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जब पित्ताशय की पथरी का आकार बढ़ जाता है तो पित्ताशय (gall bladder meaning in hindi) में पित्त का निर्माण अधिक होने लगता है, जिससे इन्फेक्शन और पित्ताशय में सूजन होने लगता है। मेडिकल भाषा में इस स्थिति को एक्यूट कोलेसिस्टिटिस (acute cholecystitis) कहते हैं। यह संक्रमण जानलेवा होता है। इसलिए, इसे रोकने के लिए तुरंत ही, सर्जरी के द्वारा पित्ताशय को शरीर से अलग कर दिया जाता है। पित्ताशय की पथरी होने पर गाल ब्लैडर का शरीर से अलग होना आम बात है जो लगभग हर रोगी के साथ होता है। कोई भी व्यक्ति पित्ताशय के बिना जीवित रह सकता है लेकिन, सर्जरी के बाद कई तरह की परेशानियाँ या दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।
पित्ताशय हटाने के साइड इफेक्ट – Side effects of gall bladder removal in Hindi1. खाना पचने में परेशानीअचानक से, शरीर का एक हिस्सा अलग हो जाने के कारण शरीर को नई प्रक्रिया समझने में थोड़ा समय लग सकता है, इसलिए बाइल जूस छोटी आंत तक बहुत कम मात्रा में जाता है। परिणामस्वरूप डायरिया हो सकता है। इसके अलावा कई बार पित्ताशय की पथरी कॉमन बाइल डक्ट (common bile duct) में हो सकती है और छोटी आंत में बाइल थोड़ी मात्रा में भी नहीं पहुँचता है। इसलिए, अगर आपका खाना बिल्कुल भी नहीं पचता है तो डॉक्टर से जाँच करवाना चाहिए। इसे भी पढ़ें- पित्ताशय की पथरी का इलाज 2. घाव में इन्फेक्शनगाल-ब्लैडर को हटाने के लिए या तो ओपन सर्जरी या फिर लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का इस्तेमाल होता है। ओपन सर्जरी में घाव बड़ा होता है जबकि, लेप्रोस्कोपिक में छोटा कट होता है। सर्जरी वाली जगह में इन्फेक्शन का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा इलाज के दौरान अगर उपकरणों को उपयोग करने में कोई लापरवाही हुई तो भीतरी अंग को भी नुकसान पहुँच सकता है। इसलिए, सर्जरी के पहले यह सुनिश्चित कर लें कि सर्जन को कई वर्षों का अनुभव हो। 3. दर्दसर्जरी के स्थान पर सूजन होना और त्वचा के रंग में परिवर्तन होना आम बात है लेकिन, अगर यह परिवर्तन असहनीय दर्द का कारण बनता है तो यह एक इन्फेक्शन का लक्षण हो सकता है। कभी-कभी चीरा वाले स्थान को हल्का स्पर्श करने पर भी दर्द होता है। 4. खून का थक्का बननाकई लोगों को पित्ताशय हटवाने के बाद उनके रक्त में थक्का बन सकता है। यह थक्का विचारणीय होता है, क्योंकि यह खून के जरिए पूरी शरीर में भ्रमण कर सकता है और फेफड़ों में होने वाले रक्त प्रवाह को रोक सकता है। इसलिए, पित्ताशय हटवाने के बाद डॉक्टर के कहने पर जाँच जरूर करवाएं। 5. बाइल डक्ट में चोट आ जानाबाइल डक्ट अर्थात पित्त की नली लीवर से बाइल जूस को आंत तक ले जाने का काम करती है। सर्जरी के दौरान अगर किसी कारण वश यह डैमेज हो जाती है तो पित्त रस (bile juice) पेट में लीक हो सकता है या फिर उचित मात्रा में निर्धारित अंग तक नहीं पहुँच पाता है। 6. हर्नियासर्जरी के दौरान किसी टिश्यू को नुकसान पहुँचने से टिश्यू कमजोर पड़ सकती है और बाद में हर्निया हो सकता है। इसे भी पढ़ें- हर्निया का इलाज 7. बुखारसर्जरी के बाद बुखार आने का मतलब है कि आपका शरीर इन्फेक्शन से लड़ाई कर रहा है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से परामर्श लेना उचित होगा। 8. कब्जपित्ताशय को शरीर से अलग करने के लिए उपयोग की जाने वाली सर्जरी के बाद रिकवर होने के लिए दी जानी वाली दवाइयों के सेवन से और पाचन में कई तरह के बदलाव होने से कब्ज हो सकता है। पढ़ें- कब्ज का इलाज 9. हृदय संबंधी रोगअगर रोगी की हार्ट सर्जरी हुई है या रोगी हृदय रोगी है तो gall bladder हटवाना उसे अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करेगा। सर्जरी के बाद रोगी का स्ट्रेस हृदय रोग को तीव्र कर सकता है। पित्ताशय हटवाने के बाद मोटापा, शुगर और कोलेस्ट्रोल लेवल में चढ़ाव आदि हो सकता है। 10. पीसीएस (PCS)पीसीएस यानि पोस्ट-कोलेलिस्टेक्टॉमी सिंड्रोम (post-cholecystectomy syndrome), यदि पित्ताशय की पथरी पित्त नली में विकसित होती है तो पीसीएस हो सकता है। इसका कारण पेट में पित्त रक्त का अप्राकृतिक स्त्राव होना भी है। पीसीएस के लक्षण पित्ताशय की पथरी के समान होते हैं, जिसमे पेट दर्द, दस्त और सीने में जलन आदि शामिल है। पित्ताशय हटाने के बाद रिकवरीअगर सर्जरी के बाद कोई जटिलता (complication) नहीं होती है तो रिकवरी होने में कम समय लगेगा। अगर पित्त कि थैली हटाने के लिए ओपन सर्जरी हुई है तो रोगी को अस्पताल में 4 से 5 दिनों तक ठहरना पड़ सकता है, वहीं अगर सर्जरी का प्रकार लेप्रोस्कोपिक है तो उसी दिन रोगी अपने घर वापिस हो सकता है। रिकवरी के दौरान, इन बातों का रखें ध्यानकई बार रोगी को सर्जरी का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है लेकिन, रिकवरी के दौरान की गई गलतियाँ उसके ठीक होने के समय को बढ़ा देती है। आइये कुछ ऐसी बातें जानते हैं जो पित्ताशय हटने के बाद जल्दी रिकवर होने में आपकी मदद करेंगे।
रिकवरी के दौरान रोगी नीचे दिए गए कुछ लक्षणों का अनुभव कर सकता है। लक्षण नजर आने पर तुरंत ही डॉक्टर से सलाह लें-
पित्ताशय हटाने की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के फायदेपित्ताशय की पथरी का जड़ से इलाज करने के लिए पित्ताशय को शरीर से अलग करना ही एकमात्र टिकाऊ उपाय है। लेकिन, अगर यह प्रक्रिया ओपन सर्जरी द्वारा की जाती है तो साइड-इफेक्ट्स का खतरा ज्यादा होता है। आइये जानते हैं कि पित्ताशय हटाने के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के क्या फायदे हो सकते हैं।
अगर आप पित्त थैली हटवाने के लिए Pristyn Care की मदद लेते हैं तो आपको नीचे बताए गए एक्स्ट्रा लाभ हो सकते हैं।जैसे-
डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें| पित्त की थैली निकालने से क्या नुकसान होता है?पित्ताशय (पित्त की थैली) हटाने के साइड इफेक्ट – Side-effects of Gall Bladder removal in Hindi. खाना पचने में परेशानी. घाव में इन्फेक्शन. खून का थक्का बनना. बाइल डक्ट में चोट आ जाना. हर्निया. गॉलब्लेडर न होने से क्या होता है?डॉक्टर बताते हैं, पित्ताशय की थैली पेट के दाहिनी तरफ लिवर के नीचे स्थित एक छोटा सा अंग होता है। इस अंग का मुख्य कार्य पित्त को जमा करना है। पित्त, हरे-पीले रंग का तरल होता है जो पाचन की क्रिया में मदद करता है। इस अंग में पथरी बन जाने के कारण लोगों को कई तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
पित्त की थैली का ऑपरेशन कितने दिन में ठीक होता है?रोगी को सर्जरी के बाद कम से कम एक सप्ताह तक अस्पताल में रुकना पड़ता है। वहीं चीरे का आकार बड़ा होने की वजह से रिकवरी में 3 से 4 सप्ताह तक का समय लग जाता है। यही कारण है कि डॉक्टर पित्ताशय की पथरी का इलाज करने के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की सलाह देते हैं।
पित्ताशय की थैली हटाने के वर्षों बाद दर्द क्यों होता है?उन्होंने कहा कि सर्जरी के दौरान पित्त की थैली भी निकाली जाती है। इसमें लापरवाही होने पर गाल ब्लैडर के पास मौजूद बाइल डक्ट क्षतिग्रस्त हो जाता है। इससे पित्त रिसने लगता है, जो पेट में जमा होने लगता है।
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