पत्रकारिता के प्रमुख रूप या प्रकार संचार के संबंध में कौन मुख्य केंद्र है? इसे सुनेंरोकेंचूंकि संचार समाज में ही घटित होता है, अत: हम समाज के परिप्रेक्ष्य से देखें तो पाते हैं कि सामाजिक
संबन्धों को दिशा देने अथवा निरंतर प्रवाहमान बनाए रखने की प्रक्रिया ही संचार है। इस प्रकार संचार के संबन्ध में कह सकते हैं कि इसमें समाज मुख्य केन्द्र होता है जहाँ संचार की प्रक्रिया घटित होती है। इसे सुनेंरोकेंजनसंचार माध्यमों के वर्तमान प्रचलित रूपों में प्रमुख हैं- समाचारपत्र-पत्रिकाएँ, रेडियो, टेलीविज़न, सिनेमा और इंटरनेट। इन माध्यमों के ज़रिये जो भी सामग्री आज जनता तक पहुँच रही है, राष्ट्र के मानस का निर्माण करने में उसकी महत्त्वपूर्ण
भूमिका है मीडिया का लक्ष्य क्या होता है? इसे सुनेंरोकेंसामाजिक मीडिया विपणन कार्यक्रम आम तौर पर ऐसी सामग्री तैयार करने के प्रयासों पर केंद्रित होते हैं जो ध्यान आकर्षित करे, ऑनलाइन संवाद जनित करे और पाठकों को अपने सामाजिक नेटवर्क के साथ उन्हें साझा करने के लिए प्रोत्साहित करे. … संवाददाता के कितने प्रकार होते हैं?Page 2
संचार के प्रमुख माध्यम कौन कौन से हैं? जी, अखबार, रेडियों, टेलीविजन, फोन, इंटरनेट आदि को मीडिया की श्रेणी में रखा जाता है। मीडियाका अर्थ होता है संचार माध्यम।…
पत्रकारिता कितने प्रकार की होती है?? पत्रकारिता के प्रकार। खोजी पत्रकारिता। भारत में इंटर नेट पत्रकारिता। नेट पत्रकारिता पर टिप्पणीआप में से हर कोई जो यहां पर है वह विभिन्न प्रकार के समाचार पत्र या पत्रिकाएं जरूर पढ़ता होगा। यही नहीं हम समाचार पत्रों के साथ आजकल तो वह अपने मोबाइल फोन पर ही समाचार पढ़ लेते हैं। इस समाचार पत्र के एक समाचार की पूरी प्रक्रिया को हम पत्रकारिता कह सकते हैं। वर्तमान में हम देखते हैं कि एक अखबार में ही हमें अलग-अलग पृष्ठ देखने को मिलते हैं, जैसे व्यापार खेल बॉलीवुड इत्यादि। यह सभी पत्रकारिता के ही प्रकार हैं। इस प्रकार पत्रकारिता के अलग-अलग रूप हमारे सामने आते हैं जिसे हम पत्रकारिता के विभिन्न रूपों में देखते हैं। पत्रकारिता के कुछ प्रमुख प्रकार हैं 1. खेल पत्रकारिता :-आज हर एक अखबार में हम देखते हैं कि खेल समाचारों का एक अलग पेज होता है, जिसमें कि खेल से संबंधित ही सभी प्रकार की खबरें दिखाई जाती है। इसमें मुख्य रूप से खेलों के विषय में ही समाचार लिखे जाते हैं। मुख्य रुप से खिलाड़ियों के नाम,खेलों में शामिल होने वाली टीमें, खिलाड़ियों के बयान , उनके वाद विवाद मुख्य रूप से शामिल होते हैं। यह खेल के पूर्व इतिहास के बारे में बताती है। क्रिकेट सम्राट, खेल-खिलाड़ी आदि पत्रिकाएं आज के युग में खेल पत्रकारिता को बढ़ा रही है। 2.रेडियो पत्रकारिता :-टेलीविजन के आने से पहले हर कोई रेडियो का ही दीवाना था। आज भी रेडियो का क्रेज बरकरार है। देश विदेश की खबरें, ताजा समाचार, मुख्य समाचार, वाद-विवाद, समीक्षाएं आदि श्रव्य माध्यम से रेडियो के द्वारा हम तक पहुंचाई जाती है। 3. दूरदर्शन पत्रकारिता :-दूरदर्शन पत्रकारिता ने आज पत्रकारिता को एक नया आयाम दिया है यह कहना सर्वथा उचित है। चित्रात्मकता, बोलने की कला ने इसको और भी सफल बनाया है। दूरदर्शन में संवाददाता चित्रों के प्रयोग से अपनी पत्रकारिता कौशल और वाक कौशल से इसे और अधिक रोचक व प्रभावशाली बनाता है। 4. राजनीतिक पत्रकारिता :-राजनीतिक पत्रकारिता के अंतर्गत राज्य के विधान सभा, राज्य सभा, संसद, बैठक की कार्यवाही आदि की रिपोर्टिंग की जाती है। इसमें बहुत ही ज्यादा सावधानी की आवश्यकता होती है। क्योंकि राजनीति पत्रकारिता में थोड़ी सी असावधानी होने पर राज्य सरकारों, संसद पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और उन पर नकारात्मक सवाल खड़े हो सकते हैं।। 5. आर्थिक पत्रकारिता : -पैसा आज के जीवन की सबसे बहुमूल्य चीज है। क्योंकि इसके बिना जीवन जीना सर्वथा ही मुश्किल होता है। इसमें पैसों से जुड़ी वस्तुओं, इससे संबंधित नए नए क्रियाकलापों आदि की पत्रकारिता की जाती है। आज हर एक अखबार में हमें अर्थव्यवस्था या बाजार से संबंधित एक पेज जरूर देखने को मिलता है। इस पर हमें शेयर बाजार, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, विदेशी बाजार, रुपए, डॉलर आदि की वर्तमान स्थिति के बारे में पता चलता है। द इकोनॉमिक्स टाइम्स, व्यापार भारतीय जैसे नाम इसके मुख्य उदाहरण हो सकते हैं। What is patrakarita/journalism in hindi6. खोजी/जासूसी/अन्वेषण पत्रकारिता :-पत्रकारिता के क्षेत्र में अगर सबसे जोखिम भरी कोई पत्रकारिता है तो वह खोजी पत्रकारिता है। इसे अनुसंधानआत्मक पत्रकारिता भी कहा जा सकता है। इसमें पत्रकार अपनी जान तक का खतरा उठा कर गुप्त रूप में जासूसी कार्य करता है और छोटे से छोटे छोटे तत्व को हमारे सामने प्रस्तुत करता है। अमेरिका का वॉटरगेट, भारत का कफन घोटाला इसके प्रत्यक्ष उदाहरण है। 7. कार्टून पत्रकारिता :-आज लगभग हर एक अखबार में हमें कोई ना कोई कार्टून अवश्य ही देखने को मिलता है। कार्टून पत्रकारिता को व्यंग्यात्मक पत्रकारिता कहा जाए तो यह गलत नही होगा।। क्योंकि यह भले ही एक कार्टून है पर कार्टून के माध्यम से इनमें करारा व्यंग्य छुपा होता है।। 8. इंटरनेट पत्रकारिता : -पिछले 5/6 साल में अगर किसी का सर्वाधिक विकास हुआ है तो है इंटरनेट पत्रकारिता है। गूगल पर लगभग हर एक चीज देखने को मिल जाती है। आधुनिक युग में इंटरनेट, पत्रकारिता का एक बहुत बड़ा अब बन चुका है। इसमें हम सभी प्रकार की पत्रकारिता को शामिल कर सकते हैं क्योंकि इंटरनेट पर हमें लगभग हर प्रकार की पत्रकारिता का स्वरूप देखने को मिलता है। 9. सिनेमा/फिल्म/चलचित्र पत्रकरिता :-समाचार पत्र में आज के युग में सिनेमा से संबंधित एक पेज अवश्य ही होता है। इस पेज पर हमें अलग-अलग फिल्मों, उनके रिलीज होने की तारीख, फिल्मों का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन, आदि फिल्मों से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है। फिल्में भी पत्रकारिता का हिस्सा बन चुकी है। 10. अंतरिक्ष पत्रकारिता :-अंतरिक्ष संबंधी रिसर्च से आज संचार की दुनिया में क्रांति आ चुकी है। अंतरिक्ष में संचार के लिए बहुत से उपग्रह स्थापित किए गए हैं। इन स्थापित उपग्रहों से ही आज के युग में इंटरनेट पत्रकारिता और दूरदर्शन पत्रकारिता को क्रांति मिली है। आज अंतरिक्ष पत्रकारिता के अंतर्गत हमें ग्रह उपग्रह सूर्य की स्थिति आदि की जानकारी मिलती है। पत्रकारिता कितने प्रकार की होती है?पत्रकारिता के प्रमुख रूप या प्रकार. खोजी पत्रकारिता. खेल पत्रकारिता. महिला पत्रकारिता. बाल-पत्रकारिता. आर्थिक पत्रकारिता. पत्रकारिता के अन्य रूप. इंटरनेट पत्रकारिता कितने प्रकार के होते हैं?इंटरनेट पत्रकारिता दो रूपों में होती है। प्रथम समाचार संप्रेषण के लिए नेट का प्रयोग करना । दूसरा- रिपोर्टर अपने समाचार को ई-मेल द्वारा अन्यत्र भेजने व समाचार को संकलित करने तथा उसकी सत्यता, विश्वसनीयता सिद्ध करने तथा उसकी सत्यता विश्वसनीयता सिद्ध करने के लिए करता है। }
पत्रकारिता का उद्देश्य क्या है?पत्रकारिता का उद्देश्य
पत्रकारिता का कार्य है सूचना देना, घटना के पीछे छिपे कारणों की - तालाश करना, घटना के प्रति लोगों को जागृत करना, घटना के पक्ष या विपक्ष में लोगों को जागरूक करना, जनता की रूचि निर्माण करना और उन्हें दिशा देना।
भारत में पत्रकारिता की शुरुआत कब हुई थी?एक अनुमान है कि इस आरंभिक काल में कलकत्ता, मुंबई और मद्रास से 15 पत्रों का प्रकाशन हुआ । हिन्दी का पहला पत्र "उदन्त मार्तण्ड" 30 मई 1826 को कलकत्ता से पं. युगल किशोर शुक्ल ने प्रकाशित किया ।
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