रचनात्मक लेखन क्या है और इसके उदाहरण? - rachanaatmak lekhan kya hai aur isake udaaharan?

इसे सुनेंरोकेंरचनात्मक लेखन में लेखक को विषय की पूरी जानकारी होती है। व उससे संबंधित तथ्यों को एकत्र करता है और उसको वह अपने शब्दों में लिखता है। वह उस विषय को कितनी रोचकता या नीरसता से लिखता है यह उसके लेखन पर निर्भर करेगा। कि पढ़ने वाले के सामने उन दृश्यों को जीवंत कर सकेगा या नहीं।

रचनात्मक लेखन कितने प्रकार के होते हैं?

रचनात्मक लेखन के तत्व

  1. काव्य रचना इसके अंदर कवि अपनी ज्ञान शक्ति के अनुसार कविताओं, दोहे या पद की रचना करता है।
  2. कहानीकात्मक रचना इसके अंतर्गत लेखक द्वारा कहानी की रचना की जाती है।
  3. अनुच्छेद किसी एक विशेष विषय पर कम शब्दों में पूरी बात को इसके अन्तर्गत लिखा जाता है।
  4. निबंध
  5. एकांकी नाटक

क्रिएटिव लोग कैसे होते हैं?

कैसे क्रिएटिव (रचनात्मक) बनें

  • अपनी मानसिकता को सही रूप में ढालना
  • अपने व्यक्तिगत काम करना
  • कुछ क्रिएटिव अभ्यास के जरिये अपने आपको चुनौती देना
  • शांति के दायरे में प्रवेश करना

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रचनात्मक लेखन का मतलब क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसृजनात्मक लेखन (क्रिएटिव राइटिंग) का उद्देश्य सूचित करना मात्र ही नहीं, अपितु रहस्यों व रसों को उद्घाटित करना होता है। इसे कुछ लोग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया मानते हैं।

रचनात्मक लेखन के उद्देश्य क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसृजनात्मक लेख न का उद्देश्य मानवीय मूल्यों का प्रसार और जीवन की सार्थकता की पहचान करवाना होता है । वही लेखन सार्थक है जो समाज को दिशा दे । न्याय, समानता, भाईचारे और अन्य मानवीय मूल्यों की जो बात करे।

रचनात्मक लेख कैसे लिखा जाता है?

लिखने के लिए जो भी विषय चुनें, उसके बारे में पूरी जानकारी हो, तथ्यों की सत्यता जांचने के बाद ही उनका प्रयोग करें। विषय की अधिक जानकारी, आपकी सोच और शब्द चयन, लेखन को प्रभाव शाली और रचनात्मक बना देते हैं।

  • अक्सर देखा होगा कि कुछ लिखना चाहते हैं, और कुछ अचानक से कोई विचार मन में आता है, तो उसे तुरंत लिख लेना चाहिए।
  • रचनात्मक लेख कैसे लिखे जाते हैं?

    रचनात्मक लेखन कैसे लिखा जाता है?

    रचनात्मक लेखन कैसे लिखते हैं example?

    1. लिखने के लिए जो भी विषय चुनें, उसके बारे में पूरी जानकारी हो, तथ्यों की सत्यता जांचने के बाद ही उनका प्रयोग करें। विषय की अधिक जानकारी, आपकी सोच और शब्द चयन, लेखन को प्रभाव शाली और रचनात्मक बना देते हैं।
    2. अक्सर देखा होगा कि कुछ लिखना चाहते हैं, और कुछ अचानक से कोई विचार मन में आता है, तो उसे तुरंत लिख लेना चाहिए।

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    रचनात्मक लेखन के मुख्य उद्देश्य क्या है?

    इसे सुनेंरोकेंAnswer: इसका उद्देश्य सूचित करना मात्र ही नहीं, अपितु रहस्यों व रसों को उद्घाटित करना है। एक रचनात्मक लेखक कभी तटस्थ रूप से दुनिया की ठोस चीजों के बारे में बात करता है तो कभी भावविह्वल होकर वह प्रेम, पवित्रता, पलायन, ईश्वर, नश्वरता आदि विषयों के बारे में अपने उद्गार व्यक्त करता है।

    रचनात्मक लेखन क्या है रचनात्मक लेखन के तत्वों को लिखिए?

    इसे सुनेंरोकेंवैचारिक और भावनात्मक रूप से रचना करना एवं अपने मौलिक विचारों की अभिव्यक्ति करना रचनात्मक लेखन कहलाता है.

    रचनात्मक चिंतन क्या है?

    इसे सुनेंरोकेंशर्मा के अनुसार, “सृजनात्मक चिन्तन का आशय मस्तिष्क उद्वेलन की उस प्रक्रिया से है जिसमें किसी एक विषय पर अनेक प्रकार के विचार उत्पन्न होते हैं। उन विचारों के आधार पर नवीन एवं उपयोगी वस्तुओं एवं विचारों का सृजन होता है।”

    रचनात्मक लेखन कैसे लिखते है?

    सृजनात्मक लेखन क्या है उदाहरण?

    इसे सुनेंरोकेंसृजनात्मकता एक आदर्श वैचारिकता है जो एक कलाकार के मस्तिष्क की कल्पनापूर्ण स्वाभाविक प्रवृति है तथा कलाकार से संबंधित उसके अतीत और वर्तमान के परिवेश से प्रभावित है। (२) पाठकों में रूचि व इच्छा जागृत करता है। सृजनात्मक लेखन अर्थात् नूतन निर्माण की संकल्पना, प्रतिभा एवं शक्ति से निर्मित पदार्थ (लेख)।

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    रचनात्मक प्रवृत्ति क्या है?

    इसे सुनेंरोकेंरचनात्मकता की परिभाषा रॉबर्ट ई फ्रांकेन के अनुसार, किसी विचार को उत्पन्न या पहचानने की प्रवृति, विकल्प, या किसी समस्या को समाधान करने की संभावना, दूसरो के साथ संचार, और हमारा मनोरंजन।

    हिंदी में लेख कैसे लिखें?

    इसे सुनेंरोकेंविचार करिए कि आप किस प्रकार की सामग्री आप लिखने वाले हैं और उससे कितनी जगह भरेगी। साथ ही, विचार करिए कि विषय को पर्याप्त रूप से कवर करने के लिए करीब कितना लिखना चाहिए। अपने पाठकों का ध्यान रखिए: सोचिए कि आपका लेख कौन पढ़ने वाला है। आपको पाठकों के स्तर, रुचियों, अपेक्षाओं वगैरह का ध्यान रखना होगा।

    रचनात्मक लेखन की इनमें से कौन सी विधा है?

    इसे सुनेंरोकेंरचनात्‍मक लेखन के लिए जरूरी है भाषा और विषय का ज्ञान। इसके साथ ही इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि वह लेखन किस वर्ग के लिए किया जा रहा है। फिल्‍मों और सीरियल में लिखने के लिए कहानी लिखने का तरीका विजुवल होना चाहिए, वहीं किसी विज्ञापन के लिए इसके कुछ सेकंडों में संप्रेषित होने की क्षमता रखने वाला होना चाहिए।

    रचनात्मक लेखन, मौलिक लेखन के समान है विद्यार्थियों को विद्यालय तथा विश्वविद्यालय में रचनात्मक लेखन का विषय अध्ययन करने को मिलता है। इससे संबंधित कुछ विषय उन्हें परीक्षा में दिए जाते हैं जिस पर अपने विचार या बौद्धिक कुशलता का प्रयोग करते हुए उत्तर लिखना होता है। विद्यार्थी रचनात्मक लेखन को बड़ा समझ कर उत्तर लिखने में संकोच करते हैं। प्रस्तुत लेख के माध्यम से हम आपके उन सभी शंका का समाधान कर देंगे।

    इस लेख के अध्ययन उपरांत आप रचनात्मक लेखन में कुशल सकेंगे। कुछ रचनात्मक लेखन प्रस्तुत किए गए हैं।

    रचनात्मक लेखन

    विद्यार्थी रचनात्मक लेखन करते समय ध्यान रखें, यह लेख स्वयं के विवेक से लिखें तथा जितनी जानकारी हो उसको उचित प्रारूप में लिखें। परीक्षक को आपके लेख से यह जानकारी हो जाए कि आप दिए गए विषय में आप कितने कुशल हैं और उस संबंध में कितनी जानकारी रखते हैं।

    इस लेख से आपकी लेखन कुशलता की परीक्षा होती है, इसलिए स्वतंत्र होकर दिए गए विषय पर रचनात्मक लेखन करें।

    1. मीडिया और आधुनिक समाज पर रचनात्मक लेखन लिखिए

    मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, वह समाज में रहते हुए अपने विचारों तथा भावों का आदान प्रदान करता है। आधुनिक समय में तकनीक ने मनुष्य के संचार पद्धति को कुशल बनाया है, जिसे साधारण तौर पर हम मीडिया कहते हैं। आधुनिक समाज में मीडिया का काफी अहम योगदान है।

    कहें तो मीडिया और समाज एक-दूसरे के पूरक हैं।

    आधुनिक समाज मीडिया पर इतना निर्भर हो गया है कि, वह एक क्षण इसके प्रयोग से दूर नहीं रह सकता। जहां मीडिया ने ज्ञान-विज्ञान, सुचना आदि के द्वार खोले हैं, वही यह कुछ खामियां भी है, जिसे समाज के असामाजिक तत्वों ने अपने प्रयोग में लिया है।

    मीडिया

    मीडिया का कार्य सूचना, संदेश को एक स्थान से दूसरे स्थान कुशलतापूर्वक पहुंचाना होता है। वर्तमान समय की मुख्य भूमिका में दृश्य, श्रव्य तथा प्रिंट मीडिया कार्य कर रही है। मीडिया की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह संदेश आदान-प्रदान के कार्य को कितनी कुशलता से संपन्न करता है। कुछ दशक पूर्व तक मीडिया इतनी सशक्त नहीं थी कि तत्काल सूचनाएं आदान-प्रदान हो सके।

    पहले सूचनाओं का आदान प्रदान करने में कई दिन तथा महीने भी लगते थे।

    टेलीफोन इंटरनेट की उचित व्यवस्था ना होने के कारण सूचना रास्ते में भी बाधित हो जाया करती थी। चिट्ठी अपने गंतव्य स्थान तक विभिन्न कारणों से पहुंच भी नहीं पाती थी, जिसके कारण सूचनाओं का आदान-प्रदान अवरुद्ध हो जाया करता था। आज मीडिया इतना सशक्त हो गया है कि क्षणभर की घटनाएं सजीव देखी जा सकती है। आज हम किसी भी देश और किसी भी कोने में होने वाली घटनाओं को अपने मोबाइल, इंटरनेट और टेलीविजन पर देख लेते हैं।

    इतना ही नहीं अपने परिजनों, शुभचिंतकों से क्षण भर में बातचीत कर उनका शुभ समाचार प्राप्त कर पाते हैं। आधुनिक मीडिया ने समाज को जोड़ने का कार्य किया है, इसके माध्यम से नई-नई तकनीक का विकास संभव हो सका है। शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थी मीडिया का प्रयोग कर नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। एक जीवंत उदाहरण हमने कोविड-19 के समय देखा। जब सभी प्रतिष्ठान बंद थे तब विद्यार्थियों ने अपनी पढ़ाई मीडिया के सहारे पूरी की। यहां तक की सभी कार्यालय मीडिया के सहारे चल रहे थे।

    इन सभी कार्यों को संपन्न कराने में मीडिया ने अहम योगदान दिया।

    समाज अपने परिजनों की कुशलता मीडिया के माध्यम से ही प्राप्त कर रहा था । देश-विदेश में होने वाली घटनाओं की जानकारी भी मीडिया से प्राप्त हो रही थी। मीडिया अगर उचित दिशा में कार्य करें तो समाज निर्माण का कार्य करती है। वही विपरीत दिशा में कार्य करने से समाज को विघटित करती है।

    इसलिए मीडिया का प्रयोग सावधानी से किया जाना चाहिए।

    आधुनिक समाज

    समाज समय और परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है। पुराने समय में जो समाज की संरचना थी आज वह नहीं है। पहले एकल परिवार की व्यवस्था हमारे समाज में थी, आज वह विघटित होती जा रही है। आधुनिक समाज में लोगों के पास इतना समय नहीं है कि वह अपने परिवार के साथ कुछ क्षण व्यतीत कर सकें। अपने सगे संबंधियों के साथ समय बिता सके।

    यह सभी प्रक्रिया समाज को नए-नए स्वरूप में परिवर्तित करती जा रही है।

    आज व्यक्ति के पास समय का अभाव है, वह पैसे के सहारे सभी चीजें खरीदना चाहता है चाहे वह खुशी ही क्यों ना हो। पहले का समाज आपस में मिलकर खुश हुआ करता था, त्यौहार, उत्सव आदि एक साथ मिलकर मनाते थे और उसे आत्मसात किया करता था। किंतु आधुनिक समाज में समय अभाव के कारण सारी खुशियां पूंजी पर निर्भर करती है। कोई भी आदमी खुश इसलिए नहीं है क्योंकि उसे और अधिक पूंजी की आवश्यकता है।  कुछ पूंजी को जोड़ने और बनाने के लिए वह दिन-रात मेहनत करता है, किंतु वह खुशी कभी प्राप्त नहीं कर पाता जो एक सभ्य समाज में स्वीकार की जाती है।

    इस कारण भी लोगों में विभिन्न प्रकार की बीमारी तथा बुरी आदतों को जीवन में अपना लेते है।

    इंटरनेट ने मानव का जीवन आसान किया है वहीं आधुनिक समाज को बर्बाद करने का श्रेय भी मीडिया को जाता है। बेहद कम उम्र में बच्चे इंटरनेट और मीडिया से जुड़ जाते हैं, जहां उन्हें अपने बौद्धिक विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए वहां वह अनावश्यक सामग्री को देखने में समय व्यतीत करते हैं जिससे उनका मानसिक विकास उस स्तर का नहीं हो पाता जो कुछ दशक पूर्व था।

    मीडिया और आधुनिक समाज

    निश्चित रूप से मीडिया की आवश्यकता आधुनिक समाज में है किंतु मीडिया का प्रयोग समाज में बेहद ही सावधानी से किया जाना चाहिए क्योंकि मीडिया एक ऐसा माध्यम बन गया है जो समाज को जोड़ने तथा तोड़ने का कार्य साथ ही साथ करता जा रहा है। पूर्व समय में जब मीडिया का अधिक प्रचलन नहीं था, तब समाज संगठित रहा करता था। अपने भावों, विचारों का आदान-प्रदान अपने समाज में किया करता था।

    आज मीडिया के प्रचलन से समाज विकेंद्रीकृत हुआ है।

    मीडिया ने लोगों को अकेला कर दिया है जिसमें उन्हें परिवार या अपने सगे संबंधी मित्र आदि की कमी महसूस नहीं होती। मीडिया और समाज के बीच एक बेहतर तालमेल के साथ कार्य किया जाना चाहिए जिससे सभ्य समाज का निर्माण हो सके।

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    निष्कर्ष

    उपरोक्त तथ्यों के माध्यम से हम कह सकते हैं कि मीडिया समाज के लिए आवश्यक है। किंतु उसके दायरे और प्रयोग के तरीके को नियंत्रित किया जाना चाहिए। मीडिया जहां समाज को शिक्षित जागरूक और मनोरंजन का माध्यम बनता है, वही समाज को विघटित तथा भ्रष्ट करने का कार्य भी करती है। मीडिया के प्रयोग पर नियंत्रण किया जाना चाहिए ताकि सभ्य समाज का निर्माण हो सके।

    बच्चे मीडिया से शिक्षित हो सके और नए-नए अविष्कार के लिए प्रेरित हो। हमें मीडिया को इस प्रकार से प्रयोग करना होगा कि समाज में साक्षरता बढ़ सके, जागरूकता हो सके, अन्यथा मीडिया की सार्थकता सभ्य समाज में नहीं हो सकती।

    रचनात्मक लेखन उदाहरण क्या है?

    रचनात्मक लेखन के उदाहरण जीवन एक अंतहीन यात्रा है| जिस प्रकार यात्रा प्रारंभ करने से पहले व्यक्ति अपना गंतव्य स्थान निर्धारित कर लेता है, वैसे ही हमें भी अपनी जीवन-यात्रा प्रारंभ करने से पहले अपना कार्य-क्षेत्र निर्धारित कर लेना चाहिए| हर इंसान को अपने जीवन का उद्देश्य व लक्ष्य निश्चित कर लेना चाहिए।

    रचनात्मक लेखन से आप क्या समझते हैं?

    रचनात्मक लेखन क्या हैं/परिभाषा: what is rachnatmak lekhan किसी व्यक्ति द्वारा अपने ज्ञान के आधार पर ओर बिना किसी दूसरे की सहायता के किसी भी प्रकार का किया गया नया वर्णन जो कि काफी अलग हो ओर जिसकी रचना भी पहली बार हुई हो, रचनात्मक लेख कहलाता है ओर इसे, इस कार्य को करने कि विधि को रचनात्मक लेखन कहां जाता है।

    रचनात्मक लेख कैसे लिखा जाता है?

    रचनात्मक लेखन लिखने के लिए सर्वप्रथम रचनात्मक सोच होनी अत्यंत आवश्यक है, रचनात्मकता का बीज सृजनात्मक चिंतन में निहित होता है। लेख लिखते समय विषय को भली प्रकार सोच समझ कर चिंतन करके लिखना चाहिए, प्रत्येक विंदु का क्रमबद्ध विवेचन करना चाहिए। सोच का दायरा बढ़ाने पर रचनात्मक लेखन में चार चांद लग जाते हैं।

    रचनात्मक लेखन के कितने तत्व हैं नाम लिखिए?

    लेखन विकास के दो तत्व हैं: संरचना और प्रतिलेखन। संरचना को 'लेखक की भूमिका' माना जा सकता है, क्योंकि इसमें विचारों को उत्पन्न और व्यवस्थित करना, तथा उपयोग की जाने वाली भाषा शैली का चयन करने के साथ, यह जानना शामिल होता है कि लेखन को कौन पढ़ेगा (इसका पाठक) और इससे क्या उपलब्धि (उसका प्रयोजन) हासिल होगी।