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पेट दर्द की आयुर्वेदिक दवा और इलाज - Ayurvedic medicine and treatment for Stomach Pain in Hindiशेयर करें September 25, 2020 कई बार आवाज़ आने में कुछ क्षण का विलम्ब हो सकता है! पेट के दर्द को आयुर्वेद में उदर शूल के नाम से जाना जाता है। यह कई प्रकार के उदर रोगों (पेट की बीमारियों) के कारण हो सकता है। आमतौर पर लंबे समय तक पाचन शक्ति की खराबी और अपच के कारण पेट में गड़बड़ी हो जाती है, जो पेट दर्द का कारण बन सकती है। आयुर्वेद में पेट के दर्द को दूर करने के लिए कई सारे प्रभावी उपाय हैं। इन प्रक्रियाओं में तप (फोमेंटेशन), वामन (मेडिकल इमिशन) और विरेचन (शुद्धि) शामिल हैं। आयुर्वेद पद्धति में कई सारी ऐसी दवाएं और जड़ी बूटियां दी जाती हैं जो पेट के दर्द को जड़ से खत्म कर सकती हैं। तिल, मदाना
(इमेटिक नट), अग्नि-प्रभा रस, मंडुरा लौहा, क्षार वटी, प्रलयनाल रस, अग्निमुखा रस और गगनसूर्यादि रस ऐसी ही प्रमुख दवाएं हैं जो उदर रोग को ठीक करने में प्रभावी हो सकती हैं।
पेट दर्द की आयुर्वेदिक दवा और इलाज के डॉक्टर आयुर्वेद की दृष्टि से पेट दर्द - Pet ke dard ka Ayurvedic viewपेट दर्द का प्रमुख कारण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोग होता है जो लिवर, आंतों या पेट के अन्य अंगों को प्रभावित करता है। आयुर्वेद के अनुसार पेट दर्द आठ प्रकार का होता है। ये सभी प्रकार दोष के आधार पर भिन्न होते हैं। पेट में दर्द निम्न कारणों से हो सकता है।
भोजन के पाचन के दौरान होने वाले पेट दर्द को 'परिनमा शूल' कहा जाता है। ग्रहनी रोगों जैसी कई अन्य बीमारियों से भी पेट में दर्द हो सकता है। पेट के दर्द का आयुर्वेदिक इलाज - Pet ke dard ka Ayurvedic upcharआयुर्वेद में पेट दर्द के इलाज के लिए तीन पद्धतियों को प्रयोग में लाया जाता है। विरेचन
वामन
ताप
पेट दर्द के लिए आयुर्वेदिक दवाइयां और जड़ी बूटियां - Pet ke dard ki Ayurvedic dwa aur jadi butiyaआयुर्वेदिक जड़ी बूटियां तिल
मदान
आयुर्वेदिक दवाइयां अग्नि-प्रभा रस
क्षार वाटी
प्रलयनाला रस
अग्निमुख रस
गगनसूरादि रस
आयुर्वेद के अनुसार पेट दर्द रोगी के लिए आहार और जीवन शैली - Ayurved me Pet dard rogi ke liye aahar aur lifestyleक्या करें
क्या न करें
पेट दर्द में आयुर्वेदिक दवाएं और उपचार कितने प्रभावी हैं? - Pet dard me Ayurvedic dwa aur treatment kitne prbhavi hai?पेट दर्द में आयुर्वेदिक दवाएं और उपचार कितने प्रभावी हैं, इसका पता लगाने के लिए एक परीक्षण किया गया। इसमें ग्रहनी रोग वाले 66 व्यक्तियों को तीन समूहों में विभाजित किया गया। समूह ए वाले लोगों को इलाज के रूप में कलिंगड़ी वटी, समूह बी वाले लोगों को त्रेषनादि घृत और समूह सी वाले लोगों को कलिंगादि वटी और त्रिदोषादि घृत दोनों का संयोजन दिया गया। ये सभी लोग 16 से 60 वर्ष के आयु वाले थे और इन्हें डायरिया, स्वाद न आने, भोजन न करने की इच्छा और पेट दर्द जैसी समस्याएं थीं। चिकित्सकों ने तीनों समूहों के लोगों में 14 दिनों के भीतर उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया। इस अध्ययन के अनुसार विशेषज्ञों ने पाया कि त्रेषनादि घृत और कलिंगड़ी वटी और इनका संयोजन ग्रहनी रोग में फायदेमंद होता है। पेट का दर्द इसी का एक प्रमुख लक्षण होता है। पेट दर्द के उपचार में आयुर्वेदिक दवाओं का साइड इफेक्ट - Pet dard me Ayurvedic dwawo ka side effectवैसे तो आयुर्वेद एक प्राचीन प्रथा है जिसे सभी रोगों के उपचार के लिए बहुत सुरक्षित माना जाता है। हालांकि, यदि जड़ी-बूटियों और दवाओं का सही तरीके से उपयोग न किया जाए तो इसके कई दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। अनुभवी स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह और मार्गदर्शन में ही इन दवाओं का सेवन किया जाना चाहिए। व्यक्तियों में रोग के लक्षणों और दोष के आधार पर ही सभी जड़ी-बूटियों और दवाओं का सेवन सावधानी के साथ किया जाना चाहिए। पेट दर्द के आयुर्वेदिक उपचार के दौरान निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए।
निष्कर्ष - Takeawayकई प्रकार के हल्के और गंभीर रोगोंं के कारण पेट का दर्द हो सकता है। वैसे तो आमतौर पर दर्द निवारक दवाओं का उपयोग करके पेट दर्द का इलाज किया जाता है। हालांकि, आयुर्वेद में भी कई ऐसी उपचार की पद्धतियां हैं जिनके माध्यम से इसके अंतर्निहित स्थिति की पहचान करके उसका उपचार किया जाता है। आयुर्वेद में उपयोग की जाने वाली जड़ी-बूटियों और दवाओं का मुख्य कार्य शरीर से अमा को खत्म करना और संबंधित दोष का निवारण करना होता है। यही दोष ज्यादातर बीमारियों के प्रमुख कारक होते हैं। चूंकि, आयुर्वेद में रोग को जड़ से खत्म करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, ऐसे में उस रोग के दोबारा होने का खतरा बहुत ही कम होता है। आयुर्वेद को इलाज की सबसे पुरानी परंपराओं में से माना जाता है। तमाम पुस्तकों में भी इस उपचार के फायदों के बारे में बताया गया है। ऐसे में माना जा सकता है कि पेट के दर्द के इलाज में भी आयुर्वेदिक चिकित्सा काफी प्रभावी हो सकती है। शहर के आयुर्वेदिक डॉक्टर खोजें
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