प्रस्तुत साखी से कबीर का क्या उद्देश्य है? - prastut saakhee se kabeer ka kya uddeshy hai?

अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न. 1. कवि ने मनुष्य को कैसी वाणी बोलने का संदेश दिया है ?
उत्तरः
कवि ने मनुष्य को मीठी (मधुर) वाणी बोलने का संदेश दिया है।

प्रश्न. 2. मीठी वाणी का दूसरों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तरः
मीठी वाणी से दूसरे लोग सुख का अनुभव करते हैं।

प्रस्तुत साखी से कबीर का क्या उद्देश्य है? - prastut saakhee se kabeer ka kya uddeshy hai?

प्रश्न. 3. मृग कस्तूरी को वन में क्यों ढूँढता फिरता है?
उत्तरः
कस्तूरी मृग की नाभि में होती है किन्तु इस बात से अनजान वह उसकी सुगन्ध से उन्मत्त होकर उसे वन में खोजता है।

प्रश्न. 4. मृग किसका प्रतीक है?
उत्तरः
मृग अज्ञानी जीव का प्रतीक है।

प्रश्न. 5. सच्चा भक्त किसे कहा गया है ?
उत्तरः
कबीर के अनुसार, सच्चा भक्त वह है जो प्रभु के विरह में घायल हो, जिसने प्रभु के प्रेम का अनुभव किया हो। जो प्रियतम के मर्म का ज्ञाता हो।

प्रश्न. 6. कबीर के अनुसार ईश्वर का निवास कहाँ है ?
उत्तरः 
कबीर के अनुसार ईश्वर कण-कण में समाया हुआ है। वह प्रत्येक हृदय में रचा-बसा हुआ है। जैसा कि उन्होंने कहा है-ऐसे घटि-घटि राम हैं, दुनिया देखे नाँहि।

प्रश्न. 7. ईश्वर कण-कण में व्याप्त है पर हम उसे क्यों नहीं देख पाते ?
उत्तरः
ईश्वर कण-कण में व्याप्त है पर हम उसे उसी प्रकार नहीं देख पाते हैं, जैसे कस्तूरी मृग अपनी नाभि में स्थित कस्तूरी को ढूँढ़ नहीं पाता और वह उसे (कस्तूरी को) वन-वन (जंगल-जंगल) खोजता फिरता है।

प्रश्न. 8. ईश्वर से साक्षात्कार की अनुभूति कब होती है ? 
उत्तरः हृदय से अहंकार समाप्त हो जाने पर ईश्वर से साक्षात्कार की अनुभूति होती है।

प्रश्न. 9. कवि ने किस अंधकार के मिटने की बात कही है ?
उत्तरः
कवि ने अज्ञान के अन्धकार के मिटने की बात कही है।

प्रश्न. 10. किस स्थिति में मनुष्य पर मंत्र के उपचार का लाभ नहीं होता ? 
उत्तरः जब मनुष्य ईश्वर के विरह में व्याकुल होता है तब उसे किसी भी मंत्र के उपचार से लाभ नहीं होता।

प्रश्न. 11. राम वियोगी की दशा कैसी होती है ? 
उत्तरः राम वियोगी बेचैन और व्याकुलता के कारण सदैव उन्मत्त रहता है।

प्रश्न. 12. कबीर कैसे व्यक्ति को समीप रखने के लिए कह रहे हैं ? 
उत्तरः कबीर अपने आलोचक (निंदक) को समीप रखने के लिए कह रहे हैं।

प्रश्न. 13. कबीर ने निंदक को कहाँ रखने का परामर्श दिया है? 
उत्तरः कबीर ने निंदक को घर के आँगन में ही कुटिया बनाकर रखने को कहा है।

प्रश्न. 14. निंदक की तुलना किससे की गई है?
उत्तरः
निंदक की तुलना साबुन और पानी से की गई है।

प्रश्न. 15. अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है ?
अथवा
कबीर ने निन्दकों को अपने समीप रखने की बात क्यों कही है ? 
उत्तरः अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए, कबीर ने यह उपाय सुझाया है कि हम अपने निंदक (आलोचकों) को अपने समीप रखें, जो समय-समय पर हमारी कमियों को बताकर हमारे स्वभाव को निर्मल रखे।

प्रश्न. 16. कबीर के अनुसार, सच्चा ज्ञान क्या है ? 
उत्तरः कबीर के अनुसार, सच्चा ज्ञान पुस्तकों से प्राप्त नहीं होता है। पुस्तकें पढ़-पढ़ कर तो लोग जीवन को व्यर्थ ही गँवाते हैं। सच्चा ज्ञान ‘पी’ अर्थात् प्रिय से प्राप्त होता है अर्थात् जब हम ‘प्रिय’ अर्थात् ‘परमात्मा’ से पे्रम करना सीख जाते हैं तो हमें सच्चा ज्ञान प्राप्त होता है।

प्रश्न. 17. कवि किस ज्ञान को वास्तविक ज्ञान मानते हैं? 
उत्तरः कवि के अनुसार वास्तविक ज्ञान वह ज्ञान है जिससे मानव के मन में मानव के प्रति प्रेम उत्पन्न होता है।

प्रश्न. 18. ‘घर जाल्या आपणाँ, से क्या तात्पर्य है? 
उत्तरः ‘घर जाल्या आपणाँ, के माध्यम से कवि मनुष्य को ‘भौतिक आकर्षणों’ से विमुख करना चाहते हैं और मनुष्य को ज्ञान मार्ग की ओर अग्रसर होने का संदेश देना चाहते हैं।

प्रश्न. 19. कबीर के दोहों की भाषा कैसी है?
उत्तरः
कबीर के दोहों की भाषा सधुक्कड़ी है।

लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न. 1. कबीर की साखी के सदंर्भ में स्पष्ट कीजिए कि मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे प्राप्त होती है ?
उत्तरः 
मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता प्राप्त होती है, क्योंकि मीठी वाणी सुनने में मधुर होती है जिसे सुनकर हमारा तन और मन प्रसन्न होता है। उसका प्रभाव व्यक्ति को संतोष एवं शान्ति प्रदान करता है। मीठी वाणी से सामने वाले व्यक्ति को प्रभावित करके असंभव कार्य को भी संभव किया जा सकता है।

प्रश्न. 2. ईश्वर कण-कण में व्याप्त है, पर हम उसे क्यों नहीं देख पाते ? कबीर की साखी के सन्दर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
ईश्वर कण-कण में व्याप्त है, पर हम उसे नहीं देख पाते हैं क्योंकि मनुष्य अहंकारी, अज्ञानी व अविश्वासी है और स्वयं को इस संसार में महत्त्वपूर्ण मानता है।

प्रश्न. 3. ‘कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढ़े वन माँहि।’ इस पंक्ति द्वारा कबीर क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तरः
इस पंक्ति द्वारा कबीर यह संदेश देना चाहते हैं कि जैसे कस्तूरी मृग की नाभि में स्थित रहती है किन्तु मृग इस तथ्य को जानता नहीं और वह उसे जंगल में ढूँढ़ता फिरता है। उसी प्रकार परमात्मा मनुष्य के हृदय में स्थित है परन्तु वह उसे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे या अन्य तीर्थों पर खोजता फिरता है।

प्रश्न. 4. संसार में सुखी व्यक्ति कौन है और दुःखी कौन ? यहाँ ‘सोना’ और ‘जागना’ किसके प्रतीक हैं ? इसका प्रयोग यहाँ क्यों किया गया है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
संसार में सुखी व्यक्ति वह है जो आनंदपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहा है। जो सुखी नहीं है, जिसके जीवन में आंनद नहीं है वह कबीर के अनुसार दुःखी है।
यहाँ सोने का अर्थ अज्ञानता की ‘नींद’ से है और जागना ‘ज्ञान से युक्त’ होने का प्रतीक है। इसका प्रयोग ‘साखी’ में अर्थ, सौंदर्य एवं संसार की नश्वरता, ईश्वर भक्ति के लिए किया गया है।

प्रश्न. 5. कबीर के अनुसार, इस संसार में कौन दुःखी है, कौन सुखी ?
उत्तरः कबीर के अनुसार, इस संसार में सुखी वह है, जो अज्ञानी है। इसलिए वह संसार को ही अन्तिम सत्य मानकर उसे भोगता है और सुख अनुभव करता है। दूसरी ओर जो प्रभु के रहस्य को जान लेता है। वह विरह के कारण दिन-रात तड़पता है। इसलिए वह संसार की दृष्टि से दुःखी है।

प्रश्न. 6. कबीर के अनुसार ‘निन्दक’ किस प्रकार हमारे स्वभाव को निखारने में सहायक होता है ? वे निन्दक के साथ कैसा व्यवहार करने का सुझाव देते हैं ?
उत्तरः
निन्दक अपनी आलोचनाओं से हमें हमारी बुराइयों का ज्ञान कराता है और हम उन्हें दूर कर लेते हैं। बुराइयों के दूर हो जाने से हमारा स्वभाव निर्मल हो जाता है, मन के सारे कलुष मिट जाते हैं। निंदक बिना साबुन-पानी का प्रयोग किए, अपनी आलोचनाओं से चित्त को निर्मल कर देता है। इसलिए वे निंदक को अपने निकट ही रखने का सुझाव देते हैं।

प्रश्न. 7. कबीर के विचार से निन्दक को निकट रखने के क्या-क्या लाभ हैं ?
उत्तरः 
कबीर के विचार से निंदक को निकट रखने से निम्नलिखित लाभ हैं-
(क) निंदक निकट रहने पर बिना साबुन एवं पानी के हमारे स्वभाव को स्वच्छ तथा निर्मल करता है।
(ख) आलोचक हमारी कमजोरियाँ उजागर करता है, जिनको हम सुधार कर दूर कर लेते हैं।
(ग) बुराइयाँ दूर होने पर मनुष्य उच्च पद को प्राप्त करने योग्य बन जाता है।

प्रश्न. 8. कबीर के अनुसार निन्दक कौन होता है ? उन्होंने उसे अपना सबसे बड़ा शुभचिंतक क्यों माना है ?
उत्तरः
निन्दक का कार्य हमेशा लोगों की निन्दा करना होता है। कबीर के अनुसार हमें सहनशील होकर अपनी निन्दा सुननी चाहिए। जब निन्दक उँगली उठाकर हमारी गलतियों के प्रति सचेत करता है तब हम अपने व्यवहार संबंधी दोषों के प्रति सतर्क हो जाते हैं और उन्हें सुधारने का प्रयास करते हैं।

प्रश्न. 9. ‘एकै आषिर पीव का’ पढ़ै सु पंडित होइ’-इस पंक्ति के द्वारा कवि क्या कहना चाहता है ?
उत्तरः 
‘एकै आषिर पीव का, पढ़ै सु पंडित होइ।’-इस पंक्ति के द्वारा कवि यह कहना चाहता है जिस व्यक्ति ने प्रेम के एक अक्षर को पढ़ लिया है, वह विद्वान् हो जाता है। अर्थात् जिसने प्रेम का व्यावहारिक अनुभव (ज्ञान) प्राप्त कर लिया है, वही संसार में सबसे बड़ा विद्वान् है।

प्रश्न. 10. कबीर के अनुसार संसार में क्या व्यर्थ है ?
उत्तरः 
कबीर के अनुसार पुस्तकीय ज्ञान व्यर्थ है। इसे पढ़कर कोई भी व्यक्ति ज्ञानी नहीं बनता। इसी प्रकार मूँड़ मुँड़ाना, राम-नाम का जप करना आदि भी व्यर्थ है। राम के ज्ञान के बिना इनका कोई मूल्य नहीं है।

प्रश्न. 11. कबीर की उद्धत साखियों की भाषा की विशेषता स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः 
कबीर की साखियों की भाषा की विशेषता है कि यह जन-जन की भाषा है। उन्होंने जन चेतना और जन भावनाओं को अपनी सधुक्कड़ी भाषा द्वारा साखियों के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाया है। अपनी चमत्कारिक भाषा के कारण आज भी इनके दोहे लोगों की जुबान पर हैं।

प्रस्तुत साखी में कबीर का क्या उद्देश्य है?

उत्तर:- कबीर के दोहों को साखी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनमें श्रोता को गवाह बनाकर साक्षात् ज्ञान दिया गया है। कबीर समाज में फैली कुरीतियों, जातीय भावनाओं, और बाह्य आडंबरों को इस ज्ञान द्वारा समाप्त करना चाहते थे।

साखी में कबीर क्या संदेश देना चाहते हैं?

कबीर की साखियाँ यह संदेश देती हैं कि हमें साधु-संतों की जाति न पूछकर उनसे ज्ञान प्राप्त करने की चेष्टा करनी चाहिए। किसी को अपशब्द नहीं कहने चाहिए। मन को एकाग्र करके ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए पाखंड़ों का रास्ता नहीं अपनाना चाहिए।

कबीर के प्रमुख उद्देश्यों का वर्णन कीजिए?

कबीर की प्रसिद्धि एक समाज सुधारक सन्त कवि के रूप में रही है। उन्होंने अपने समय में व्याप्त सामाजिक रूढ़ियों, अन्धविश्वासों का खण्डन किया तथा हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रशंसनीय प्रयास किया। वस्तुतः व भक्त और कवि बाद में है, समाज सुधारक पहले हैं। उनकी कविता का उद्देश्य जनता को उपदेश देना और उसे सही रास्ता दिखाना था।

कबीर दास द्वारा रचित साखी का क्या अर्थ है?

'साखी' शब्द 'साक्षी' का तद्भव रूप है, जिस का शाब्दिक अर्थ है-आँखों से देखा गवाह या गवाही। कबीर अशिक्षित थे, जिसे उन्होंने 'मसि कागद छुऔ नहिं, कलम गहि नहिं हाथ' कह कर स्वयं स्वीकार किया है। उन्होंने अपने परिवेश में जो कुछ घटित हुआ उसे स्वयं अपनी आँखों से देखा और उसे अपने ढंग से व्यक्त किया।