टोपी को देखकर राजा जड़ हो गया टोपी में ऐसी क्या खास बात थी? - topee ko dekhakar raaja jad ho gaya topee mein aisee kya khaas baat thee?

टोपी को देखकर राजा जड़ हो गया टोपी में ऐसी क्या खास बात थी? - topee ko dekhakar raaja jad ho gaya topee mein aisee kya khaas baat thee?


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प्रश्न : 1. दर्जी ने पाँच फुदनों के बदले क्या लिया ?


(a) आधा कपड़ा लिया
(b) कुछ नहीं लिया
(c) एक टोपी ली
(d) एक रुपया लिया


उत्तर: (b) कुछ नहीं लिया।


प्रश्न : 2. “मैं तुम्हें पूरी उजरत दूँगी” गवरइया ने किससे कहा ?


(a) कोरी से कहा
(b) दर्जी से कहा
(c) बुनकर से कहा
(d) धनिया से कहा

उत्तर: (d) धुनिया से कहा।


प्रश्न : 3. “साव करे भाव तो चबाव करे चाकर” किसने कहा ?


(a) बुनकर ने कहा
(b) दर्जी ने कहा
(c) धुनिया ने कहा
(d) राजा ने कहा

उत्तर: (a) बुनकर ने कहा।


प्रश्न : 4. राजा के चार टहलुये क्या-क्या नहीं कर रहे थे ?


(a) सिर पर चम्पी कर रहा था
(b) हाथ-पाँव की उँगलियाँ फोड़ रहा था
(c) पाँव दबा रहा था
(d) पीठ पर मुक्की मार रहा था

उत्तर: (c) पाँव दबा रहा था।


प्रश्न : 5. गवरइया का मन क्या पहनने को करता था ?


(a) साड़ी
(b) टोपी
(c) कोट
(d) हार

उत्तर: (b) टोपी

प्रश्न : 6.इनमें से मजदूरी के लिए किसने आधा सूत लिया ?


(a) धुनिया ने आधा सूत लिया
(b) बुनकर ने आधा सूत लिया
(c) कोरी ने आधा सूत लिया
(d) दर्जी

उत्तर: (c) कोरी ने आधा सूत लिया।


प्रश्न : 7. गवरइया को रूई का फाहा कहाँ मिला ?


(a) धुनिया के यहाँ मिला
(b) घूरे पर मिला
(c) राजा के यहाँ मिला
(d) घोंसले में मिला

उत्तर: (b) घूरे पर मिला।


प्रश्न : 8. दर्जी ने गवरइया की टोपी में कितने फूंदने जोड़े ?


(a) चार फुंदने जोड़े
(b) दो फुंदने जोड़े
(c) तीन फुंदने जोड़े
(d) पाँच फुंदने जोड़े

उत्तर: (d) पाँच फुंदने जोड़े।

टोपी कहानी के गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न

गवरा था तनिक समझदार, इसलिए शक्की। जबकि गवरइया थी जिद्दी और धुन की पक्की। ठान लिया सो ठान लिया, उसको ही जीवन का लक्ष्य मान लिया। कहा गया है-जहाँ चाह, वहीं राह। मामूल के मुताबिक अगले दिन दोनों घूरे पर चुगने निकले। चुगते-चुगते उसे रुई का एक फाहा मिला। “मिल गया-, मिल गया-, मिल गया-” गवरइया मारे खुशी के घूरे पर लोटने लगी।

प्रश्न : 1. गवरा तनिक समझदार होने के साथ-साथ कैसा था ?


(a) झक्की
(b) अकड़ दिखाने वाला
(c) शक्की
(d) मेहनती

उत्तर: (a) शक्की ।


प्रश्न : 2 जिद्दी होने के साथ-साथ गवरइया कैसी थी ?


(a) नासमझ
(b) धुन की पक्की
(c) कुछ न करने वाली
(d) आलसी

उत्तर: (b) धुन की पक्की


प्रश्न : 3.गवरइया किसे जीवन का लक्ष्य मान लेती थी ?


(a) जिराके लिए गवरा कहता उसे ही
(b) हर बात को
(c) दूसरे जो समझाते
(d) जो ठान लिया उसे ही लक्ष्य मान लेती थी।

उत्तर: (d) जो ठान लिया उसे ही लक्ष्य मान लेती थी।


प्रश्न : 4. क्या मिलने पर गवरइया मारे खुशी के घूरे पर लोटने लगी ?


(a) उसे एक टोपी मिल गई थी
(b) उसे कपड़े का एक टुकड़ा मिल गया था
(c) उसे रुई का एक फाहा मिल गया था
(d) उसे पाँच फंदने मिल गए थे

उत्तर: (c) उसे रुई का एक फाहा मिल गया था।


प्रश्न : 5. ‘मारे खुशी के’ का अर्थ है-


(a) खुशी के कारण
(b) खुशी के नष्ट होने पर
(c) खुशी के मरने पर
(d) खुशी मिलने पर

उत्तर: (a) खुशी के कारण

धुनिया बेचारा बूढ़ा था। जाड़े का मौसम था। उसके तन पर वर्षों पुरानी तार-तार हो चुकी एक मिर्जई पड़ी हुई थी। वह काँपते हुए बोला-“तू जाती है। कि नहीं, अभी मुझे राजा जी के लिए रजाई बनानी । है। एक तो यहाँ का राजा ऐसा है जो चाम का दाम चलाता है। ऊपर से तू आ गई फोकट की रुई धुनवाने।”

प्रश्न : 1. धुनिया किस उम्र का था ?


(a) जवान
(b) अधेड़
(c) बूढ़ा
(d) इनमें से कोई नहीं

उत्तर: (c) बूढ़ा।


प्रश्न : 2. धुनिया के तन पर कैसी मिर्जई पड़ी हुई थी ?


(a) चादर
(b) वर्षों पुरानी तार-तार हो चुकी एक मिर्जई
(c) कमीज
(d) शाल

उत्तर: (b) वर्षों पुरानी तार-तार हो चुकी एक मिर्जई।


प्रश्न : 3. धुनिया किस काम को पूरा करने में लगा था?


(a) रुई धुनने में लगा था
(b) मन्त्री का काम कर रहा था
(c) उसे रानी के लिए रजाई बनानी थी
(d) उसे राजा जी के लिए रजाई वनानी थी

उत्तर: (d) उसे राजा जी के लिए रजाई बनानी थी।


प्रश्न : 4. धुनिया की मिर्जई से क्या पता चलता है ?


(a) धुनिया वहुत गरीब है
(b) धुनिया बहुत अमीर है
(c) धुनिया बहुत कंजूस है
(d) धुनिया बहुत आलसी है

उत्तर: (a) धुनिया बहुत गरीब है।


प्रश्न : 5. 'चाम का दाम चलाता' का अर्थ है-


(a) कीमती सिक्का
(b) ऐसा सिक्का जिसकी कोई कीमत नहीं
(c) चमड़े का सिक्का
(d) बहुत सस्ते दामों में बेचना

उत्तर: (b) ऐसा सिक्का जिसकी कोई कीमत नहीं।

मुँह माँगी मजूरी पर कौन मूजी तैयार न होता। ‘कच्च-कच्च’ उसकी कैंची चल उठी और चूहे की तरह “सर्र-सर्र’ उसकी सूई कपड़े के भीतर-बाहर होने लगी। बड़े मनोयोग से उसने दो टोपियाँ सिल दीं। खुश होकर दर्जी ने अपनी ओर से एक टोपी पर पाँच फुंदने भी जड़ दिए। फँदने वाली टोपी पहनकर तो गवरइया जैसे आपे में न रही। डेढ़ टाँगों पर लगी नाचने, फुदक-फुदककर लगी गवरा को दिखाने, “देख मेरी टोपी सबसे निराली–पाँच फँदनेवाली।”

प्रश्न : 1. दर्जी की कैंची किस प्रकार चलने लगी थी ?


(a) दर्जी की कैंची ‘कच्च-कच्च’ चलने लगी थी
(b) दर्जी की कैंची ‘चबर-चबर’ चलने लगी थी
(c) दर्जी की कैंची ‘सर्र-सर’ चलने लगी थी
(d) दर्जी की कैंची ‘खट्ट-खट्ट’ चलने लगी थी

उत्तर: (a) दर्जी की कैंची ‘कच्च -कच्च’ चलने लगी थी।


प्रश्न : 2. दर्जी ने खुश होकर क्या किया ?


(a) अपनी ओर से एक टोपी फोलतु सिलकर दे दी.
(b) अपनी ओर से एक मिर्जई सिल दी
(c) अपनी ओर से एक टोपी पर पाँच फँदने भी जड़ दिए
(d) अपनी ओर से एक कमीज सिल दी।

उत्तर: (c) अपनी ओर से एक टोपी पर पाँच फँदने भी जड़ दिए।


प्रश्न : 3. फुदक-फुदककर गवरइया गवरा को क्या दिखाने लगी ?


(a) पाँच फुंदने वाली चादर
(b) पाँच फुंदने वाली टोपी
(c) पाँच फुंदने
(d) बिना फुंदने वाली टोपी

उत्तर: (b) पाँच फुदने वाली टोपी।


प्रश्न : 4. दर्जी की सूई किसकी तरह सर्र-सर्र’ करके चलने लगी।


(a) बिल्ली की तरह
(b) कबूतर की तरह
(c) हवा की तरह
(d) चूहे की तरह

उत्तर: (d) चूहे की तरह।


प्रश्न : 5. मनोयोग का सही सन्धि विच्छेद छाँटकर लिखिए।


(a) मनो + योग
(b) मन + योग
(c) मनः + योग
(d) मनस + योग

उत्तर: (c) मनः + योग।

एक सिपाही ने गुलेल मारकर गवरइया की टोपी नीचे गिरा दी, तो दूसरे सिपाही ने झट वह टोपी लपक ली और राजा के सामने पेश कर दिया। राजा टोपी को पैरों से मसलने ही जा रहा था कि उसकी खूबसूरती देखकर दंग रह गया। कारीगरी के इस नायाब नमूने को देखकर वह जड़ हो गया- “मेरे राज में मेरे सिवा इतनी खूबसूरत टोपी दूसरे के पास कैसे पहुँची!” सोचते हुए उसे उलट-पुलटकर देखने लगा।

प्रश्न : 1.एक सिपाही ने गुलेल मारकर क्या किया ?


(a) गवरा की टोपी नीचे गिरा दी
(b) गवरइया की टोपी नीचे गिरा दी
(c) राजा की टोपी नीचे गिरा दी
(d) दूसरे सिपाही की टोपी नीचे गिरा दी

उत्तर: (b) गवरइया की टोपी नीचे गिरा दी।


प्रश्न : 2. दूसरे सिपाही ने टोपी का क्या किया ?


(a) टोपी खुद पहन ली
(b) टोपी बेच दी
(c) टोपी फेंक दी
(d) टोपी राजा के सामने पेश कर दी

उत्तर: (d) टोपी राजा के सामने पेश कर दी।


प्रश्न : 3. राजा टोपी को क्या करने वाला था ?


(a) राजा टोपी को बेचने वाला था
(b) राजा टोपी को ओढ़ने वाला था
(c) राजा टोपी को पैरों से मसलने वाला था
(d) राजा टोपी को फेंकने वाला था

उत्तर: (c) राजा टोपी को पैरों से मसलने वाला था।


प्रश्न : 4. राजा क्यों दंग रह गया ?


(a) टोपी की खूबसूरती और कारीगरी देखकर
(b) सिपाहियों की चालाकी देखकर
(c) सिपाहियों की निशानेबाजी देखकर
(d) दर्जी की सिलाई देखकर

उत्तर: (a) टोपी की खूबसूरती और कारीगरी देखकर।


प्रश्न : 5.‘दंग रह जाना’ का अर्थ है-


(a) खुश होना
(b) आश्चर्य-चकित होना
(c) घबरा जाना
(d) नाराज होना

उत्तर: (b) आश्चर्य-चकित होना।

राजा तो वाकई अकबका गया। एक तो तमाम कारीगरों ने उसकी मदद की थी। दूसरे, इस टोपी के सामने अपनी टोपी की कमसूरती। तीसरे, खजाने की खुलती पोल। इस पाखी को कैसे पता चला कि धन घट गया है ? तमाम बेगार करवाने, बहुत सख्ती से लगान वसूलने के बावजूद राजा का खजाना खाली ही रहता था। इतना ऐशो आराम, इतनी लशकरी, इतने लवाजिमे का बोझ खजाना सँभाले तो कैसे!

प्रश्न : 1. राजा के घबराने का कारण क्या था ?


(a) गवरइया को की गई सबकी मदद
(b) खजाने की खुलती पोल
(c) अपनी टोपी की कमसूरती
(d) उपर्युक्त सभी

उत्तर: (d) उपर्युक्त सभी।


प्रश्न : 2. राजा के खजाने की हालत कैसी थी ?


(a) बहुत अच्छी
(b) बहुत खराब
(c) खजाना पर्याप्त था
(d) कोई भी सत्य नहीं

उत्तर: (b) बहुत खराब।


प्रश्न : 3. इनमें से कौन-सा कारण खजाने की कमी का नहीं है ?


(a) ऐशोआराम
(b) लशकर
(c) बचत करना
(d) नौकर-चाकरों बोझ

उत्तर: (c) बचत करना।


प्रश्न : 4. बेगार करवाने, बहुत सख्ती से लगान वसूलने के कारण राजा कैसा माना जाएगा ?


(a) उदार
(b) क्रूर और अलोकप्रिय
(c) लोकप्रिय
(d) दयालु

उत्तर: (b) क्रूर और अलोकप्रिय।


प्रश्न : 5. ‘पोल खुलना’-मुहावरे का अर्थ है-


(a) जानकारी मिलना
(b) असलियत प्रकट होना
(c) जानकारी बढ़ना
(d) मुसीबत दूर करना

उत्तर: (b) असलियत प्रकट होना।

जय हिन्द : जय हिंदी 

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टोपी को देखकर राजा जड़ हो गया टोपी में ऐसी क्या खास बात है?

राजा टोपी को पैरों से मसलने ही जा रहा था कि उसकी खूबसूरती देखकर दंग रह गया। कारीगरी के इस नायाब नमूने को देखकर वह जड़ हो गया - " मेरे राज में मेरे सिवा इतनी खूबसूरत टोपी दूसरे के पास कैसे पहुँची ! " सोचते हुए राजा उसे उलट-पुलटकर देखने लगा।

गवरइया की टोपी राजा की टोपी से अधिक सुंदर क्यों बनी थी?

गवरहया को आदमी का रंग बिरंगे कपड़े पहनना अच्छा लगता था। जबकि गवरा का कहना था कि कपड़े पहनने से आदमी की असली खुबसूरती कम हो जाती है, वह बदसूरत लगने लगता है। एक दिन घूरे पर चुगते−चुगते गवरइया को रूई का एक फाहा मिला। उसने इसे धुनवाया, कपड़ा बुनवाया फिर टोपी सिलवाई इसी से उसे टोपी पहनने की इच्छा पूरी करने का अवसर मिला।

राजा को देखकर गवरइया क्या कहने लगी 1 Point क राजा अमीर है ख राजा बीमार है ग राजा मोटा है घ राजा के सिर पर टोपी नहीं है?

10. राजा को देखकर गवरइया क्या कहने लगी? (C) राजा बीमार है . उत्तर- राजा के सिर पर टोपी नहीं है।

गवरइया जब राजा के महल गई तब राजा क्या कर रहा था?

प्रश्न-2 गवरइया जब राजा के महल गई तब राजा क्या कर रहा था? उत्तर – गवरइया जब राजा के महल गई तब राजा मालिश करवा रहा था। प्रश्न-3 जब गवरइया धुनिया के पास गई तब वह क्या कर रहा था? उत्तर – जब गवरइया धुनिया के पास गई तब वह राजा के लिए रजाई बनाने के काम में व्यस्त था