पिंजरे में पक्षियों को क्या क्या सुविधाएं मिलती है? - pinjare mein pakshiyon ko kya kya suvidhaen milatee hai?

पिंजरे में पक्षियों को क्या-क्या कष्ट है?

Solution

पिंजरे में पक्षी खुले आसमान में उड़ान नहीं भर सकते, नदी-झरनों का बहता जल नहीं पी सकते, कड़वी निबौरियाँ नहीं खा सकते, फुदक नहीं सकते, अपने पंख नहीं फैला सकते, अनार के दानों रूपी तारों को चुग नहीं सकते। इसके अतिरिक्त पिंजरे में पक्षियों को वह वातावरण नहीं मिलता, जिसमें रहने के वे आदी हैं।

विषयसूची

  • 1 पिंजरे में पक्षी क्या क्या भूल जाते हैं?
  • 2 सीमाहीन क्षितिज से कौन होड़ लगाना चाहता है?
  • 3 हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता से क्या संदेश मिलता है?
  • 4 हम पंछी उन्मुक्त गगन के इस कविता से हमें क्या संदेश मिलता है?

पिंजरे में पक्षी क्या क्या भूल जाते हैं?

इसे सुनेंरोकेंपक्षी कब अपनी स्वाभाविक उड़ान को भूल जाते हैं? Answer: पक्षी तब अपनी स्वाभाविक उड़ान भूल जाते हैं, जब उन्हें पिंजरे में बंदी बना लिया जाता है।

सीमाहीन क्षितिज से कौन होड़ लगाना चाहता है?

इसे सुनेंरोकेंखुले आसमान के नीचे अनार के दाने चुगना चाहते हैं। वे पिंजरे में कैद रहकर सोने की कटोरी में मैदा खाने की बजाय पेड़ की कड़वी निंबोलियां खाना चाहते हैं। पक्षी नीले आसमान में आजादीपूर्वक उड़ान भरना चाहते हैं और सीमाहीन क्षितिज को पाने की होड़ लगाना चाहते हैं।

हम पांछी उन्म क्त गगन के कविता से हमें क्या प्रेरण नमिती है?

इसे सुनेंरोकेंहम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता का सार शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी ने अपनी इस कविता में पक्षियों के माध्यम से स्वतंत्रता की भावना को व्यक्त किया है। वे लिखते हैं की पक्षी को भले ही पिंजरे में सभी सुख सुविधाएं मिलती रहे लेकिन वह प्रकृति में स्वतंत्र उड़ने के लिए सदैव लालायित रहेगा। जब कभी उसे अवसर मिलेगा वह उड़ जायेगा।

पक्षी पिंजरे में बंद होकर क्या भूल गया है और सपने में क्या देख रहा है?

इसे सुनेंरोकेंहमारे लिए पिंजरे में सोने कटोरी में रखे हुए मैदा से बेहतर कड़बी निबौरी (नीम का फल) है। भाव यह है पिंजरे मे कैद होकर सोने की कटोरी में खाने-पीने से अच्छा स्वतंत्र होकर आसमान में उड़ना है। तरू की फुनगी पर के झूले । ऐसे से अरमान कि उड़ते नीले नभ की सीमा पाने, लाल किरण सी चोंच खोल चुगते तारक-अनार के दाने ।

हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता से क्या संदेश मिलता है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: कवि शिवमंगल सिंह सुमन ने हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता में पक्षियों के माध्यम से स्वतंत्रता का जीवन में क्या महत्त्व होता है यह समझाने का प्रयास किया है। अंत में पक्षी कहते हैं कि तुम चाहे हमारे घोंसले और आश्रय उजाड़ दो। मगर, हमसे उड़ने की आज़ादी मत छीनो, यही तो हमारा जीवन है।

हम पंछी उन्मुक्त गगन के इस कविता से हमें क्या संदेश मिलता है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर – इस कविता के माध्यम से पंछी यह संदेश देना चाहते हैं कि स्वंतत्रता सब को प्रिय होती है और स्वंतत्र रह कर ही हम अपने सभी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं।

पक्षी और पशु को बंद कर रखने से क्या लाभ होता है?

इसे सुनेंरोकेंपशु-पक्षियों एवं जीव-जंतुओं पर भी नवग्रहों का प्रभाव होता है। पक्षी हमेशा खुले आकाश से ही प्रेम करते है। यदि उन्हें पिंजरे में बंद कर दिया जाए, तो पिंजरा उनके लिए जेल के समान हो जाता है। हिंदू धर्मशास्त्रों में पक्षियों को दाना खिलाना बहुत ही पुण्य का काम माना गया है।

प्रश्न 1-1. हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद क्यों नही रहना चाहते?

उत्तर : हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद इसलिए रहना नहीं चाहते क्योंकि उन्हें स्वतंत्रता पसंद है, वे बंधन में रहना नही चाहते। वे खुले आकाश में आजादी पूर्वक उड़ना चाहते हैं।

प्रश्न 1-2. पक्षी उन्मुक्त रहकर अपनी कौन-कौन सी इच्छाएँ पूरी करना चाहते हैं?

उत्तर : पक्षी उन्मुक्त रहकर नदियों का शीतल जल पीना, कड़वी निबोरी खाना, पेड़ की सबसे ऊँची टहनी पर झूलना, खुले और विस्तृत आकाश में उड़ना, और क्षितिज के अंत तक उड़ने की इच्छाओं को पूरी करना चाहते हैं।

प्रश्न 1-3. भाव स्पष्ट कीजिए -
"या तो क्षितिज मिलन बन जाता/या तनती साँसों की डोरी।"

उत्तर : इस पंक्ति में कवि ने बताया है कि पक्षी स्वतंत्र होकर क्षितिज यानी आकश और धरती के मिलन के स्थान तक जाने की इच्छा रखते हैं। वे या तो इसे प्राप्त करना चाहते हैं नहीं तो अपने प्राणों को न्योछावर कर दें।

प्रश्न 1-1. बहुत से लोग पक्षी पालते हैं -
(क) पक्षियों को पालना उचित है अथवा नहीं? अपना विचार लिखिए।

उत्तर : पक्षियों का पालना अनुचित कार्य है क्योंकि इससे उनकी आजादी का हनन होता है। उनके पास पंख हैं, वे आसमान में उड़ना चाहती हैं। वे प्रकृति की छाँव में खुलकर रहना चाहती हैं ना की हमारे बंद पिंजरों में। जिस तरह हमें आजादी पसंद है उसी तरह वे भी स्वछंदता पसंद करती हैं क्योंकि बंधन में रहकर मिलने वाली सुविधाओं से आजादी की स्थिति श्रेष्ठ है।

Solution : यह ठीक बात है कि पक्षियों को पिंजरे में बन्द करने से केवल आजादी का ही हनन नहीं होता, क्योंकि उनका सहज स्वाभाविक स्वभाव होता है, .उड़ना.। उड़े बिना वे में नहीं रह सकते। पिंजरे में बन्द करके तो हम उनकी आजादी छीन लेते हैं। जिससे वे उड़ने के लिए पिंजरे में ही छटपटाते रहते हैं। इसके साथ ही हमारा पर्यावरण भी प्रभावित होता न है, क्योंकि पर्यावरण में संतुलन बनाये रखने में पक्षियों की बहुत बड़ी भागीदारी होती है। पक्षियों के न रहने पर यह । सन्तुलन बिगड़ने लगता है। बहुत से पक्षी कीड़े-मकोड़ों को खाकर पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में सहयोग करते रहते हैं। इससे हमारा पर्यावरण सन्तुलित रहता है। इसके साथ ही पक्षी फलों को खाकर उनके बीजों का प्रकीर्णन करते हैं। इस प्रकार पक्षी पेड़-पौधे के उगने तथा उनकी वृद्धि करने में भी सहायक होते हैं।

बंद पिंजरे में पक्षियों को कौन कौन सी सुविधाएं प्राप्त होती है?

उत्तर:- पक्षी के पास पिंजरे के अंदर वे सारी सुख सुविधाएँ है जो एक सुखी जीवन जीने के लिए आवश्यक होती हैं, परन्तु हर तरह की सुख-सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद नहीं रहना चाहते क्योंकि उन्हें बंधन नहीं अपितु स्वतंत्रता पसंद है।

पिंजरे में पंक्षियों को क्या क्या कष्ट होते है?

पिंजरे में पक्षी खुले आसमान में उड़ान नहीं भर सकते, नदी-झरनों का बहता जल नहीं पी सकते, कड़वी निबौरियाँ नहीं खा सकते, फुदक नहीं सकते, अपने पंख नहीं फैला सकते, अनार के दानों रूपी तारों को चुग नहीं सकते। इसके अतिरिक्त पिंजरे में पक्षियों को वह वातावरण नहीं मिलता, जिसमें रहने के वे आदी हैं।

हम पक्षियों को पिंजरे में क्यों रखते हैं?

पक्षी हमेशा खुले आकाश से ही प्रेम करते है। यदि उन्हें पिंजरे में बंद कर दिया जाए, तो पिंजरा उनके लिए जेल के समान हो जाता है। हिंदू धर्मशास्त्रों में पक्षियों को दाना खिलाना बहुत ही पुण्य का काम माना गया है। पक्षियों को सुख-समृद्धि और सफलता का सूचक माना जाता है।

क्या हमें पक्षियों को पालना चाहिए पक्षियों को पिंजरे में बंद करने से पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर:- पक्षियों को पिंजरों में बंद करने से सबसे बड़ी समस्या पर्यावरण में आहार श्रृंखला असंतुलित हो जाएगी। जैसे घास को छोटे कीट खाते हैं तो उन कीटों को पक्षी। यदि पक्षी न रहे तो इन कीटों की संख्या में वृद्धि हो जाएगी जो हमारी फसलों के लिए उचित नहीं है। इस कारण पर्यावरण असंतुलित हो जाएगा।