प्राचीन काल में ईरान का क्या नाम था? - praacheen kaal mein eeraan ka kya naam tha?

हम बचेंगे या नहीं हमारा मैसेज हैं कि बुद्धि से काम करो, रोशनी फैलाओ और दुनिया को खुश करो। हम भले ही दुनिया से खत्म हो जाएं लेकिन हमारा संदेश रहना चाहिए।

लेडी श्रीराम कॉलेज की प्रफेसर शेरनाज कामा


पारसी समुदाय से एक से बढ़कर एक हस्तियां
पारसियों ने पेशे या स्थान से संबंधित उपनाम अपनाने का फैसला किया। कपड़े का व्यपार करने वाला कपाड़िया, मोतियों का व्यापार करने वाला मोतीवाला, ठाणे शहर का व्यक्ति ठाणेवाला। मशहूर परमाणु वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा भी पारसी थे। पूर्व सेनाध्यक्ष और फील्ड मार्शल मानेकशॉ भी पारसी थे। पहली बार तिरंगा फहराने वाली स्वतंत्रता सेना मैडम भीकाजी कामा भी पारसी समुदाय से ही थीं। महान स्वतंत्रता सेनानी दादा बाई नौरोजी। टाटा उद्योग के संस्थापक जमशेदजी नसरवानजी टाटा को भला कौन भूल सकता है। गोदरेज के संस्थापक आर्देशिर गोदरेज, वाडिया उद्योग के संस्थापक लवजी नुसरवानजी वाडिया, सीरम इंस्टीट्यूट के सायरस पूनावाला, पहली बोलती फिल्म आलमआरा बनाने वाले फिल्मकार एएम ईरानी, राजनेता पीलू मोदी सभी पारसी समुदाय से थे।

ना शव को जलाते हैं ना दफनाते हैं
पारसी धर्म में अंतिम संस्कार में शवों को ना तो हिंदुओं की तरह जलाया जाता है और ना ही मुस्लिम और ईसाई धर्म की तरह दफनाया जाता है। पारसी समुदाय में मौत के बाद व्यक्ति के शव को टावर ऑफ साइलेस पर रखा जाता है। यह एक गोलाकार ढांचा होता है। इसे दखमा भी कहते हैं। यहां शव रखने के बाद मृतक की आत्मा की शांति के लिए चार दिन प्रार्थन की जाता है। इस प्रार्थन को अरंध कहते हैं। यहां रखे शव को गिद्ध खाते हैं। यह पारसी समुदाय की परंपरा का हिस्सा है। पारसी धर्म में किसी शव को जलाना या दफनाना प्रकृति को गंदा करना माना गया है। पारसी धर्म में माना जाता है कि मृत शरीर अशुद्ध होता है। पारसी धर्म में पृथ्वी, जल और अग्नि को बहुत ही पवित्र माना गया है। इसलिए शवों को जलाना या दफनाना धार्मिक नजरिये से पूरी तरह से गलत है।
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पारसी समुदाय में शादी का पसंदे कदम
शेरनाज कामा का कहना है कि पारसियों की शादी में लोग एक दूसरे के सामने बैठते हैं। शादी के दौरान भी तीन बार पूछा जाता है। पहले लड़की को पूछा जाता है पसंदे कदम और फिर लड़के को पूछा जाता है। इसका मतलब है कि आप मानते हो कि इससे शादी करनी है। यदि लड़का और लड़की राजी है तो तीन बार सिर हिलाकर अपनी सहमति देते हैं। इससे यह पुष्ट होता है कि लड़की और लड़के दोनों को यह शादी मंजूर करना पड़ता है। इस धर्म की खास बात यह है की अगर पारसी समाज की लड़की किसी दूसरे धर्म में शादी कर ले, तो उसे धर्म में रखा जा सकता है। हालांकि, उसके पति और बच्चों को धर्म में शामिल नहीं किया जाता है। ठीक इसी तरह लड़कों के साथ भी होता है। लड़का भी यदि किसी दूसरे समुदाय में शादी करता है तो उसे और उसके बच्चों को धर्म से जुड़ने की छूट है, लेकिन उसकी पत्नी ऐसा नहीं कर सकती।

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भारत सरकार की जियो पारसी स्कीम
देश में पारसियों की संख्या लगातार कम हो रही है। भारत सरकार की तरफ से पारसियों की संख्या बढ़ाने को लेकर जियो पारसी स्कीम भी शुरू की गई है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की ‘जियो पारसी’ योजना के तहत पारसी पुरुष और महिलाओं को मोटिवेट करने के लिए ‘ऑनलाइन डेटिंग’ और काउंसलिंग पर जोर दिया रहा है। इस योजना की क्रियान्वयन संस्था ‘पारजोर फाउंडेशन’ की निदेशक शेरनाज कामा ने बताया कि पारसी समुदाय के लोगों को शादी और बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करना जरूरी है क्योंकि इस समुदाय में कुल प्रजनन दर करीब 0.8 प्रति दंपति है। हर साल औसतन 200 से 300 बच्चों के जन्म की तुलना में औसतन 800 लोगों की मृत्यु होती है जो हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाइयों के मुकाबले बहुत खराब स्थिति है।

इसे सुनेंरोकेंशायद कम लोगों ने ही सुना होगा कि ईरान के इन खूबसूरत पहाड़ों की मिट्टी मसाले की तरह खाई जाती है। यहां पर आने वाले पर्यटक भी इन पहाड़ों की मिट्टी का स्वाद जरूर लेते हैं। पहले तो लोग मिट्टी खाने से कतराते हैं, लेकिन गाइड की सलाह पर एक बार जरूर चखते हैं।

आर्य भारत में कब आये थे?

इसे सुनेंरोकेंयह 7,000 से 3,000 ईसा पूर्व के बीच हुआ होगा.

भारत में कितने देश अलग हुए हैं?

इसे सुनेंरोकेंआपकी जानकारी के लिए बता दे कि इतिहास के संगठित भारतवर्ष से लेकर वर्तमान के भारत से 15 देश अलग हुए हैं।

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इसे सुनेंरोकेंसन् 576 ईसा पूर्व नए साम्राज्य की स्थापना करने वाला था ‘साइरस महान’ (फारसी : कुरोश), जो ‘हक्कामानिस’ वंश का था। इसी वंश के सम्राट ‘दारयवउश’ प्रथम, जिसे ‘दारा’ या ‘डेरियस’ भी कहा जाता है, के शासनकाल (522-486 ईसापूर्व) को पारसीक साम्राज्य का चरमोत्कर्ष काल कहा जाता है।

क्या ईरान भारत का हिस्सा था?

इसे सुनेंरोकेंक्या ईरान भी कभी भारत का हिस्सा था? – Quora. क्या ईरान भी कभी भारत का हिस्सा था? जी हाँ । आर्यों के समय ईरान का नाम आर्यान था।

इसे सुनेंरोकेंइसके बाद की अराजकता में कावद प्रथम ४८८ इस्वी में शासक बना। इसके बाद खुसरो (५३१-५७९), होरमुज़्द चतुर्थ (५७९-५८९), खुसरो द्वितीय (५९० – ६२७) तथा यज्देगर्द तृतीय का शासन आया।

आबा दान क्या है?

ईरान को 1979 में इस्लामिक गणराज्य घोषित किया गया था।…ईरान

ईरानी इस्लामिक गणराज्य Islamic Republic of Iran جمهوری اسلامی ايرانसरकारशिया सरिया सरकार–सर्वोच्च नेताअयातुल्लाह अली खुमैनी–राष्ट्रपतिहसन रुहानी

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ईरान को आर्यों का देश क्यों कहा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंईरान की पहचान पहले पारस्य देश के रूप में थी। उससे पहले यह आर्याना कहलाता था। प्राचीनकाल में पारस देश आर्यों की एक शाखा का निवास स्‍थान था। वैदिक युग में तो पारस से लेकर गंगा, सरयू के किनारे तक की सारी भूमि आर्य भूमि थी, जो अनेक प्रदेशों में विभक्त थी।

इराक का पुराना नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमध्यपूर्वी देश इराक का प्राचीन नाम मेसोपोटामिया (Mesopotamia) था. ऐसा कहा जाता है कि मेसोपोटामिया सभ्यता का विकास वर्तमान इराक और कुवैत क्षेत्र में हुआ था.

ईरानी भारत कब आए?

इसे सुनेंरोकेंभारत पर आक्रमण ईरानी शासक दारयवहु प्रथम (डेरियस प्रथम) 516 ई० पू० में उत्तर पश्चिम भारत में घुस आया एवं उसने पंजाब, सिन्धु नदी के पश्चिमी क्षेत्र और सिन्ध को जीतकर अपने राज्य में मिला लिया।

इराक का प्राचीन नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइराक का प्राचीन नाम क्या था? प्राचीन समय के दौरान वर्तमान इराक को मेसोपोटामिया कहते थे । इसका मुख्य करना था इसका नदियों के बीच की भूमि में बसा होना । इराक को दुनिया की कुछ प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक जनक के तोर में भी जाना जाता है।

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फारस कौन सा देश है?

इसे सुनेंरोकेंईरान, ज्महूरीए इस्लामीए ईरान. जम्बूद्वीप (एशिया) के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित देश है. इसे सन 1935 तक फारस नाम से भी जाना जाता है. इसकी राजधानी तेहरान है और यह देश उत्तर-पूर्व में तुर्कमेनिस्तान, उत्तर में कैस्पियन सागर और अजरबैजान, दक्षिण में फारस की खाड़ी, पश्चिम में इराक और तुर्की, पूर्व में

ईरान में थम्स अप करने को क्या कहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंईरान के साथ साथ कई देशों में thumbs up का meaning या मतलब अश्लीलता के रूप में देखा जाता है .

इराक भारत से कब अलग हुआ?

इसे सुनेंरोकेंसहसा सैनिक क्रांति के बाद, 14 जुलाई सन् 1958 ई. को सैनिक अधिकारियों के एक दल ने इराक को गणतंत्र घोषित कर दिया और अरब संघ से भी इसे अलग कर लिया।

ईरान का पुराना नाम क्या है?

ईरान (फारसी: ایران) एशिया के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित देश है। बहुत ही लम्बा इतिहास संजोये हुए है ये देश। यह पहले परसिया के नाम से जाना जाता था। 20वीं सदी में इसका नाम बदल दिया गया।

ईरान में इस्लाम से पहले कौन सा धर्म था?

इस्लाम से पहले ईरान पारसी धर्म का केंद्र था. पैग़म्बर ज़रथुष्ट्र ईरान में ही हुए थे. पारसी धर्म के दौर और उससे पहले भी ईरान ने इंसानी सभ्यता के विकास में बहुत अहम रोल निभाया है.

ईरान के कितने नाम है?

इसे सन 1935 तक फारस (पर्शिया) नाम से भी जाना जाता है। इसकी राजधानी तेहरान है और यह देश उत्तर-पूर्व में तुर्कमेनिस्तान, उत्तर में कैस्पियन सागर और अज़रबैजान, दक्षिण में फारस की खाड़ी, पश्चिम में इराक (कुर्दिस्तान क्षेत्र) और तुर्की, पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान तथा पाकिस्तान से घिरा है।