प्रतिज्ञा पत्र में कितने प्रकार होते हैं? - pratigya patr mein kitane prakaar hote hain?

विषयसूची

  • 1 प्रतिज्ञा के कितने प्रकार है?
  • 2 देय विपत्र क्या है?
  • 3 विनिमय विपत्र में कितने प्रकार होते हैं?
  • 4 विपत्र का पृष्ठांकन कैसे किया जाता है?
  • 5 यथाविधि धारक कौन होता है?

प्रतिज्ञा के कितने प्रकार है?

प्रतिज्ञा पत्र की विशेषताएं या लक्षण (pratigya patra ki visheshta)

  1. प्रतिज्ञा पत्र लिखित होना चाहिए
  2. बैंक-नोट अथवा करेन्सी
  3. शर्तरहित प्रतिज्ञा
  4. विलेख मे भुगतान करने का निश्चित वचन होना
  5. प्रतिज्ञा पत्र मे स्टाम्प अवश्य लगा होना चाहिए
  6. आदाता निश्चित व्यक्ति होना चाहिए
  7. लेखक के हस्ताक्षर एवं उसकी निश्चितता
  8. भुगतान तिथि

विनिमय बिल से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंविनिमय-पत्र — “विनिमय-पत्र” ऐसी लेखबद्ध लिखत है जिसमें एक निश्चित व्यक्ति को यह निदेश देने वाला उसके रचयिता द्वारा हस्ताक्षरित अशर्त आदेश, अन्तर्विष्ट हो कि वह एक निश्चित व्यक्ति को या उसके आदेशानुसार या उस लिखत के वाहक को ही धन की एक निश्चित राशि संदत्त करे ।

जमानत और प्रतिज्ञा के बीच अंतर क्या है?

इसे सुनेंरोकेंएक जमानत एक अनुबंध है जिसमें किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए छोटी अवधि के लिए एक पार्टी से दूसरे पार्टी में माल स्थानांतरित किया जाता है। प्रतिज्ञा एक तरह की जमानत है जिसमें माल को ऋण के भुगतान के खिलाफ सुरक्षा के रूप में गिरवी रखा जाता है।

देय विपत्र क्या है?

इसे सुनेंरोकेंजो व्यक्ति उस विपत्र पर अपनी स्वीकृति देता है उसके लिए वह विपत्र देय विपत्र होता है। प्रतिज्ञा – विपत्र की स्थिति में लेखक के लिए देय नोट और स्वीकारकर्ता के लिए प्राप्य नोट होता है। प्राप्य विपत्र परिसंपत्ति होती है और देय विपत्र दायित्व होते हैं।

प्रतिज्ञा से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंप्रतिज्ञा (promise) किसी व्यक्ति द्वारा किसी चीज़ को करने या न करने के लिए स्वयं को प्रतिबद्ध करने की प्रक्रिया को कहते हैं। कानूनी रूप से मान्य प्रतिज्ञाएँ संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) में लिखी जाती हैं।

विपत्र का नवीनीकरण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंबिल का नवीनीकरण जब विपत्र के स्वीकर्ता को यह विश्वास हो जाता है कि वह भुगतान तिथि पर नहीं कर सकेगा, तो वह विपत्र के लेखक से नया विपत्र लिखने का आग्रह करता है और यदि लेखक द्वारा उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली जाती है, तो लेखक नया बिल लिखता है।

विनिमय विपत्र में कितने प्रकार होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंविनिमय – विपत्र के प्रायः तीन पक्षकार होते हैं आहर्ता/बिलकर्ता – यह व्यक्ति, जो विपत्र लिखता है तथा उस पर अपने हस्ताक्षर करके एक निश्चित राशि के भुगतान का आदेश देता है, उसे आहर्ता/ बिलकर्ता कहते हैं। यह व्यक्ति विशेष प्रायः माल का विक्रेता / लेनदार होता है ।

विनिमय साध्य क्या है?

इसे सुनेंरोकेंविनिमय साध्य का अर्थ है, सुपुर्दगी द्वारा हस्तांतरणीय: तथा ”लेखपत्र” (विलेख) वह लिखित दस्तावेज है जो किसी व्यक्ति के पक्ष में कोई अधिकार निर्मित करता है। अत: विनिमय साध्य लेखपत्र से आशय ऐसे लिखित लेखपत्रों से है जो किसी व्यक्ति के हित में अधिकार उत्पन्न करता है और जो सुपुर्दगी द्वारा हस्तांतरणीय होता है।

विपत्र क्या है?

इसे सुनेंरोकेंधारा 5 के अनुसार, ”विपत्र एक ऐसा लेखपत्र है जिसमें एक शर्तरहित आदेश, इसके लिखने वाले के हस्ताक्षर के अन्तर्गतए किसी विशेष व्यक्ति को एक निश्चित रकम, किसी निश्चित व्यक्ति के आदेशानुसार अथवा विलेख के वाहक को, देने का होता है।”

विपत्र का पृष्ठांकन कैसे किया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंपृष्ठांकन विपत्र के मुख-पृष्ठ पर या पीछे या विपत्र पर पर्याप्त स्थान न रहने पर संलग्न कागज की पर्ची (Along) पर किया जा सकता है । ADVERTISEMENTS: पृष्ठांकन करने का उद्देश्य उस विलेख की राशि पाने का अधिकार उस व्यक्ति को देना होता है जिसके नाम पर पृष्ठांकन किया गया है तथा जिसे पृष्ठांकन या बेचानपात्र कहते हैं ।

विनिमय विपत्र के कितने पक्षकार होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंविनिमय विपत्र (Bill of Exchange) मे तीन पक्षकार होते हैं।

प्रतिज्ञा पत्र के कितने पक्ष होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंयह देनदार द्वारा लिखा जाता है। यह लेनदार अथवा प्राप्तकर्ता द्वारा लिखा जाता है। यह भि देनदार द्वारा ही लिखा जाता है। इसमे तीन पक्षकार- लेखक, देनदार, व प्राप्तकर्ता होते हैं।

यथाविधि धारक कौन होता है?

इसे सुनेंरोकेंयथाविधि धारक (HOLDER IN DUE COURSE)- यथाविधि धारक से अभिप्राय ऐसे व्यक्ति से है, जिसने विलेख (instrument) को भुगतान तिथि क पूर्व उचित प्रतिफल के बदले इस विश्वास पर प्राप्त किया हो की देने वाले के अधिकार मे कोई दोष नहीं था।

विनिमय साध्य विलेख किसे कहते हैं इसकी क्या विशेषताएं हैं?

इसे सुनेंरोकेंविनिमय साध्य विलेख अधिनियम की धारा-5 के अनुसार,” विनिमय पत्र शर्तरहित लिखित, लेखक द्वारा हस्ताक्षरित एक आदेश है जिसमे किसी निश्चित व्यक्ति को आदेश होता है कि एक निश्चित धनराशि स्वयं लेखक को या उसके आदेशानुसार किसी अन्य व्यक्ति को अथवा पत्र के वाहक को मांगने पर एक निश्चित अवधि के बाद दे।”

विनिमय विपत्र में कितने पक्षकार होते हैं?

प्रतिज्ञा पत्र कितने प्रकार के होते हैं?

उपर्युक्त परिभाषा के आधार पर प्रतिज्ञा - पत्र की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं- प्रतिज्ञा-पत्र लिखित होता है। इसमें शर्त रहित प्रतिज्ञा की जाती है। यह एक निश्चित व्यक्ति विशेष द्वारा लिखा जाता है तथा हस्ताक्षरित होता है। इसका भुगतान किसी व्यक्ति विशेष को किया जाता है।

प्रतिज्ञा पत्र में कितने पक्षकार होते हैं?

विनिमय-पत्र में तीन पक्षकार होते हैं - प्रतिज्ञापत्र में केवल दो पक्षकार होते हैं - लेखक एवं लेनदार।

प्रतिज्ञा पत्र का अर्थ क्या है?

प्रतिज्ञा-पत्र किसे कहते हैं? Solution : भारतीय पराक्रम्य विलेख अधिनियम 1881 के अनुसार प्रतिज्ञा-पत्र एक लिखित हस्ताक्षर सहित विपत्र है। (बैंक या करेंसी नोट नहीं) जिसको लिखने वाला बिना शर्त के एक निश्चित राशि किसी व्यक्ति को अथवा उसके आदेशानुसार किसी अन्य व्यक्ति को अथवा उस विपत्र के धारक को देने की प्रतिज्ञा करता है।

प्रतिज्ञा पत्र को इंग्लिश में क्या कहते हैं?

प्रतिज्ञा पत्र MEANING IN ENGLISH - EXACT MATCHES Usage : The sisters had a strong bond between them. Usage : At that stage you can enter into a new covenant.