पशु प्रवृत्ति क्या है क्या यह प्रवृत्ति मनुष्य द्वारा अपनाने योग्य है मनुष्यता पाठ के आधार पर अपनी राय व्यक्त करें? - pashu pravrtti kya hai kya yah pravrtti manushy dvaara apanaane yogy hai manushyata paath ke aadhaar par apanee raay vyakt karen?

2 Marks Questions

1.    पशुकीप्रवृत्तिकैसीहोतीहै? क्यामनुष्यकोउसकाअनुकरणकरनाचाहिए?

2.    कवि नेस्वयंकोअनाथमाननेसेमनाक्योंकियाहै?

3.    मनुष्यताकविताकेमाध्यमसेकविक्यासन्देश देनाचाहताहै?

4.    व्यक्तिकोकिसप्रकारका जीवनव्यतीतकरनाचाहिए? इसकविताकेआधारपरलिखिए।

5.    मनुष्यमात्रबंधुहै’ –सेआपक्यासमझते हैं?

6.    कविनेसबकोएकसाथचलनेकी प्रेरणाक्योंदीहै?

7.    कविनेकैसीमृत्यु कोसुमृत्युकहाहै?  

8.    उदारव्यक्तिकी पहचानकैसेहोसकतीहै?

9.    कविनेकिन पंक्तियोंमेंयहव्यक्तहैकिहमेंगर्वरहितजीवन व्यतीतकरनाचाहिए।

2 Marks Answers

1.   पशुकीयहप्रवृत्ति होतीहैकिवहआपहीआपचरताहै, उसे दूसरोंकीचिंतानहींहोतीकेवलअपनीसुख-सुविधाओं कीचिंताकरनामनुष्यकोशोभानहींदेता।अतःउसे इसपशु-प्रवृत्तिकाअनुकरणनहींकरनाचाहिएक्योंकिसच्चा मनुष्यतोवहीकहलाताहैजोपरहितमेंआत्मबलिदान तककरदेताहै।

2.   कविकेअनुसारपरमपिता परमेश्वरसबकेसाथहै।ईश्वरदीनबंधुहैऔरउसके हाथबहुतविशालहैंअर्थात्वहसबकीसहायताकरने मेंसमर्थहै।ईश्वरकोहोतेहुएप्रत्येकमनुष्य सनाथहैं।अतःमनुष्यकोस्वयंकोअनाथनहींमानना चाहिए।

3.   मनुष्यताकविताकेमाध्यमसेकवियह सन्देशदेनाचाहताहैकिहमेंअपनाजीवनपरोपकार मेंव्यतीतकरनाचाहिए।सच्चामनुष्यदूसरोंकीभलाई केकामकोसर्वोपरिमानताहै।हमेंमनुष्य-मनुष्यके बीचकोईअंतरनहींकरनाचाहिए।हमेंउदारह्रदय बनानाचाहिए।एकअन्यसन्देशवहयहभीदेनाचाहता हैकिहमेंधनकेमदमेंअंधानहींबनाना चाहिए।मानवतावादकोअपनानाचाहिए।

4.   व्यक्तिकोपरोपकार काजीवनव्यतीतकरनाचाहिए।औरअपनेअभीष्टमार्ग परएकताकेसाथबढ़नाचाहिए।इसदौरानजोभी विपत्तियाँआएँ, उन्हेंढकेलतेहुएआगेबढ़ातेजानाचाहिए। उदारह्रदयबनाकरअहंकाररहितमानवतावादीजीवनव्यतीतकरना चाहिए।

5.   इसकथनसेहमयहसमझतेहैं किसभीमनुष्यएकहीपरमात्माकीसंतानहैइसलिए उनमेंमात्रएकहीसंबंधहोसकताहै-बंधुत्वका। इसलिएहमेंउनमेंभेदभावनहींसमझनाचाहिए।

6.   कवि ने सबको एक साथ चलने की प्रेरणा इसलिए दी है क्योंकि सभी मनुष्य एक ही पिता की संतान है इसलिए बंधुत्व के नाते हमें सभी को साथ लेकर चलना चाहिए क्योंकि समर्थ भाव भी यही है कि हम सबका कल्याण करते हुए अपना कल्याण करें।

7.   कविनेऐसीमृत्युको सुमृत्युकहाहैजोमानवताकीराहमेंपरोपकारकरते हुएआतीहैजिसकेबादमनुष्यकोमरनेके बादभीयादरखाजाताहै।

8.   उदारव्यक्तिसमस्तसृष्टिसेआत्मभावरखताहैऔरमनुष्यताकेलिएमरताहै।उसकीकथास्वयंसरस्वतीबखानतीहै, सम्पूर्णमानवताउसकाउपकारमानतीहै, उसकीकीर्तिसदैवजीवितरहतीहै औरसृष्टिउसेयुगोंतकपूजतीहैयहीउदारव्यक्ति कीपहचानहै।

9.   कवि  ने  निम्नलिखित  पंक्तियों  में  यह  व्यक्त  किया  है  कि  हमें  गर्व  रहित  जीवन  व्यतीत  करना  चाहिए-

रहो    भूल  के  कभी  मदांध  तुच्छ  वित्त  में।

सनाथ  जान  आपको  करो    गर्व  चित्त  में।।


पशु प्रवृत्ति क्या है क्या यह मनुष्य द्वारा अपनाने योग्य है?

समाज प्रशासन के अनुसार नहीं बल्कि प्रशासन समाज के अनुसार संचालित होता है

पशु प्रवृत्ति से क्या अभिप्राय है मनुष्य को यह प्रवृत्ति क्यों नहीं अपनानी चाहिए?

Answer. पशु की यह प्रवृत्ति होती है कि वह आप ही आप चरता है, उसे दूसरों की चिंता नहीं होती । केवल अपनी सुख-सुविधाओं की चिंता करना मनुष्य को शोभा नहीं देता। अतः उसे इस पशु-प्रवृत्ति का अनुकरण नहीं करना चाहिए क्योंकि सच्चा मनुष्य तो वही कहलाता है जो परहित में आत्मबलिदान तक कर देता है।

पशु प्रवृत्ति से आप क्या समझते है?

पशु-प्रवृत्ति से कवि का तात्पर्य है कि वह मनुष्य पशु के समान है जो सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए सोचता है। केवल अपने लिए जीने वाले मनुष्य और पशु में कोई अंतर नहीं है। ऐसे व्यक्ति को मरने के बाद भी कोई याद नहीं करता है इसलिए मनुष्य के अंदर पशु प्रवृत्ति नहीं होनी चाहिए उसे परोपकारी होना चाहिए।

मनुष्य और पशु प्रवृत्ति में क्या अंतर है मनुष्यता कविता के आधार पर स्पष्ट करें?

पशु और मनुष्य के बीच अनेक भिन्नताएं हैं।