"Knowledge is the life of the mind" Show सामाजिक परिवर्तन में बाधक तत्त्व क्या क्या है? (Factors Resisting Social Change in hindi) इस पोस्ट की PDF को नीचे दिये लिंक्स से download किया जा सकता है। सामाजिक परिवर्तन का अर्थ है किसी समाज की अपनी संरचना , उसके अपने व्यवहार प्रतिमान और उसकी अपनी कार्य विधियों में परिवर्तन। किसी भी समाज में परिवर्तन तो अवश्य होता रहता है, यह बात दूसरी है कि कुछ समाजों में अपेक्षाकृत तेजी के साथ होता है और कुछ में मन्द गति से होता है। हमने देखा कि सामाजिक परिवर्तन में सबसे अधिक भूमिका राज्य और शिक्षा की होती है। तब साफ जाहिर है कि रूढ़ीवादी राज्य और रूढ़ीवादी शिक्षा सामाजिक परिवर्तन में बाधक होते हैं। इनके अतिरिक्त समाज की संस्कृति एवं धर्म, लोगों का स्वार्थ और उचित शिक्षा का अभाव भी सामाजिक परिवर्तन में बाधक होते हैं। कैसे, स्पष्टीकरण प्रस्तुत है।(सामाजिक परिवर्तन में बाधक तत्त्व क्या क्या है?)
रूढ़ीवादी राज्यों से तात्पर्य उन राज्यों से है जो मूल रूप से किसी संस्कृति अथवा धर्म पर आधारित होते हैं; जैसे- इस्लामिक राज्य। ये जो भी नियम एवं कानून बनाते हैं, वे उनकी संस्कृति अथवा धर्म पर आधारित होते हैं। यही कारण है कि ऐसे राज्यों में सामाजिक परिवर्तन बहुत मन्द गति से होते हैं।
रूढ़ीवादी शिक्षा से तात्पर्य उस उदार शिक्षा से है जो मूल रूप से समाज की संस्कृति एवं धर्म पर आधारित होती है। इस शिक्षा द्वारा बच्चों में सांस्कृतिक एवं धार्मिक संकीर्णता का विकास होता है। ये बच्चे जब बड़े होते हैं तो अपनी संस्कृति एवं धर्म के प्रतिकूल किसी भी सामाजिक परिवर्तन को स्वीकार नहीं करते अतः ऐसे समाज में भी सामाजिक परिवर्तन बहुत मन्द गति से होते हैं।
जो राज्य प्रगतिशील होते हैं और जिनकी शिक्षा भी प्रगतिशील होती है, उनमें भी संस्कृति सामाजिक परिवर्तन में बाधा डालती है। हम जानते हैं कि किसी भी समाज में लोग प्रायः उन सामाजिक परिवर्तनों को स्वीकार नहीं करते जो उनकी संस्कृति के प्रतिकूल होते हैं। उदाहरण के लिए अपनी मूल भारतीय संस्कृति को लीजिए। इसका एक मूल तत्त्व है- वर्ण व्यवस्था (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र)। इस संस्कृति में जातीय विवाह की प्रथा है परिणम यह है कि आज भी अधिकतर लोग अन्तर्जातीय विवाह का विरोध करते हैं और इस सामाजिक परिवर्तन में बाधा डालते हैं।
यूँ धर्म संस्कृति का ही एक अंश होता है परन्तु इसे हम अलग से इसलिए ले रहे हैं क्योंकि सामाजिक परिवर्तन में सबसे अधिक बाधा धर्म ही डालता है। हम देख रहे हैं कि जिस समाज में जिस धर्म का पालन किया जाता है उसके अधिकतर सदस्य धर्म के प्रतिकूल कार्य करने में भय खाते हैं। वे धर्म प्रतिकूल सामाजिक परिवर्तन को स्वीकार करने में भी भय खाते हैं।
लोग अपने स्वार्थवश भी सामाजिक परिवर्तन का विरोध करते हैं। अपने भारतीय समाज को ही लीजिए। एक ओर महिलाएँ पुरुष के समान अधिकार पाने के लिए प्रयत्नशील है तो दूसरी ओर पुरूष अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए प्रयत्नशील है। महिला आरक्षण इसका जीता जागता उदाहरण है।
यहाँ उचित शिक्षा से तात्पर्य ऐसी शिक्षा से है जो मनुष्यों को किसी भी प्रकार की संकीर्णता से बाहर निकालकर उनके दृष्टिकोण को व्यापक बनाती है, उनमें विवेक शक्ति का विकास करती है और समय के साथ संसार से कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ने के लिए तैयार करती है। अब हमारे कदम इस प्रकार की शिक्षा की व्यवस्था की ओर बढ़ चुके हैं। परिणाम हम देख ही रहे हैं हमारे भारतीय समाज में अब सामाजिक परिवर्तन बहुत तेजी से हो रहे हैं। For Download – Click Here महत्वपूर्ण लिंक
Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- You may also likeAbout the authorकौन सा सामाजिक परिवर्तन में बाधक है?सामाजिक परिवर्तन, समाज के आधारभूत परिवर्तनों पर प्रकाश डालने वाला एक विस्तृत एवं कठिन विषय है। इस प्रक्रिया में समाज की संरचना एवं कार्यप्रणाली का एक नया जन्म होता है। इसके अन्तर्गत मूलतः प्रस्थिति, वर्ग, स्तर तथा व्यवहार के अनेकानेक प्रतिमान बनते एवं बिगड़ते हैं। समाज गतिशील है और समय के साथ परिवर्तन अवश्यंभावी है।
परिवर्तन के कारक कौन कौन से हैं?सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारण/कारक. (1) प्राकृतिक या भौगोलिक कारक – ... . (2) जैविकीय कारक – ... . (3) जनसंख्यात्मक कारक – ... . (4) आर्थिक कारक – ... . (5) प्रौद्योगिक कारक – ... . (6) सांस्कृतिक कारक – ... . (7) मनोवैज्ञानिक कारक – ... . (8) औद्योगीकरण एवं नगरीकरण –. सामाजिक परिवर्तन क्या है इसके प्रमुख कारकों की व्याख्या कीजिए?सामाजिक परिवर्तन समाज के आधारभूत परिवर्तनों पर प्रकाश डालने वाला एक विस्तृत एवं कठिन विषय है। इस प्रक्रिया में समाज की संरचना एवं कार्यप्रणाली का एक नया जन्म होता है। इसके अन्तर्गत मूलतः प्रस्थिति, वर्ग, स्तर तथा व्यवहार के अनेकानेक प्रतिमान बनते एवं बिगड़ते हैं। समाज गतिशील है और समय के साथ परिवर्तन अवश्यंभावी है ।
सामाजिक परिवर्तन कितने प्रकार के होते हैं?सामाजिक परिवर्तन के प्रकार | सामाजिक परिवर्तन के प्रकार लिखो. उद्विकास डार्विन ने प्राणी की शारीरिक रचना में होने वाले परिवर्तन को उद्विकास का नाम दिया। ... . प्रगति प्रगति सामाजिक परिवर्तन का ही एक रूप है जो समाज द्वारा मान्यता प्राप्त लक्ष्यों की दिशा में होता है। ... . विकास ... . क्रांति ... . अनुकूलन. |