हिंदी न्यूज़ धर्मVivah Panchami : विवाह पंचमी पर ऐसे करें भगवान श्री राम और माता सीता का विवाह, नोट कर लें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त Show
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का पावन पर्व मनाया जाता है। त्रेता युग में इसी दिन भगवान श्री राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इस साल विवाह पंचमी 8...Yogesh Joshiलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीWed, 08 Dec 2021 11:38 AM हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का पावन पर्व मनाया जाता है। त्रेता युग में इसी दिन भगवान श्री राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इस साल विवाह पंचमी 8 दिसंबर को है। विवाह पंचमी के दिन विधि- विधान से भगवान श्री राम और माता सीता के विवाह महोत्सव मनाया जाता है। विवाह पंचमी पर माता सीता और भगवान श्री राम का विवाह महोत्सव मनाने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और सदैव भगवान श्री राम और माता सीता की कृपा बनी रहती है। आइए जानते हैं विवाह पंचमी पूजा- विधि और महत्व... पूजा- विधि
इन राशि वालों पर नहीं आता कोई संकट, बजरंगबली करते हैं इनकी रक्षा, देखें क्या आप पर भी मेहरबान हैं हनुमान जी शुभ मुहूर्त-
विवाह पंचमी का दिन वैसे तो धार्मिक दृष्टि से बहुत शुभ माना जाता है लेकिन कई क्षेत्रों, खासकर नेपाल के मिथिला में क्योंकि माता सीता वहीं प्रकट हुई थीं, इस दिन बेटियों का विवाह करना शुभ नहीं माना जाता.भगवान राम और सीता माता के विवाह के बारे में ये बातें नहीं जानते होंगे आप भगवान श्री राम और माता सीता सिर्फ महर्षि वाल्मिकी द्वारा रचित रामायण के नायक-नायिका ही नहीं बल्कि पौराणिक ग्रंथों के अनुसार वे इस समस्त चराचर जगत के कर्ता-धर्ता भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी का स्वरूप थे, जिन्होंनें धर्म की पुनर्स्थापना और मनुष्य जाति के लिए एक आदर्शवादी और मर्यादित जीवन की नियमावली एवं मिसाल कायम करने के लिए धरती पर मानव रूप में अवतार लिया. गृहस्थ जीवन में जब भी आदर्श पति-पत्नी का जिक्र होता है तो आज भी प्रभु श्री राम और माता सीता का ही उदाहरण दिया जाता है. माता सीता और प्रभु श्री राम के विवाह के दिन को आज भी उत्सव के रूप में मनाया जाता है. मार्गशीर्ष (अगहन) मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि वह दिन है जब प्रभु श्री राम, मिथिला में आयोजित सीता स्वयंवर को जीतने के बाद उनके साथ विवाह किया था. इसलिए इस दिन को विवाह पंचमी पर्व के रूप में भी मनाया जाता है. इस वर्ष विवाह पंचमी का पर्व बुधवार, 8 दिसंबर को है. कैसे हुआ था प्रभु श्री राम और माता सीता का विवाहयह तो हम सभी जानते हैं कि प्रभु श्री राम और माता सीता का विवाह स्वयंवर के बाद हुआ था, जिसमें भगवान श्री राम ने शिव धनुष को न सिर्फ उठाया बल्कि उसे तोड़ भी दिया था. लेकिन स्वयंवर का यह किस्सा रामचरित मानस में है वाल्मिकी रचित रामायण में स्वंयवर का कोई जिक्र नहीं है. वाल्मिकी रामायण में जो लिखा है उसे सुनकर तो आप चौंक जाएंगें. दरअसल प्रभु श्री राम और माता सीता के विवाह के समय सीता की उम्र केवल 6 वर्ष थी और प्रभु राम की उम्र 13 साल थी. वाल्मिकी रामायण में एक जगह माता सीता कहती हैं कि वह विवाह के पश्चात 12 वर्ष तक अयोध्या में सुख चैन से रहीं, उसके बाद श्री राम को वनवास मिला तो उस समय प्रभु श्री राम की आयु 25 वर्ष तो उनकी आयु 18 वर्ष की थी. वाल्मिकी ने किसी स्वयंवर का जिक्र नहीं किया है. वाल्मिकी रामायण के अनुसार महर्षि विश्वामित्र के साथ भगवान राम और लक्ष्मण प्रभु मिथिला पहुंचे थे. विश्वामित्र ने ही महाराजा जनक से प्रभु श्री राम को शिव धनुष दिखाने की बात कही थी. खेल-खेल में प्रभु श्री राम ने वह धनुष उठा लिया और प्रत्यंचा चढ़ाते समय वह टूट गया. महाराजा जनक ने यह प्रण ले रखा था कि जो भी इस धनुष को उठा लेगा, वे सीता का विवाह उसी के साथ करेंगें. तो इस घटना के पश्चात राजा जनक ने महाराज दशरथ को बुलावा भेजा और विधिपूर्वक राम और सीता का विवाह संपन्न करवाया. विवाह पंचमी के दिन नहीं होते विवाहविवाह पंचमी का दिन धार्मिक दृष्टि से वैसे तो बहुत शुभ माना जाता है लेकिन कई क्षेत्रों खासकर नेपाल के मिथिला में क्योंकि माता सीता वहीं प्रकट हुई थी, इस दिन बेटियों का विवाह करना शुभ नहीं माना जाता. इसके पिछे लोगों की यही मान्यता है कि विवाह के बाद माता सीता को बहुत कष्ट झेलने पड़े थे. वनवास समाप्ति के बाद भी उन्हें सुख नहीं मिला और गर्भवती अवस्था में जंगल में मरने के लिए छोड़ दिया गया था. महर्षि वाल्मिकी के आश्रम में ही तमाम सुख-दुख सहते हुए उनकी उम्र बीती. इसी कारण लोग पंचमी तिथि पर अपनी बेटियों का विवाह नहीं करते हैं, उन्हें ऐसा लगता है कि यदि वे इस दिन अपनी बेटी का विवाह करेंगे तो उसे भी सीता माता की तरह कष्ट उठाने पड़ेंगे. इतना ही नहीं, विवाह पंचमी पर्व मनाने के लिए यदि कोई कथा का आयोजन भी करता है तो वह कथा सीता स्वयंवर और प्रभु श्री राम और माता सीता के विवाह के साथ ही संपन्न कर दी जाती है. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि इसके आगे की कथा दुखों से भरी है. मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम और सीता माता के शुभ विवाह के कारण ही विवाह पंचमी का पर्व अत्यंत पवित्र माना जाता है. भारतीय संस्कृति में राम-सीता आदर्श दंपति माने गए हैं. इस पावन दिन सभी को राम-सीता की आराधना करते हुए अपने सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए प्रभु से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए. ये भी पढ़ें- Taurus Horoscope Today, आज का वृषभ राशिफल, 8 दिसंबर 2021: किसी छोटी सी बात को लेकर विवाद होने की आशंकासीता जी शादी कितनी उम्र में हुई?वाल्मीकि रामायण में बताया गया है कि विवाह के समय भगवान राम की आयु 13 वर्ष और माता सीता की आयु 6 वर्ष थी। विवाह के बाद देवी सीता 12 वर्ष की आयु तक अपने पिता राजा जनक के यहां रहीं थी। इसके बाद उन्हें अयोध्या के लिए विदा किया गया।
सीता और राम की शादी कब हुई थी?हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का पावन पर्व मनाया जाता है। त्रेता युग में इसी दिन भगवान श्री राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इस साल विवाह पंचमी 8 दिसंबर को है।
राम विवाह कौन सा दिन है?धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विवाह पंचमी के शुभ दिन प्रभु श्री राम और देवी सीता का विवाह संपन्न हुआ था। प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को भगवान श्री रामचंद्र जी और देवी सीता जानकी के विवाह की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है।
राम की शादी कौन से महीने में हुई थी?मार्गशीर्ष (अगहन) मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को भगवान श्रीराम तथा जनकपुत्री जानकी (सीता) का विवाह हुआ था। तभी से इस पंचमी को 'विवाह पंचमी पर्व' के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक धार्मिक ग्रथों के अनुसार इस तिथि को भगवान राम ने जनक नंदिनी सीता से विवाह किया था।
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