सामाजिक शोध का उद्देश्य क्या है? - saamaajik shodh ka uddeshy kya hai?

 सामाजिक अनुसंधान का अर्थ | Meaning of Social Research

सामाजिक अनुसंधान का अभिप्राय उस अनुसंधान से है, जिसमें तर्क प्रधान व क्रमबद्ध विधियां प्रयुक्त करके सामाजिक घटना से संबंधित नवीन ज्ञान प्राप्त किया जाता है।

सामाजिक अनुसंधान में दो शब्द हैं- 'सामाजिक' तथा 'अनुसंधान'

  •  सामाजिक का अर्थ है- समाज से संबंधित, अर्थात जो किसी एक ही व्यक्ति, निर्जीव पदार्थों तथा मनुष्य के अलावा किसी अन्य प्राणी से संबंधित ना हो।
  •  अनुसंधान शब्द का अर्थ- अनुसंधान शब्द अंग्रेजी के 'Research' शब्द का हिंदी रूपांतर है। इसे दो भागों में 'Re' तथा 'Search' को अलग किया जा सकता है।

'Re' शब्द का अर्थ है पुनः। 'Search' शब्द का अर्थ है खोज करना। अतः अनुसंधान का शाब्दिक अर्थ पुन: खोज करना है इसका अर्थ बार-बार खोजने से संबंधित है।

सामाजिक अनुसंधान की परिभाषाएं | definitions of social research

मोजर के अनुसार- "सामाजिक घटनाओं व समस्याओं के संबंध में नए ज्ञान प्राप्त करने के लिए की गई व्यवस्था व छानबीन को ही हम सामाजिक अनुसंधान कहते हैं।"

सामाजिक अनुसंधान के उद्देश्य | Social Research Objectives

samajik anusandhan का संबंध सामाजिक वास्तविकता से है, इसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक वास्तविकता को क्रमबद्ध व वस्तुनिष्ठ रूप से समझना है इसके अतिरिक्त इसका उद्देश्य ज्ञान प्राप्त करने के साथ-साथ ज्ञान को व्यवहारिक जीवन में पाई जाने वाली समस्याओं के समाधान के लिए प्रयुक्त करना भी है। इस प्रकार samajik anusandhan के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार से हैं।

1. समाधान- सामाजिक अनुसंधान का पहला उद्देश्य, विशिष्ट समस्याओं का समाधान करना है।

2. ज्ञान की प्राप्ति- सामाजिक अनुसंधान का दूसरा उद्देश्य सामाजिक वास्तविकता के संबंध में विशुद्ध ज्ञान प्राप्त करना व सिद्धांतों को विकसित तथा विस्तृत करना है।

3. पुन: परीक्षण- प्रचलित एवं वर्तमान सिद्धांतों का पुन:परीक्षण करना।

4. नवीन सिद्धांतों का निर्माण- सामाजिक अनुसंधान का उद्देश्य विशेष ना होकर नवीन तथ्यों की खोज अथवा प्राचीन तथ्यों की नवीन ढंग से विवेचना कर के वर्तमान सिद्धांतों की उपयुक्तता का परीक्षण करना वह उन में आवश्यक संशोधन कर नवीन सिद्धांतों का निर्माण करना भी है।

5. सैद्धांतिक उद्देश्य- सामाजिक अनुसंधान का अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य अन्य अनुसंधान की भांति ज्ञान प्राप्त करना है जिसे सैद्धांतिक उद्देश्य कहा जाता है। ऐसे अनुसंधान में सामाजिक घटनाओं के संबंध में नवीन तथ्यों की खोज पुराने नियमों की जांच या पहले से उपलब्ध ज्ञान में वृद्धि की जाती है।

6. व्यावहारिक उद्देश्य- सामाजिक अनुसंधान का व्यावहारिक उद्देश्य भी है। अनुसंधान से प्राप्त ज्ञान का प्रयोग घटनाओं की समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है।

सामाजिक अनुसंधान का महत्व | importance of social research

सामाजिक अनुसंधान वर्तमान युग में दैनिक जीवन का एक अंग बन गया है। इसकी आवश्यकताओं को इस प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है-

1. ज्ञान के विकास में सहायक - सामाजिक अनुसंधान मानवीय ज्ञान में निरंतर वृद्धि करने में सहायता करता है। इससे बुद्धि भी विकसित होती है। वर्तमान जटिल समाज को समझने के लिए ज्ञान में निरंतर वृद्धि अनिवार्य है।

2. ज्ञान और अंधविश्वास के निवारण में सहायक- सामाजिक अनुसंधान नवीन ज्ञान द्वारा अज्ञानता एवं अंधविश्वास का निवारण करने में सहायता देता है। ज्ञान प्राप्त व्यक्ति इन अंधविश्वासों को त्यागने पर बल देता है।

3. सामाजिक नियंत्रण में सहायक- सामाजिक अनुसंधान द्वारा प्राप्त ज्ञान सामाजिक नियंत्रण में भी सहायता प्रदान करता है। इस प्रकार यह ज्ञात किया जाता है कि कौन सी घटना या प्रवृतियां सामाजिक व्यवस्था के लिए खतरा उत्पन्न करती है।

4. सामाजिक समस्याओं में सहायक- वर्तमान मानव जीवन समस्याओं से परिपूर्ण है। सामाजिक अनुसंधान सामाजिक समस्याओं के समाधान हेतु सहायता प्रदान कर सकता है।

5. समाज कल्याण में सहायक- सामाजिक अनुसंधान समाज सुधार संबंधी प्रयास को वैज्ञानिक आधार देता है। सामाजिक अनुसंधान से विभिन्न सामाजिक कुरीतियों को समझकर उन्हें दूर किया जा सकता है।

6. समाज के वैज्ञानिक अध्ययन में सहायक- सामाजिक अनुसंधान समाज के विभिन्न पक्षों उनमें व्याप्त जटिलताओं का वैज्ञानिक ज्ञान उपलब्ध कराने में सहायता प्रदान कर सामाजिक विभिन्नता को समझने में सहायक होती है।

7. भविष्यवाणी करने में सहायक- सामाजिक अनुसंधान से सामाजिक वास्तविकता को समझने तथा उसके संबंध में नियम और सिद्धांत निर्मित करने में सहायता प्राप्त होती है। इससे वर्तमान परिस्थितियों का वैज्ञानिक विश्लेषण होकर भविष्य का अनुमान लगाने में सहायता मिलती है।

सामाजिक अनुसंधान की विशेषताएं | Features of Social Research

1. सामाजिक अनुसंधान का संबंध वैज्ञानिक विधियों के प्रयोग द्वारा सामाजिक घटनाओं के सूक्ष्म रूप से अध्ययन से है।

2. सामाजिक अनुसंधान अपने को विभिन्न वैज्ञानिक उपकरणों पर विधियों एवं पद्धतियों के प्रयोग तक ही सीमित नहीं रखता बल्कि नवीनता विधियों के विकास पर भी जोर देता है।

3. सामाजिक अनुसंधान में विभिन्न सामाजिक घटनाओं व समस्याओं का वैज्ञानिक अध्ययन ही नहीं किया जाता बल्कि नवीन ज्ञान का सृजन भी किया जाता है।

4. सामाजिक अनुसंधान विभिन्न सामाजिक तथ्य और घटनाओं के बीच पाए जाने वाले कार्य कारण संबंधों को खोज निकालता है। इसका कारण यह है कि सामाजिक घटनाएं एक दूसरे से स्वतंत्र नहीं हो कर एक दूसरे से संबंधित होती हैं।

5. सामाजिक अनुसंधान में जहां नए तथ्यों की खोज की जाती है, वही पुराने तथ्यों वह पूर्व स्थिति सिद्धांतों की पुनर्परीक्षा एवं सत्यापन का कार्य भी संपन्न किया जाता है।

6. सामाजिक अनुसंधान एक ऐसी विधि है जिसमें परिकल्पना की उपयुक्तता की जांच अथवा परीक्षण किया जाता है।

7. सामाजिक अनुसंधान के अध्ययन से प्राप्त निष्कर्षों को सिद्धांतों के रूप में प्रयोग करने का एक वैज्ञानिक तरीका है अर्थात इसके अंतर्गत नए सिद्धांतों का निर्माण किया जाता है।

8. सामाजिक अनुसंधान जहां विशुद्ध ज्ञान की खोज पर जोर देता है वहां साथ ही इसका प्रयोग व्यवहारिक समस्याओं को हल करने के लिए भी किया जाता है।

सामाजिक अनुसंधान की समस्याएं | social research problems

प्रत्येक सामाजिक विज्ञान की अनुसंधान संबंधी अपनी अपनी कुछ विशिष्ट समस्याएं होती हैं, और यह बात समाजशास्त्रीय अनुसंधान के लिए भी सही है इन समस्याओं के कारण समाजशास्त्र की वैज्ञानिक प्रकृति के संबंध में आपत्ति उठाई जाती है, यह समस्या इस प्रकार हैं-

1. अवधारणा में स्पष्टता का अभाव- हर विज्ञान की अपनी कुछ विशिष्ट अवधारणाएं होती हैं जिनका कि उस विषय के सभी विद्वान समान अर्थ में प्रयोग करते हैं। यह अवधारणाएं सामाजिक अनुसंधान को आगे बढ़ने में योगदान देती हैं। समाजशास्त्र में जिन अवधारणाओं का प्रयोग किया जाता है, भजन कब जाएं उनके अर्थ के संबंध में विद्वानों में मतैक्य का अभाव है।

2. सामाजिक घटनाओं की जटिल प्राकृति- जटिल प्रकृति के कारण सामाजिक घटनाओं का एक और आसानी से अध्ययन नहीं किया जा सकता और दूसरी ओर ऐसे अध्ययन से प्राप्त निष्कर्षों को प्रमाणित नहीं किया जा सकता। इसका कारण यह है कि किसी एक सामाजिक घटना के लिए अनेक सामाजिक घटना के लिए अनेक कारक उत्तरदाई होते हैं। ऐसी स्थिति में सामाजिक अनुसंधान के मार्ग में बहुत बड़ी बाधा आती है।

3. वस्तुनिष्ठता प्राप्त करने में कठिनाई- सामाजिक अनुसंधान में वस्तुनिष्ठता का विशेष महत्व है। इसके अभाव में सामाजिक अनुसंधान के आधार पर प्राप्त किसी भी निष्कर्ष को वैज्ञानिक निष्कर्ष नहीं कहा जा सकता। यहां अनुसंधानकर्ता उस समाज सामाजिक जीवन या सामाजिक घटना से संबंधित होता है।

4. सुनिश्चित माफ की समस्या- सामाजिक अनुसंधान में सामाजिक संबंधों, व्यवहारों एवं माननीय प्राकृतिक का प्रमुखता अध्ययन किया जाता है। इन सब को मापना संभव नहीं है क्योंकि यह गुणात्मक हैं न कि परीमाणात्मक। अनुसंधान या मानव प्रकृति व्यवहार को मापना तौलना संभव नहीं है। इसका कारण यह है कि सामाजिक घटनाओं को मापने का कोई पैमाना विकसित नहीं हुआ है।

5. प्रयोगात्मक अनुसंधान का अभाव- अभी सामाजिक विज्ञानों में प्रयोगात्मक विधियों का प्रयोग नहीं के बराबर पाया जाता है। इसका कारण यह है कि इन विधियों के प्रयोग के लिए सामाजिक विज्ञान में अभी समुचित दशाओं का अभाव पाया जाता है। इस कारण कार्य-कारण संबंधों की खोज में कठिनाई आती है।

6. प्रमाणीकरण की समस्या- सामाजिक अनुसंधान के आधार पर प्राप्त किए गए निष्कर्षों की विश्वसनीयता का पता लगाना वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत आवश्यक है, लेकिन यह कार्य सामाजिक विज्ञान में बहुत कठिन है क्योंकि यहां जिन सामाजिक घटनाओं का अध्ययन किया जाता है, उनकी पुनरावृत्ति करना संभव नहीं है। निष्कर्षों की विश्वसनीयता का परीक्षण सामाजिक अनुसंधान की एक प्रमुख समस्याएं है।

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सामाजिक शोध के प्रमुख उद्देश्य क्या है?

सामाजिक शोध के कुछ अन्य उद्देश्य हैं, पुरातन तथ्यों का सत्यापन करना, नए तथ्यों को उद्घाटित करना, विभिन्न चरों के बीच कार्य-कारण सम्बन्ध ज्ञात करना, ज्ञान का विस्तार करना, सामान्यीकरण करना तथा प्राप्त ज्ञान के आधार पर सिद्धान्त का निर्माण करना है।

शोध का प्रमुख उद्देश्य क्या है?

अनुसन्धान एक उद्देश्यपूर्ण सुव्यवस्थित बौद्धिक प्रक्रिया है। इसके द्वारा किसी सैद्धान्तिक अथवा व्यावहारिक समस्या के समाधान का प्रयास किया जाता है। 2. अनुसन्धान द्वारा या तो किसी नए तथ्य, सिद्धान्त, विधि या वस्तु की खोज की जाती है अथवा प्राचीन तथ्य, सिद्धान्त, विधि या वस्तु में परिवर्तन किया जाता है।

सामाजिक अनुसंधान के उद्देश्य और स्रोत क्या है?

samajik anusandhan का संबंध सामाजिक वास्तविकता से है, इसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक वास्तविकता को क्रमबद्ध व वस्तुनिष्ठ रूप से समझना है इसके अतिरिक्त इसका उद्देश्य ज्ञान प्राप्त करने के साथ-साथ ज्ञान को व्यवहारिक जीवन में पाई जाने वाली समस्याओं के समाधान के लिए प्रयुक्त करना भी है।

सामाजिक शोध का अर्थ क्या है?

'सामाजिक घटनाओं एवं समस्याओं के संबंध में नए ज्ञान की प्राप्ति हेतु व्यवस्थित अन्वेषण को हम सामाजिक शोध कहते हैं।" वास्तव में देखा जाए तो, 'सामाजिक यथार्थता की अन्तर्सम्बन्धित प्रक्रियाओं की व्यवस्थित जाँच तथा विश्लेषण सामाजिक शोध है।