों की भी प्रतिलिपियाँ बनती रहीं और अंततः एक ही मूल ग्रंथ की भिन्न-भिन्न प्रतिलिपियाँ एक-दूसरे से बहुत अलग हो गईं।
  4. इतिहासकारों को बाद के लिपिकों द्वारा बनाई गई प्रतिलिपियों पर ही पूरी तरह निर्भर रहना पड़ता है। इसलिए इस बात का अंदाज लगाने के लिए कि मूलतः लेखक ने क्या लिखा था, इतिहासकारों को एक ही ग्रंथ की विभिन्न प्रतिलिपियों का अध्ययन करना पड़ता है।

Concept: इतिहासकार और उनके स्रोत

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पांडुलिपियों के उपयोग में इतिहासकारों को क्या समस्याएं आती है?

पांडुलिपियों के उपयोग में इतिहासकारों के सामने निम्न समस्याएँ आती हैं:.
कई बार पांडुलिपियों की लिखावट को समझने में दिक्कत आती है।.
आज हमें लेखक की मूल पांडुलिपि शायद ही कहीं मिलती है।.
मूल पांडुलिपि की नई प्रतिलिपि बनाते समय लिपिक छोटे-मोटे फेर-बदल करते चलते थे, कहीं कोई शब्द, कहीं कोई वाक्य।.

पांडुलिपि क्या है इसकी उपयोगिता क्या है?

पाण्डुलिपि (manuscript) उस दस्तावेज को कहते हैं जो एक व्यक्ति या अनेक व्यक्तियों द्वारा हाथ से लिखी गयी हो। जैसे हस्तलिखित पत्र। मुद्रित किया हुआ या किसी अन्य विधि से, किसी दूसरे दस्तावेज से (यांत्रिक/वैद्युत रीति से) नकल करके तैयार सामग्री को पाण्डुलिपि नहीं कहते हैं। जलाद्रक्षेत्तैलाद्रक्षेद्रक्षेच्छिथिलबन्धनात्।

पाण्डुलिपि को कहाँ रखा गया था?

तमिलनाडु की लाइब्रेरी में एक ऐसी अज्ञात लिखावट मिली है जिसे कोई पढ़ नहीं पा रहा है. चेन्नई में सरकारी ओरिएंटल पांडुलिपि पुस्तकालय में अलग-अलग जगहों से मिली 70,000 से अधिक पांडुलिपियां रखी हुई हैं लेकिन उनमें एक ऐसी पांडुलिपि मिली है जिस पर लिखी भाषा अब तक रहस्य बनी हुई है.

इतिहास का अतुल को कालो यादों में कैसे विभाजित करते हैं क्या इस कार्य में उनके सामने कोई कठिनाई आती है?

इतिहासकार अतीत को कालों या युगों में कैसे विभाजित करते हैं? क्या इस कार्य में उनके सामने कोई कठिनाई आती है? उत्तर- अधिकतर इतिहासकार आर्थिक तथा सामाजिक कारकों के आधार पर ही अतीत के कालखंडों की विशेषताएँ तय करते हैं। इन आधारों पर इतिहास को प्राचीन, मध्य और आधुनिक कालों में बाँटा गया है।