पशुओं में कई तरह के रोग तो सामान्य रूप से पहचान में आ जाते हैं। लेकिन अगर पशु के शरीर में जूँ, चिचड़, किलनी आदि लग जाए तो इस स्थिति का पशुपालकों को आसानी से पता नहीं चलता। पशुओं के शरीर पर लगी यह जूं, चिचड़ी निरंतर उनका खून चूसती रहती हैं। इसकी वजह से पशु तनाव में रहने लगता है और कमजोर भी हो जाता है। इसके अलावा पशु के शरीर से बाल झड़ने लगते हैं और कई बार पशु के बच्चों की जान तक चली जाती है। Show
इसके साथ ही पशु की दूध उत्पादन क्षमता भी प्रभावित होती है। इन सबके कारण पशुपालकों को आर्थिक नुकसान का सामना भी करना पड़ता है। इसलिए आज हम यह लेख लेकर आए हैं। अपने इस लेख में हम पशुपालकों को बताएंगे कि वह किस तरह जूँ, चिचड़ी और कलनी आदि की समस्या से राहत पा सकते हैं। खास बात यह है कि इसके लिए पशुपालकों को किसी चिकित्सक के पास जाने की आवश्यकता नहीं है। हमारे द्वारा बताए गए उपाय पशुपालक घर पर ही अपना सकते हैं। किलनी, जूँ और चिचड़ हटाने के घरेलू उपायपशुओं का स्वस्थ रहना पशुपालकों के लिए बहुत जरूरी है। लेकिन अगर पशुओं को चिचड़, किलनी, और जूँ की समस्या हो जाए, तो इन्हें इस स्थिति से निकालने के केवल दो ही तरीके होते हैं। एक है डॉक्टर से संपर्क करके दवा और इलाज की प्रक्रिया का पालन करना। इसके अलावा दूसरा कुछ घरेलू उपाय को अपनाना। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ घरेलू उपाय के बारे में। खाद्य तेल का उपयोगगाय या भैंस को चिचड़ी, जूँ या किलनी जैसे कीड़ों की समस्या से बचाने के लिए अलसी का तेल उपयोग में लिया जा सकता है। आप अलसी के तेल के लेप पशु को लगा सकते हैं। इसके अलावा पशुपालक कई तरह के अन्य खाद्य तेल भी इस्तेमाल कर सकते हैं। साबुन का घोलपशु को यह समस्या अमूमन गंदगी की वजह से होती है। ऐसे में अगर पशुपालक उनकी साफ – सफाई का ध्यान रखें तो इससे पशुओं को चिचड़ी और जूँ आदि की समस्या नहीं होगी। इसके अलावा अगर पशु को यह समस्याएं हो गई है तो पशु को साबुन के गाढ़े घोल से नहला सकते हैं। इस उपाय को पशुपालक सप्ताह में दो बार करें। आयोडीन का उपयोगऐसे पशु जिन्हें यह समस्या हो गई है। उन पशुओं को इस समस्या के प्रकोप से बचाने के लिए पशुपालक आयोडीन का इस्तेमाल कर सकते हैं। जूँ , चिचड़ से राहत दिलाने के लिए गाय या पशु के शरीर पर सप्ताह में दो बार आयोडीन को रगड़ना चाहिए। जूँ, चिचड़ के लिए लहसुनलहसुन का उपयोग भारत के लगभग हर घर में होता है। लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि लहसुन के अंदर कई ऐसे गुण पाए जाते हैं जो खतरनाक परजीवियों से राहत दिलाने में काम आ सकते हैं। जूँ और किलनी से छुटकारा पाने के लिए पशुपालक लहुसन के पाउडर का उपयोग कर सकते हैं। इस पाउडर को पशु के शरीर पर सप्ताह में दो बार लगाना होगा। ऐसा करने से पशु को कुछ हद तक जूँ और चिचड़ से छुटकारा मिल जाएगा। एसेंशियल तेलइंसानों की कई तरह की शारीरिक समस्याओं से छुटकारा दिलाने में भी एसेंशियल या अस्थिर तेल उपयोग में लिए जाते हैं। लेकिन बहुत ही कम पशुपालक जानते हैं कि पशुओं पर भी इसका उपयोग किया जा सकता है। जूँ, चिचड़ और किलनी होने पर अगर एसेंशियल तेल का उपयोग अन्य खाद्य तेलों के साथ किया जाए, तो इससे पशुओं इन कीड़ों से राहत मिल सकती है। इसके लिए केवल पशुपालकों को एसेंशियल तेल और खाद्य तेल को पशु के शरीर पर रगड़ना होगा। कीटनाशक का उपयोगजूँ, चिचड़ और किलनी से पशुओं को राहत दिलाने के लिए पशुपालक पाइरिथ्रम नामक वानस्पतिक कीटनाशक उपयोग कर सकते हैं। चूना और सल्फरगाय या भैंस को इन जीवों से राहत दिलाने के लिए पशुपालक चूने और सल्फर का उपयोग कर सकते हैं। जूँ, चिचड़ और किलनी से छुटकारा दिलाने के लिए चूना और सल्फर का घोल बनाना होगा। इसे 7 से 10 दिन के अंतराल में पशुओं को लगाना चाहिए। इस उपाय का उपयोग कम से कम 6 बार करना होगा। ऐसा करने से पशु को इन जीवों से छुटकारा मिल सकता है। आइवरमेक्टिन इंजेक्शनपशुओं में किलनी की समस्या बहुत अधिक देखी जाती है। ऐसे में पशुपालक उन्हें आइवरमेक्टिन इंजेक्शन दे सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि यह इंजेक्शन पशुपालक डॉक्टर की सलाह पर ही दें। वहीं अगर पशु को इंजेक्शन दिया गया है तो पशु के दूध का इस्तेमाल कम से कम दो तीन सप्ताह तक न करें। जूं, चिचड़ और किलनी की रोकथामपशुपालन का काम काज करने वाले लोगों की लापरवाही के चलते ही यह जीव पैदा होते है। जब पशु के शेड में साफ सफाई नहीं की जाती और पशु के रहने के स्थान पर गंदगी एकत्रित होने लगती है। इसके अलावा जब पशु की साफ सफाई पर ध्यान नहीं दिया जाता। तभी पशु इनकी चपेट में आते हैं। इस स्थिति से पशुओं को बचाने के लिए पशुपालकों को साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए। चिचड़, जूँ और किलनी होने के लक्षण
किलनी, जूँ और चिचड़ का इलाजपशुओं पर यह समस्या दिखाई देने के बाद पशुपालक चाहें तो इससे राहत पाने के लिए घरेलू उपाय अपना सकते हैं। इसके अलावा अगर पशुपालक डॉक्टर से भी संपर्क कर उनकी राय लेना चाहें तो ले सकते हैं। पशुपालक डॉक्टर से ऑनलाइन संपर्क करने के लिए Animall App डाउनलोड कर सकते हैं। पशुओं के पेट के कीड़े कैसे मारे?महत्वपूर्ण बातें • हर तीन महीने पर पशुओं को पेट के कीड़े (कृमिनाशक) डीवेरमैक्स की दवा दें। पशुओं के गोबर की जांच कराने के बाद ही पेट के कीड़ों की दवाई दें। जांच के लिए पशु के गोबर को एक छोटी डिब्बी में इकट्ठा करें। बीमार और कमजोर पशुओं को पशुचिकित्सक की सलाह लेकर ही कृमिनाशक की दवा दें।
गाय के कीड़े कैसे मारे?पशुओं की पेट में कीड़ो से सुरक्षा कैसे की जाय?. पशुओं को हर तीन महीने में एक बार पेट के कीड़ें की दवा अवश्य दी जानी चाहिए।. नियमित रूप से गोबर की जांच कराते रहे। ... . पशुओं में बीमारियों के टीकाकरण से पहले कृमिनाशक दवा अवश्य दें।. एक ही कृमिनाशक दवा को बार बार ना दें अन्यथा कीड़े उस दवा के प्रति प्रतिरक्षा विकसित कर सकते हैं।. पेट के कीड़े मारने की दवा कितनी बार लेनी चाहिए?एल्बेंडाजोल की गोली स्वास्थ्य विभाग द्वारा वर्ष में दो बार दी जाती है।
पेट में कीड़े हो जाते हैं इन से कैसे बचा जा सकता है?पेट के कीडों का घरेलू इलाज
गर्म पानी में थोड़ा तेल मिलाकर धीरे-धीरे पिएं। खाली पेट लहसुन खाएं। नारियल के तेल से बनी चीजें खाने से भी कीड़े मर जाते हैं। लौंग का पानी शहद मिलाकर सेवन करने से पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
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