पटरियों का विद्युतीकरण क्यों किया जाता है? - patariyon ka vidyuteekaran kyon kiya jaata hai?

रेल विद्युतीकरण की दिशा में कोर के बढ़ते कदम

1853 में मुंबई और थाणे के बीच पहली रेल सेवा शूरू होने के 75 वर्षों के बाद  वर्ष 1925 में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन मुंबई और थाणे के बीच चलाई गई थी । देश के औद्योगिक विकास और परिवहन की पर्यावरण अनुकूल प्रणाली के लिए बढ़ती आवश्‍यकता के साथ भारतीय रेल में धीरे-धीरे इलेक्‍ट्रिक ट्रैक्‍शन की ओर ध्‍यान देना आरंभ कर दिया गया । देश की स्‍वतंत्रता के बाद पहली पंचवर्षीय योजना (1951-56) में  141 रूट किलोमीटर पटरियों के विद्युतीकरण का एक छोटा सा लक्ष्‍य निर्धारित किया गया था । यही लक्ष्‍य धीरे-धीरे बढ़ते हुए  12वीं पंचवर्षीय योजना ( 2012-17) में 6500 रूट किलोमीटर के विद्युतीकरण के चुनौतीपूर्ण लक्ष्‍य में बदल गया ।  प्रति वर्ष ये लक्ष्‍य बढ़ते जा रहे हैं ।

रेल विद्युतीकरण की स्‍थापना 1961 में एक संगठन के रूप में की गई थी । भारत सरकार द्वारा भारतीय रेल पटरियों को अनिवार्य रूप से विद्युतीकृत करने के लिए यह प्रस्‍ताव अनुमोदित किया गया था । आरंभ में कोलकाता स्थित इकाई को पोर ( रेल विद्युतीकरण का परियोजना कार्यालय ) कहा जाता था और एक इंजीनियर-इन-चीफ संगठन के प्रशासनिक प्रमुख हुआ करते थे । यद्यपि विद्युतीकरण पर जोर देने के कारण तत्‍कालीन इलाहाबाद  (अब प्रयागराज ) में 1971 में मुख्‍यालय के साथ केन्‍द्रीय रेल विद्युतीकरण (कोर) के लिए केन्‍द्रीय संगठन नाम से एक अलग इकाई की स्‍थापना  की गई थी ।  वर्तमान में महाप्रबंधक इस इकाई के प्रशासनिक प्रमुख हैं । 

भारत की जीवन रेखा भारतीय रेल ने रेल पटरियों का तेजी से विद्युतीकरण करते हुए पेट्रौलियम आधारित ऊर्जा पर राष्‍ट्र की निर्भरता को कम करने का बीड़ा उठाया है । हाल के वर्षों में भारतीय रेल के कुल विद्युतीकृत सेक्‍शनों के बड़े हिस्‍से का विद्युतीकरण करने में केन्‍द्रीय रेल विद्युतीकरण संगठन का महत्‍वपूर्ण योगदान रहा है । 

भारतीय रेल की रेल पटरियों के विद्युतीकरण के प्रमुख उद्देश्‍य के साथ रेल मंत्रालय के अधीन वर्ष 1979 में स्‍थापित इस संगठन ने 52,247 रूट किलोमीटर को विद्युतीकृत हो गया, जो 31,मार्च 2022 तक भारतीय रेल के कुल ब्राड गेज नेटवर्क (65141 रूट किलोमीटर कोंकण रेलवे सहित) का लगभग 80 प्रतिशत है । कोर की योजना दिसम्‍बर, 2023 तक भारतीय रेल के सभी ब्रॉड गेज मार्गों को विद्युतीकृत करने की है ।

अपनी यातायात क्षमता से अधिकतम लाभ प्राप्‍त करने एवं महत्‍वपूर्ण रेल मार्गों का विद्युतीकरण  करने के लिए कोर की 9 परियोजनाएं अहमदाबाद,अम्‍बाला, बेंगलुरू, चेन्‍नै, कोलकाता,जयपुर,लखनऊ,गुवाहाटी और सिकंदराबाद में कार्यरत हैं ।

वर्ष 2014 के बाद से पिछले कुछ वर्षों में विद्युतीकरण के कार्य में तेजी आई है  ।  वर्ष 2007-15 के दौरान 5050 रूट किलोमीटर के विद्युतीकरण का ही कार्य किया गया था जबकि इसके बाद से अब तक 29270 रूट किलोमीटर का विद्युतीकरण किया जा चुका है । उल्‍लेखनीय है कि अब तक कुल  रूट किलोमीटर का विद्युतीकरण किया गया है , जिसका 34 प्रतिशत विद्युतीकरण मात्र पिछले तीन वर्षों में किया गया  । 

अपनी स्‍थापना के बाद से 42 वर्षों में भारतीय रेल का तेजी से विद्युतीकरण करते हुए कोर ने विदेशी मुद्रा भण्‍डार में पर्याप्‍त बचत की है , जबकि पेट्रौलियम आधारित ऊर्जा संसाधनों का एक बड़ा हिस्‍सा अभी भी आयात किया जा रहा है ।

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