HomehistoryRajputo ki Utpatti ke Siddhant in Hindi - राजपूतों की उत्पति स्मिथ के अनुसार " हर्ष की मृत्यु के बाद से तुर्कों के आधिपत्य तक
राजपूत इतने प्रभावशाली हो गये थे कि सातवीं शताब्दी ( 647 ई. ) से 12वीं शताब्दी ( 1191-9 2 ई. ) तक के काल को राजपूत काल कहा जाता
है ह्वेनसांग के यात्रावृतांत सी-यू-की में राजाओं को कहीं क्षत्रिय, कहीं राजपूत लिखा गया है Show
हम्मीर महाकाव्य में चौहानों को सूर्यवंशी बताया है
राजपूतों की उत्पति से संबधित विभिन्न मत
ब्राह्मणों से उत्पति
विदेशी उत्पति का गत
प्राचीन क्षत्रियों की संतान
सूर्यवंशी व चंद्रवंशी
मिश्रित उत्पति का सिध्दांत - डॉ. डी पी. चटोपाध्याय के अनुसार राजपूत मिश्रित जातियों के संतान थे । राजपूतों की उत्पत्ति से संबंधित विभिन्न सिद्धान्तअग्निकुल सिद्धान्त
विदेशी सिद्धान्त
ब्राह्मण सिद्धान्त
सूर्यवंशी/चंद्रवंशी सिध्दांत
Read Alsoराजपूतों की उत्पत्ति के सिद्धांत क्या है?श्री कर्नल जेम्स टॉड द्वारा दिए गए सिद्धांत के अनुसार राजपूतों की उत्पत्ति विदेशी मूल की थी. उनके अनुसार राजपूत कुषाण,शक और हूणों के वंशज थे. उनके अनुसार चूँकि राजपूत अग्नि की पूजा किया करते थे और यही कार्य कुषाण और शक भी करते थे. इसी कारण से उनकी उत्पति शको और कुषाणों से लगायी जाती थी.
राजपूतों के पतन के क्या कारण थे?राजपूतों में वीरता, शौर्य, स्वामिभक्ति, किन्तु एकता का अभाव, पारस्परिक ईर्ष्या एवं द्वेष, कूटनीति का अभाव, सरल स्वभाव, मनोविनोद आदि ऐसे अवगुण थे, जो उनके पतन का कारण बने।
सबसे बड़ा राजपूत कौन सा है?जयसिंह सिद्धराज : इस वंश का सबसे प्रतापी राजा जयसिंह सिद्धराज था। उसने 1096 ई. से 1143 ई.
राजपूतों की अग्नि कौन से उत्पत्ति का सिद्धांत किसने दिया था?अग्निकुला सिद्धांत:
यह सिद्धांत चंदबरदाई के पृथ्वीराजरासो से आया है। इस सिद्धांत के अनुसार, राजपूत माउंट आबू में "गुरु शिखर" में ऋषि वशिष्ठ द्वारा किए गए यज्ञ का परिणाम थे। अग्निकुंड से निकले चार राजपूत वंश चौहान, चालुक्य, परमार और प्रतिहार हैं। मुहणोत नैणसी और सूर्यमल मिश्र भी इस सिद्धांत का समर्थन करते हैं।
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