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पृथ्वी की घूर्णन गति का हमें आभास नहीं होता, क्योंकि हमारी पृथ्वी की घूर्णन गति एवं परिक्रमण गति में निरंतरता है। पृथ्वी के सूर्य के चारों ओर घूर्णन करने तथा अपनी धुरी पर घूमने के कई प्रमाण हैं। उदाहरण - पृथ्वी अपनी धुरी पर नहीं घूमती तो एक हिस्से पर हमेशा दिन रहता तथा दूसरे हिस्से पर हमेशा रात रहती। इसके अतिरिक्त पृथ्वी के सूर्य के चारों ओर घूर्णन करने से ही मौसम परिवर्तित होते हैं। अतः इन सभी प्रमाणों से सिद्ध हो जाता है कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर तथा अपनी धुरी पर सतत् रूप से घूमती है। अन्य ग्रहों की तरह पृथ्वी अपने अक्ष पर लगातार घूमती रहती है। पृथ्वी अपने अक्ष के सहारे घूर्णन करती है। 'अक्ष' उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा है। हमारी पृथ्वी के परिक्रमण कक्ष से निर्मित तथा पृथ्वी के केंद्र से गुजरने वाले तल को 'कक्षातल' अथवा 'कक्षीयसतह' कहा जाता है। पृथ्वी का आकार भू-आभ है। इस कारण इसके आधे भाग पर सूर्य का प्रकाश पड़ता है। यहाँ पर दिन रहता है, जबकि शेष आधे भाग पर उस समय रात रहती है, क्योंकि वहाँ सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता है। पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 1/2° झुकी हुई है तथा इसका अक्ष इसके कक्षातल से तल से 66 1/2° का कोण बनाता है। पृथ्वी पर दिन और रात को विभाजित करने वाले व्रत को 'प्रदीप्ति व्रत' कहा जाता है। We do not have a sense of the rotation speed of the Earth, because there is a continuity in the rotation speed and rotation speed of our Earth. There are many evidences of the Earth rotating around the Sun and rotating on its axis. Example - If the Earth does not rotate on its axis, there will always be a day on one part and there will always be a night on the other side. Additionally, the seasons are changed by the rotation of the Earth around the Sun. Therefore, it is proved from all these proofs that the Earth revolves around the Sun and on its axis continuously. Like other planets, the Earth rotates continuously on its axis. The Earth rotates with its axis. 'Axis' is an imaginary line joining the North Pole and the South Pole. The floor formed by the rotation room of our earth and passing through the center of the earth is called 'orbital' or 'orbital surface' . The size of the Earth is Earth . Because of this, sunlight falls on half of it. Here the day remains, while the remaining half lives at that time, because sunlight does not reach there. The Earth is tilted 23 1/2 ° on its axis and its axis makes an angle of 66 1/2 ° from its orbit to the plane. The fast dividing the day and night on Earth is called 'illumination fast' . पृथ्वी दो प्रकार की गतियाँ करती है (Earth does two types of movements)- 1. घूर्णन या परिभ्रमण या दैनिक गति घूर्णन गति (Rotational speed)- इस गति में पृथ्वी अपने अक्ष के सापेक्ष पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर घूमती है। इसके अंतर्गत पृथ्वी लट्टू की भांति घूर्णन करती है। इससे 'परिभ्रमण' या 'दैनिक' गति भी कहा जाता है। हमारी पृथ्वी पश्चिम से पूर्व लगभग 1,670 किलोमीटर प्रति घंटे की चाल से घूर्णन करती है। पृथ्वी अपना एक घूर्णन 23 घंटे, 56 मिनट व 4 सेकंड में पूर्ण करती है। इसी वजह से पृथ्वी पर दिन तथा रात होते हैं। संपूर्ण वर्ष में विषुवत रेखा पर दिन व रातें एक समान होती हैं, क्योंकि विषुवत रेखा का सूर्य के सापेक्ष कोणीय झुकाव हमेशा 0° रहता है। In this motion, the earth rotates in a west-to-east direction relative to its axis. Under this, the earth rotates like a braid. This is also called 'cruises' or 'daily' speed. Our Earth rotates from west to east at a speed of approximately 1,670 km per hour. Earth completes its rotation in 23 hours, 56 minutes and 4 seconds . For this reason, there are days and nights on the earth. Throughout the year, the days and nights are equal on the equator, because the angular inclination of the equator is always 0 ° relative to the Sun. घूर्णन अथवा दैनिक गति के प्रभाव निम्नलिखित हैं। 1. इस गति के कारण पृथ्वी पर दिन तथा रात होते हैं। 2. सूर्य, चंद्रमा और अंतरिक्ष में उपस्थित दूसरे पिंड पूर्व से पश्चिम की ओर पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए दिखाई देते हैं। 3. ज्वार भाटा की दैनिक अथवा अर्ध्द - दैनिक आवृत्ति तथा इससे उत्पन्न ज्वारीय तरंगों की दिशा पृथ्वी की घूर्णन गति से
प्रभावित होती रहती है। 4. हवाओं तथा धाराओं की दिशा बदलती रहती है। घूर्णन गति के प्रभाव से 'कोरिआँलिस बल' उत्पन्न होता है। इस वजह से उत्तरी गोलार्ध में पवनें अपने दाईं ओर व दक्षिणी गोलार्ध में अपनी बाईं ओर मुड़ जाती हैं। परिक्रमण गति (Rotation speed) - इसे 'वार्षिक गति' भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती हुई, सूर्य के चारों ओर लगभग 1,07,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चक्कर लगाती है। इस गति में पृथ्वी की कक्षा 'दीर्घ वृत्ताकार' है। पृथ्वी द्वारा सूर्य की एक परिक्रमा करने में 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट तथा 40 सेकंड लगते हैं। सुविधा की दृष्टि से 1 वर्ष में 365 दिन ही माने जाते हैं, तथा शेष छह घंटों को प्रत्येक चौथे वर्ष में जोड़ दिया जाता है, जिसे 'अधिवर्ष' कहा जाता है। इसमें कुल 366 दिन होते हैं, जो दिन बढ़ जाता है उसे फरवरी माह में जोड़ देते हैं। इससे प्रत्येक 4 साल बाद फरवरी में 28 दिन के स्थान पर 29 दिन हो जाते हैं। It is also called 'annual speed' . Under this, the Earth rotates on its axis, revolving around the Sun at a speed of about 1,07,000 kilometers per hour. The Earth's orbit is 'long circular' in this motion. It takes 365 days, 5 hours, 48 minutes and 40 seconds for the Earth to orbit one of the Suns. In terms of convenience, only 365 days in 1 year are considered, and the remaining six hours are added to every fourth year, which is called 'leap year' . There are a total of 366 days in it, which adds up in the month of February. After this, every 4 years, in February it becomes 29 days instead of 28 days. परिक्रमण अथवा
वार्षिक गति के प्रभाव निम्नलिखित हैं। 1. इस गति की वजह से ही दिन व रात एक दूसरे से छोटे व बड़े होते हैं। 2. इसी गति की वजह से ऋतुएँ परिवर्तित होती हैं। 3. इससे कर्क और मकर रेखा का निर्धारण किया जाता है। 4. पृथ्वी
की इस गति से सूर्य की किरणें सीधी तथा तिरछी चमकती हैं। 5. विषुव एवं उपसौर तथा अपसौर की स्थितियां उत्पन्न होती हैं। 6. इसी गति की वजह से ही ध्रुवों पर 6 माह का दिन तथा 6 माह की रात होती है। RF competition I hope the above information will be useful and important. Watch related information below पृथ्वी की परिक्रमण गति क्या है?अपने अक्ष पर घूमती हुई पृथ्वी सूर्य के चारों ओर लगभग 107,000 किमी. प्रति घंटा की गति से दीर्घ वृत्ताकार कक्षा में चक्कर लगाती है, इसे पृथ्वी 'परिक्रमण गति' कहते हैं।
पृथ्वी की परिभ्रमण गति कितने किलोमीटर प्रति सेकंड है?पृथ्वी के बारे में कक्षीय गति औसत 30 किलोमीटर / s (108,000 किलोमीटर / घंटा या 67,000 मील प्रति घंटा) है, जो सात मिनट में पृथ्वी के व्यास और चार घंटे में चाँद की दूरी यात्रा करने के लिए पर्याप्त है।
पृथ्वी की परिक्रमण अवधि कितनी है?पृथ्वी की दूसरी गति जो सूर्य के चारों ओर कक्ष में होती है उसे परिक्रमण कहा जाता है। पृथ्वी एक वर्ष या 365 14 दिन में सूर्य का एक चक्कर लगाती है।
परिक्रमण गति से क्या होता है?परिक्रमण गति (Orbital speed), किसी पिंड की वह गति है जिस पर वह किसी प्रणाली के द्रव्यमान केन्द्र के इर्दगिर्द परिक्रमा करता है। प्रायोगिक तौर पर किसी बड़े वृहत पिंड के इर्दगिर्द। कक्षीय चाल : किसी उपग्रह को किसी कक्ष में स्थापित करने के लिए आवश्यक चाल को उस उपग्रह का कक्षीय चाल कहते हैं ।
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