भारतीय इतिहास के स्रोत के रूप में सिक्के का क्या महत्व है? - bhaarateey itihaas ke srot ke roop mein sikke ka kya mahatv hai?

प्राचीन भारतीय इतिहास में सिक्कों का क्या महत्व है?

सिक्के किसी दौर के इतिहास लेखन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि सिक्के प्राथमिक ऐतिहासिक स्रोत के रूप में जाने जाते हैं। आजकल की तरह, प्राचीन भारतीय मुद्रा कागज निर्मित नहीं थी बल्कि धातु के सिक्के के रूप में थी। प्राचीन सिक्के धातु से बनाए जाते थे। वे ताम्बे, चाँदी, सोने और सीसे से बनाए जाते थे।

इतिहास के स्रोत के रूप में सिक्कों का क्या महत्व है?

रामशरण शर्मा द्वारा इन स्रोतों को - भौतिक अवशेष, अभिलेख, मुद्राएँ, साहित्यिक स्रोत, विदेशी विवरण, ग्राम्य अध्ययन, और प्राकृतिक विज्ञानों के अध्ययन से प्राप्त जानकारी के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

भारतीय इतिहास के प्रमुख स्रोत कौन कौन से हैं?

उत्तरवैदिक कालीन ( लगभग 1000-600 ई. पू.) आर्यों के संबंध में ज्ञान प्राप्त करने के लिए यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद संहिताओं का उपयोग किया जाता है। यजुर्वेद और सामवेद के अधिकतर मंत्रा ऋग्वेद से ही लिये गये हैं, इसलिए अथर्ववेद अपेक्षाकृत अधिक महत्त्वपूर्ण है।

सिक्कों का इतिहास लिखने में कैसे मदद की?

सिक्कों का अध्ययन/न्यूमिस्मेटिक्स चूँकि सिक्कों का प्रयोग दान-दक्षिणा, खरीद-बिक्री और वेतन-मजदूरी के भुगतान के रूप में होता था। इस कारण सिक्कों के अध्ययन से प्राचीन भारत के आर्थिक इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है। मौर्योत्तर काल में विशेषत: सीसे, वोटिन, ताँबे, काँसे, सोने और चाँदी के सिक्के अधिक मात्रा में मिले हैं।